NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3- अपू के साथ ढाई साल आरोह भाग-1 हिंदी (Apu ke Sath Dhai Saal)
अभ्यास
पृष्ठ संख्या: 41
पाठ के साथ
उत्तर
पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला क्योंकि लेखक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करते थे, जब फ़ुर्सत मिलती थी तब शूटिंग करते थे| पैसों का भी अभाव था जिसके कारण शूटिंग बार-बार रोकनी पड़ती| शूटिंग के बीच में कभी स्थानों और पात्रों को लेकर भी समस्याएँ आती रहतीं थीं|
2. अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी‘ नदारद हो जाती – इस कथन के पीछे क्या भाव है?
उत्तर
किसी भी चीज़ में निरंतरता होनी चाहिए ताकि वह स्वाभाविक लगे| पथेर पांचाली फ़िल्म में लेखक ने पहले दिन रेल लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान की शूटिंग की| चूँकि सीन बहुत बड़ा था और एक दिन में पूरा करना संभव नहीं था इसलिए सभी लोग आधा भाग चित्रित कर वापस घर चले गए| सात दिन बाद सार टीम और लखक जब वहाँ पहुँचे तब उनलोगों ने काशफूलों को वहाँ नहीं पाया| उन सात दिनों में जानवरों ने सारे काशफूलों को खा लिया था| अगर लेखक उसी दृश्य में शूटिंग कर लेते तो वह पहले के भाग से मेल नहीं खाता और उसकी निरंतरता भंग हो जाती जिससे फ़िल्म में वास्तविकता का अभाव हो जाता|
3. किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर
श्रीनिवास और भूलो नामक कुत्ता के पात्र वाले दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है|
भूलो नामक कुत्ता वाला दृश्य - एक दृश्य में अपू खाते-खाते ही कमान से तीर छोड़ता है। उसके बाद खाना छोड़कर तीर वापस लाने के लिए जाता है। सर्वजया बाएँ हाथ में वह थाली और दाहिने हाथ में निवाला लेकर बच्चे के पीछे दौड़ती है, लेकिन बच्चे के भाव देखकर जान जाती है कि वह अब कुछ नहीं खाएगा। भूलो कुत्ता भी खड़ा हो जाता है। उसका ध्यान सर्वजया के हाथ में जो भात की थाली है, उसकी ओर है। इसके बाद वाले शॉट में ऐसा दिखाना था कि सर्वजया थाली में बचा भात एक गमले में डाल देती है, और भूलो वह भात खाता है। लेकिन यह शॉट लेखक उस दिन नहीं ले पाते हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी और पैसे दोनों खत्म हो गए थे। छह महीने बाद, फिर से पैसे इकट्ठा होने पर गाँव में उस सीन का बाकी अंश चित्रित करने के लिए लेखक गए परन्तु तब भूलो मर चूका था। फिर भूलो जैसे दिखनेवाले एक कुत्ते के साथ शूटिंग पूरी की गई।
श्रीनिवास वाला दृश्य - श्रीनिवास नामक घूमते मिठाईवाले से मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे नहीं हैं। वे तो मिठाई खरीद नहीं सकते, इसलिए अपू और दुर्गा उस मिठाईवाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर के पास जाते हैं। मुखर्जी अमीर आदमी हैं। उनका मिठाई खरीदना देखने में ही अपू और दुर्गा की खुशी है।
इस दृश्य का कुछ अंश चित्रित होने के बाद शूटिंग कुछ महीनों के लिए स्थगित हो गई। पैसे हाथ आने पर फिर जब उस गाँव में शूटिंग करने के लिए लेखक गए, तब खबर मिली कि श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका जो सज्जन कर रहे थे, उनका देहांत हो गया है। पहले वाले श्रीनिवास का मिलता-जुलता दूसरा आदमी ढूँढ़कर दृश्य का बाकी अंश चित्रित किया।
4. ‘भूलो‘ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फ़िल्म के किस दृश्य को पूरा किया?
उत्तर
भूलो को गमले में भात खाते वाला दृश्य लेखक को चित्रित करना था परन्तु सूरज की रोशनी खत्म हो चुकी थी और लेखक के पास पैसे भी नहीं थे इसलिए इसके बाद का दृश्य छह महीने बाद फिल्माया गया| तब तक भूलो की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए ‘भूलो‘ की जगह दूसरा कुत्ता को लाया गया| उसने गमले में पड़े भात को खाया और उस दृश्य को पूरा किया|
5. फ़िल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुज़र जाने के बाद किस प्रकार फ़िल्माया गया?
