NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 14 - बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै (व्यक्तित) हिंदी दूर्वा भाग- III
- आशा रानी व्होरा
पृष्ठ संख्या: 98अभ्यास
1. पाठ से
(क) गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर
गुड़ियों के संग्रह में केशव शंकर पिल्लै को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक तो गुड़ियाँ मंहगी थीं। उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में उसके खराब होने का डर था और फिर संग्रह करने के लिए जगह जहाँ उन्हें सुरक्षित रखा जा सके उसे ढूँढ़ना भी मुश्किल हो रहा था।
(ख) वे बाल चित्रकला प्रतियोगता क्यों करना चाहते थे?
उत्तर
बाल चित्रकला प्रतियोगता करवाकर वे उनकी भलाई करना चाहते थे। इसके द्वारा बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने के विश्वव्यापी मंच मिलता था तथा देश-विदेश के बच्चों को एक-दूसरे से मिलने का मौका मिलता था।
(ग) केशव शंकर पिल्लै ने बच्चों के लिए विश्वभर की चुनी हुई गुड़ियों का संग्रह क्यों किया?
उत्तर
केशव शंकर पिल्लै ने गुड़ियों का संग्रह भारतीय बच्चों के लिए किया ताकि जो बच्चे विदेशी गुड़ियाँ नहीं देख या खरीद सकते, वे उन्हें यहाँ देख लें। इसके साथ ही देश विदेश की जानकारी उन्हें मिल सके।
(घ) केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह मिलने का अवसर देकर क्या करना चाहते थे?
उत्तर
अपने कैंप के माध्यम से वह पुरे देश के बच्चों को एक जगह मिलने का मौका देना चाहते थे ताकि वे एक-दूसरे को जान सके चूँकि उस समय टी.वी या इंटरनेट नही था।
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5. लड़ाई भी खेल जैसी
5. लड़ाई भी खेल जैसी
"अनेक देशों के बच्चों की यह फ़ौज अलग-अलग भाषा, वेशभूषा में होकर भी एक जैसी ही है। कई देशों के बच्चों को इकट्ठा कर दो, वे खेलेंगे या लड़ेंगे और यह लड़ाई भी खेल जैसी ही होगी। वे रंग, भाषा या जाति पर कभी नहीं लड़ेंगे।"
ऊपर के वाक्यों को पढ़ो और बताओ कि–
(क) यह कब, किसने, किसमें और क्यों लिखा?
(ख) क्या लड़ाई भी खेल जैसी हो सकती है? अगर हो तो कैसे और उस खेल में तुम्हारे विचार से क्या-क्या हो सकता है?
उत्तर
(ख) लड़ाई भी खेल हो सकती है, जिसे हम प्रतियोगिता का नाम देते हैं। इसमें कोई भी प्रतियोगिता हो सकती है। इस प्रकार के खेल या प्रतियोगिता में एक दूसरे से बेहतरीन प्रदर्शन करना ही मुख्य होता है।