Notes of Science in Hindi for Class 9th: Ch 7 जीवों में विविधता विज्ञान
विषय-वस्तु- जगत वर्गीकरण
- मोनेरा
- प्रोटिस्टा
- फंजाई
- प्लांटी
- एनिमेलिया
- प्लांटी
- थैलोफाइटा
- ब्रायोफाइटा
- टेरिडोफाइटा
- जिम्नोस्पर्म
- एंजियोस्पर्म
- एनिमेलिया
- पोरीफेरा
- सीलेंटरेटा
- प्लेटीहेल्मिन्थीज
- निमेटोडा
- एनीलिडा
- अर्थ्रोपोडा
- मोलस्का
- इकाइनोडर्मेटा
- प्रोटोकॉर्डेटा
- वर्टीब्रेटा
- मत्स्य
- जल-स्थलचर
- सरीसृप
- पक्षी
- स्तनपायी
1. मोनेरा
• एक कोशिकीय प्रोकैरियोट
• कोई निश्चित केंद्रक नहीं
• कोई निश्चित अंगक नहीं
• पोषण-स्वपोषी व परपोषी दोनों
• उदाहरण- बैक्टीरिया, नील हरित शैवाल, सायनोबैक्टीरिया, मायको प्लाज्मा
2. प्रोटिस्टा
• एक कोशिकीय प्रोकैरियोटिक
• धागे जैसे सिलिया, फ्लैजिला गमन हेतु
• पोषण-स्वपोषी व परपोषी
उदाहरण- एककोशिकीय शैवाल, डायएटम, प्रोटोजोआ|
3. फंजाई (कवक)
• बहुकोशिकीय यूकैरियोट
• परपोषी पोषण
• मृत गले सड़े पदार्थ पर उगने वाले मृतोपजीवी
• कोशिका भित्ति सख्त काइटिन की बनी
उदाहरण- पेनिसिलिन, एसपेरिजिलस, एगेरीकस|
4. प्लांटी (पादप)
• युकैरियोटिक
• बहुकोशिकीय
• स्वपोषी-क्लोरोफिल पाया जाता है|
• कोशिका में कोशिका भित्ति
उदाहरण- शैवाल, फर्न, आम, नीम आदि|
5. एनिमेलिया (जंतु)
• युकैरियोटिक
• बहुकोशिकीय
• परपोषी
• कोशिका भित्ति अनुपस्थित
उदाहरण- चीता, मोर, मछली, कीड़े आदि|
प्लांटी (पादप)
पौधों के वर्गीकरण का आधार-
• पादप शरीर के प्रमुख घटक पूर्णरूपेण विकसित एवं विभेदित हैं, अथवा नहीं|
• जल और अन्य पदार्थों को संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों की उपस्थिति|
• पौधे में बीजधारण की क्षमता है अथवा नहीं|
• यदि बीजधारण की क्षमता है तो बीज फल के अंदर विकसित है, अथवा नहीं|
पादप जगत का वर्गीकरण
(i) थैलोफाइटा
• पौधे का शरीर जड़ तथा पत्ती में विभाजित नहीं होता बल्कि एक थैलस है|
• सामान्यतः शैवाल कहते हैं|
• कोई संवहन ऊतक उपस्थित नहीं|
• स्पोर द्वारा जनन|
• मुख्यतः जल में पाए जाते हैं|
उदाहरण- यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा इत्यादि|
(ii) ब्रायोफाइटा
• सरलतम पौधे, जो पूर्णरूप से विकसित नहीं|
• कोई संवहन ऊतक उपस्थित नहीं|
• स्पोर द्वारा जनन|
• भूमि व जल दोनों स्थान पर पाए जाते हैं इसलिए इन्हें पादपों का एम्फीबिया कहते हैं|
उदाहरण- फ्यूनेरिया, रिक्सिया, मार्केशिया
(iii) टेरिडोफाइटा
• पादप का शरीर तना, जड़ें व पत्तियों में विभक्त|
• संवहन तंत्र उपस्थित|
• जननांग बहुकोशिक|
उदाहरण- मार्सिलिया, फर्न, होर्सटेल|
(iv) जिम्नोस्पर्म
• बहुवर्षीय, सदाबहार, काष्ठीय|
• शरीर जड़, तना व पत्ती में विभक्त|
• संवहन ऊतक उपस्थित|
• नग्न बीज, बिना फल व फूल|
उदाहरण- पाइनस (देवदार), साइकस|
(v) एंजियोस्पर्म
• एक बीज पत्ती
• द्वि-बीज पत्ती
• फूल वाले पौधे
• फूल बाद में फल में बदल जाता है|
• बीज फल के अंदर|
• भ्रूण के अंदर पत्तियों जैसे बीजपत्र पाए जाते हैं| जब पौधा जन्म लेता है तो वे हरी हो जाती हैं|
एनिमेलिया (जंतु वर्ग)
इस वर्ग में यूकैरियोटि, बहुकोशिक और विषमपोषी जीवों को रखा गया है| शारीरिक संरचना एवं विभेदीकरण के आधार पर इनका वर्गीकरण किया गया है :
