वर्णमाला - हिंदी व्याकरण Class 9th Course - 'B'
हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते, वे वर्ण कहलाते हैं। जैसे - अ, आ, ई आदि।
वर्णमाला
वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हिंदी में वर्णों की कुल संख्या 44 है।
उच्चारण के आधार पर वर्णों को दो भागों में बाँटा गया है -
• स्वर
• व्यंजन
स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है , वे स्वर कहलाते हैं। इनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है। इनके उच्चारण में हवा मुँह में बिना रुके बाहर आती है। इनकी कुल संख्या 11 है।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
वर्णमाला
वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हिंदी में वर्णों की कुल संख्या 44 है।
उच्चारण के आधार पर वर्णों को दो भागों में बाँटा गया है -
• स्वर
• व्यंजन
स्वर
जिन वर्णों के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है , वे स्वर कहलाते हैं। इनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है। इनके उच्चारण में हवा मुँह में बिना रुके बाहर आती है। इनकी कुल संख्या 11 है।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
उच्चारण में लगने वाले समय की दृष्टि से स्वर के तीन भेद हैं -
व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वर वर्ण की सहायता ली जाती है, वे व्यंजन कहलाते हैं। इनके उच्चारण में हवा कंठ से निकलकर मुँह में रूककर बाहर आती है। इनकी कुल संख्या 33 है।
व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं -
1. स्पर्श व्यंजन - क् से लेकर म् तक 25 वर्ण स्पर्श कहलाते हैं। इनके उच्चारण में हवा कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करके मुख से बाहर आती है। इनके कुल पाँच वर्ग हैं और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ण के नाम पर रखा गया है।
कवर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग - ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
2. अंतःस्थ व्यंजन - ये संख्या में चार हैं - य् र् ल् व्। इनका उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के मध्य का होता है।
व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं -
1. स्पर्श व्यंजन - क् से लेकर म् तक 25 वर्ण स्पर्श कहलाते हैं। इनके उच्चारण में हवा कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करके मुख से बाहर आती है। इनके कुल पाँच वर्ग हैं और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ण के नाम पर रखा गया है।
कवर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग - ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
2. अंतःस्थ व्यंजन - ये संख्या में चार हैं - य् र् ल् व्। इनका उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के मध्य का होता है।
3. ऊष्म व्यंजन - ये भी संख्या में चार हैं - श् ष् स् ह्। इनके उच्चारण में हवा मुँह में टकराकर ऊष्मा पैदा करती है।
• संयुक्त व्यंजन - जहाँ भी दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिलते हैं, वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं। जैसे -
क्ष= क् + ष + अ
त्र= त् + र + अ
ज्ञ= ज् + ञ + अत्र= त् + र + अ
श्र = श् + र + अ
• द्वित्व व्यंजन - जब एक व्यंजन अपने जैसे दूसरे व्यंजन के साथ आते हैं तो, वे द्वित्व व्यंजन कहलाते है। जैसे - बच्चा, कच्चा, सज्जा आदि।
क् ,च्, ट्, त्, प्, वर्ग के दूसरे व चौथे वर्ण का द्वित्व नहीं होता है।