NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 7 - उठ किसान ओ (कविता) हिंदी दूर्वा भाग- III
- त्रिलोचन
पृष्ठ संख्या: 471. कविता से
नीचे लिखी पंक्तियाँ पढ़ो। आपस में चर्चा करके इसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दो।
(क) " तेरे हरे-भरे सावन के साथी ये आए हैं "
क्या बादल हरे-भरे सावन के साथी हैं अथवा किसान के? या दोनों के।
उत्तर
बादल, सावन और किसान दोनों के साथी हैं। सावन से मौसम अच्छा रहता है। किसान के खेत लहलहाते हैं।
बादल ऐसा क्या लाए हैं जिससे किसान के प्राणों में नया राग भर जाएगा?
उत्तर
बादल के बरसने से भूमि को जल मिलेगा। इससे किसानों द्वारा लगाए खेतों को पानी मिलता है और उसकी मेहनत खेतों के रूप में लहलहा जाती है, जिसमें उसके प्राण बसे होते हैं। इसलिए कवि ने बादल द्वारा लाए जल से किसान के प्राणों में नया राग भरने की बात कही है।
(ग) " तेरे लिए-अकेले तेरे लिए कहाँ से चलकर आई "
क्या सचमुच पुरवाई केवल किसान के लिए चलकर आई है? वह कहाँ से चलकर आई होगी?
उत्तर
'पुरवाई' सभी के लिए आई है। परन्तु किसान के लिए बहुत महत्व रखती है क्योंकि उसे लहलहाते खेत अच्छे लगते हैं। वह कहाँ से चलकर आ रही है, इसका तो पता नहीं है। परन्तु कहा जाता है, पहाड़ों से हवा चलती है।
2. कविता के आधार पर बताओ कि
(क) जब हरा खेत लहराएगा तो क्या होगा?
► जब हरा खेत लहराएगा तो वह हरी पताका फहराएगा।
(ख) बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए क्यों कहता है?
► बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि बादल उसके साथी हैं। वह उसके खेतों में प्राण डालने आ गए हैं।
(ग) रूप बदल कर बादल किसान के कौन से सपनों को साकार करेगा?
► रूप बदल कर बादल किसान के खेत और उसकी अच्छी उपज के सपनों को साकार करेगा।
"हरा खेत जब लहराएगा
हरी पताका फहराएगा
छिपा हुआ बादल तब उसमें
रूप बदलकर मुसकाएगा"
कविता में हम पाते हैं कि सावन की हरियाली बादलों के कारण ही हुई है इसलिए कवि को उस हरियाली में मुसकराते बादल ही दिखाई देते हैं। बताओ, कवि को इन सब में कौन दिखाई दे सकता है–
(क) गर्म हवा। लू के थपेड़े।
► भयंकर गर्मी।
(ख) सागर में उठती ऊँची-ऊँची लहरें।
► सागर की सुंदरता
(ग) सुगंध फैलाता हुआ फूल।
► फूलों के गुच्छे जिसमें सुगंध हो।
(घ) चैन की नींद सोती हुई बालिका।
► चिन्ता रहित बालिका।
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8. और मुहावरे
उत्तर
→ जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं (बातें करने वाले काम नहीं करते) –आजकल नेता लोग बड़े-बड़े वादे करते हैं पर करते कुछ नहीं। सही है जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।
→ आसमान टूटना (मुसीबत आना) – पिता की मृत्यु के बाद तो जैसे उस पर दुखों का आसमान टूट पड़ा।