NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 1- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय इतिहास (europe me raashtrvaad ka uday) Itihas
पृष्ठ संख्या: 28
1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें-
(क) ज्युसेपे मेजिनी
(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका
उत्तर
(क) ज्युसेपे मेजिनी इटली के क्रन्तिकारी थे। उनका जन्म 1807 में जेनोवा में हुआ था। वे कार्बोनारी के गुप्त संगठन के सदस्य बन गए और 24 साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए बहिष्कृत कर दिया गया। उन्होंने दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की, पहला था मर्सोई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप. इटली के एकीकरण में मेजिनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने राजतन्त्र का घोर विरोध करके और प्रजातान्त्रिक गणतंत्रों के स्वप्न से रूढ़िवादियों को हराया।
(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर सार्डिनीया-पीडमॉन्ट का मंत्री प्रमुख था जिसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया। वह ना तो एक क्रन्तिकारी था और ना ही जनतंत्र में विश्वास करने वाला। इतालवी अभिजात वर्ग के तमाम अमीर और शिक्षित सदस्यों की तरह वह इतालवी भाषा से कहीं बेहतर फ़्रेंच बोलता था। फ़्रांस से सार्डिनीया-पिडमॉन्ट की एक चतुर कूटनीतिक संधि, जिसके पीछे कावूर का हाथ था, से सार्डिनीया-पिडमॉन्ट 1859 में ऑस्ट्रियाई बलों को हरा पाने में कामयाब हुआ, इससे इटली का उत्तरी भाग जो ऑस्ट्रियाई हैब्सवर्गों के अधीन था मुक्त हुआ।
(ग) 1821 में यूरोप में क्रन्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष आरंभ हो गया। प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखने वाले पश्चिमी यूरोप के लोगों का समर्थन पाकर यूनानी राष्ट्रवादियों ने मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। अंततः 1832 की कुस्तुन्तुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।
(घ) 1848 में जर्मन इलाकों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व-जर्मन नेशनल असेंबली के पक्ष में मतदान करने का फैसला किया। 18 मई 1848 को 831 निवार्चित प्रतिनिधियों ने फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। इसमें जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा को ताज पहनाने की पेशकश की तो उसने उसे अस्वीकार कर उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। जहाँ कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। संसद में मध्य वर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों के माँग का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे। अंत में सैनिकों को बुलाकर एसेम्बली को भंग कर दिया गया।
(ङ) उदारवादी आंदोलन के अंदर महिलाओं को राजनितिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवादस्पद था हालाँकि आन्दोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किये, अख़बार शुरू किये, और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में शिरकत की। इसके बावजूद उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया था। जब सेंट पॉल चर्च में फ़्रैंकफ़र्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक-दीर्घा में खड़े होने दिया गया।
2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाये?
उत्तर
फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाये जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक भावना पैदा हो सकती थी, वे इस प्रकार हैं -
• पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया, जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
• एक नए फ्रांसीसी झंडे- तिरंगा को चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली।
• इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
• नयी स्तुतियाँ रची गईं, शहीदों का गुणगान हुआ - और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
• एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
• क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गयी।
• पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया, जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
• एक नए फ्रांसीसी झंडे- तिरंगा को चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली।
• इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
• नयी स्तुतियाँ रची गईं, शहीदों का गुणगान हुआ - और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
• एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
• क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गयी।
3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्व था?
उत्तर
मारीआन और जर्मेनिया क्रमशः फ़्रांस और जर्मनी राष्ट्र की महिला रूपक थीं। उन्नीसवीं सदी में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। मारीयान के चिह्न स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे जैसे कि-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी. इसी तरह जर्मेनिया भी बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।
4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उत्तर
राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्यवर्गीय जर्मन लोगों में काफ़ी व्याप्त थीं और उन्होंने 1848 में उदारवादियों ने जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़ कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया था। मगर राजशाही और फौजी ताकतों द्वारा राष्ट्र निर्माण की यह पहल प्रशा के मदद से दबा दी गई। बाद में प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व सँभाल लिया। प्रशा का प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद से साथ वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, और फ्रांस से तीन युद्धों में विजय प्राप्त की तथा जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी की। जनवरी 1871 में, वर्साय में हुए एक सामरोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।
5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उत्तर
अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए -
• नेपोलियन ने 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर 'नेपोलियन की संहिता' के नाम से जाना जाता है को लागू किया, जिसके तहत जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए। उसने क़ानून के समक्ष बराबरी संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
• डच गणतंत्र, स्वीटजरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और किसानों भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।
• शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया। यातायात और संचार-व्यवस्था को सुधार गया।
चर्चा करें:
• नेपोलियन ने 1804 की नागरिक संहिता जिसे आमतौर पर 'नेपोलियन की संहिता' के नाम से जाना जाता है को लागू किया, जिसके तहत जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए। उसने क़ानून के समक्ष बराबरी संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
• डच गणतंत्र, स्वीटजरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और किसानों भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।
• शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी-संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया। यातायात और संचार-व्यवस्था को सुधार गया।
चर्चा करें:
1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?
