NCERT Solutions of Jeev Vigyan for Class 12th: Ch 5 वंशागति और विविधता के सिद्धांत जीव विज्ञान 

प्रश्न 

पृष्ठ संख्या 102

1. मेंडल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुए?

उत्तर

मेंडल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से निम्नलिखित लाभ हुए:
• मटर में दिखाई देने वाले कुछ विपरीत लक्षण इस प्रकार हैं- चिकने या झुर्रीदार बीज, पीले या हरे बीज, चिकनी या फूली हुई कलियाँ, हरी या पीली फलियाँ, लंबे या बौने पौधे|
• स्वपरागण के फलस्वरूप कई पीढ़ियों तक समान लक्षण के संततियों का उत्पादन होता है|
• मटर के पौधों का जीवन-काल छोटा होता है और एक पीढ़ी में अनेक बीज उत्पन्न होते हैं|

2. निम्न में भेद करो-
(क) प्रभाविता और अप्रभाविता
(ख) समयुग्मजी और विषमयुग्मजी
(ग) एकसंकर और द्विसंकर

उत्तर

(क) प्रभाविता और अप्रभाविता

प्रभाविता
अप्रभाविता
प्रभाविता युग्म विकल्पी की अभिव्यक्ति अप्रभाविता कारकों की उपस्थिति में भी हो सकती है|अप्रभाविता युग्म विकल्पी की अभिव्यक्ति प्रभाविता कारक की उपस्थिति में नहीं हो सकती है|
दृश्य प्ररूप पर अपना प्रभाव उत्पन्न करने के लिए इसे किसी अन्य समान युग्म विकल्पी की आवश्यकता नहीं होती| जैसे- Tt लंबा है|यह समान युग्म विकल्पी की उपस्थिति में ही अपना दृश्य प्ररूप प्रभाव उत्पन्न करता है| जैसे- tt बौना है|

(ख) समयुग्मजी और विषमयुग्मजी

समयुग्मजी
विषमयुग्मजी
यह एक विशेषक के लिए शुद्ध होता है तथा तद्रूप प्रजनन होता है अर्थात् समयुग्मजी व्यक्ति उत्पन्न होता है|यह कभी-कभी शुद्ध होता है तथा स्वपरागण से ही विभिन्न जीनोटाइप (जीन प्ररूप) के साथ संतति उत्पन्न करता है| जैसे- TT
दोनों युग्म विकल्पी के लक्षण एक समान होते हैं| उदाहरण- TT, tt विषमयुग्मजी में युग्म विकल्पी असमान हो सकते हैं| उदाहरण- Tt 
यह केवल एक प्रकार के युग्मक उत्पन्न करता है|यह दो अलग प्रकार के युग्मक उत्पन्न करता है|

(ग) एकसंकर और द्विसंकर

एकसंकर
द्विसंकर
युग्म विकल्पी के एकल जोड़ी के वंशागति अध्ययन के लिए यह दो शुद्ध जीवों के बीच का संकरण है|युग्म विकल्पी के दो जोड़ी के वंशागति के अध्ययन यह एक प्रजाति के दो शुद्ध जीवों के बीच का संकरण है|
यह F2 पीढ़ी में 1:2:1 के जीनोटाइप अनुपात में उत्पादन करता है|यह F2 पीढ़ी में 9: 3: 3: 1 के फीनोटाइप द्विसंकर अनुपात में उत्पादन करता है|  

3. कोई द्विगुणित जीन 6 स्थलों के लिए विषमयुग्मजी हैं, कितने प्रकार के युग्मकों का उत्पादन संभव है?

उत्तर

सूत्र 2n को लागू करने पर, (जहाँ n = स्थलों की संख्या)
6 स्थलों में = 26 = 64 युग्मकों का उत्पादन संभव है|

4. एकसंकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए, प्रभाविता नियम की व्याख्या करो|

उत्तर

प्रभाविता नियम के अनुसार जब एक जीव में दो जीन उपस्थित रहते हैं तो प्रभावी जीन अपनी अभिव्यक्ति स्वयं करता है तथा अप्रभावी जीन अपना प्रभाव प्रकट करने में असमर्थ रहता है|
जब किन्हीं दो जीवों के बीच एक ही समय में एकल विपरीत लक्षण को लेकर परपरागण का प्रयोग किया जाता है, तो उसे एकसंकर क्रॉस कहा जाता है|

प्रयोग में मटर के एक लंबे (TT) तथा एक बौने (tt) पौधे का संकरण किया जाता है| F1 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे (TT) पाए गए| जब ये लंबे पौधे स्वनिषेचित होते हैं, तो  F2 पीढ़ी में लंबे और बौने बीज दोनों 3:1 के अनुपात में प्रकट होते हैं| इस प्रकार F1 पीढ़ी में प्रभावी लक्षण (लंबा) प्रकट होता है तथा अप्रभावी लक्षण (बौना) दब जाता है जो कि F2 पीढ़ी में दोबारा प्रकट होता है| इस प्रकार, यह एकसंकर क्रॉस प्रभावित नियम की व्याख्या करता है|

