NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद क्षितिज भाग-2 हिंदी
तुलसीदास
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प्रश्न अभ्यास
1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
उत्तर
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर निम्नलिखित तर्क दिए -
उत्तर
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर निम्नलिखित तर्क दिए -
• बचपन में भी उनलोगों ने कई धनुहियाँ तोड़ी हैं, तब परशुराम क्रोधित नहीं हुए?
• हमें ये धनुष साधारण धनुष लगा|
• इस धनुष के टूटने पर उन्हें कोई लाभ-हानि नहीं दिखती|
2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
राम बहुत शांत और धैर्यवान हैं| परशुराम के क्रोध करने पर राम विनम्रता के साथ कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाला कोई उनका दास ही होगा| वे मृदुभाषी होने का परिचय देते हुए अपनी मधुर वाणी से परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हैं| अंत में आँखों से संकेत कर लक्ष्मण को शांत रहने को कहते हैं|
दूसरी ओर लक्ष्मण का स्वभाव उग्र है| वह व्यंग्य करते हुए परशुराम को इतनी छोटी सी बात पर हंगामा नहीं करने के लिए कहते हैं| वे परशुराम के क्रोध की चिंता किये बिना अपशब्दों को प्रयोग ना करने को कहते हैं| वह उनके क्रोध को अन्याय समझते हैं इसीलिए पुरजोर विरोध करते हैं|
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3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर
परशुराम - शिवजी का धनुष तोड़ने का दुस्साहस किसने किया है?
राम - हे नाथ! इस शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला अवश्य ही आपका कोई दास ही होगा|
परशुराम - सेवक वह होता है जो सेवा का कार्य करे| किन्तु जो सेवक शत्रु के सामने व्यवहार करे उससे तो लड़ना पड़ेगा| जिसने भी धनुष तोड़ा है वह मेरे लिए दुश्मन है और तुरंत सभा से बाहर चला जाए अन्यथा यहाँ उपस्थित सभी राजा मारे जायेंगें|
4. परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए -
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही||
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा||
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर||
उत्तर
परशुराम ने अपने विषय में ये कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और अतिक्रोधी स्वभाव के हैं। सारा संसार उन्हें क्षत्रियकुल के नाशक के रूप में जानता है। उन्होंने कई बार भुजाओं की ताकत से इस धरती को क्षत्रिय राजाओं से मुक्त किया है और ब्राह्मणों को दान में दिया है| लक्ष्मण वे अपना फरसा दिखाकर कहते हैं कि इस फरसे से उन्होंने सहस्त्रबाहु के बाहों को काट डाला था। इसलिए वह अपने माता-पिता चिंतित ना करे| उनका फरसा गर्भ में पल रहे शिशुओं का नाश कर देता है।
5. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
उत्तर
लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई है -
• वे युद्धभूमि में अपनी वीरता का परिचय साहसपूर्वक देते हैं|
• वीर योद्धा शांत, विनम्र, क्षमाशील, धैर्यवान, बुद्धिमान होते हैं|
• वे खुद पर अभिमान नहीं करते हैं|
• वह दूसरों को आदर देते हैं|
6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर
साहस और शक्ति द्वारा हम अनेक काम पूरा कर सकते हैं| हालांकि इसमें अगर विनम्रता भी जुड़ जाए तो बेहद कारगर साबित होता है| विनम्रता हमें संयमित बनाती है जिससे व्यक्ति को आंतरिक ख़ुशी मिलती है| विनम्रता के भाव से विपक्षी भी उस व्यक्ति का आदर करते हैं| यह व्यक्ति कार्य को और सुगम बनती है|
7. भाव स्पष्ट कीजिए -
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू||
उत्तर
इन पंक्तियों में लक्ष्मण अभिमान में चूर परशुराम स्वभाव पर व्यंग्य किया है| लक्ष्मण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि आप मुझे बार-बार इस फरसे को दिखाकर डरा रहे हैं| ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों|
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना||
उत्तर
इन पंक्तियों में लक्ष्मण ने परशुराम के अभिमान को चूर करने के लिए अपनी वीरता को बताया है| वे कहते हैं कि हम कुम्हड़े के कच्चे फल नहीं हैं जो तर्जनी के दिखाने से मुरझा जाता है| यानी वे कमजोर नहीं हैं जो धमकी से भयभीत हो जाएँ| वह यह बात उनके फरसे को देखकर बोल रहे हैं| उन्हें स्वयं पर विश्वास है|
