NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 14 - महासागरीय जल संचलन भूगोल के मूल सिद्धांत (Mahasagriya Jal Sanchalan) Bhautik Bhugol ke Mool Siddhant
अभ्यास
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) महासागरीय जल की ऊपर एवं नीचे गति किससे संबंधित है?
(क) ज्वार
(ख) तरंग
(ग) धाराएँ
(घ) ऊपर में से कोई नहीं
► (क) ज्वार
(ii) वृहत ज्वार आने का क्या कारण है?
(क) सूर्य और चन्द्रमा का पृथ्वी पर एक ही दिशा में गुरूत्वाकर्षण बल
(ख) सूर्य और चंद्रमा द्वारा एक दूसरे की विपरीत दिशा से पृथ्वी पर गुरूत्वाकर्षण बल
(ग) तटरेखा का दंतुरित होना
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
► (क) सूर्य और चन्द्रमा का पृथ्वी पर एक ही दिशा में गुरूत्वाकर्षण बल
(iii) पृथ्वी तथा चंद्रमा की न्यूनतम दूरी कब होती है?
(क) अपसौर
(ख) उपसौर
(ग) उपभू
(घ) अपभू
► (ग) उपभू
(iv) पृथ्वी उपसौर की स्थिति कब होती है?
(क) अक्टूबर
(ख) जुलाई
(ग) सितंबर
(घ) जनवरी
► (घ) जनवरी
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) तरंगें क्या हैं?
उत्तर
तरंगें वास्तव में ऊर्जा हैं, जल नहीं, जो कि महासागरीय सतह के आर पार गति करते हैं| ये वायु के जल की विपरीत दिशा में गति से उत्पन्न होती है|
(ii) महासागरीय तरंगें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करती हैं?
उत्तर
(ii) महासागरीय तरंगें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करती हैं?
उत्तर
वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे तरंगे उत्पन्न होती हैं| वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं तथा ऊर्जा तटरेखा पर निर्मुक्त होती है|
(iii) ज्वार-भाटा क्या है?
उत्तर
(iii) ज्वार-भाटा क्या है?
उत्तर
चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण दिन में एक बार या दो बार समुद्र तल का नियतकालिक उठने या गिरने को ज्वारभाटा कहा जाता है|
(iv) ज्वार-भाटा उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
उत्तर
(iv) ज्वार-भाटा उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
उत्तर
चंद्रमा तथा सूर्य का गुरूत्वाकर्षण बल तथा अपकेंद्रीय बल दोनों मिलकर पृथ्वी पर ज्वारभाटाओं को उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी हैं|
(v) ज्वार-भाटा नौसंचालन से कैसे संबंधित हैं?
उत्तर
(v) ज्वार-भाटा नौसंचालन से कैसे संबंधित हैं?
उत्तर
ज्वार-भाटा नौसंचालकों व मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है| नौसंचालन में ज्वारीय प्रवाह का अत्यधिक महत्व है| ज्वार की ऊँचाई बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, खासकर नदियों के किनारे वाले पोताश्रय पर एवं ज्वारनदमुख के भीतर, जहाँ प्रवेश द्वार पर छिछले रोधिका होते हैं, जो कि नौकाओं एवं जहाजों को पोताश्रय में प्रवेश करने से रोकते हैं|
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) जल धाराएँ तापमान को कैसे प्रभावित करती हैं? उत्तर पश्चिम यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) जल धाराएँ तापमान को कैसे प्रभावित करती हैं? उत्तर पश्चिम यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर
जल धाराएँ तापमान को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं| ठंडी या गर्म जल धाराएँ तापमान को अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करती हैं|
• ठंडी जलधाराएँ, ठंडा जल, गर्म जल क्षेत्रों में लाती हैं| ये महाद्वीपों के पशिचमी तट पर बहती हैँ| (ऐसा दोनों गोलार्धों में निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होता है) और उत्तरी गोलार्ध के उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ये जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तट पर बहती हैँ|
• गर्म जलधाराएँ, गर्म जल को ठंडे जल क्षेत्रों में पहुंचाती है और प्राय: महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती है (दोनों गोलार्धों के निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में)| उत्तरी गोलार्ध में, ये जलधाराएँ उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के पशिचमी तट पर बहती हैँ|
उत्तर पश्चिम यूरोप में, गर्म धाराएँ मौजूद हैं, जो उत्तरी पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को बढ़ाती हैं|
(ii) जल धाराएँ कैसे उत्पन्न होती हैं?
