Solutions of CBSE Class 10th Hindi Course- B Board Exam Question Paper 2017 All India Set 2
खण्ड क
1.
(क) भारत की ज्यादातर जनता गाँवों में रहती है इसलिए भारतमाता को ग्राम-वासिनी कहा गया है।
(ख) काव्यांश में प्रवासिनी भारतमाता के लिए आया है क्योंकि वह उदास मन से अपने घर में निवास कर रही है।
(ग) भारतमाता के संतानों को कवि ने भूखा, शोषित, अशक्त, अशिक्षित और गरीब कहा है।
(घ) इस काव्यांश में कवि ने भारत को गाँवों में निवास करनेवाली माँ के रूप में चित्रित किया है. जो अपनी संतानों को भूखा-नंगा, अभावग्रस्त और शोषित देखकर अत्यंत दुःखी और उदास है।
2.
(क) बहुमुखी प्रतिभा का अर्थ है ज़्यादा क्षेत्रों में प्रतिभाओं का एक साथ होना। प्रतिभा से समस्या तब होती है जब दूसरे क्षेत्रों में हाथ आज़माना दखल करने जैसा हो जाता है जिससे वे किसी भी क्षेत्र के नहीं रह जाते हैं।
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग स्पर्धा से डरते हैं। स्पर्धा होने पर वह दूसरे क्षेत्र की ओर भागते हैं।
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ दो-तीन या इससे ज़्यादा क्षेत्रों में होती है। वे प्रायः सफल इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद होते हैं।
(घ) ऐसे लोगों आलोचना से डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। वे लोग प्रायः सफल इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि वे एक विषय में विशेषज्ञ बने बिना दूसरी चीज़ में हाथ डाल देते हैं।
(ङ) प्रबंधन के क्षेत्र ऐसे लोगों की आवश्यकता होती जिसका एक विषय में पूरा ज्ञान रखते हों क्योंकि वे प्रबंधन के मन्त्र के अनुसार हैं।
(च) जिस व्यक्ति के अंदर प्रतिभा हो तो वह अपनी मंजिल का रास्ता खुद बनाता है। उसे किसी ओर के सहारे की जरुरत नहीं पड़ती।
3. एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र और सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। जैसे - सेब, पुस्तक, डाल आदि।
4.
(क) रोज़ व्यायाम करके वह स्वस्थ रहता है।
(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह कभी खाली नहीं बैठता।
(ग) श्याम आज्ञाकारी है इसीलिए वह माता-पिता की सेवा करता है।
5. (क)
(i) तीसरी है जो कसम - कर्मधारय समास
(ii) दिन और रात - द्वंद्व समास
(ख)
(i) चंद्रमुखी - कर्मधारय समास
(ii) तिराहा - द्विगु समास
6.
(क) आपने उससे क्या कहा है?
(ख) हमारे घर में उससे बात होती रहती है।
(ग) इस गलती की पुनरावृति नहीं होनी चाहिए।
(घ) बच्चे लोग बहुत शोर कर रहे हैं।
7.
(क) जो खुद बेराह चलते हैं उन्हें दूसरों को सही काम करने सीख नहीं देनी चाहिए।
(ख) नहीं पढ़ने के बाद भी महेश परीक्षा में प्रथम आया, इसे कहते हैं अंधे के हाथ बटेर लगना।
9.
(क) शेख अयाज़ के पिता ने भोजन करते अपने बाजू पर काला च्योंटा देखा जो कुँए पर नहाते वक़्त चढ़ गया था।वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। वे पहले उसे घर छोड़ना चाहते थे चूँकि उन्हें लगा उन्होंने उसे बेघर कर दिया है।
(ख) शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आर्दश समाप्त हो जाते हैं। सही भाग में व्यवहारिकता को मिलाया जाता है तो ठीक रहता है।
(ग) सआदत अली एक लालची व्यक्ति था। वह अवध की गद्दी पर बैठने की लालच में मातृभूमि से गद्दारी कर अंग्रेजों से मिल गया था।
10.
(क) गद्यांश में भूतकाल और भविष्यकाल के बारे में बात की गई है। भूतकाल बीत चूका है और भविष्यकाल अभी आया नहीं है।
(ख) लेखक ने वर्तमान काल को सत्य माना है क्योंकि हम इसी काल में रहते हैं और कोई भी काम करते हैं।
(ग) गद्यांश में लेखक समझाना चाहता है कि हमें भूत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये दोनों काल मिथ्या हैं। हमें वर्तमान में रहकर आनन्द लेना चाहिए।
11.
(क) माला जपने और तिलक लगाने जैसे बाहरी आम्बडरों से कोई काम नहीं बनता। ईश्वर उसी से प्रसन्न रहते हैं जो सच्चे मन से उनकी आराधना करे।
(ख) कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है क्योंकि सभी मनुष्य उस एक ही परमपिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए बंधुत्व के नाते हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि समर्थ भाव भी यही है कि हम सबका कल्याण करते हुए अपना कल्याण करें।
(ग) कवि सहायक के न मिलने पर प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले।
12. 'कर चले हम फ़िदा' - कविता सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से आक्रमण किया जिसका मुकाबला भारतीय वीरों ने वीरता से किया।
यह कविता देश के सैनिकों की भाषा में लिखा गया है जो की उनके देशभक्ति की भावना को दर्शाता है। वे अपने देश की मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों को आहूति देने से भी पीछे नहीं हटते। साथ ही इन्हे अपनी आने वाली पीढ़ियों से अपेक्षाएं हैं की वे भी उनके शहीद होने के बाद इस देश के दुश्मनों डट कर मुकाबला करें। वे कह रहे हैं कि उन्होंने अंतिम क्षण तक अपने देश की रक्षा की और उनके बाद अब ये जिमेवारीआने वाले जवानों पर है। देश पर जान देने के मौके बहुत कम आते हैं। ये क्रम टूटना नहीं चाहिए।
13. पढ़ाई में तेज़ होने पर भी टोपी कक्षा में दो बार फेल हो गया। इस कारण उसका कोई दोस्त नहीं था। उसे अपमान झेलना पड़ा। घर वालों ने उसे बहुत डाँटा। विद्यालय में शिक्षक बच्चों को न पढ़ने के कारण फ़ेल होने का उदाहरण टोपी का नाम लेकर देते थे, उसका मज़ाक उड़ाते थे। वह उसे नोटिस नहीं करते थे। उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। लड़के अध्यापक की इन बातों पर हँसते जिससे टोपी शर्मा जाता। इससे वह भावनात्मक रूप से आहत हुआ। ऐसे व्यवहार ने टोपी को हतोत्साहित करने का काम किया।
दिनांक _______
सेवा में,
प्रधानचार्य महोदय
क.ख.ग. विद्यालय
अ.ब.स स्थान
विषय: विद्यालय के गेट पर जंक फ़ूड बेचने से रोके जाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फ़ूड बेचा जाता है। बाहर जंक फूड मिलने की वजह से अधिकतर विद्यार्थियों ने लंच लाना भी बंद कर दिया है। यह जंक फूड विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जंक फूड खाने से हमारे विद्यालय के कई बच्चे की तबियत भी ख़राब हुई है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप यथाशीघ्र इन्हें बंद करायें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
कक्षा - दसवीं
2.
(क) बहुमुखी प्रतिभा का अर्थ है ज़्यादा क्षेत्रों में प्रतिभाओं का एक साथ होना। प्रतिभा से समस्या तब होती है जब दूसरे क्षेत्रों में हाथ आज़माना दखल करने जैसा हो जाता है जिससे वे किसी भी क्षेत्र के नहीं रह जाते हैं।
(ख) बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग स्पर्धा से डरते हैं। स्पर्धा होने पर वह दूसरे क्षेत्र की ओर भागते हैं।
(ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ दो-तीन या इससे ज़्यादा क्षेत्रों में होती है। वे प्रायः सफल इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद होते हैं।
(घ) ऐसे लोगों आलोचना से डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। वे लोग प्रायः सफल इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि वे एक विषय में विशेषज्ञ बने बिना दूसरी चीज़ में हाथ डाल देते हैं।
(ङ) प्रबंधन के क्षेत्र ऐसे लोगों की आवश्यकता होती जिसका एक विषय में पूरा ज्ञान रखते हों क्योंकि वे प्रबंधन के मन्त्र के अनुसार हैं।
(च) जिस व्यक्ति के अंदर प्रतिभा हो तो वह अपनी मंजिल का रास्ता खुद बनाता है। उसे किसी ओर के सहारे की जरुरत नहीं पड़ती।
खण्ड - ख
4.
(क) रोज़ व्यायाम करके वह स्वस्थ रहता है।
(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह कभी खाली नहीं बैठता।
(ग) श्याम आज्ञाकारी है इसीलिए वह माता-पिता की सेवा करता है।
5. (क)
(i) तीसरी है जो कसम - कर्मधारय समास
(ii) दिन और रात - द्वंद्व समास
(ख)
(i) चंद्रमुखी - कर्मधारय समास
(ii) तिराहा - द्विगु समास
6.
(क) आपने उससे क्या कहा है?
(ख) हमारे घर में उससे बात होती रहती है।
(ग) इस गलती की पुनरावृति नहीं होनी चाहिए।
(घ) बच्चे लोग बहुत शोर कर रहे हैं।
7.
(क) जो खुद बेराह चलते हैं उन्हें दूसरों को सही काम करने सीख नहीं देनी चाहिए।
(ख) नहीं पढ़ने के बाद भी महेश परीक्षा में प्रथम आया, इसे कहते हैं अंधे के हाथ बटेर लगना।
खण्ड - ग
8. जापान के लोगों की जीवन की रफ़्तार बहुत तेज है। एक महीने का काम वे लोग एक दिन में पूरा करना चाहते हैं। वैसे भी दिमाग की रफ़्तार हमेशा तेज़ रहती है। जापानियों के इतनी तेज़ी से काम करने पर वह और तेज़ रफ़्तार से दौड़ने लगता है। फिर एक क्षण ऐसा आता है जब दिमाग़ का तनाव बढ़ जाता है और वह काम करना बंद कर देता है। यह जापान में मानसिक रोग का कारण है।
टी-सेरेमनी में कार्यों को धीरे-धीरे अंजाम दिया जाता है जिससे दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ जाती है। व्यक्ति वर्तमान क्षण में जीने लगता है जो वास्तविक सत्य है।9.
(क) शेख अयाज़ के पिता ने भोजन करते अपने बाजू पर काला च्योंटा देखा जो कुँए पर नहाते वक़्त चढ़ गया था।वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। वे पहले उसे घर छोड़ना चाहते थे चूँकि उन्हें लगा उन्होंने उसे बेघर कर दिया है।
(ख) शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आर्दश समाप्त हो जाते हैं। सही भाग में व्यवहारिकता को मिलाया जाता है तो ठीक रहता है।
(ग) सआदत अली एक लालची व्यक्ति था। वह अवध की गद्दी पर बैठने की लालच में मातृभूमि से गद्दारी कर अंग्रेजों से मिल गया था।
10.
(क) गद्यांश में भूतकाल और भविष्यकाल के बारे में बात की गई है। भूतकाल बीत चूका है और भविष्यकाल अभी आया नहीं है।
(ख) लेखक ने वर्तमान काल को सत्य माना है क्योंकि हम इसी काल में रहते हैं और कोई भी काम करते हैं।
(ग) गद्यांश में लेखक समझाना चाहता है कि हमें भूत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये दोनों काल मिथ्या हैं। हमें वर्तमान में रहकर आनन्द लेना चाहिए।
11.
(क) माला जपने और तिलक लगाने जैसे बाहरी आम्बडरों से कोई काम नहीं बनता। ईश्वर उसी से प्रसन्न रहते हैं जो सच्चे मन से उनकी आराधना करे।
(ख) कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है क्योंकि सभी मनुष्य उस एक ही परमपिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए बंधुत्व के नाते हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि समर्थ भाव भी यही है कि हम सबका कल्याण करते हुए अपना कल्याण करें।
(ग) कवि सहायक के न मिलने पर प्रार्थना करता है कि उसका बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे और कोई भी कष्ट वह धैर्य से सह ले।
12. 'कर चले हम फ़िदा' - कविता सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से आक्रमण किया जिसका मुकाबला भारतीय वीरों ने वीरता से किया।
यह कविता देश के सैनिकों की भाषा में लिखा गया है जो की उनके देशभक्ति की भावना को दर्शाता है। वे अपने देश की मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों को आहूति देने से भी पीछे नहीं हटते। साथ ही इन्हे अपनी आने वाली पीढ़ियों से अपेक्षाएं हैं की वे भी उनके शहीद होने के बाद इस देश के दुश्मनों डट कर मुकाबला करें। वे कह रहे हैं कि उन्होंने अंतिम क्षण तक अपने देश की रक्षा की और उनके बाद अब ये जिमेवारीआने वाले जवानों पर है। देश पर जान देने के मौके बहुत कम आते हैं। ये क्रम टूटना नहीं चाहिए।
13. पढ़ाई में तेज़ होने पर भी टोपी कक्षा में दो बार फेल हो गया। इस कारण उसका कोई दोस्त नहीं था। उसे अपमान झेलना पड़ा। घर वालों ने उसे बहुत डाँटा। विद्यालय में शिक्षक बच्चों को न पढ़ने के कारण फ़ेल होने का उदाहरण टोपी का नाम लेकर देते थे, उसका मज़ाक उड़ाते थे। वह उसे नोटिस नहीं करते थे। उससे कोई उत्तर नहीं पूछते बल्कि कहते अगले साल पूछ लेंगे या कहते इतने सालों में तो आ गया होगा। लड़के अध्यापक की इन बातों पर हँसते जिससे टोपी शर्मा जाता। इससे वह भावनात्मक रूप से आहत हुआ। ऐसे व्यवहार ने टोपी को हतोत्साहित करने का काम किया।
खण्ड घ
14.
15.
परीक्षा भवनदिनांक _______
सेवा में,
प्रधानचार्य महोदय
क.ख.ग. विद्यालय
अ.ब.स स्थान
विषय: विद्यालय के गेट पर जंक फ़ूड बेचने से रोके जाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फ़ूड बेचा जाता है। बाहर जंक फूड मिलने की वजह से अधिकतर विद्यार्थियों ने लंच लाना भी बंद कर दिया है। यह जंक फूड विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जंक फूड खाने से हमारे विद्यालय के कई बच्चे की तबियत भी ख़राब हुई है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप यथाशीघ्र इन्हें बंद करायें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
कक्षा - दसवीं
16.
माँ - बेटी, ये स्वच्छता अभियान क्या है?
बेटी - माँ, यह सरकार द्वारा हमारे देश को साफ़ रखने के लिए चलाया गया है। हम सभी इसमें योगदान दे सकते हैं।
माँ - वो कैसे?
बेटी - अपने गलियों को साफ़ कर, कचरे को इधर-उधर न फेंक कूड़ेदान में डालने से। वैसे भी ऐसा कर अपना ही भला करेंगे।
माँ - तुम सही कह रही हो बेटी। इससे हम गंदगी से फैलने वाली बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
बेटी - हाँ, माँ। सही कहा तुमने।
बेटी - माँ, यह सरकार द्वारा हमारे देश को साफ़ रखने के लिए चलाया गया है। हम सभी इसमें योगदान दे सकते हैं।
माँ - वो कैसे?
बेटी - अपने गलियों को साफ़ कर, कचरे को इधर-उधर न फेंक कूड़ेदान में डालने से। वैसे भी ऐसा कर अपना ही भला करेंगे।
माँ - तुम सही कह रही हो बेटी। इससे हम गंदगी से फैलने वाली बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
बेटी - हाँ, माँ। सही कहा तुमने।
17.
(क) पुस्तकें पढ़ने की आदत
पुस्तकें हमारी सबसे बड़ी मित्र हैं।लोगों में पढ़ने की घटती प्रवृति के कारण हम इस मित्र को खोने लगे हैं। व्यस्त दैनिक दिनचर्या और मनोरंजन के अन्य रोचक साधन जैसे टीवी ने हमें इनसे दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। पुस्तकें नहीं पढ़ने के कारण हमारे अंदर अच्छे विचारों का अभाव आने लगा है। तरह-तरह की पुस्तकें हमें अनेक विषयों का ज्ञान देती हैं। यह हमारे सोचने की शक्ति को बढ़ाती हैं। इसके ज्ञान का हमारे जीवन पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। हमारे रचनात्मक मूल्यों को बाहर लाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। पुस्तकें हमारी जीवन यात्रा को सुगम बनाती हैं। इसलिए हमें पुस्तकों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
(ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र
कम्प्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। कम्प्यूटर पर हम पढ़ने-लिखने से लेकर मनोरंजन के सारे काम कर सकते हैं। इस पर हम किताबें पढ़ सकते हैं तो वहीं गेम्स भी खेल सकते हैं। विद्यार्थी इसकी मदद से अपने पाठ्क्रम से संबंधित जरुरी जानकारियाँ ले सकते हैं। वह नई चीजों को इसके माध्यम से सीख सकते हैं। चूँकि कम्प्यूटर अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चूका है इसलिए हमें इसपर अपना ज्यादा समय विडियो गेम्स और फ़िल्में देखकर नहीं बिताना चाहिए। इसके द्वारा कई रचनात्मक चीजों को सिखने में अपना समय देना चाहिए जिससे हम अपना भविष्य और उज्जवल कर सके।
(ग) स्वास्थ्य की रक्षा
स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है। अगर हम अपने धन को गंवा दें तो उसे दोबारा अर्जित कर सकते हैं परन्तु स्वास्थ्य को नहीं। चूँकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है इसलिए स्वास्थ्य पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। एक स्वस्थ व्यक्ति अपना काम अच्छे ढंग और प्रसन्न मन से करता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सन्तुलित और पोषित भोजन, नियमित हल्का व्यायाम और पर्याप्त सोना चाहिए। हमें अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए ताकि कोई बीमारियाँ ना फैले। अच्छा स्वास्थ्य हमें शांतिपूर्ण जीवन प्रदान करता है इसलिए हमें लाभदायक गतिविधियों को अपनाना चाहिए।
18.
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पुस्तकें हमारी सबसे बड़ी मित्र हैं।लोगों में पढ़ने की घटती प्रवृति के कारण हम इस मित्र को खोने लगे हैं। व्यस्त दैनिक दिनचर्या और मनोरंजन के अन्य रोचक साधन जैसे टीवी ने हमें इनसे दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। पुस्तकें नहीं पढ़ने के कारण हमारे अंदर अच्छे विचारों का अभाव आने लगा है। तरह-तरह की पुस्तकें हमें अनेक विषयों का ज्ञान देती हैं। यह हमारे सोचने की शक्ति को बढ़ाती हैं। इसके ज्ञान का हमारे जीवन पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। हमारे रचनात्मक मूल्यों को बाहर लाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। पुस्तकें हमारी जीवन यात्रा को सुगम बनाती हैं। इसलिए हमें पुस्तकों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
(ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र
कम्प्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। कम्प्यूटर पर हम पढ़ने-लिखने से लेकर मनोरंजन के सारे काम कर सकते हैं। इस पर हम किताबें पढ़ सकते हैं तो वहीं गेम्स भी खेल सकते हैं। विद्यार्थी इसकी मदद से अपने पाठ्क्रम से संबंधित जरुरी जानकारियाँ ले सकते हैं। वह नई चीजों को इसके माध्यम से सीख सकते हैं। चूँकि कम्प्यूटर अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चूका है इसलिए हमें इसपर अपना ज्यादा समय विडियो गेम्स और फ़िल्में देखकर नहीं बिताना चाहिए। इसके द्वारा कई रचनात्मक चीजों को सिखने में अपना समय देना चाहिए जिससे हम अपना भविष्य और उज्जवल कर सके।
(ग) स्वास्थ्य की रक्षा
स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है। अगर हम अपने धन को गंवा दें तो उसे दोबारा अर्जित कर सकते हैं परन्तु स्वास्थ्य को नहीं। चूँकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है इसलिए स्वास्थ्य पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। एक स्वस्थ व्यक्ति अपना काम अच्छे ढंग और प्रसन्न मन से करता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें सन्तुलित और पोषित भोजन, नियमित हल्का व्यायाम और पर्याप्त सोना चाहिए। हमें अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए ताकि कोई बीमारियाँ ना फैले। अच्छा स्वास्थ्य हमें शांतिपूर्ण जीवन प्रदान करता है इसलिए हमें लाभदायक गतिविधियों को अपनाना चाहिए।
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