NCERT Solutions of Jeev Vigyan for Class 12th: Ch 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग जीव विज्ञान
प्रश्नपृष्ठ संख्या 234
1. बीटी (Bt) आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाए जाते हैं लेकिन जीवाणु स्वयं को नहीं मारते हैं; क्योंकि-
(क) जीवाणु आविष के प्रति प्रतिरोधी हैं|
(ख) आविष अपरिपक्व हैं|
(ग) आविष निष्क्रिय होता है|
(घ) आविष जीवाणु की विशेष थैली में मिलता है|
उत्तर
(ग) आविष निष्क्रिय होता है|
जीवाणु में, आविष निष्क्रिय रूप में होता है जो प्राकजीव विष कहलाते हैं, जब यह किसी कीट के शरीर में प्रवेश करता है तो सक्रिय रूप में परिवर्तित हो जाता है|
2. पारजीवी जीवाणु क्या है? किसी एक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन करो|
उत्तर
ऐसे जीवाणु जिनके डीएनए में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यवस्थित होता है जो अपना लक्षण व्यक्त करता है, उसे पारजीवी जीवाणु कहते हैं|
पारजीवी जीवाणु का एक उदाहरण ई.कोलाई (E.coli) है| यह मधुमेह रोग के निदान के लिए इंसुलिन को उत्पन्न करता है| इंसुलिन अणु दो पोलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है- A श्रृंखला तथा B श्रृंखला जो आपस में आपस में डाइसल्फाइड बंधों द्वारा जुड़ी होती है| इंसुलिन की दोनों श्रृंखलाओं का जैव संश्लेषण एकल पोलीपेप्टाइड श्रृंखला प्राक्-इंसुलिन के रूप में होता है| मानव सहित स्तनधारियों में इंसुलिन प्राक्-हॉर्मोन संश्लेषित होता है, जिसमें एक अतिरिक्त फैलाव होता है जिसे पेप्टाइड ‘सी’ कहते हैं| यह ‘सी’ पेप्टाइड इंसुलिन में नहीं होता है, जो संसाधन के समय इंसुलिन से अलग हो जाता है|
3. आनुवांशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद कीजिए|
उत्तर
आनुवांशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के निम्नलिखित लाभ हैं:
(क) अजैव प्रतिबलों (ठंडा, सूखा, लवण, ताप) के प्रति अधिक सहिष्णु फसलों का निर्माण
(ख) रासायनिक पीड़कनाशकों पर कम निर्भरता कम करना
(ग) कटाई पश्चात् होने वाले (अन्नादि) नुकसानों को कम करने में सहायक
(घ) पौधों द्वारा खनिज उपयोग क्षमता में वृद्धि (यह शीघ्र मृदा उर्वरता समापन को रोकता है)
(ङ) खाद्य पदार्थों के पोषणिक स्तर में वृद्धि; उदाहरणार्थ- विटामिन A समृद्ध धान
लेकिन विश्व भर में आनुवांशिक रूपांतरित फसलों के उपयोग के विषय में कुछ विवाद भी हैं| इन फसलों का उपयोग किसी क्षेत्र के मूल जैव विविधता को प्रभावित कर सकता है|
उदाहरण के लिए, कीटनाशक की मात्रा कम करने के लिए बीटी जीवविष का प्रयोग लाभदायक कीट परागनों जैसे मधुमक्खी के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है| यदि बीटी जीवविष में जीन पराग में अभिव्यक्त हो जाता है, तो मधुमक्खी प्रभावित हो सकता है|
परिणामस्वरूप, मधुमक्खियों द्वारा की जाने वाली परागण की क्रिया प्रभावित होगी| इसके अतिरिक्त, आनुवांशिक रूपांतरित फसलों ने मानव स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है| वे शरीर में एलर्जी और कुछ प्रतिजैविक प्रतिरोध चिन्हों की आपूर्ति करते हैं| इस प्रकार, यह हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है|
4. क्राई प्रोटीन्स क्या है? उस जीव का नाम बताओ जो इसे पैदा करता है| मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है?