5. परीक्षार्थ संकरण की परिभाषा लिखो और चित्र बनाओ|

उत्तर

परीक्षार्थी संकरण में अनजाने प्रभावी फीनोटाइप का अप्रभावी पौधे से संकरण किया जाता है| इसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि एक व्यक्ति लक्षण के लिए समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी| यदि अनजाना पौधा समयुग्मजी लंबा (TT) है तो अप्रभावी बौने प्रजाति (tt) के साथ संकरण कराने पर भी इसके संतति लंबे (Tt) होते हैं| यदि अनजाना पौधा विषमयुग्मजी लंबा है तो बौने के साथ संकरण कराने पर 50% लंबे (Tt) तथा 50% बौने (tt) संतति प्राप्त होते हैं|



6. एक ही जीन स्थल वाले समयुग्मजी मादा और विषमयुग्मजी नर के संकरण से प्राप्त प्रथम संतति पीढ़ी के फीनोटाइप वितरण का पनेट वर्ग बनाकर प्रदर्शन करो|

उत्तर

7. पीले बीज वाले लंबे पौधों (Yy Tt) का संकरण हरे बीज वाले लंबे (yy Tt) पौधे से करने पर निम्न में से किस प्रकार के फीनोटाइप संतति की आशा की जा सकती है
(क) लंबे-हरे
(ख) बौने-हरे

उत्तर

पीले बीज वाले लंबे पौधों (Yy Tt) का संकरण हरे बीज वाले लंबे (yy Tt) पौधे से करने पर उत्पन्न होगा-
(क) तीन लंबे और हरे पौधे
(ख) एक बौना और हरा पौधा

8. दो विषमयुग्मजी जनकों का क्रॉस ♂ और ♀ किया गया| मान लें दो स्थल (loci) सहलग्न है, तो द्विसंकर क्रॉस में F1 पीढ़ी के फीनोटाइप के लक्षणों का वितरण क्या होगा?

उत्तर

यदि दो स्थल सहलग्न हैं तो एक क्रोमोसोम में एक ही स्थान पर स्थित होते हैं, वे अलग हो सकते हैं|  जबकि क्रोमोसोम अलग जाते हैं तथा विभिन्न युग्मकों में समाप्त हो जाते हैं|

9. आनुवंशिकी में टी.एच मौरगन के योगदान का संक्षेप में उल्लेख करें|

उत्तर

आनुवंशिकी में टी.एच मौरगन का योगदान :

• मौरगन ने लिंग-सहलग्न लक्षणों को समझने में योगदान दिया|
• उन्होंने फल-मक्खियों का संकरण भूरे शरीर और लाल आँखों मक्खियों वाली के साथ किया और फिर F1 संततियों को आपस में द्विसंकर क्रॉस करवाने पर दो जीन जोड़ी एक दूसरे से स्वतंत्र विसंयोजित नहीं हुई और F2 का अनुपात 9:3:3:1 से काफी भिन्न मिला|
• उन्होंने यह भी जान लिया कि जब द्विसंकर क्रॉस में दो जीन जोड़ी एक ही क्रोमोसोम में स्थित होती हैं तो जनकीय जीन संयोजनों का अनुपात अजनकीय प्रकार से काफी ऊँचा रहता है|
• उन्होंने संकरण सहलग्नता संबंधों तथा वंशागति लिंग-सहलग्न के सिद्धांत की व्याख्या की तथा संबंधों की खोज की|
• उन्होंने क्रोमोसोम मानचित्र के तकनीक की स्थापना की|
• उन्होंने उत्परिवर्तन को देखस तथा उस पर काम किया| 

10. वंशावली विश्लेषण क्या है? यह विश्लेषण किस प्रकार उपयोगी है?

उत्तर

किसी परिवार के पीढ़ी दर पीढ़ी विशेष लक्षणों का अध्ययन वंशावली विश्लेषण कहलाता है| यह कुछ परिवारों में विशेष लक्षणों के वंशबद्ध रहने की अवधारणा पर आधारित है|

यह विश्लेषण इस प्रकार उपयोगी हैं :
• यह परिवार में विशेष लक्षणों के मूल तथा उस लक्षण के प्रवाह को दर्शाता है| 
• यह प्रभावी या अप्रभावी अलील की संभावना जानने में उपयोगी है, जो आनुवांशिक विकार का कारण बन सकती है, जैसे कि वर्णंधता |
• यह नजदीकी रिश्तेदारों में विवाह के हानिकारक प्रभावों का अनुमान लगाता है|
• यह बच्चों में विकारों को दूर करने के लिए आनुवांशिक परामर्श में सहयता करता है|

