NCERT Solutions of Science in Hindi for Class 9th: Ch 10 गुरुत्वाकर्षण विज्ञान
प्रश्नपृष्ठ संख्या 149
1. गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइए|
उत्तर
गुरुत्वाकर्षण बल के सार्वत्रिक नियम के अनुसार विश्व का प्रत्येक पिंड प्रत्येक अन्य पिंड को एक बल से आकर्षित करते हैं, जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं| इसके अनुसार, दोनों पिंडों के बीच लगने वाला बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है|
दो पिंड जिनका द्रव्यमान m1 तथा m2 है और जिनके बीच की दूरी d है, दोनों पिंडों के बीच लगने वाला आकर्षण बल F गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम द्वारा दिया गया है :
जहाँ, G सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक है जिसका वर्तमान मान्य मान 6.67×10-11 Nm2/kg-2 है|
2. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए|
उत्तर
मान लें कि पृथ्वी का द्रव्यमान ME तथा उसकी सतह पर रखी वस्तु का द्रव्यमान m है| यदि पृथ्वी की त्रिज्या r है, तो गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, पृथ्वी और वस्तु के बीच लगने वाले आकर्षण बल को निम्नलिखित संबंध द्वारा व्यक्त किया जाता है :
पृष्ठ संख्या 151
1. मुक्त पतन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
पृथ्वी का गुरुत्वीय बल वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है| जब किसी वस्तु को एक निश्चित ऊँचाई से गिराया जाता है, तो वह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह के ओर गिरने लगता है| वस्तु में इस प्रकार की गति को मुक्त पतन कहते हैं|
2. गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
जब कोई वस्तु किसी निश्चित ऊँचाई से पृथ्वी की सतह पर स्वतंत्र रूप से गिरती है, तो इसके वेग में परिवर्तन होता है| वेग में कोई भी परिवर्तन वस्तु में त्वरण उत्पन्न करता है, जिसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं| इसे ‘g’ द्वारा निर्दिष्ट करते हैं| गुरुत्वीय त्वरण का मान g = 9.8 m/s2 है|
पृष्ठ संख्या 152
1. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अंतर है?
उत्तर
द्रव्यमान
|
भार
|
यह किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा होती है| | किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है| |
किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है| | वस्तु का भार उसके गुरूत्व की माप होता है| |
वस्तु का भार उसके गुरूत्व की माप होता है| | किसी वस्तु का भार स्थिर नहीं रहता है| यह स्थान के अनुसार बदलता रहता है| |
इसमें केवल परिमाण होता है| |
इसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं| |
इसका SI मात्रक किलोग्राम (kg) होता है| | इसका SI मात्रक वही है जो बल का है, अर्थात् न्यूटन (N)| |
2. किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुणा क्यों होता है?
उत्तर
चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी का 1/100 और त्रिज्या एक चौथाई होता है| परिणामस्वरूप, पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल 1/6 होता है| यही कारण है कि किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुणा होता है|
पृष्ठ संख्या 157
1. एक पतली तथा मजबूर डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर
एक पतली तथा मजबूर डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्योंकि कंधों पर अधिक दबाव पड़ता है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दबाव उस सतह क्षेत्र पर विपरीत रूप से आनुपातिक होता है, जिस पर बल कार्य करता है| सतह क्षेत्र जितना छोटा होता है, उस पर उतना ही अधिक दाब पड़ेगा| पतले पट्टी के कारण संपर्क सतह क्षेत्र बहुत छोटा होता है| इसके कारण कंधे पर लगने वाला दाब बहुत अधिक होता है|
2. उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
किसी तरल में वस्तु को डुबोने पर ऊपर की ओर लगने वाला बल उत्प्लावकता कहलाता है|
3. पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है?
उत्तर
• पानी के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ पानी की सतह पर तैरती हैं|
• पानी के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ पानी में डूब जाती हैं|
पृष्ठ संख्या 158
1. एक तुला (weighing machine) पर आप अपना द्रव्यमान 42 kg नोट करते हैं| क्या आपका द्रव्यमान 42 kg से अधिक है या कम?
उत्तर
जब हम अपने शरीर का वजन करते हैं, तो ऊपर की दिशा में एक बल कार्य करता है| ऊपर की दिशा में लगा यह बल उत्प्लावन बल कहलाता है| परिणामस्वरूप, शरीर ऊपर की दिशा में धकेली जाती है, जिसके कारण तुला पर वास्तविक वजन से कम वजन नोट किया जाता है|
2. आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है| तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं| वास्तविकता में एक-दूसरे से भारी है| क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?