उत्तर
• ठंडी जलधाराएँ, ठंडा जल, गर्म जल क्षेत्रों में लाती हैं| ये महाद्वीपों के पशिचमी तट पर बहती हैँ| (ऐसा दोनों गोलार्धों में निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होता है) और उत्तरी गोलार्ध के उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ये जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तट पर बहती हैँ|
• गर्म जलधाराएँ, गर्म जल को ठंडे जल क्षेत्रों में पहुंचाती है और प्राय: महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती है (दोनों गोलार्धों के निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में)| उत्तरी गोलार्ध में, ये जलधाराएँ उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के पशिचमी तट पर बहती हैँ|
उत्तर पश्चिम यूरोप में, गर्म धाराएँ मौजूद हैं, जो उत्तरी पश्चिमी यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को बढ़ाती हैं|
(ii) जल धाराएँ कैसे उत्पन्न होती हैं?
उत्तर
जल धाराएँ दो प्रकार के बलों के द्वारा प्रभावित होती हैं, वे हैं- (i) प्राथमिक बल, जो जल की गति को प्रारंभ करता है, तथा (ii) द्वितीयक बल, जो धाराओं के प्रभाव को नियंत्रित करता है|
प्राथमिक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे है :
(i) सौर ऊर्जा से जल का गर्म होना- सौर ऊर्जा से गर्म होकर जल फैलता है| यही कारण है कि विषुवत् वृत के पास महासागरीय जल का स्तर मध्य अक्षाशों की अपेक्षा 8 से.मी. अधिक ऊँचा होता है| इसके कारण बहुत कम प्रवणता उत्पन्न होती है तथा जल का बहाव ढाल से नीचे की तरफ होता है|
(ii) वायु- महासागर के सतह पर बहने वली वायु जल को गतिमान करती है। इस क्रम में वायु एवं पानी को सतह के बीच उत्पन्न होने वला घर्षण बल जल को गति को प्रभावित करता है|
(iii) गुरूत्वाकर्षण- गुरुत्वाकर्षण के कारण जल नीचे बैठता है और यह एकत्रित जल दाब प्रवणता में भिन्नता लाता है|
(iv) कोरियोलिस बल- कोरियोलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्ध में जल की गति की दिशा के दाहिनी तरफ और दक्षिणी गोलार्ध में बायीं ओर प्रवाहित होता है तथा उनके चारों और बहाव को वलय कहा जाता है| इनके कारण सभी महासागरीय बेसिनों में वृहत् वृत्ताकार धाराएँ उत्पन्न होती हैं|
द्वितीयक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे हैं :
(i) पानी के घनत्व में अंतर- महासागरीय जलधाराओं के उर्ध्वाधर गति को प्रभावित करता है| सघन जल नीचे बैठता है, जबकि हल्के जल की प्रवृत्ति ऊपर उठने की होती है|
(ii) लवणता में अंतर- अधिक खारा जल निम्न खारे जल की अपेक्षा ज्यादा सघन होता है तथा इसी प्रकार ठंडा जल, गर्म जल की अपेक्षा अधिक सघन होता है|
प्राथमिक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे है :
(i) सौर ऊर्जा से जल का गर्म होना- सौर ऊर्जा से गर्म होकर जल फैलता है| यही कारण है कि विषुवत् वृत के पास महासागरीय जल का स्तर मध्य अक्षाशों की अपेक्षा 8 से.मी. अधिक ऊँचा होता है| इसके कारण बहुत कम प्रवणता उत्पन्न होती है तथा जल का बहाव ढाल से नीचे की तरफ होता है|
(ii) वायु- महासागर के सतह पर बहने वली वायु जल को गतिमान करती है। इस क्रम में वायु एवं पानी को सतह के बीच उत्पन्न होने वला घर्षण बल जल को गति को प्रभावित करता है|
(iii) गुरूत्वाकर्षण- गुरुत्वाकर्षण के कारण जल नीचे बैठता है और यह एकत्रित जल दाब प्रवणता में भिन्नता लाता है|
(iv) कोरियोलिस बल- कोरियोलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्ध में जल की गति की दिशा के दाहिनी तरफ और दक्षिणी गोलार्ध में बायीं ओर प्रवाहित होता है तथा उनके चारों और बहाव को वलय कहा जाता है| इनके कारण सभी महासागरीय बेसिनों में वृहत् वृत्ताकार धाराएँ उत्पन्न होती हैं|
द्वितीयक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे हैं :
(i) पानी के घनत्व में अंतर- महासागरीय जलधाराओं के उर्ध्वाधर गति को प्रभावित करता है| सघन जल नीचे बैठता है, जबकि हल्के जल की प्रवृत्ति ऊपर उठने की होती है|
(ii) लवणता में अंतर- अधिक खारा जल निम्न खारे जल की अपेक्षा ज्यादा सघन होता है तथा इसी प्रकार ठंडा जल, गर्म जल की अपेक्षा अधिक सघन होता है|