11. मानव में लिंग-निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर

मानव में कुल 23 जोड़े क्रोमोसोम के होते हैं| इसमें से 22 जोड़े नर और मादा में बिलकुल एक जैसे होते हैं, इन्हें अलिंग क्रोमोसोम कहते हैं| मादा में X क्रोमोसोमों का एक जोड़ा भी होता है और नर में X के अतिरिक्त एक क्रोमोसोम Y होता है जो नर लक्षण का निर्धारक होता है| नर में शुक्रजनन के समय दो प्रकार के युग्मक बनते हैं| कुल उत्पन्न शुक्राणु संख्या का 50 प्रतिशत X युक्त होता है और शेष 50 प्रतिशत Y युक्त, इनके साथ अलिंग क्रोमोसोम तो होते ही हैं| मादा में केवल एक ही प्रकार के अंडाणु बनते हैं जिनमें X क्रोमोसोम होता है| यदि अंडाणु का निषेचन X धारी शुक्राणु से हो गया तो युग्मनज मादा (XX) में परिवर्धित हो जाता है| इसके विपरीत Y क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से निषेचन होने पर नर संतति जन्म लेती है| 

12. शिशु का रुधिर वर्ग O है| पिता का रुधिर वर्ग A और माता का B है| जनकों के जीनोटाइप मालूम करें और अन्य संतति में प्रत्याशित जीनोटाइपों की जानकारी प्राप्त करें|

उत्तर

शिशु जिसका रुधिर वर्ग O है, में समयुग्मजी अप्रभावी अलील होता है| इसलिए दोनों जनक को विषमयुग्मजी होना चाहिए, जहाँ पिता का जीनोटाइप IAi तथा माता का IBi होगा|

रुधिर वर्ग: AB
अन्य संतति में प्रत्याशित रुधिर वर्ग AB, A, B तथा O होगा|

13. निम्न शब्दों को उदाहरण समेत समझाएँ
(अ) सह प्रभाविता
(ब) अपूर्ण प्रभाविता

उत्तर

(अ) सह प्रभाविता- सह प्रभाविता ऐसी घटना है जिसमें F1 पीढ़ी दोनों जनकों से मिलती है तथा जनक लक्षणों को एक साथ व्यक्त किया जाता है| 
उदाहरण- यदि पीले रंग के फूल वाले पौधे का संकरण लाल रंग के फूल वाले पौधे से होता है तथा F1 पीढ़ी में, लाल और पीले रंग के दोनों अलील के लिए सह प्रभाविता के कारण सभी संतति नारंगी फूल होते हैं|

(ब) अपूर्ण प्रभाविता- अपूर्ण प्रभाविता ऐसी घटना है जिसमें युग्म विकल्पी के जोड़े को प्रभावी या अप्रभावी रूप में व्यक्त नहीं किया जाता है, लेकिन संकर में एक साथ स्थित होने पर आंशिक रूप से स्वयं को व्यक्त करते हैं|
उदाहरण- गुल अब्बास के पौधे में दो प्रकार के फूल होते हैं, लाल और सफ़ेद तथा संकर गुलाबी रंग के फूल होते हैं| 

14. बिंदु-उत्परिवर्तन क्या है? एक उदाहरण दें|

उत्तर

डीएनए के एकल क्षार युग्म के परिवर्तन को बिंदु-उत्परिवर्तन कहते हैं| उदाहरण- दात्र कोशिका अरक्तता नामक रोग| इसका कारण हीमोग्लोबिन अणु की बीटा ग्लोबिनश्रृंखला की छठी स्थिति में एक अमीनों अम्ल ग्लूटैमिक अम्ल का वैलीन द्वारा प्रतिस्थापन है| निम्न ऑक्सीजन तनाव में उत्परिवर्तित हीमोग्लोबिन अणु में बहुलीकरण हो जाता है जिसके कारण RBC का आकार द्वि-अवतल बिंब से बदलकर दात्राकार जैसा हो जाता है|

15. वंशागति के क्रोमोसोम वाद को किसने प्रस्तावित किया?

उत्तर

वंशागति के क्रोमोसोम वाद को वाल्टर सटन तथा थियोडर बोमेरी ने प्रस्तावित किया|

16. किन्हीं दो अलिंग सूत्री आनुवांशिक विकारों का उनके लक्षणों सहित उल्लेख करो|

उत्तर

• दात्र कोशिका- अरक्तता (सिकल सेल एनीमिया)- यह अलिंग क्रोमोसोम लग्न अप्रभावी लक्षण है जो जनकों से संतति में तभी प्रवेश करता है जबकि दोनों जनक जीन के वाहक होते हैं| 
लक्षण- हाथ,पैरों या पेट में सूजन, दृष्टिहीनता, अल्सर, विकास या यौवन में देरी, जोड़ों में दर्द, संक्रमन, बुखार आदि दात्र कोशिका- अरक्तता (सिकल सेल एनीमिया) रोग के लक्षण हैं|

• डाउन सिंड्रोम- इस आनुवांशिक विकार का कारण 21 वें क्रोमोसोम की एक अतिरिक्त प्रति का आ जाना (21 की त्रिसूत्रता) है| 
लक्षण- रोगी व्यक्ति छोटे कद और छोटे गोल सिर का होता है, जीभ में खाँच होता है और मुँह आंशिक रूप से खुला रहता है, चौड़ी हथेली में अभिलाक्षणिक पॉल्म कीज होती है| शारीरिक, मनःप्रेरक और मानसिक विकास अवरूद्ध रहता है| 

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