उत्तर
फ़िल्म में श्रीनिवास की भूमिका मिठाई बेचने वाले की थी| श्रीनिवास की भूमिका से संबंधित कुछ अंश शूट होने के बाद कुछ महीनों के लिए शूटिंग स्थगित हो गई| इसी बीच श्रीनिवास की भूमिका निभा रहे व्यक्ति की मृत्यु हो गयी| तब उस पात्र से मिलते-जुलते आदमी की खोज की गयी| लेखक को उसकी जगह जो आदमी मिला, उसकी कद-काठी तो श्रीनिवास से मिलती थी परन्तु चेहरा अलग था| इसलिए बाकी के दृश्यों में उसकी पीठ दिखाकर फ़िल्म पूरा किया गया|
6. बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
2. अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी‘ नदारद हो जाती – इस कथन के पीछे क्या भाव है?
उत्तर
किसी भी चीज़ में निरंतरता होनी चाहिए ताकि वह स्वाभाविक लगे| पथेर पांचाली फ़िल्म में लेखक ने पहले दिन रेल लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान की शूटिंग की| चूँकि सीन बहुत बड़ा था और एक दिन में पूरा करना संभव नहीं था इसलिए सभी लोग आधा भाग चित्रित कर वापस घर चले गए| सात दिन बाद सार टीम और लखक जब वहाँ पहुँचे तब उनलोगों ने काशफूलों को वहाँ नहीं पाया| उन सात दिनों में जानवरों ने सारे काशफूलों को खा लिया था| अगर लेखक उसी दृश्य में शूटिंग कर लेते तो वह पहले के भाग से मेल नहीं खाता और उसकी निरंतरता भंग हो जाती जिससे फ़िल्म में वास्तविकता का अभाव हो जाता|
3. किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर
श्रीनिवास और भूलो नामक कुत्ता के पात्र वाले दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है|
भूलो नामक कुत्ता वाला दृश्य - एक दृश्य में अपू खाते-खाते ही कमान से तीर छोड़ता है। उसके बाद खाना छोड़कर तीर वापस लाने के लिए जाता है। सर्वजया बाएँ हाथ में वह थाली और दाहिने हाथ में निवाला लेकर बच्चे के पीछे दौड़ती है, लेकिन बच्चे के भाव देखकर जान जाती है कि वह अब कुछ नहीं खाएगा। भूलो कुत्ता भी खड़ा हो जाता है। उसका ध्यान सर्वजया के हाथ में जो भात की थाली है, उसकी ओर है। इसके बाद वाले शॉट में ऐसा दिखाना था कि सर्वजया थाली में बचा भात एक गमले में डाल देती है, और भूलो वह भात खाता है। लेकिन यह शॉट लेखक उस दिन नहीं ले पाते हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी और पैसे दोनों खत्म हो गए थे। छह महीने बाद, फिर से पैसे इकट्ठा होने पर गाँव में उस सीन का बाकी अंश चित्रित करने के लिए लेखक गए परन्तु तब भूलो मर चूका था। फिर भूलो जैसे दिखनेवाले एक कुत्ते के साथ शूटिंग पूरी की गई।
श्रीनिवास वाला दृश्य - श्रीनिवास नामक घूमते मिठाईवाले से मिठाई खरीदने के लिए अपू और दुर्गा के पास पैसे नहीं हैं। वे तो मिठाई खरीद नहीं सकते, इसलिए अपू और दुर्गा उस मिठाईवाले के पीछे-पीछे मुखर्जी के घर के पास जाते हैं। मुखर्जी अमीर आदमी हैं। उनका मिठाई खरीदना देखने में ही अपू और दुर्गा की खुशी है।
इस दृश्य का कुछ अंश चित्रित होने के बाद शूटिंग कुछ महीनों के लिए स्थगित हो गई। पैसे हाथ आने पर फिर जब उस गाँव में शूटिंग करने के लिए लेखक गए, तब खबर मिली कि श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका जो सज्जन कर रहे थे, उनका देहांत हो गया है। पहले वाले श्रीनिवास का मिलता-जुलता दूसरा आदमी ढूँढ़कर दृश्य का बाकी अंश चित्रित किया।
4. ‘भूलो‘ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फ़िल्म के किस दृश्य को पूरा किया?