उत्तर
एक रुई का बोरा लोहे की एक छड़ से अधिक भारी होता है| रुई के बोरे पर लोहे की छड़ की अपेक्षा वायु के प्रणोद का प्रभाव अधिक होता है| इसलिए रुई के बोरे को तुला पर मापने पर वास्तविक द्रव्यमान से कम द्रव्यमान दर्शाता है|
पृष्ठ संख्या 160
1. यदि दो वस्तुओं के बीच कोई दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर
गुरुत्वाकर्षण बल के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दोनों पिंडों के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों M तथा m के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बीच की दूरी d के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है|
बल F द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ,
जब वस्तुओं के बीच की दूरी d आधा कर दिया जाता है तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल :
या, F’ = 4F
इस प्रकार यदि दो वस्तुओं के बीच कोई दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल का मान पहले से चार गुणा अधिक हो जाएगा|
2. सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है| फिर एक भारी वस्तु हलकी वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?
उत्तर
सभी वस्तुएँ जमीन पर नियत त्वरण के साथ गिरती हैं, जिसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं| यह नियत होता है तथा वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता| यही कारण है कि एक भारी वस्तु हलकी वस्तु के मुकाबले तेजी से नहीं गिरती|
3. पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी 1 kg वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 × 1024 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 × 106 m है)|
उत्तर
दिया गया है,
वस्तु का द्रव्यमान, m = 1 kg
पृथ्वी का द्रव्यमान, M = 6 × 1024
पृथ्वी की त्रिज्या, R = 6.4 × 106
अब पृथ्वी तथा वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण हो सकता है :
4. पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं| क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?
उत्तर
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दो वस्तुएँ समान बल से एक-दूसरे को विपरीत दिशा में आकर्षित करते हैं| इसलिए पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है, उस के बराबर बल से चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है|
5. यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?
उत्तर
पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे को समान गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं| जबकि पृथ्वी का द्रव्यमान चंद्रमा के द्रव्यमान से बहुत अधिक है| इसलिए यह पृथ्वी की ओर चंद्रमा के त्वरण दर से कम दर पर त्वरित होता है| यही कारण है कि पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति नहीं करती|
6. दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
उत्तर
गुरुत्वाकर्षण बल के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, पृथ्वी द्वारा m द्रव्यमान के किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है,
(i) जब एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाता है तो
(ii) दोनों वस्तुओं के बीच लगने वाला बल उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है| इसलिए वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी करने पर उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उसके वास्तविक मान का एक चौथाई हो जाता है| उसी तरह वस्तुओं के बीच की दूरी तीन गुनी करने पर उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उसके वास्तविक मान का 1/9 भाग हो जाता है|
(iii) फिर से गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दोनों वस्तुओं के बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों M तथा m के गुणनफल के समानुपाती होता है| इसलिए दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने किए जाने पर उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उसके वास्तविक मान से चार गुना हो जाता है|
7. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व हैं?
उत्तर
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के निम्नलिखित महत्व हैं :
• हमें पृथ्वी से बाँधे रखने वाला बल |
• पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति |
• सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति |
• चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा |
8. मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर
जब कोई वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के कारण नीचे गिरता है, तो उसमे मुक्त पतन का त्वरण उत्पन्न होता है| | इसे ‘g’ द्वारा निर्दिष्ट करते हैं, जिसका मान पृथ्वी के सतह पर 9.8 m/s-2 होता है|
9. पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम उस वस्तु का भार कहेंगे|
10. एक व्यक्ति A अपने एक मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है| वह इस सोने को विषुवत वृत्त पर वपने मित्र को देता है| क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं, तो क्यों? (संकेत : ध्रुवों पर g का मान विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक है|)
उत्तर
पृथ्वी पर वस्तु का भार दिया गया है :
W= mg
जहाँ,
m = वस्तु का द्रव्यमान
g = गुरुत्वीय त्वरण
ध्रुव पर g का मान विषुवत रेखा से अधिक होता है| इसलिए सोने का वजन विषुवत रेखा पर ध्रुव से कम होता है| इसलिए उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट नहीं होगा|
11. एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़ कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?
उत्तर
जब एक कागज की शीट को मरोड़कर गेंद बनाया जाता है तो इसका घनत्व बढ़ जाता है| इसलिए गिरते हुए गतिशील गेंद पर लगने वाला वायु का प्रतिरोध कम होता है और कागज की शीट से जल्दी नीचे गिरता है|
12. चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुणा है| एक 10 kg की वस्तु का चंद्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार क्या होगा?
