Extra Questions and Answer from Chapter 14 Ab kahan dusron ke dukh se dukhi hone waale Sparsh Bhaag II 

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. बाइबिल के सोलोमेन जिन्हें कुरान में सुलेमान कहा गया है, ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। कहा गया है, वह केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, सारे छोटे-बड़े पशु-पक्षी के भी हाकिम थे। वह इन सबकी भाषा जानते थे। एक दफा सुलेमान अपने लश्कर के साथ एक रास्ते से गुजर रहे थे। रास्ते में कुछ चींटियों ने घोड़ों की तापों की आवाज़ सुनी तो डर कर एक-दूसरे से कहा, 'आप जल्दी से अपने-अपने बिलों में चलो, फ़ौज आ रही है।' सुलेमान उनकी बातें सुनकर थोड़ी दूर परं रुक गए और चींटियों से बोले, 'घबराओ नहीं, सुलेमान को खुद ने सबका रखवाला बनाया है। मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ, सबके लिए मुहब्बत हूँ।' चींटियों ने उनके लिए ईश्वर से दुआ की और सुलेमान अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गए।

(क) सुलेमान कौन थे और उनके व्यक्तित्व की क्या विशेषता थी?  (2)
(ख) चींटियाँ क्यों भयभीत थीं?                                                     (1)                              
(ग) सुलेमान ने चींटियों क्या कहा?                                               (2)

उत्तर

(क) सुलेमान ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। वे मानव जाति के राजा होने के साथ पशु-पक्षियों के भी हाकिम थे। वे इनकी भाषा समझते थे तथा सबका भला चाहते थे।
(ख) चींटियाँ सुलेमान की फौज के घोड़ों की टापों की आवाज़ सुनकर भयभीत थीं।
(ग) सुलेमान ने चींटियों से कहा कि वे सबके रखवाले हैं। किसी के लिए मुसीबत ना होकर सबके लिए मुहब्बत हैं।

2. दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धर्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। बढ़ती हुई आबादियों ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूदों की विनाशलीलाओं ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया। अब गरमी में ज़्यादा गरमी, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले,सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन के परिणाम हैं। नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है।

(क) दुनिया के विषय में कौन-कौन से सवाल उठते हैं?                                  (1)
(ख) पहले और अब के घरों में क्या बदलाव आया है?                                     (1)
(ग) मनुष्य ने दुनिया में क्या परिवर्तन लाया और इसके क्या परिणाम हुए?   (2)

उत्तर

(क) दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? यह सवाल दुनिया के विषय में उठते हैं।
(ख) पहले लोग बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में मिलजुलकर रहते थे परन्तु अब लोग छोटे-छोटे डिब्बों जैसे घरों में जीवन बिताने लगे हैं।
(ग) मनुष्य ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया, पेड़ों को रास्तों से हटाया तथा बारूदों की विनाशलीलायें से वातावरण को सताना शुरू कर दिया जिस कारण प्रकृति में असंतुलन आ गया। परिणामस्वरूप गरमी में ज़्यादा गरमी, बेवक्त की बरसातें, ज़लज़ले, सैलाब, तूफ़ान और नित्य नए रोग उत्पन्न हुए।

3. कई सालों से बड़े-बडे़ बिल्डर समंदर को पीछे धकेल कर उसकी ज़मीन को हथिया रहे थे। बेचारा समंदर लगातार सिमटता जा रहा था। पहले उसने अपनी पैफली हुई टाँगें समेटीं, थोड़ा सिमटकर बैठ गया। फिर जगह कम पड़ी तो उकड़ु बैठ गया। फिर खड़ा हो गया...जब खड़े रहने की जगह कम पड़ी तो उसे गुस्सा आ गया। जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है। परंतु आता है तो रोकना मुश्किल हो जाता है, और यही हुआ, उसने एक रात अपनी लहरों पर दौड़ते हुए तीन जहाज़ों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में पेंफक दिया। एक वर्ली के समंदर के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने औंधे मुँह और तीसरा गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर टूट-फूटकर सैलानियों का नज़ारा बना बावजूद कोशिश, वे फिर से चलने-फिरने के काबिल नहीं हो सके।

(क) बिल्डर समुद्र के साथ क्या और क्यों कर रहे थे?   (2)
(ख) समुद्र को गुस्सा क्यों आया?                               (2)
(ग) समुद्र ने अपना क्रोध किस प्रकार प्रकट किया?     (1)