उत्तर
भूलो को गमले में भात खाते वाला दृश्य लेखक को चित्रित करना था परन्तु सूरज की रोशनी खत्म हो चुकी थी और लेखक के पास पैसे भी नहीं थे इसलिए इसके बाद का दृश्य छह महीने बाद फिल्माया गया| तब तक भूलो की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए ‘भूलो‘ की जगह दूसरा कुत्ता को लाया गया| उसने गमले में पड़े भात को खाया और उस दृश्य को पूरा किया|
5. फ़िल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुज़र जाने के बाद किस प्रकार फ़िल्माया गया?
उत्तर
फ़िल्म में श्रीनिवास की भूमिका मिठाई बेचने वाले की थी| श्रीनिवास की भूमिका से संबंधित कुछ अंश शूट होने के बाद कुछ महीनों के लिए शूटिंग स्थगित हो गई| इसी बीच श्रीनिवास की भूमिका निभा रहे व्यक्ति की मृत्यु हो गयी| तब उस पात्र से मिलते-जुलते आदमी की खोज की गयी| लेखक को उसकी जगह जो आदमी मिला, उसकी कद-काठी तो श्रीनिवास से मिलती थी परन्तु चेहरा अलग था| इसलिए बाकी के दृश्यों में उसकी पीठ दिखाकर फ़िल्म पूरा किया गया|
6. बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
उत्तर
पैसों की तंगी के कारण बारिश का दृश्य चित्रित करने में मुश्किल आई| बरसात के दिन आए और गए, लेकिन लेखक के पास पैसे नहीं होने के कारण शूटिंग बंद थी। बारिश दृश्य उन्हें शरद ऋतू में शूट करना था, जिसमें शायद ही कभी बारिश होती है| बारिश के लिए लेखक को अपनी टीम के साथ कई दिनों तक देहात में जाकर बादलों के इंतजार में बैठना पड़ा| काले बादल कई बार आते और चले जाते| कई दिनों के बाद धुआँधार बारिश शुरू हुई और बारिश का दृश्य फ़िल्माया गया।
7. किसी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
• पैसों की समस्या
• पात्रों का चयन
• प्राकृतिक समस्या (बारिश, धूप, ओलावृष्टि आदि)
• पात्रों की मृत्यु या अनुपस्थिति
• शूटिंग के लिए उचित स्थानों की खोज
पाठ के आस-पास
1. तीन प्रसंगों में राय ने कुछ इस तरह की टिप्पणियाँ की हैं कि दर्शक पहचान नहीं पाते कि… या फ़िल्म देखते हुए इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि… इत्यादि। ये प्रसंग कौन से हैं, चर्चा करें और इसपर भी विचार करें कि शूटिंग के समय की असलियत फ़िल्म को देखते समय कैसे छिप जाती है।
उत्तर
ये प्रसंग हैं -
• भूलो कुत्ते की जगह पर दूसरे कुत्ते को भूलो बनाकर प्रस्तुत करना।
• रेलगाड़ी से धुँआ उठवाने के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग करना।
• श्रीनिवास का पात्र निभाने वाले की मृत्यु के बाद दूसरे व्यक्ति से बचे दृश्य की शूटिंग पूरी करवाना।
• काशफूलों को जानवरों द्वारा खा जाने के बाद अगले मौसम में सीन के बचे दृश्य की शूटिंग पूरी करना।
लेखक की टिप्पणी कि दर्शक द्वारा नहीं पहचाना जाना या ध्यान नहीं दिया जाना बिल्कुल सही है| फ़िल्म की वास्तविकता और शूटिंग के दौरान हुई घटनाओं में अंतर् होता है| फ़िल्मकार कई युक्तियों का इस्तेमाल फ़िल्म निर्माण में करता है ताकि फ़िल्म में निरंतरता बनी रहे| शूटिंग के समय की असलियत फ़िल्म के रोमांच, स्वाभाविकता और निरंतरता के सामने छिप जाती है|
2. मान लीजिए कि आपको अपने विद्यालय पर एक डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म बनानी है। इस तरह की फ़िल्म में आप किस तरह के दृश्यों को चित्रित करेंगे? फ़िल्म बनाने से पहले और बनाते समय किन बातों पर ध्यान देंगे?