उत्तर
1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब वहां के उदारवादी मध्यवर्गों के स्त्री-पुरूषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण के माँग से जोड़ दिया। उन्होंने बढ़ते जन असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य के माँग के निर्माण की माँगों को आगे बढाया।
इस आन्दोलन में उदारवादियों ने राष्ट्र-राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी मे जैसे संसदीय सिद्धान्तों को आधार बनाया। उदारवादी आन्दोलन के अन्दर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा उठाया गया।
2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदहारण दें।
उत्तर
राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने अहम भूमिका निभाई-
(क) पोलैंड में पोलिश भाषा को रूसी प्रभुत्व के विरूद्ध संघर्ष के प्रतिक के रूप में देखी जाने लगी।
(ख) स्थानीय बोलियों पर बल और स्थानीय लोक-साहित्य को एकत्र कर आधुनिक राष्ट्रीय सन्देश को ज्यादा लोगों तक पहुँचाया गया, जिनमे से अधिकांश निरक्षर थे।
(ग) फ्रांस में एक ही भाषा को बढ़ावा देने से वहां के लोगों को एक राष्ट्र के रूप में पहचान विकसित करने में काफी मदद मिली।
3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?
उत्तर
1821 में यूरोप में क्रन्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष आरंभ हो गया।राष्ट्रवादियों ने प्राचीन यूनानी संस्कृति के समर्थकों के साथ मिलकर एक मुस्लिम साम्राज्य के खिलाफ यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। 1832 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता प्राप्त हुई।
प्रशा के मंत्री प्रमुख ऑटो वॉन बिस्मार्क के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। उसने प्रशा की सेना और नौकरशाहों की मदद से फ्रांस, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क को हराकर जीत हासिल की और नए एकीकृत जर्मन राष्ट्र की स्थापना की।
4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में इस प्रकार भिन्न था। अठारहवीं सदी से पहले ब्रितानी राष्ट्र था ही नहीं। ब्रिटिश द्वीप मुख्य रूप से चार भागों में बंटा था- अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट और आयरिश तथा हरेक की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परम्पराएँ थीं। आंग्ल राष्ट्र धन-दौलत और सत्ता के वृद्धि के साथ-साथ द्वीप के अन्य सभी राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ने में सफल हुआ। 1688 में आंग्ल संसद ने राजतन्त्र से ताकत छीनकर एक राष्ट्र-राज्य की स्थापना की। फिर इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ़ यूनियन (1707) से ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ।
5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उत्तर
बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएसिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मोंटीनिग्रो आते थे। इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था। इन क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव के नाम से पुकारा जाता था। विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों के अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश के कारण बाल्कन क्षेत्र टकराव का क्षेत्र बन गया। रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ओटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति विस्फोटक हो गयी थी। साथ ही इन क्षेत्रों में बड़ी शक्तियों के बीच ताकत हथियाने के लिए जबरदस्त लड़ाई जारी थी। यही बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवादी तनाव पनपने का कारण बना।
Notes of पाठ 1- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
उत्तर
1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब वहां के उदारवादी मध्यवर्गों के स्त्री-पुरूषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण के माँग से जोड़ दिया। उन्होंने बढ़ते जन असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य के माँग के निर्माण की माँगों को आगे बढाया।
इस आन्दोलन में उदारवादियों ने राष्ट्र-राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आजादी मे जैसे संसदीय सिद्धान्तों को आधार बनाया। उदारवादी आन्दोलन के अन्दर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा उठाया गया।
2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदहारण दें।
उत्तर
राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति ने अहम भूमिका निभाई-
(क) पोलैंड में पोलिश भाषा को रूसी प्रभुत्व के विरूद्ध संघर्ष के प्रतिक के रूप में देखी जाने लगी।
(ख) स्थानीय बोलियों पर बल और स्थानीय लोक-साहित्य को एकत्र कर आधुनिक राष्ट्रीय सन्देश को ज्यादा लोगों तक पहुँचाया गया, जिनमे से अधिकांश निरक्षर थे।
(ग) फ्रांस में एक ही भाषा को बढ़ावा देने से वहां के लोगों को एक राष्ट्र के रूप में पहचान विकसित करने में काफी मदद मिली।
3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?
उत्तर
1821 में यूरोप में क्रन्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष आरंभ हो गया।राष्ट्रवादियों ने प्राचीन यूनानी संस्कृति के समर्थकों के साथ मिलकर एक मुस्लिम साम्राज्य के खिलाफ यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। 1832 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता प्राप्त हुई।
प्रशा के मंत्री प्रमुख ऑटो वॉन बिस्मार्क के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। उसने प्रशा की सेना और नौकरशाहों की मदद से फ्रांस, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क को हराकर जीत हासिल की और नए एकीकृत जर्मन राष्ट्र की स्थापना की।
4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में इस प्रकार भिन्न था। अठारहवीं सदी से पहले ब्रितानी राष्ट्र था ही नहीं। ब्रिटिश द्वीप मुख्य रूप से चार भागों में बंटा था- अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट और आयरिश तथा हरेक की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परम्पराएँ थीं। आंग्ल राष्ट्र धन-दौलत और सत्ता के वृद्धि के साथ-साथ द्वीप के अन्य सभी राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ने में सफल हुआ। 1688 में आंग्ल संसद ने राजतन्त्र से ताकत छीनकर एक राष्ट्र-राज्य की स्थापना की। फिर इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ़ यूनियन (1707) से ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ।
5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उत्तर
बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएसिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मोंटीनिग्रो आते थे। इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था। इन क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव के नाम से पुकारा जाता था। विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों के अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश के कारण बाल्कन क्षेत्र टकराव का क्षेत्र बन गया। रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ओटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति विस्फोटक हो गयी थी। साथ ही इन क्षेत्रों में बड़ी शक्तियों के बीच ताकत हथियाने के लिए जबरदस्त लड़ाई जारी थी। यही बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवादी तनाव पनपने का कारण बना।
Notes of पाठ 1- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय