Notes of Science in Hindi for Class 9th: Ch 1 हमारे आस-पास के पदार्थ  विज्ञान 

अध्याय

• पदार्थ- विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी है, उसे पदार्थ कहा जाता है और हमारे आस-पास विद्यमान हर वस्तु में पदार्थ है|

पदार्थ के कणों के भौतिक स्वरुप

• पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है|
• पदार्थ के कण अत्यंत छोटे होते हैं|

पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण

• पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है|
• पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात् उनमें गतिज ऊर्जा होती है|
• पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं|

पदार्थ की अवस्थाएँ

• भौतिक रूप से पदार्थ अपने तीन रूप में होते हैं- ठोस, द्रव और गैस|


ठोस
द्रव
गैस
एक निश्चित आकार होता है|  कोई स्थिर आकार नहीं होता है| गैसों में कोई निश्चित आकार नहीं होता है|
ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएँ होती हैं| द्रव तरल होते हैं और उनमें बहाव होता है| इनमें कोई निश्चित सीमाएँ नहीं होतीं|
निश्चित या स्थिर आयतन होता है|इनका निश्चित आयतन होता है| कोई निश्चित आयतन नहीं होता है|
इनकी संपीड्यता नगण्य होती है|  द्रवों में बहुत कम संपीडन होता है| गैसों में संपीडन अधिक होता है|

पदार्थ के तीनों अवस्थाओं के कणों का योजनाबद्ध आवर्धित चित्रण नीचे किया गया है-


पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन

• जल पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में रह सकता है:

ठोस - बर्फ
द्रव - पानी
गैस - वाष्प

गलनांक- जिस तापमान पर (वायुमंडलीय दाब पर) कोई ठोस पिघलकर द्रव बनता है, वह इसका गलनांक कहलाता है| बर्फ का गलनांक 273.16 K है|

संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा- वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं| 

क्वथनांक- वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबालने लगता है, इसका क्वथनांक कहलाता है| जल का क्वथनांक = 373 K

वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा- वायुमंडलीय दाब पर 1 kg द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं|

ऊर्ध्वपातन- कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में ओर वापस ठोस में बदल जाते हैं| इस प्रक्रिया को उर्ध्वपातन कहते हैं|

• वाष्पीकरण- एक ऐसी सतही प्रक्रिया जिसमें द्रव पदार्थों में सतह के कण क्वथनांक से नीचे किसी भी तापमान पर वाष्प में बदलने लगते हैं| ऐसी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं|

वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक:

सतही क्षेत्रफल- सतही क्षेत्रफल बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है|

तापमान में वृद्धि- तापमान बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है|

आर्द्रता- यदि हवा में आर्द्रता है तो वाष्पीकरण की दर घट जाती है|

• वायु की गति- अगर वायु की गति बढ़ जाती है तो वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है| 

वाष्पीकरण के कारण शीतलता होती है

वाष्पीकरण प्रक्रिया के दौरान, लुप्त हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस-पास के वातावरण से ऊर्जा अवशोषित कर लेते हैं| इस अवशोषण के कारण वातावरण शीतल हो जाता है|

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