NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 1 - समकालीन विश्व में लोकतंत्र (Samkalin vishav me loktantra) Loktantrik Rajniti

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1. राष्ट्रपति आयेंदे बार-बार मजदूरों की बात क्यों करते हैं? अमीर लोग उनसे नाखुश क्यों थे?

उत्तर

राष्ट्रपति आयेंदे एक समाजवादी थे तथा उन्होंने गरीबों और मजदूरों के फायदे वाले अनेक कार्यक्रम शुरू कराए 
थे। इस प्रकार वे बार-बार मजदूरों की बात करते थे।
शिक्षा प्रणाली में सुधार, बच्चों को मुफ्त दूध बाँटना और भूमिहीन किसानों के बीच जमीन का पुनर्वितरण, राष्ट्रपति आयेंदे द्वारा शुरू किये गए कुछ कार्यक्रम थे जिनसे अमीर लोग नाखुश थे। उन्होंने विदेशी कंपनियों द्वारा देश से तांबा जैसी प्राकृतिक सम्पदा को बाहर ले जाने का भी विरोध किया।

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1. क्या सेना को यह अधिकार है कि वह देश के रक्षा मंत्री को गिरफ्तार करे? क्या सेना को देश के किसी नागरिक को गिरफ्तार करने का अधिकार होना चाहिए?

उत्तर

नहीं, सेना के पास ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं की वह देश के रक्षा मंत्री को गिरफ्तार करे। साथ ही उसे देश के किसी भी नागरिक को गिरफ्तार करने का भी अधिकार नहीं है। सेना का प्रमुख कर्तव्य होना चाहिए कि वह देश की रक्षा बाहरी खतरों से करे।

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3. पोलैंड में एक स्वतंत्र मजदूर संघ क्यों इतना महत्वपूर्ण था? मजदूर संघों की जरूरत क्यों है?


उत्तर

एक समय पोलैंड में पोलिश यूनाइटेड वर्कर्स पार्टी का शासन था। इस प्रकार वहाँ इस पार्टी का निरंकुश शासन था। देश में शासक दल से अलग किसी स्वतंत्र मजदूर संघ की अनुमति नहीं थी और ना ही अभिव्यक्ति की आजादी थी। मजदूरों की स्थति में सुधार लाने के लिए मजदूर संघ की आवश्यकता है। वे मजदूरों के विचार तथा माँगों को प्रबंधन तक पहुंचाने का काम करते हैं और उनके अधिकारों के लिए लड़ते हैं।

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1. नक़्शे को देखते हुए बताएँ कि कौन-सा दौर लोकतंत्र के विस्तार के लिए सबसे महत्वपूर्ण था और क्यों?

उत्तर

1975 से 2000 तक का दौर लोकतंत्र के विस्तार के लिए सबसे महत्वपूर्ण था। इस दौरान अफ्रीका के अधिकांश देश आजाद हुए थे तथा लोकतांत्रिक सरकार का समर्थन करते थे। सोवियत संघ में कुल 15 गणराज्य थे जो विघटन के बाद स्वतंत्र देशों के रूप में सामने आए और अधिकांश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई। अनेक उपनिवेशी देश भी आजाद हुए तथा वहाँ भी लोकतंत्र की बहाली हुई।

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1. अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरूषों की तुलना में काफी देर से मताधिकार क्यों मिला? भारत में ऐसा क्यों नहीं हुआ?

उत्तर

बीसवीं सदी से ही अधिकांश यूरोपीय देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी लेकिन वहाँ औरतों को मताधिकार नहीं था क्योंकि उन्हें पुरूषों के बराबर नहीं समझा जाता था। उनके विचार से उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं थी। उनका काम घर पर रहकर गृहकार्य करना तथा बच्चों को संभालना होना चाहिए था। इसलिए महिलाओं को पुरूषों की तुलना में काफी देर से मताधिकार मिला।
जबकि भारत के संविधान में महिलाओं तथा पुरूषों को सामान मताधिकार मिला है जिसके अनुसार 18 वर्ष से ऊपर के सभी को मताधिकार मिला है।

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1. म्यांमार के सैनिक शासकों के प्रति भारत सरकार की क्या नीति होनी चाहिए?

उत्तर

भारत सरकार सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों में सू ची का समर्थन तथा म्यांमार की सरकार के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप किये बिना उसकी स्वतंत्रता की माँग कर सकते हैं। मानव अधिकारों के तहत उसे आजादी के लिए लड़ना चाहिए।

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1. क्या कोई वैश्विक सरकार होनी चाहिए? अगर हाँ तो उसका चुनाव किसे करना चाहिए और उनके पास क्या अधिकार होने?

