NCERT Solutions of Psychology in Hindi for Class 11th: Ch 1 मनोविज्ञान क्या है ? मनोविज्ञान
प्रश्नपृष्ठ संख्या 20
1. व्यवहार क्या है? प्रकट एवं अप्रकट व्यवहार का उदाहरण दीजिए|
उत्तर
व्यवहार हमारी क्रियाओं, जिसमें संलग्न होते हैं, की अनुक्रियाएँ अथवा प्रतिक्रियाएँ होते हैं| कुछ व्यवहार प्रकट होते हैं| एक प्रेक्षक इन्हें बाह्य जगत में देख सकता है अथवा अनुभव कर सकता है| जैसे गर्म बर्तन छुने पर उसी समय तुरंत हाथ खींच लेना| कुछ आंतरिक या अप्रकट होते हैं जैसे, शतरंज खेलते समय जब हम कठिन परिस्थिति में पड़ते हैं तो अपने हाथ की मांसपेशियाँ फड़कने जैसी लगती हैं|
2. आप वैज्ञानिक मनोविज्ञान को मनोविज्ञान विद्याशाखा की प्रसिद्ध धारणाओं से कैसे अलग करेंगे?
उत्तर
वैज्ञानिक मनोविज्ञान
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मनोविज्ञान की प्रसिद्ध धारणा
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यह मनोवैज्ञानिक घटना के वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है| | यह व्यवहार को समझने के लिए सामान्य ज्ञान का उपयोग करता है| |
यह व्यावहारिक आँकड़ों के आधार पर व्यवस्थित रूप से मनोवैज्ञानिक घटनाओं को बताता है| |
यह अनुभवों, कहानियों तथा विश्वासों के आधार पर घटनाओं का वर्णन करता है| |
यह व्यवहार के उन नमूनों का अध्ययन करता है जो होने के पहले पूर्वानुमानित किये जा सकते हैं| |
यह घटनाओं के घटित होने के बाद बताता है| |
3. मनोविज्ञान के विकास का संक्षिप्त रूप प्रस्तुत कीजिए|
उत्तर
आधुनिक विद्याशाखा के रूप में अनोविज्ञान, जो पाश्चात्य विकास से एक बड़ी सीमा तक प्रभावित है, का इतिहास बहुत छोटा है| इसका उद्भव मनोवैज्ञानिक सार्थकता के प्रश्नों से संबद्ध प्राचीन दर्शनशाश्त्र से हुआ है| आधुनिक मनोविज्ञान का औपचारिक प्रारंभ 1879 में हुआ जब विलहम वुण्ट ने लिपजिंग जर्मनी में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला को स्थापित किया|
• इसके अध्ययन का प्राथमिक दृष्टिकोण संरचनावाद पर आधारित था, जिसमें व्यक्तिगत रूप से अपने मानसिक प्रक्रियाओं तथा अनुभवों का वर्णन करने के लिए कहा गया|
• इसका अनुसरण प्रकार्यवाद द्वारा किया गया जिसमें मानव मन के अध्ययन के लिए लोगों का अपने वातावरण में रह रहे एक दूसरे के साथ पारस्परिक संवाद का उनके व्यवहार पर प्रभाव का अध्ययन किया गया|
• 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में एक नयी धारा गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के रूप में संरचनावाद के विरूद्ध आई जिसमें प्रात्यक्षिक अनुभवों के संगठन को महत्वपूर्ण माना गया|
• संरचनावाद के प्रतिक्रिया स्वरुप एक और धारा व्यवहारवाद के रूप में आई जिसमें मनोविज्ञान को व्यवहार के अध्ययन अथवा अनुक्रियाओं जिनका मापन किया जा सकता है तथा वस्तुपरक ढंग के रूप में पारिभाषित किया|
• मनोवैज्ञानिक विकारों को समझने एवं उन्हें ठीक करने के लिए सिगमंग फ्रायड ने मनोविश्लेषण को एक पद्धति के रूप में स्थापित किया, जिसमें मानव व्यवहार को अचेतन इच्छाओं एवं द्वंद्वों का गतिशील प्रदर्शन बताया|
• इसके विपरीत, मानवतावादी परिदृश्य में मानव की स्वतंत्र कामनाओं तथा उनके विकसित होने की उद्दम लालसाओं एवं आन्तरिक विभवों के मुखरित होने की इच्छाओं पर अधिक बल दिया|
• गेस्टाल्ट उपागम के विविध पक्ष तथा संरचनावाद के पक्ष संयुक्त होकर संज्ञानात्मक परिदृश्य का विकास करते हैं जो इस बात पर केन्द्रित होते हैं कि हम दुनिया को कैसे जानते हैं|
• निर्मितवाद में, मनुष्यों को उनके सामाजिक एवं भौतिक वातावरण के अन्वेषणों के द्वारा अपने मन की सक्रिय रचना करने वाले के रूप में देखा जाता है|
