NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 18 - अक्क महादेवी भाग-1 हिंदी (Akk Mahadevi)
पृष्ठ संख्या: 172कविता के साथ
1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं- इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए|
उत्तर
इंद्रियाँ मनुष्य को लक्ष्य की ओर जाने नहीं देतीं, वे मनुष्य को एकाग्रचित्त नहीं होने देतीं| जब भी मनुष्य अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में आगे बढ़ना चाहता है, इंद्रियाँ उसे स्वाद-सुख में भटका देती है| मनुष्य की इंद्रियाँ उसे सांसारिक मोह-माया में उलझा कर रखती हैं और उन्हें लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में अग्रसर नहीं होने देतीं|
2. ओ चराचर ! मत चूक अवसर- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करें|
उत्तर
चराचर का आशय है संसार| कवयित्री संसार से कहती हैं कि वह ईश्वर प्राप्ति के अवसर को हाथ से न जाने दें| अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में करके भगवद्प्राप्ति के अवसर का लाभ उठाएँ| कवियित्री भगवान शिव के चरणों में अपना जीवन समर्पित करना चाहती हैं और दूसरों से भी ऐसा करने को कहती हैं|
3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए|
उत्तर
कविता में ईश्वर के लिए जूही के फूल के दृष्टांत का प्रयोग किया गया है| जिस प्रकार जूही का फूल पवित्र, सुगंधित और आनंदमय होता है उसी प्रकार ईश्वर भी पवित्र और सर्वव्यापक हैं तथा अपनी उपस्थिति से सबको आनंदित करते हैं| वे दयालु और आनंददाता हैं|
4. ‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों की गई है?
उत्तर
‘अपना घर’ से कवयित्री ने अपने स्वार्थमय संसार की तरफ इशारा किया है जिसे वह भूलना चाहती हैं| कवियित्री ने इसे भूलने की बात की है क्योंकि वह प्रभु-भक्ति में अपना जीवन समर्पित करना चाहती हैं| वह चाहती हैं कि मनुष्य स्वार्थ के सभी बन्धनों को तोड़ दें ताकि वह ईश्वर की ओर प्रवृत्त हो सकें| इनका त्याग करके ही मनुष्य ईश्वर के घर जा सकता है|
5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
उत्तर
दूसरे वचन में कवयित्री ने ईश्वर से सांसारिक सुख के नष्ट होने की कामना की है| ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाए कि कवियित्री को अपना पेट भरने के लिए भीख माँगना पड़े और ऐसा भी हो कि उन्हें भीख से भी वंचित रहना पड़े| ऐसी स्थिति में ही उनका अहंकार नष्ट होगा| वह ईश्वर से सांसारिक सुखों को नष्ट करने की विनती करती हैं ताकि वह प्रभु की भक्ति में समर्पित हो सके|
कविता के आस-पास
1. क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है?
उत्तर
मीरा कृष्ण की उपासक थीं| उन्होंने कृष्ण-भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया था| संसार के सुखों का त्याग करके उन्होंने प्रभु-भक्ति का मार्ग अपनाया था| अक्क महादेवी भी उन्हीं की तरह भगवान शिव की उपासक हैं| मीरा की तरह इन्होने भी पारिवारिक सुखों का त्याग कर दिया और भगवद्भक्ति में अपना जीवन अर्पित कर दिया| दोनों ने ही सांसारिक मोह-माया से स्वयं को दूर रखा| इस प्रकार अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है|