उत्तर
चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार = 1/6 × पृथ्वी पर उस वस्तु का भार
भार = द्रव्यमान × त्वरण
गुरुत्वीय त्वरण, g = 9.8 m/s2
इस प्रकार, 10 kg के किसी वस्तु का पृथ्वी पर भार = 10 × 9.8 = 98 N
तथा, उसी वस्तु का चंद्रमा पर भार = 1.6 × 9.8 = 16.3 N
13. एक गेंद उर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 m/s के वेग से फेंकी जाती है| परिकलन कीजिए
(i) अधिकतम ऊँचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है|
(ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया कुल समय|
उत्तर
(i) गुरुत्व के प्रभाव से गति के समीकरण के अनुसार,
v2 - u2 = 2 gs
जहाँ,
u = गेंद का प्रारंभिक वेग
v = गेंद का अंतिम वेग
s = गेंद द्वारा तय की गई ऊँचाई
g = गुरुत्वीय त्वरण
अधिकतम ऊँचाई पर गेंद का अंतिम वेग शून्य है, v = 0
u = 49 m/s
ऊपर की ओर गति के दौरान, g = - 9.8 ms-2
मान लें कि गेंद द्वारा तय की गई अधिकतम ऊँचाई h है|
इसलिए,
0 - 492 = 2×9.8×h
⇒ h = (49×49)/(2×9.8) = 122.5 m
(ii) मान लें कि गेंद द्वारा अधिकतम ऊँचाई 122.5 m तय करने में लिया गया समय t है|
इसलिए गति के समीकरण के अनुसार,
V = u + gt
हम पाते हैं,
0 = 49 + (-9.8)t
⇒ 9.8t = 49
⇒ t = 49 / 9.8= 5s
लेकिन,
गेंद के ऊपर जाने का समय = गेंद के गिरने का समय
इसलिए गेंद द्वारा वापस लौटने में लिया गया कुल समय = 5 + 5 = 10 s
14. 19. 6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है| पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अंतिम वेग ज्ञात कीजिए|
उत्तर
गुरुत्व के प्रभाव से गति के समीकरण के अनुसार,
v2- u2= 2 gs
जहाँ,
u = पत्थर का प्रारंभिक वेग = 0
v = पत्थर का अंतिम वेग
s = पत्थर की ऊँचाई = 19.6 m
g = गुरुत्वीय त्वरण = 9.8 ms-2
∴ v2 − 02 = 2 × 9.8 × 19.6
⇒ v2 = 2 × 9.8 × 19.6 = (19.6)2
⇒ v = 19.6 ms-1
इस प्रकार पृथ्वी पर पहुँचने से पहले पत्थर का अंतिम वेग 19.6 ms-1 है|
15. कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 m/s के प्रारंभिक वेग से फेंका गया है| g = 10 ms-2 लेते हुए ग्राफ़ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए| नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
उत्तर
गुरुत्व के प्रभाव से गति के समीकरण के अनुसार,
v2 - u2 = 2 gs
जहाँ,
u = पत्थर का प्रारंभिक वेग = 40 m/s
v = पत्थर का अंतिम वेग = 0
s = पत्थर की ऊँचाई
g = गुरुत्वीय त्वरण = -10 ms-2
मान लें कि पत्थर द्वारा तय की गई ऊँचाई h है|
इसलिए,
0 - (40)2 = 2 × h ×(-10)
h = 40 × 40/20 = 80 m
इस प्रकार पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी = 80 + 80 = 160 m
पत्थर का नेट विस्थापन 80 + (-80) = 0
16. पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए| दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg तथा सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg| दोनों के बीच औसत दूरी 1.5 × 1011 m है|
उत्तर
प्रश्न के अनुसार,
M_S = सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg
M_E = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg
पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी, d = 1.5 × 1011 m
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार,
ऊपर दिए गए समीकरण में प्रश्न में दिए गए मानों को रखने पर,
17. कोई पत्थर 100 m ऊँची किसी मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 m/s के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया| परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?