उत्तर

हाँ, वैश्विक सरकार होनी चाहिए| यह सभी देशों का प्रतिनिधि होना चाहिए तथा सभी देशों को बराबर का दर्जा देना चाहिए। प्रत्येक देश को स्वयं अपने लोगों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को भेजना चाहिए। उनके पास मानवाधिकारों तथा लोकतंत्र के लिए लड़ने की शक्तियाँ होनी चाहिए।

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प्रश्नावली

1. इनमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिली?
(क) लोगों का संघर्ष
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण
(ग) उपनिवेशवाद का अंत
(घ) लोगों की स्वतंत्रता की चाह
► (ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण

2. आज की दुनिया के बारे इनमें से कौन-सा कथन सही है?
(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई है।
(ख) विभिन्न देशों के बीच सम्बन्ध पहले के किसी वक्त से अब कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक है।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा होता है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।
► (ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा होता है।

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3. निम्नलिखित वाक्यांशों में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि......
(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिन्न देशों की बात का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में सम्मान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ सामान व्यवहार हो।
► (घ) दुनिया के सभी देशों के साथ सामान व्यवहार हो।

4. इन देशों और लोकतंत्र की उनकी राह में मेल बैठाएँ।

देश
लोकतंत्र की ओर
(क) चिले 1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी
(ख) नेपाल 2. सैनिक तानाशाही की समाप्ति
(ग) पोलैंड   3. एक दल के शासन का अंत
(घ) घाना 4. राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी

उत्तर

देश
लोकतंत्र की ओर
(क) चिले 2. सैनिक तानाशाही की समाप्ति
(ख) नेपाल 4. राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी
(ग) पोलैंड   3. एक दल के शासन का अंत
(घ) घाना 1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी

5. गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथा के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर


गैर लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को निम्नलिखित मुश्किलों का सामना करना पड़ता है :
→ शासकों के चुनाव की कोई स्वतंत्रता नहीं होती है।
→ लोग संगठन नहीं बना सकते हैं या शासकों के खिलाफ विरोध का आयोजन नहीं कर सकते हैं।
→ भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं।
→ सरकारी नीतियों में कोई मत नहीं होता है।
→ नागरिक अधिकारों की कटौती होती है।

6. जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन-सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं?

उत्तर

जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं :
→ अपने शासकों को चुनने की स्वतंत्रता।
→ किसी भी सरकारी नीतियों के खिलाफ भाषण, अभिव्यक्ति और विरोध की स्वतंत्रता।
→ लोग राजनीतिक दलों तथा संगठनों का निर्माण नहीं कर सकते।

7. वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढ़ाने में इनमें से किन बातों से मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।

(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ की मेरे साथ ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो और मुझे ज्यादा अधिकार मिले।

(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज को समान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।

(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिर्फ इसके चलते अमीर देश अपने हितों का नुकसान नहीं होने दे सकते।

(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज का अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वजन होना ही चाहिए।


उत्तर


(क) यदि कोई देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसा देता है और इसके नागरिक अधिक सम्मान और अधिक शक्ति चाहते हैं। यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र में योगदान नहीं देगा। प्रत्येक देश और उसके नागरिक समान स्थिति का आनंद लेते हैं चाहे वह गरीब या अमीर देश हो। समानता लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है।

(ख) यह स्थिति पूरी तरह से वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के लिए योगदान करती है क्योंकि लोकतंत्र हर व्यक्ति को समान अधिकार देता है। एक देश के धन और आकार से वैश्विक लोकतंत्र में कोई फर्क नहीं पड़ता।

(ग) यह स्थिति वैश्विक अत्र पर लोकतंत्र का नेतृत्व नहीं करती क्योंकि अमीर राष्ट्रों और गरीब देशों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिये। लोकतंत्र में सभी राष्ट्र एक समान हैं।

(घ) नहीं यह स्थिति लोकतंत्र में योगदान नहीं दे सकती है क्योंकि देश के आकार या भौगोलिक क्षेत्र वैश्विक लोकतंत्र में एक राष्ट्र की स्थिति का निर्धारण नहीं कर सकते।

8. नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किये गए तीन तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?

वक्ता 1: भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए।

वक्ता 2: यह एक खतरनाक तर्क है| हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुंचा है| किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता।

वक्ता 3: लेकिन हमें किसी देश के आन्तरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।


उत्तर

हम अपने पड़ोसियों की पूरी तरह से उपेक्षा नहीं कर सकते कि उनके देश में क्या करना है, क्योंकि यह हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करता है। इसलिए मेरे विचार से वक्ता 1 किसी तरह से सही है। हमें कुछ उपायों को अपनाना होगा जो राजशाही और लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को समर्थन देंगे। सशत्र बलों का प्रयोग न कर कुछ अन्य सहयोगियों से मदद लिया जाता है जो लोगों की भावनाओं को चोट नहीं पहुँचाएगा। यह भारत को एक राजशाही शासन के बजाय एक लोकतांत्रिक देश के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने में मदद करेगा।

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9. एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवार को सत्ता सौंपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्हीं के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है।’ जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी नी मीडिया की आजादी की माँग की तो बड़े बुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगी। ‘आखिर महाराज दयावान हैं अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते?’

उपरोक्त उद्धरण को पढने के बाद चमन, चम्पा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकाले:

चमन: आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों को उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।

चंपा: आनंदलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी ला सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नहीं ला सकता।

चंदू: लोगों को खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहाँ का शासन लोकतांत्रिक ही है।


उत्तर

चमन का बयान गलत है क्योंकि विदेशी शक्ति को उखाड़ फेंकना केवल संप्रभुता प्राप्त करने के बराबर है।

चंपा का बयान सही है। लोकतंत्र लोगों का शासन है। लोगों को अपने शासक से सवाल करने का अधिकार होना चाहिए।

चंदू का बयान गलत है। लोगों की ख़ुशी लोकतंत्र का केवल एक कारक है। लोग राजा से खुश तो हो सकते हैं लेकिन वह एक निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है।


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