उत्तर
क्राई प्रोटींस क्राई जीन द्वारा कूटबद्ध होते हैं| ये जीवविष होते हैं, जो बैसीलस थुरीनजिएंसिस द्वारा निर्मित होते हैं| इस जीवाणु में निहित प्रोटीन उनके निष्क्रिय रूप में होते हैं| ज्योंहि कीट इस निष्क्रिय जीव विष को खाता है, इसके रवे आँत में क्षारीय पी एच के कारण घुलनशील होकर सक्रिय रूप में परिवर्तन हो जाते हैं| सक्रिय जीव विष मध्य आँत के उपकलीय कोशिकाओं की सतह से बँधकर उसमें छिद्रों का निर्माण करते हैं, जिस कारण से कोशिकाएँ फूलकर फट जाती हैं और परिणामस्वरूप कीट की मृत्यु हो जाती है| इस प्रकार, मनुष्य ने कीटों (पीड़कों) के प्रति प्रतिरोधकता के साथ कुछ आनुवांशिक रूपांतरित फसलों को विकसित करने के लिए इस प्रोटीन का लाभ उठाया है| जैसे- बीटी कपास, बीटी मक्का आदि|
5. जीन चिकित्सा क्या है? एडीनोसीन डिएमीनेज (ए डी ए) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन करें|
उत्तर
जीन चिकित्सा में उन विधियों का सहयोग लेते हैं जिनके द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिन्हित किए गए जीन दोषों का सुधार किया जाता है|
जीन चिकित्सा का सबसे पहले प्रयोग एडीनोसीन डिएमीनेज (ए डी ए) की कमी को दूर करने के लिओये किया गया था| यह एंजाइम प्रतिरक्षातंत्र कार्य के लिए अति आवश्यक होता है| एडीनोसीन डिएमीनेज (ए डी ए) की कमी का उपचार अस्थिमज्जा के प्रत्यारोपण से होता है| इस चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के रक्त से लसिकाणु को निकालकर शरीर से बाहर संवर्धन किया जाता है| सक्रिय एडीए का सी डीएनए लसीकाणु में प्रवेश कराकर अंत में रोगी के शरीर में वापस कर दिया जाता है| यदि मज्जा कोशिकाओं से विलगित अच्छे जीनों को प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित एडीए में प्रवेश करा दिए जाएँ तो यह एक स्थायी उपचार हो सकता है|
6. ई.कोलाई जैसे जीवाणु में मानव जीन की क्लोनिंग एवं अभिव्यक्ति के प्रायोगिक चरणों का आरेखिक निरूपण प्रस्तुत करें|
उत्तर
डीएनए क्लोनिंग विशिष्ट टेम्प्लेट डीएनए की एक से अधिक समान प्रतियाँ बनाने की एक विधि को कहते हैं| इसमें परपोषी कोशिका में विशिष्ट बाहरी डीएनए खंड ले जाने के लिए संवाहकों का उपयोग किया जाता है|
ई.कोलाई में वृद्धि हार्मोन के लिए जीन के क्लोनिंग और स्थानांतरण का तंत्र नीचे दर्शाया गया है:
7. तेल के रसायन शास्त्र तथा आरडीएनए जिसके बारे में आपको जितना भी ज्ञान प्राप्त है, उसमें आधार बीजों तेल हाइड्रोकार्बन हटाने की कोई एक विधि सुझाओ|
उत्तर
पुनर्योगज डीएनए प्रौद्योगिकी (आरडीएनए) एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए जीव के आनुवंशिक पदार्थ के परिचालन के लिए किया जाता है|
उदाहरणार्थ, इस तकनीक का प्रयोग आधार बीजों तेल को हटाने के लिए किया जाता है| तेल में ग्लिसरॉल तथा फैटी एसिड होता है| आरडीएनए का उपयोग करते हुए, किसी भी ग्लिसरॉल या फैटी एसिड के संश्लेषण को रोककर तेलरहित बीज प्राप्त कर सकते हैं| यह संश्लेषण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट जीन को हटाने के द्वारा किया जाता है|
8. इंटरनेट से पता लगाओ कि गोल्डन राइस (गोल्डन धान) क्या है?
उत्तर
• गोल्डन राइस औरिजा सैटिवा चावल का एक किस्म है जिसे बेटा-कैरोटिन, जो खाने वाले चावल में प्रो-विटामिन ए का अगुआ है, के जैवसंश्लेषण के लिए जेनेटिक इंजिनियरिंग के द्वारा बनाया जाता है|
• चावल का भाग जिसे लोग खाते हैं, जिसे एण्डोस्पर्म कहते हैं और जो विटामिन-ए का अगुआ है| चावल के पौधे प्राकृतिक रूप से बेटा-करोटिन पैदा करते हैं, जो करेटोनॉयड पिगमेंट हैं जो पत्तियों में प्रकट होते हैं और प्रकाशसंश्लोषण में भाग लेते हैं| हालांकि, आम तौर पर पौधे एण्डोस्पर्म में रंगद्रव्य उत्पादन नहीं करते हैं क्योंकि प्रकाश संश्लेषण एण्डोस्पर्म में घटित नहीं होता है|
• सुनहले चावल की डिजाईन बेटा-कैरोटिन, उत्पादन के लिए की गयी थी| सुनहरे चावल का विकास उन क्षेत्रों में उपयोग करने के लिए किया गया जिन क्षेत्रों में आहार के रूप में ग्रहण किए जाने वाले विटामिन ए की कमी है|
• हालांकि गोल्डेन चावल का विकास मानवीय उपयोग के लिए किया गया था लेकिन इसे पर्यावरण से जुड़े और भूमंडलीकरण के विरोधी कार्यकर्ताओं के भारी विरोध का सामना करना पड़ा और इस प्रकार, वर्तमान में मानव उपभोग के लिए ये उपलब्ध नहीं हैं|
9. क्या हमारे रक्त में प्रोटीओजेज तथा न्यूक्लीऐजिज हैं?
उत्तर
नहीं, मानव रक्त में एंजाइम, प्रोटीओजेज तथा न्यूक्लीऐजिज नहीं होते| मानव में, रक्त सीरम में विभिन्न प्रकार के प्रोटीओजेज अवरोधक होते हैं, जो प्रोटीओजेज की क्रिया से रक्त प्रोटीन को टूटने से बचाते हैं| एंजाइम, न्यूक्लीऐजिज, हाइड्रोलिसिस के उत्प्रेरक न्युक्लिक एसिड रक्त में अनुपस्थित होते हैं|
10. इंटरनेट से पता लगाओ कि मुखीय सक्रिय औषध प्रोटीन को किस प्रकार बनाएँगे| इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्याओं का वर्णन करें|
उत्तर
सक्रिय औषध प्रोटीन को मुखीय रूप से नहीं लिया जा सकता है क्योंकि वे हमारे आहार नली में स्थित प्रोटीओजेज द्वारा अवक्रमित हो सकते हैं|
इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्या पाचन एंजाइमों की क्रिया है| इसे पाचन तंत्र द्वारा पचने योग्य बनाया जाना चाहिए और पेट में मौजूद HCl के अवक्रमण से भी इसे सुरक्षित करना चाहिए| इसलिए यह एक ऐसी झिल्ली द्वारा लेपित हो, जोकि प्रोटीन अवक्रमित एंजाइमों का प्रतिरोधक होता है|