पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - मेरे बचपन के दिन क्षितिज भाग - 1
पाठ का सारप्रस्तुत संस्मरण में महादेवी जी ने अपने बचपन के उन दिनों को स्मृति के सहारे लिखा है जब वे विद्यालय में पढ़ रही थीं। इस अंश में लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैये, विद्यालय की सहपाठिनों, छात्रावास के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसंगों का बहुत ही सजीव वर्णन है। लेखिका अपने बचपन के दिनों को याद कर कहती है कि वे परिवार में पहली लड़की पैदा हुईं थीं। घर में हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था लेकिन माँ ने उसे संस्कृत, हिन्दी,अंगेरज़ी आदि की शिक्षा दी।
फिर मिशन स्कूल में जाने पर उनकी मुलाकात सुभद्रा कुमारी चौहान से हुई। उनके छात्रावास में विभिन्न स्थानों से आए बच्चों में एकता एवं सहानुभुति की भावना थी। वे कविता भी लिखती थी। कविता –पाठ में उन्हें हमेशा प्रथम पुरस्कार ही मिलता था। एक बार उन्होंने पुरस्कार में मिले चाँदी के कटोरे को दानस्वरूप गाँधी जी को दे दिया। उनके घर के पास रहने वाले नवाब साहब के परिवार से उनके बड़े अच्छे संबंध थे। नवाब साहब ने ही उनके छोटे भाई का नामकरण किया था। उस समय लोगों में जैसी एकता और भाईचारा दिखता था , आजकल वह सपना –सा लगता है।
लेखिका परिचय
महादेवी वर्मा
इनका जन्म सन 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद सहर में हुआ था। इनकी शिक्षा दीक्षा प्रयाग में हुई। ये एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्य के गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचर्या पद पर रहते हुए इन्होने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयत्न कियें। सन 1987 में इनका देहांत हो गया।
प्रमुख कार्य
काव्य संग्रह - नीहार, रश्मि , नीरजा, यामा, दीपशिखा।
गद्य रचनाएं - अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ।
कठिन शब्दों के अर्थ
• परमधाम – स्वर्ग
• प्रतिष्ठित – सम्मानित
• वाइस चांसलर – कुलपति
• निराहार – बिना कुछ खाए-पिए
• फूल – ताँबे और राँगे से बनी एक धातु
• पदक – धातु का गोल टुकड़ा जो पुरस्कार के रूप में दिया जाता है
• लहरिया – रंग-बरंगी धारियों वाली साड़ी
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• प्रतिष्ठित – सम्मानित
• वाइस चांसलर – कुलपति
• निराहार – बिना कुछ खाए-पिए
• फूल – ताँबे और राँगे से बनी एक धातु
• पदक – धातु का गोल टुकड़ा जो पुरस्कार के रूप में दिया जाता है
• लहरिया – रंग-बरंगी धारियों वाली साड़ी
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