Extra Questions and Answer from Chapter 6 Kichad kaa kaavy Sparsh Bhaag I
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
1. हम आकाश का वर्णन करते हैं, पृथ्वी का वर्णन करते हैं, जलाशयों का वर्णन करते हैं, पर कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है? कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता है, कीचड़ से शरीर गन्दा होता है, कपडे मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को अच्छा नहीं लगता और इसलिए कीचड़ किसी को सहानुभूति नहीं होती। यह सब यथार्थ है किन्तु तटस्थ्ता से सोचें तो हम देखेंगे कि कीचड़ में कुछ कम सौंदर्य नहीं है। पहले तो यह की कीचड़ का रंग बहुत सुन्दर है। पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर अथवा शरीर के कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों की भट्टी में पकाये हुए मिट्टी के बर्तनों के लिए यही रंग बहुत पसंद है। फोटो लेते समय भी यदि उसमें कीचड़ का, एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश हो जाते हैं। पर लो, कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
(क) हम प्रकृति के किन रूपों का प्रायः वर्णन करते हैं? (1)
(ख) लोग कीचड़ को पसंद क्यों नहीं करते? (2)
(ग) कीचड़ का रंग कहाँ-कहाँ पसंद किया जाता है? (2)
उत्तर
(क) हम प्रकृति के सुंदर रूपों आकाश, पृथ्वी, जालशयों आदि का प्रायः वर्णन करते हैं।
(ख) लोग कीचड़ को पसंद इसलिए नहीं करते क्योंकि इससे शरीर गन्दा होता है, कपडे मैले हो जाते हैं।
(ग) कीचड़ का रंग पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर और शरीर के कीमती कपड़ों के लिए पसंद किया जाता है। कलाभिज्ञ लोगों की भट्टी में पकाये हुए मिट्टी के बर्तनों के लिए कीचड़ का रंग बहुत पसंद है।
2. कीचड़ देखना है तो गंगा किनारे या सिंधु के किनारे और इतने से तृप्ति ना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। वहाँ मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नज़र पहुँचे वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलेगा। इस कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे ऐसा कहना, न शोभा दे ऐसी अलोपक्ति करने जैसा है। पहाड़ के पहाड़ उसमें लुप्त हो जाएँगे, ऐसा कहना चाहिए।
हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है इसका जाग्रत भान हर एक मनुष्य को होता तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता।
(क) इस कीचड़ में हाथी भी डूब जाएँ -का क्या आशय है? इस कीचड़ में क्या-क्या डूब सकते हैं? (2)
(ख) मही नदी के मुख के आगे स्थित कीचड़ की क्या विशेषता है? (1)
(ग) मनुष्य कीचड़ का तिरस्कार करना कब छोड़ेगा? (1)
उत्तर
(क) इस कथन का आशय है कि कीचड़ बहुत जयादा तथा गहरा होता है। इस कीचड़ में पहाड़ के पहाड़ डूब सकते हैं।
(ख) मही नदी के मुख के आगे से जहाँ तक नजर पहुँचे वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलता है।
(ग) मनुष्य को जब यह जाग्रत भान हो जाएगा कि उसका अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है तब वह इसका तिरस्कार करना छोड़ेगा।
3.नदी के किनारे जब कीचड़ सुखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे कितने सुन्दर दिखते हैं। ज्यादा गर्मी से जब उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं, तब वे सुखाये हुए खोपरे जैसे दीख पड़ते हैं। नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला हुआ होता है, तब वह दृश्य कुछ कम खूबसूरत नहीं होता। इस कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सुख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाख़ून आगे और अँगूठा पीछे ऐसे अनेक पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर-दूर तक अंकित देख इसी रास्ते अपना कारवाँ ले जाने की इच्छा हमें होती है।
(क) नदी के किनारे कीचड़ कब सुखाये हुए खोपडे जैसे दिखाई देते हैं? (1)
(ख) नदी के किनारे कौन सा दृश्य खूबसूरत होता है? (1)
(ग) लेखक को क्या देख अपना कारवाँ उस रास्ते ले जाने की इच्छा होती है? (2)
उत्तर
(क) जब ज्यादा गर्मी पड़ती है तब नदी के किनारे सूखे पड़े कीचड़ कर टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं तब वे सुखाये हुए खोपडे जैसे दिखाई देते हैं।
(ख) नदी के किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला हुआ होता है, तब वह दृश्य खूबसूरत होता है।
(ग) कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सूख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाख़ून आगे और अँगूठा पीछे ऐसे अनेक पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर-दूर तक अंकित देख लेखक को अपना कारवाँ इस रास्ते ले जाने की इच्छा होती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1. रंग की सारी शोभा कहाँ जमी थी?