उत्तर
मान लें कि दोनों पत्थर t बिंदु पर मिलते हैं, तथा दोनों की सतह से ऊँचाई h है| यह दिया गया है कि मीनार की ऊँचाई H =100 m है|
अब पहले मीनार की चोटी से गिरने वाले पत्थर पर विचार करते हैं| इसलिए पत्थर द्वारा दूरी तय करने में लगे समय t का परिकलन गति के समीकरण द्वारा किया जा सकता है|
X – X0 = u0t + ½ gt2
चूँकि प्रारंभिक वेग, u = 0
इसलिए हम पाते हैं,
100 – X = ½ gt2 ......(i)
सतह से ऊपर की ओर फेंके जाने पर उसी पत्थर द्वारा तय की गई दूरी
X = u0t - ½ gt2
इस स्थिति में, प्रारंभिक वेग 25 m/s है, इसलिए
X = 25t - ½ gt2 ....(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) को जोड़ने पर हम पाते हैं,
100 = 25t
या, t = 4s
समीकरण (ii) में मान रखने पर,
X = 25 × 4 – ½ × 9.8 × (4)2
= 100 – 78.4 = 21.6 m
18. ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6 s पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है| ज्ञात कीजिए
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई;
(b) गेंद द्वारा पहुँची गई अधिकतम ऊँचाई; तथा
(c) 4 s पश्चात् गेंद की स्थिति|
उत्तर
(a) आरोहण में लगा समय अवतरण में लगे समय के बराबर होता है| गेंद के ऊपर जाने और वापस नीचे आने में कुल 6 s लगता है|
इसलिए अधिकतम ऊँचाई तक पहुंचने में इसे 3 s लगता है|
अधिकतम ऊँचाई पर गेंद का अंतिम वेग, v = 0
गुरुत्वीय त्वरण, g = -9.8 ms-2
गति का समीकरण, v = u + gt
0 = u + (−9.8 × 3)
u = 9.8 × 3 = 29.4 ms-1
इस प्रकार गेंद 29.4 ms-1 के वेग से ऊपर फेंकी गई थी|
(b) मान लें कि गेंद दारा तय की गई अधिकतम ऊँचाईन h है|
ऊपर की ओर जाते समय प्रारंभिक वेग, u = 29.4 ms-1
अंतिम वेग, v = 0
गुरुत्वीय त्वरण, g = -9.8 ms-2
गति के समीकरण से,
s = ut + 1/2 at2
h = 29.4 × 3 + 1/2×-9.8 × (3)2 = 44.1 m
(c) गेंद 3 s के बाद अधिकतम ऊँचाई पर होता है| इस ऊँचाई पर पहुँचने के बाद यह नीचे की ओर गिरने लगता है|
इस स्थिति में,
प्रारंभिक वेग, u = 0
4 s के बाद गेंद की स्थिति नीचे गिरने के दौरान उसके द्वारा तय की गई दूरी से निर्धारित की जाती है,
4 s – 3 s = 1 s
गति के समीकरण के अनुसार,
S = ut + 1/2 gt2
S = 0×t + (1/2 × 9.8 × 12) = 4.9 m
कुल ऊँचाई = 44.1 m
इसका अर्थ है कि 4 s के बाद गेंद सतह से 39.2 m ऊपर होगी (44.1 – 4.9 m)|
19. किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर
किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल ऊपर की दिशा में कार्य करता है|
20. पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है?
उत्तर
किसी वस्तु को पानी में डुबोने पर उस पर दो बल कार्य करते हैं :
• गुरुत्वाकर्षण बल, जिसके कारण वस्तु नीचे की दिशा में खिंचती है|
• उत्प्लावन बल, जो वस्तु को ऊपर की ओर धकेलती है|
यहाँ प्लास्टिक पर लगा उत्प्लावन बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक है| यही कारण है कि पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर आ जाता है|
21. 50 g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm3 है| यदि पानी का घनत्व 1 g cm3 हो, तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?
उत्तर
यदि किसी वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है, तो यह पानी में डूब जाता है| उसी तरह यदि किसी वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है, तो यह पानी में तैरता है|
यहाँ,
पदार्थ का घनत्व = पदार्थ का घनत्व / पदार्थ का आयतन
= 50/20
= 2.5 g cm-3
यहाँ पदार्थ का घनत्व (2.5 g cm-3) पानी के घनत्व (1 g cm-3) से अधिक है| इस प्रकार पदार्थ पानी में डूब जाएगा|
22. 500 g के एक मोहरबंद पैकेट का आयतन 350 cm3 है| पैकेट 1 g cm-3 घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?
उत्तर
500 g के मोहरबंद पैकेट का घनत्व = पैकेट का द्रव्यमान / पैकेट का आयतन
= 500 / 350
= 1.428 g cm-3
पदार्थ का घनत्व पानी के घनत्व (1 g cm-3) से अधिक है| इसलिए यह पानी में डूब जाएगा|
पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान पैकेट के आयतन के बराबर होगा, जो 350 g है|