• रूस के एक अन्य मनोवैज्ञानिक व्यागाट्स्की के अनुसार मानव मन का विकास सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है जिसमें मन को वयस्कों एवं बच्चों के मध्य होने वाली अन्तःक्रियाओं द्वारा सांस्कृतिक प्रक्रियाओं के रूप में देखा जाता है|
इस प्रकार मनोविज्ञान का विकास विभिन्न चरणों तथा स्तरों पर हुआ है| दर्शनशास्त्र की जड़ों से शुरू होकर इसने एक नई दिशा ले ली तथा संरचनावाद, प्रकार्यवाद, व्यवहारवाद तथा निर्मितवाद जैसे सिद्धांतों को शामिल किया गया| जबकि समकालीन युग में मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में उभरा जो मानवीय अनुभवों और व्यवहारों के आधार पर विभिन्न प्रक्रियाओं से संबंधित है|
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4. वे कौन सी समस्याएँ होती हैं जिनके लिए मनोवैज्ञानिकों का अन्य विद्याशाखा के लोगों के साथ सहयोग लाभप्रद हो सकता है? किन्हीं दो समस्याओं की व्याख्या कीजिये|
उत्तर
वे निम्नलिखित समस्याएँ होती हैं जिनके लिए मनोवैज्ञानिकों का अन्य विद्याशाखा के लोगों के साथ सहयोग लाभप्रद हो सकता है:
• चिकित्सा विज्ञान में, डॉक्टरों ने भी यह महसूस किया है कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिमाग की आवश्यकता होती है| इसलिए अधिकतर अस्पतालों में मनोवैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाता है| लोगों को हानिकारक स्वास्थ्य आदतों को अपनाने से रोकने तथा डॉक्टरों के निर्देश का पालन करने में मनोवैज्ञानिकों की अहम् भूमिका होती है| जबकि कैंसर, एड्स और शारीरिक रूप से विकलांग रोगियों के इलाज के समय मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता होती है|
• इंजीनियरिंग में, एक आर्किटेक्ट के लिए यह आवश्यक होता है कि वह उसके डिज़ाइन तथा सौन्दर्यशास्त्र से ग्राहक को मानसिक तौर पर संतुष्ट कर सके| उदाहरण के लिए, इंजीनियरों को सड़कों तथा राजमार्गों पर सुरक्षा के लिए अपनी योजनाओं में मानवीय आदत का भी ध्यान रखना चाहिए| मनोवैज्ञानिक ज्ञान सभी यांत्रिक उपकरणों तथा उसके प्रदर्शन में बहुत मदद करता है|
5. अंतर कीजिये (अ) मनोवैज्ञानिक एवं मनोरोगविज्ञानी में तथा (ब) परामर्शदाता एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक में|
उत्तर
(अ)
मनोवैज्ञानिक
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मनोरोगविज्ञानी
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एक मनोवैज्ञानिक मनोवैज्ञानिक घटना के साथ व्यवहार करता है|
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एक मनोरोगविज्ञानी का संबंध गंभीर मानसिक समस्याओं से है| |
मनोवैज्ञानिक के पास मनोविज्ञान की उपाधि होती है जिसमें वह कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करता है तथा वह लोगों के मनोवैज्ञानिक व्यतिक्रमों का उपचार करता है| | मनोरोगविज्ञानी के पास चिकित्सा ज्ञान की उपाधि होती है जो मनोवैज्ञानिक व्यतिक्रम के निदान हेतु वर्षों का विशिष्ट प्राप्त किए हुए होते हैं| |
एक मनोवैज्ञानिक दवाइयों का सुझाव नहीं दे सकता | | जबकि मनोरोगविज्ञानी दवाईयों का सुझाव दे सकता है विद्युत् आघात उपचार प्रदान कर सकता है| |
(ब)
परामर्शदाता
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नैदानिक मनोवैज्ञानिक
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परामर्शदाता या उपबोधन मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरणात्मक एवं संवेगात्मक समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिए कार्य करते हैं| | नैदानिक मनोवैज्ञानिक व्यावहारिक समस्याओं वाले रोगियों की सहायता करने की विशिष्टता रखते हैं| |
परामर्शदाता व्यावसायिक पुनर्वास कार्यक्रमों अथवा व्यावसायिक चयन में सहायता करने अथवा जीवन की नई एवं जटिल परिस्थितियों में समायोजन के लिए कार्य करता है| |
ये रोगियों की समस्याओं को जानने के लिए साक्षात्कार करते हैं एवं मनोवैज्ञानिक परिक्षण देते हैं तथा उनके उपचार एवं पुनर्वास के लिए मनोवैज्ञानिक विधियों का उपयोग करते हैं| |
एक परामर्शदाता का कार्य रोगी के रोजमर्रा की जिंदगी में विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानि विकारों से संबधित होता है| | वे अनेक मानसिक व्यातिक्रमों तथा दुश्चिंता, भय या कार्यस्थल के दबावों के लिए चिकित्सा प्रदान करते हैं| |
6. दैनंदिन जीवन के कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए जहाँ मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास रूप में लाया जा सके|
उत्तर
दैनंदिन जीवन ऐसे कुछ क्षेत्र जहाँ मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास रूप में लाया जा सके वे निम्नलिखित हैं:
• मनोविज्ञान पूर्णतः व्यक्तिगत समस्याएँ जैसे पारिवारिक पृष्ठभूमि, विवाह और कार्यक्षेत्र की समस्याओं को समझने में मदद करता है तथा समुदाय, समाज, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय से संबंधित बड़ी समस्याओं से निपटने में भी मदद करता है|
• मनोविज्ञान एक व्यक्ति को खुद को संतुलित और सकारात्मक तरीके से बिना किसी प्रतिक्रिया के समझने में सक्षम बनाता है|
• यह बच्चों, किशोरों, वयस्कों तथा वयोधिक लोगों से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए सलाह देता है|
• सामाजिक परिवर्तन तथा विकास, जनसंख्या, गरीबी, अन्तःवैयक्तिक एवं अंतःसामूहिक हिंसा तथा पर्यावरणी गिरावट से संबंधित केंद्रीय सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करने में भी मदद करता है|
• मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के उपयोग से अपने अधिगम एवं स्मृति में सुधार लाने के लिए अध्ययन की अच्छी आदतें विकसित करने में मदद मिलती है तथा व्यक्तिगत तथा अंतर्वैयक्तिक समस्याओं का निर्णय लेने की उपयुक्त युक्तियों द्वारा समाधान किया जा सकता है|
7. पर्यावरण के अनुकूल मित्रवत व्यवहार को किस प्रकार उस क्षेत्र में ज्ञान द्वारा बढ़ाया जा सकता है?
उत्तर
पर्यावरण के अनुकूल मित्रवत व्यवहार को उस क्षेत्र में इस प्रकार ज्ञान द्वारा बढ़ाया जा सकता है:
• यह मानवीय व्यवहार पर तापमान, आर्द्रता, प्रदूषण तथा प्राकृतिक आपदा जैसे भौतिक कारकों के परस्पर क्रिया का अध्ययन करता है|
• यह स्वास्थ्य, भावनात्मक स्थिति तथा अंतर्वैयक्तिक संबंधों पर कार्यस्थल की भौतिक व्यवस्था के प्रभाव की जाँच करता है|
• यह कचरे के निपटन, जनसंख्या विस्फोट, ऊर्जा का संरक्षण, सामुदायिक संसाधनों के कुशल उपयोग जैसे विषयों का अन्वेषण करता है तथा ये मानव व्यवहार के कार्य हैं|
8. अपराध जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में सहायता करने के लिए आपके अनुसार मनोविज्ञान की कौन-सी शाखा सबसे उपयुक्त है? क्षेत्र की पहचान कीजिए एवं उस क्षेत्र में कार्य करने वाले मनोवैज्ञानिकों के सरोकारों की व्याख्या कीजिए|
उत्तर
सामाजिक मनोविज्ञान अपराध जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में सहायता करता है|
सामाजिक मनोविज्ञान यह समन्वेषण करता है कि लोग अपने सामाजिक वातावरण से कैसे प्रभावित होते हैं, लोग दूसरों के विषय में कैसा सोचते हैं तथा उन्हें कैसे प्रभावित करते हैं| सामाजिक मनोवैज्ञानिक अभिवृति, समरूप तथा अधिकारीयों के प्रति आज्ञाकारिता, अंतर्वैयक्तिक आकर्षण, सहायतापरक व्यवहार, पूर्वाग्रह, आक्रोश, सामाजिक अभिप्रेरणा, अन्तर्समूह संबंध आदि विषयों में रुचि लेते हैं|