उत्तर
रंग की सारी शोभा उत्तर में जमी थी।
1. हम आकाश का वर्णन करते हैं, पृथ्वी का वर्णन करते हैं, जलाशयों का वर्णन करते हैं, पर कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है? कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता है, कीचड़ से शरीर गन्दा होता है, कपडे मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को अच्छा नहीं लगता और इसलिए कीचड़ किसी को सहानुभूति नहीं होती। यह सब यथार्थ है किन्तु तटस्थ्ता से सोचें तो हम देखेंगे कि कीचड़ में कुछ कम सौंदर्य नहीं है। पहले तो यह की कीचड़ का रंग बहुत सुन्दर है। पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर अथवा शरीर के कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों की भट्टी में पकाये हुए मिट्टी के बर्तनों के लिए यही रंग बहुत पसंद है। फोटो लेते समय भी यदि उसमें कीचड़ का, एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश हो जाते हैं। पर लो, कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
(क) हम प्रकृति के किन रूपों का प्रायः वर्णन करते हैं? (1)
(ख) लोग कीचड़ को पसंद क्यों नहीं करते? (2)
(ग) कीचड़ का रंग कहाँ-कहाँ पसंद किया जाता है? (2)
उत्तर
(क) हम प्रकृति के सुंदर रूपों आकाश, पृथ्वी, जालशयों आदि का प्रायः वर्णन करते हैं।
(ख) लोग कीचड़ को पसंद इसलिए नहीं करते क्योंकि इससे शरीर गन्दा होता है, कपडे मैले हो जाते हैं।
(ग) कीचड़ का रंग पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर और शरीर के कीमती कपड़ों के लिए पसंद किया जाता है। कलाभिज्ञ लोगों की भट्टी में पकाये हुए मिट्टी के बर्तनों के लिए कीचड़ का रंग बहुत पसंद है।
2. कीचड़ देखना है तो गंगा किनारे या सिंधु के किनारे और इतने से तृप्ति ना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। वहाँ मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नज़र पहुँचे वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलेगा। इस कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे ऐसा कहना, न शोभा दे ऐसी अलोपक्ति करने जैसा है। पहाड़ के पहाड़ उसमें लुप्त हो जाएँगे, ऐसा कहना चाहिए।
हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है इसका जाग्रत भान हर एक मनुष्य को होता तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता।
(क) इस कीचड़ में हाथी भी डूब जाएँ -का क्या आशय है? इस कीचड़ में क्या-क्या डूब सकते हैं? (2)
(ख) मही नदी के मुख के आगे स्थित कीचड़ की क्या विशेषता है? (1)
(ग) मनुष्य कीचड़ का तिरस्कार करना कब छोड़ेगा? (1)
उत्तर
(क) इस कथन का आशय है कि कीचड़ बहुत जयादा तथा गहरा होता है। इस कीचड़ में पहाड़ के पहाड़ डूब सकते हैं।
(ख) मही नदी के मुख के आगे से जहाँ तक नजर पहुँचे वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलता है।
(ग) मनुष्य को जब यह जाग्रत भान हो जाएगा कि उसका अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है तब वह इसका तिरस्कार करना छोड़ेगा।
3.नदी के किनारे जब कीचड़ सुखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे कितने सुन्दर दिखते हैं। ज्यादा गर्मी से जब उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं, तब वे सुखाये हुए खोपरे जैसे दीख पड़ते हैं। नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला हुआ होता है, तब वह दृश्य कुछ कम खूबसूरत नहीं होता। इस कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सुख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाख़ून आगे और अँगूठा पीछे ऐसे अनेक पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर-दूर तक अंकित देख इसी रास्ते अपना कारवाँ ले जाने की इच्छा हमें होती है।