(ग) गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ||
उत्तर
इन पंक्तियों में विश्वामित्र मन ही मन मुस्कराते हुए सोच रहे हैं कि परशुराम ने सामन्य क्षत्रियों को युद्ध में हराया है तो इन्हें हरा-ही-हरा नजर आ रहा है| राम-लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय नहीं हैं| परशुराम इन्हें गन्ने की बनी तलवार के समान कमजोर समझ रहे हैं पर असल में ये लोहे की बनी तलवार हैं| परशुराम के अहंकार और क्रोध ने उनकी बुद्धि को अपने वश में ले लिया है|
8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर
• यह काव्यांश तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस के बालकांड से ली गयी जो अवधी भाषा में लिखी गई है। • इसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग भरपूर मात्रा में किया गया है|
• इसमें दोहा, छंद, चौपाई का अच्छा प्रयोग किया है।
• भाषा में लयबद्धता है|
• प्रचलित मुहावरे और लोकक्तियाँ ने काव्य को सजीव बनाया है|
• वीर और रौद्र रस का प्रयोग मुख्य से रूप किया गया|
• कहीं-कहीं शांत रस का भी उपयोग हुआ है|
• अनुप्रास, उपमा, रुपक, उत्प्रेक्षा व पुनरुक्ति अलंकार का सुयोजित ढंग से प्रयोग हुआ है|
• व्यंग्यों का प्रयोग अनूठा है|
• प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है|
9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
तुलसीदास द्वारा रचित परशुराम - लक्ष्मण संवाद मूल रूप से व्यंग्य काव्य है। उदाहरण के लिए -
• बहु धनुही तोरी लरिकाईं।
कबहुँ न असि रिसकीन्हि गोसाईं||
लक्ष्मण परशराम से कहते हैं कि हमने बचपन में भी इस जैसी कई धनुहियाँ तोड़ीं हैं परन्तु तब आप हम पर इतने क्रोधित नहीं हुए|
• मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥
परशुराम जी क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहते हैं कि अरे राजा के बालक! तू अपने माता-पिता के बारे में सोच| यह जो मेरा फरसा बहुत भयानक है, यह गर्भ में पल रहे बच्चों का भी नाश कर देता है|
• अपने मुँह तुम्ह आपनि करनी|
बार अनेक भाँति बहु बरनी||
परशुराम द्वारा की जा रही खुद की बड़ाई को लक्ष्मण अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना कहते हैं|
• मिले न कबहूँ सुभट रन गाढ़े|
द्विजदेवता घरहि के बाढ़े||
लक्ष्मण कहते हैं कि आपका सामना कभी योद्धाओं से नहीं हुआ इसीलिए आप घर के शेर हैं|
10. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
(क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
अनुप्रास अलंकार - 'बालकु बोलि बधौं' में 'ब' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है।
(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
• अनुप्रास अलंकार - कोटि कुलिस में 'क' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है।
• उपमा अलंकार - कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार है चूँकि परशुराम जी के वचनों की तुलना वज्र से की गयी है और वाचक शब्द 'सम' का प्रयोग किया गया है|
(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।
बार बार मोहि लागि बोलावा||
बार बार मोहि लागि बोलावा||
• पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार - 'बार-बार' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। क्योंकि बार शब्द की दो बार आवृत्ति हुई पर अर्थ भिन्नता नहीं है।
(घ)लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु||
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु||
• उपमा अलंकार
→ लक्ष्मण के उत्तर आहुति के समान और वाचक शब्द 'सरिस' के कारण 'आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु' में उपमा अलंकार है।
(ii) जल सम बचन में भी उपमा अलंकार है क्योंकि भगवान राम के मधुर वचन जल के समान कार्य रहे हैं और वाचक शब्द 'सम' का प्रयोग हुआ है।
2. रुपक अलंकार - रघुकुलभानु में रुपक अलंकार है चूँकि श्री राम के गुणों की समानता सूर्य से की गई है।
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद - पठन सामग्री और भावार्थ
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