उत्तर 

(क) बिल्डर समुद्र को धकेल कर उसकी जमीन हथिया रहे थे। वे ऐसा धन के लालच में कर रहे थे।
(ख) दिन-प्रतिदिन बिल्डरों द्वारा जमीन हथियाए जाने से समुद्र सिकुड़ता जा रहा था। समुद्र के सामने उसके अपने अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया इसलिए उसे गुस्सा आ गया।
(ग) समुद्र ने अपना क्रोध प्रकट करने के लिए अपनी लहरों पर तीन जहाज़ों को बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया।

4. ग्वालियर में हमारा एक मकान था, उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। उसमें कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था। एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया। मेरी माँ ने देखा तो उसे दुख हुआ। उसने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश में दूसरा अंडा उसी के हाथ से गिरकर टूट गया। कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। उनकी आँखों में दुख देखकर मेरी माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस गुनाह को खुदा से मुआफ़ कराने के लिए उसने पूरे दिन रो ज़ा रखा। दिन-भर कुछ खाया-पिया नहीं। सिर्फरोती रही और बार-बार नमाज पढ़-पढ़कर खुदा से इस गलती को मुआफ़ करने की दुआ माँगती रही।

(क) ग्वालियर के मकान में घटी किस घटना से लेखक की माँ को दुःख पहुँचा?   (2)
(ख) दूसरे अंडे को बचाने के प्रयास में क्या हुआ?                                               (1)
(ग) लेखक की माँ ने अपनी गलती का किस प्रकार प्रायश्चित किया?                 (1)

उत्तर

(क) ग्वालियर के मकान के दालान में रोशनदान में कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बनाया था। एक बार बिल्ली ने उचककर उनके एक अंडे को फोड़ दिया जिसे देखकर लेखक की माँ को दुःख पहुँचा।
(ख) दूसरे अंडे को बचाने के प्रयास में लेखक की माँ की हाथ से अंडा गिरकर टूट गया।
(ग) लेखक की माँ ने दिन भर रोज़ा रखा और दिनभर कुछ खाया-पिया नहीं। बार-बार नमाज़ पढ़ती रहीं और गलती की माफ़ी माँगती रहीं। इस तरह लेखक की माँ ने प्रायश्चित किया।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

1. सुलेमान कौन थे? उन्हें सबका राजा क्यों कहते हैं?

उत्तर

सुलेमान ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे। वे सिर्फ मनुष्य जाति की ही भलाई नहीं करते थे बल्कि पशु-पक्षियों की भी भाषा जानते थे और उनका भी ध्यान रखते थे इसलिए उन्हें सबका राजा कहते हैं।

2. शेख अयाज़ ने अपनी आत्म-कथा में किस घटना का जिक्र किया है?

उत्तर

शेख अयाज़ ने अपनी आत्म-कथा में अपने पिता की एक घटना का जिक्र किया है। एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे। भोजन करते समय उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्हें लगा की च्योंटा कुएँ से उनके पास आकर बेघर हो गया है इसलिए उन्होंने थोड़ी भी देर ना करते हुए उसे वापस उसके घर पहुँचाने के लिए भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए।

3. लशकर सारी उम्र रोते क्यों रहे?

उत्तर

एक बार लशकर के सामने एक घायल कुत्ता गुज़रा। लशकर ने उसे दुत्कारते हुए नज़रों के सामने से दूर हो जाने को कहा चूँकि इस्लाम में कुत्ते को गन्दा समझा जाता है। इसपर उसे कुत्ते ने कहा की ना तो मैं अपनी मर्ज़ी से कुत्ता हूँ और ना ही तुम अपनी मर्ज़ी से मनुष्य, हमें बनाने वाला एक ही है।

4. लेखक की माँ ने प्रायश्चित क्यों और कैसे किया?

उत्तर

लेखक की माँ की हाथों से गलती से कबतूर का अंडा फूट गया इसलिए उन्होंने दिन भर रोज़ा रखकर नमाज़ पढ़ती रहीं और गलती की माफ़ी माँगती रहीं। इस तरह लेखक की माँ ने प्रायश्चित किया।

5. 'अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले' पाठ से हमें क्या सन्देश मिलता है?

उत्तर

इस पाठ से हमें प्रकृति से प्रेम करने का सन्देश मिलता है। हमें अपने आप को सर्वश्रेष्ठ और अन्य प्राणियों को तुच्छ नहीं समझना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का नुकसान नहीं करना चाहिए। सबसे मिलजुलकर रहना तथा सबके सुख-दुःख का ख्याल रखना चाहिए।

अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले - पठन सामग्री और सार

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 15- अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले 
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