उत्तर
विद्यालय पर डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म बनाने के लिए हमें अपने प्रधानचार्य, शिक्षक, विद्यार्थी आदि की दिन भर की गतिविधियों के दृश्यों को चित्रित करेंगे| उन लोगों से कई सवाल जैसे - शिक्षा का महत्व, पसंदीदा विषय के बारे में पूछेंगे और उन्हें चित्रित करेंगे|
फ़िल्म बनाते समय हमें वास्तविकता और निरंतरता बरकरार रखने होगी| हमें दृश्यों को इस तरह से पेश करना होगा ताकि वे काल्पनिक ना लगे|
3. पथेर पांचाली फ़िल्म में इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी ढाई साल तक काम कर सकीं। यदि आधी फ़िल्म बनने के बाद चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय क्या करते? चर्चा करें।
उत्तर
इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी का भी अगर आधी फ़िल्म बनने के बाद अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय, भूलो और श्रीनिवास की तरह ही उनसे मिलती-जुलती किसी अन्य वृद्धा को खोजते|
सत्यजित राय यह भी कर सकते थे कि चेहरा सामने से ना दिखाकर, पीठ दिखाते| वे कहानी में भी कुछ परिवर्तन कर सकते थे जिससे इंदिरा ठाकरून की भूमिका कम हो जाती|
4. पठित पाठ के आधार पर यह कह पाना कहाँ तक उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक-माध्यम के रूप में नहीं?
उत्तर
पठित पाठ के आधार पर यह कहना उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक-माध्यम के रूप में नहीं क्योंकि:
• उन्होंने अपनी किसी प्रोड्यूसर से पैसा नहीं लगवाया|
• फ़िल्म के हर दृश्य में वास्तविकता लाने का प्रयास करना|
• प्राकृतिक वर्षा और काश के फूलों के लिए इंतज़ार करना|
• फ़िल्म में निरंतरता बरकरार रखना|
भाषा की बात
1. पाठ में कई स्थानों पर तत्सम, तद्भव, क्षेत्रीय सभी प्रकार के शब्द एक साथ सहज भाव से आए हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग करते हुए अपनी प्रिय फ़िल्म पर एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर
स्वयं करें
2. हर क्षेत्र में कार्य करने या व्यवहार करने की अपनी निजी या विशिष्ट प्रकार की शब्दावली होती है। जैसे अपू के साथ ढाई साल पाठ में फ़िल्म से जुड़े शब्द शूटिंग, शॉट, सीन आदि। फ़िल्म से जुड़ी शब्दावली में से किन्हीं दस की सूची बनाइए।
उत्तर
निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री, छायाकार, मेकअप मैन, सीन, शॉट, कट, छायाकार, रिकॉर्डिंग|
3. नीचे दिए गए शब्दों के पर्याय इस पाठ में ढूँढ़िए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
इश्तहार, खुशकिस्मती, सीन, वृष्टि, जमा
उत्तर
इश्तहार - विज्ञापन
• अभिनेताओं की तलाश में निर्देशक ने अख़बार में विज्ञापन दिया|
खुशकिस्मती - सौभाग्य
• उस व्यक्ति का सौभाग्य था कि उसे अच्छे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला|
सीन - दृश्य
• हरे-भरे बाग़ का दृश्य बहुत सुन्दर था|
वृष्टि - बारिश
• बाहर बहुत ज़ोरों की बारिश हो रही थी|
जमा – इकट्ठा
• उन्होंने धीरे-धीरे कर बहुत सारे पैसे इकठ्ठा कर लिए|
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7. किसी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
• पैसों की समस्या
• पात्रों का चयन
• प्राकृतिक समस्या (बारिश, धूप, ओलावृष्टि आदि)
• पात्रों की मृत्यु या अनुपस्थिति
• शूटिंग के लिए उचित स्थानों की खोज
पाठ के आस-पास
1. तीन प्रसंगों में राय ने कुछ इस तरह की टिप्पणियाँ की हैं कि दर्शक पहचान नहीं पाते कि… या फ़िल्म देखते हुए इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि… इत्यादि। ये प्रसंग कौन से हैं, चर्चा करें और इसपर भी विचार करें कि शूटिंग के समय की असलियत फ़िल्म को देखते समय कैसे छिप जाती है।
उत्तर
ये प्रसंग हैं -
• भूलो कुत्ते की जगह पर दूसरे कुत्ते को भूलो बनाकर प्रस्तुत करना।
• रेलगाड़ी से धुँआ उठवाने के लिए तीन रेलगाड़ियों का प्रयोग करना।
• श्रीनिवास का पात्र निभाने वाले की मृत्यु के बाद दूसरे व्यक्ति से बचे दृश्य की शूटिंग पूरी करवाना।
• काशफूलों को जानवरों द्वारा खा जाने के बाद अगले मौसम में सीन के बचे दृश्य की शूटिंग पूरी करना।
लेखक की टिप्पणी कि दर्शक द्वारा नहीं पहचाना जाना या ध्यान नहीं दिया जाना बिल्कुल सही है| फ़िल्म की वास्तविकता और शूटिंग के दौरान हुई घटनाओं में अंतर् होता है| फ़िल्मकार कई युक्तियों का इस्तेमाल फ़िल्म निर्माण में करता है ताकि फ़िल्म में निरंतरता बनी रहे| शूटिंग के समय की असलियत फ़िल्म के रोमांच, स्वाभाविकता और निरंतरता के सामने छिप जाती है|
2. मान लीजिए कि आपको अपने विद्यालय पर एक डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म बनानी है। इस तरह की फ़िल्म में आप किस तरह के दृश्यों को चित्रित करेंगे? फ़िल्म बनाने से पहले और बनाते समय किन बातों पर ध्यान देंगे?
उत्तर
विद्यालय पर डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म बनाने के लिए हमें अपने प्रधानचार्य, शिक्षक, विद्यार्थी आदि की दिन भर की गतिविधियों के दृश्यों को चित्रित करेंगे| उन लोगों से कई सवाल जैसे - शिक्षा का महत्व, पसंदीदा विषय के बारे में पूछेंगे और उन्हें चित्रित करेंगे|
फ़िल्म बनाते समय हमें वास्तविकता और निरंतरता बरकरार रखने होगी| हमें दृश्यों को इस तरह से पेश करना होगा ताकि वे काल्पनिक ना लगे|
3. पथेर पांचाली फ़िल्म में इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी ढाई साल तक काम कर सकीं। यदि आधी फ़िल्म बनने के बाद चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय क्या करते? चर्चा करें।
उत्तर
इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी का भी अगर आधी फ़िल्म बनने के बाद अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय, भूलो और श्रीनिवास की तरह ही उनसे मिलती-जुलती किसी अन्य वृद्धा को खोजते|
सत्यजित राय यह भी कर सकते थे कि चेहरा सामने से ना दिखाकर, पीठ दिखाते| वे कहानी में भी कुछ परिवर्तन कर सकते थे जिससे इंदिरा ठाकरून की भूमिका कम हो जाती|
4. पठित पाठ के आधार पर यह कह पाना कहाँ तक उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक-माध्यम के रूप में नहीं?
उत्तर
पठित पाठ के आधार पर यह कहना उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक-माध्यम के रूप में नहीं क्योंकि:
• उन्होंने अपनी किसी प्रोड्यूसर से पैसा नहीं लगवाया|
• फ़िल्म के हर दृश्य में वास्तविकता लाने का प्रयास करना|
• प्राकृतिक वर्षा और काश के फूलों के लिए इंतज़ार करना|
• फ़िल्म में निरंतरता बरकरार रखना|
भाषा की बात
1. पाठ में कई स्थानों पर तत्सम, तद्भव, क्षेत्रीय सभी प्रकार के शब्द एक साथ सहज भाव से आए हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग करते हुए अपनी प्रिय फ़िल्म पर एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर
स्वयं करें
2. हर क्षेत्र में कार्य करने या व्यवहार करने की अपनी निजी या विशिष्ट प्रकार की शब्दावली होती है। जैसे अपू के साथ ढाई साल पाठ में फ़िल्म से जुड़े शब्द शूटिंग, शॉट, सीन आदि। फ़िल्म से जुड़ी शब्दावली में से किन्हीं दस की सूची बनाइए।
उत्तर
निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री, छायाकार, मेकअप मैन, सीन, शॉट, कट, छायाकार, रिकॉर्डिंग|
3. नीचे दिए गए शब्दों के पर्याय इस पाठ में ढूँढ़िए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
इश्तहार, खुशकिस्मती, सीन, वृष्टि, जमा
उत्तर
इश्तहार - विज्ञापन
• अभिनेताओं की तलाश में निर्देशक ने अख़बार में विज्ञापन दिया|
खुशकिस्मती - सौभाग्य
• उस व्यक्ति का सौभाग्य था कि उसे अच्छे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला|
सीन - दृश्य
• हरे-भरे बाग़ का दृश्य बहुत सुन्दर था|
वृष्टि - बारिश
• बाहर बहुत ज़ोरों की बारिश हो रही थी|
जमा – इकट्ठा
• उन्होंने धीरे-धीरे कर बहुत सारे पैसे इकठ्ठा कर लिए|
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