(क) नदी के किनारे कीचड़ कब सुखाये हुए खोपडे जैसे दिखाई देते हैं? (1)
(ख) नदी के किनारे कौन सा दृश्य खूबसूरत होता है? (1)
(ग) लेखक को क्या देख अपना कारवाँ उस रास्ते ले जाने की इच्छा होती है? (2)
उत्तर
(क) जब ज्यादा गर्मी पड़ती है तब नदी के किनारे सूखे पड़े कीचड़ कर टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं तब वे सुखाये हुए खोपडे जैसे दिखाई देते हैं।
(ख) नदी के किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला हुआ होता है, तब वह दृश्य खूबसूरत होता है।
(ग) कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सूख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाख़ून आगे और अँगूठा पीछे ऐसे अनेक पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर-दूर तक अंकित देख लेखक को अपना कारवाँ इस रास्ते ले जाने की इच्छा होती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
1. रंग की सारी शोभा कहाँ जमी थी?
उत्तर
रंग की सारी शोभा उत्तर में जमी थी।
2. कवि कीचड़ का वर्णन क्यों नहीं करते?
उत्तर
कवि बाहरी सौंदर्य को ज्यादा महत्व देते हैं, उनकी उपयोगिता को महत्व नहीं देते इसलिए कवि कीचड़ का वर्णन नहीं करते।
उत्तर
कवि बाहरी सौंदर्य को ज्यादा महत्व देते हैं, उनकी उपयोगिता को महत्व नहीं देते इसलिए कवि कीचड़ का वर्णन नहीं करते।
3. कीचड़ कब सुन्दर दिखते हैं?
उत्तर
नदी के किनारे जब कीचड़ सुखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं तब कीचड़ सुन्दर दिखते हैं।
उत्तर
नदी के किनारे जब कीचड़ सुखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं तब कीचड़ सुन्दर दिखते हैं।
4. लेखक के अनुसार हमें कीचड़ देखने के लिए कहाँ जाना चाहिए?
उत्तर
लेखक के अनुसार हमें कीचड़ देखने के लिए गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे जाना चाहिए। अगर इतने से भी संतुष्टि ना मिले तो खंभात जाना चाहिए।
5. आशय सपष्ट कीजिये "नदी के किनारे अंकित पद चिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो भास होता है।"
उत्तर
इस कथन का आशय है कि नदी के किनारे कीचड़ सूखी कीचड़ में जब दो भैंस के बच्चे मस्त होकर अपने सींगों को उस कीचड़ में धँसाकर रौंदते और लड़ते हैं तो उनके लड़ने से कीचड़ में उनके पद चिह्न और सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है मानो महिषकुल के सभी भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास कीचड़ में लेख के रूप लिख दिया गया हो।
कीचड़ का काव्य - पठन सामग्री और सार
NCERT Solutions for पाठ 6 - कीचड़ का काव्य
उत्तर
लेखक के अनुसार हमें कीचड़ देखने के लिए गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे जाना चाहिए। अगर इतने से भी संतुष्टि ना मिले तो खंभात जाना चाहिए।
5. आशय सपष्ट कीजिये "नदी के किनारे अंकित पद चिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो भास होता है।"
उत्तर
इस कथन का आशय है कि नदी के किनारे कीचड़ सूखी कीचड़ में जब दो भैंस के बच्चे मस्त होकर अपने सींगों को उस कीचड़ में धँसाकर रौंदते और लड़ते हैं तो उनके लड़ने से कीचड़ में उनके पद चिह्न और सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है मानो महिषकुल के सभी भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास कीचड़ में लेख के रूप लिख दिया गया हो।
कीचड़ का काव्य - पठन सामग्री और सार
NCERT Solutions for पाठ 6 - कीचड़ का काव्य