(i) पोरीफेरा
• कोशिकीय स्तर|
• अचल जीव|
• पूरा शरीर छिद्रयुक्त|
• बाह्य स्तर स्पंजी तन्तुओं का बना होता है|
उदाहरण- स्पंज, साइकॉन, यूप्लेक्टेला इत्यादि|
(ii) सीलेंटरेटा
• ऊतकीय स्तर|
• सीलोम युक्त|
• अरीय सममित, द्विस्तरीय|
• खुली गुहा|
उदाहरण- हाइड्रा, समुद्री एनीमोन, जेलीफिश इत्यादि|
(iii) प्लेटीहेल्मिन्थीज
• चपटे पत्ती या फीते जैसे|
• परजीवी व स्वतंत्र दोनों|
• शरीर द्विपार्श्व सममित व त्रिकोरक|
• सीलोम उपस्थित नहीं|
• नर व मादा जननांग एक जीव में उपस्थित|
उदाहरण- प्लेनेरिया, लिवरफ्लूक इत्यादि|
(iv) निमेटोडा
• शरीर सूक्ष्म से कई से.मी. तक|
• त्रिकोरक, द्वि पार्श्वसममित|
• वास्तविक देह गुहा का अभाव|
• कूट सीलोम उपस्थित|
उदाहरण- गोल कृमि, फाइलेरिया कृमि, पिन कृमि इत्यादि|
(v) एनीलिडा
• नम भूमि, जल व समुद्र में पाए जाने वाले|
• वास्तविक देह गुहा वाले|
• उभयलिंगी, लैंगिक या स्वतंत्र|
• शरीर खंड युक्त|
उदाहरण- केंचुआ, नेरीस, जोंक इत्यादि|
(vi) आर्थ्रोपोडा
• जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ|
• द्वि पार्श्वसममित|
• शरीर खंडयुक्त|
• देहगुहा रक्त से भरी होती है|
• जुड़े हुए पैर|
• खुला परिसंचरण तंत्र|
उदाहरण- झींगा, तितली, मक्खी, मकड़ी, बिच्छू, केकड़ा इत्यादि|
(vii) मोलस्का
• शरीर मुलायम द्वि पार्श्वसममित|
• शरीर सिर, उदर व पाद में विभाजित|
• बाह्य भाग कैल्शियम के खोल से बना|
• नर व मादा अलग|
उदाहरण- घोंघा, सीप इत्यादि|
(viii) इकाइनोडर्मेटा
• समुद्री जीव|
• शरीर तारे की तरह, गोल या लम्बा|
• शरीर की बाह्य स्तर पर कैल्शियम के काँटे|
• शरीर अखंडित व त्रिकोरक|
• लिंग अलग-अलग|
उदाहरण- स्टारफिश, समुद्री अर्चिन इत्यादि|
(ix) प्रोटोकॉर्डेटा
• कृमि की तरह के जंतु, समुद्र में पाए जाने वाले|
• द्विपार्श्व सममित|
• श्वसन गिल्स द्वारा|
• लिंग अलग-अलग|
• जीवन की अवस्था में नोटोकार्ड की उपस्थिति|
उदाहरण- बैलेनाग्लासेस, हर्डमेनिया इत्यादि|
(x) वर्टीब्रेटा (कशेरुकी)
• वास्तविक मेरुदंड एवं अंतःकंकाल पाया जाता है|
• पेशियाँ कंकाल से जुड़ी होती हैं|
• द्विपार्श्वसममित, त्रिकोरिक, देह्गुहा वाले जंतु|
• युग्मित क्लोम थैली|
वर्टीब्रेटा को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है-
(a) मत्स्य
• जलीय जीव|
• शरीर कवच युक्त|
• गिल उपस्थित|
• अरीय सममित जो तैरने में मादा करता है|
• हृदय दो कक्ष युक्त, ठंडे खून वाले|
• अंडे देने वाला, जिससे नए जीव बनते हैं|
• कुछ का कंकाल उपास्थि का व कुछ का हड्डी से बना|
उदाहरण- शार्क, रोहू, टारपीडो इत्यादि|
(b) जल-स्थलचर
• भूमि व जल में पाए जाने वाले|
• त्वचा पर ग्रंथियाँ उपस्थित|
• शीत रुधिर, हृदय त्रिकक्षीय|
• श्वसन गिल या फेफड़ों द्वारा|
• पानी में अंडे देने वाले|
उदाहरण- मेंढक, सैलामेंडर, टोड इत्यादि|
(c) सरीसृप
• अधिकांश थलचर|
• शरीर पर शल्क, श्वसन फेफड़ों द्वारा|
• शीत रुधिर|
• हृदय त्रिकोष्ठीय, लेकिन मगरमच्छ का हृदय चार कोष्ठीय|
• कवच युक्त अंडे देते हैं|
उदाहरण- साँप, कछुआ, छिपकली, मगरमच्छ इत्यादि|