NCERT Solutions of Science in Hindi for Class 10th: Ch 14 ऊर्जा के स्रोत विज्ञान
प्रश्नपृष्ठ 273
प्रश्न 1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर
ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है, जिसमें निम्न विशेषताएँ होती हैं।
(i) यह प्रति एकांक द्रव्यमान/आयतन बहुत अधिक मात्रा में कार्य करता है।
(ii) यह सरलता से उपलब्ध होता है।
(iii) इसका परिवहन व भंडारण सरल होता है।
(iv) यह हानिकारक अवशेष उत्पन्न नहीं करता अर्थात् पर्यावरण की दृष्टि से इसका उपयोग सुरक्षित है।
(v) इसकी कीमत या लागत मूल्य कम होता है।
प्रश्न 2. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं?
उत्तर
उत्तम ईंधन वह है, जिसका/जो:
(i) कैलोरीमान उच्च होता है, अर्थात् यह प्रतिग्राम अधिक ऊर्जा का उत्पादन करता है।
(ii) ज्वलन ताप सामान्य (न बहुत अधिक, न बहुत कम) होता है।
(iii) सरलता से उपलब्ध होता है।
(iv) हानिकारक अवशेष को उत्पन्न नहीं (या कम) करता है।
(v) परिवहन व भंडारण सरल होता है।
प्रश्न 3. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर | सकते हैं, तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर
हम जैव गैस या बायो गैस का उपयोग करेंगे।
इसके कारण निम्न हैं:
(i) यह कम मात्रा में जलाने से अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती है।
(ii) यह स्वच्छ ईंधन है अर्थात् धुंआ नहीं उत्पन्न करती।
(iii) यह नवीकरणीय स्रोत है, अतः अनवीकरणीय स्रोतों का संरक्षण भी करती है।
(iv) यह पर्यावरण को भी स्वच्छ करने में सहायक है, क्योंकि पादप व जन्तु अपशिष्टों से इसका निर्माण होता है।
(iv) यह पर्यावरण को भी स्वच्छ करने में सहायक है, क्योंकि पादप व जन्तु अपशिष्टों से इसका निर्माण होता है।
(v) इसका उपयोग सुरक्षित है। |
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प्रश्न 1. जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ:
(i) जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला में सल्फर व नाइट्रोजन होते हैं, जो जलने के उपरान्त अम्लीय ऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। ये वायु प्रदुषण तथा अम्लीय वर्षा उत्पन्न करते हैं।
(ii) अम्लीय वर्षा से मृदा तथा जल स्रोत भी प्रदूषित होते हैं तथा भवनों को क्षति पहुँचती है।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड ग्लोबल वार्मिंग उत्पन्न करती है।
(iv) जीवाश्म ईंधन समाप्य तथा अनवीकरणीय संसाधन हैं, जिनके निर्माण में करोड़ों वर्षों का समय लगता है।
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प्रश्न 1. जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ:
(i) जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला में सल्फर व नाइट्रोजन होते हैं, जो जलने के उपरान्त अम्लीय ऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। ये वायु प्रदुषण तथा अम्लीय वर्षा उत्पन्न करते हैं।
(ii) अम्लीय वर्षा से मृदा तथा जल स्रोत भी प्रदूषित होते हैं तथा भवनों को क्षति पहुँचती है।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड ग्लोबल वार्मिंग उत्पन्न करती है।
(iv) जीवाश्म ईंधन समाप्य तथा अनवीकरणीय संसाधन हैं, जिनके निर्माण में करोड़ों वर्षों का समय लगता है।
प्रश्न 2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
उत्तर
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं, जो असमाप्य व नवीकरणीय हों। इसका कारण है कि प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी उन्नति के साथ मानव की जीवन शैली भी आधुनिक तथा मशीनों पर अधिक निर्भर हो गई है, जिससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ गई है। जीवाश्म ईंधनों के प्रकृति में सीमित भंडार हैं तथा इनके निर्माण में लगने वाला समय बहुत अधिक होने के कारण ये अनवीकरणीय व समाप्त हो जाने वाले संसाधन हैं। अतः इनके संरक्षण हेतु ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत का उपयोग आवश्यक हो गया है।
प्रश्न 3. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारम्परिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं?
उत्तर
पवन ऊर्जा का उपयोग प्राचीन काल से पवन चक्कियों द्वारा यान्त्रिक कार्यों को करने में होता रहा है। अब इसका उपयोग विद्युत उत्पादन में भी किया जाने लगा है। क्योंकि एक पवन चक्की से विद्युत का उत्पादन बहुत ही कम होता है, इसलिए कई पवन चक्कियों के युग्मन से पवन ऊर्जा फार्मों का निर्माण करके बड़े स्तर पर विद्युत उत्पादन किया जाता है। जल स्रोतों में बाढ़ आदि से प्राचीन काल में जन-धन की बहुत क्षति हो जाती थी। बाढ़ को रोकने के लिए जल स्रोतों पर बाँधों का निर्माण किया जाता है, जहाँ जल की स्थितिज ऊर्जा को ऊँचाई से गिरा कर विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
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प्रश्न 1. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण अवतल, उत्तल अथवा समतल, सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?
उत्तर
सौर कुकर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त अवतल दर्पण (concave mirror) होता है, क्योंकि यह अभिसारी दर्पण (converging mirror) है। अतः यह सूर्य की अधिक से अधिक किरणों को फोकस कर उच्च तापमान उत्पन्न करता है।
प्रश्न 2. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर
महासागरीय ऊर्जा की सीमाएँ :
(i) ऐसे स्थान सीमित हैं, जहाँ ज्वारीय ऊर्जा (tidal energy) प्राप्त करने के लिए बाँध बनाए जा सकते हैं।
(ii) तरंग ऊर्जा (wave energy) केवल तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल होती हैं।
(iii) महासागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (OTEC) केवल तभी प्रचालित होते हैं जब पृष्ठ जल तथा 2 किमी की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अन्तर होता है।
(iv) महासागरों के किनारे बनाए गए विद्युत संयंत्रों की लागत व रखरखाव का खर्च काफी अधिक है व इसकी तुलना में दक्षता कम है। साथ ही संक्षारण आदि की संभावना अधिक रहती है।
प्रश्न 3. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर
भूपर्पटी में उपस्थित तप्त स्थलों से भूतापीय ऊर्जा प्राप्त होती है। तप्त स्थलों के सम्पर्क में आने वाला भूमिगत जल भाप में परिवर्तित हो जाता है। जब यह भाप चट्टानों में फंस जाती है, तो इसका दाब बढ़ जाता है, जिसे पाइपों द्वारा निकाल लिया जाता है। उच्च दाब पर निकली इस भाप की शक्ति से विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमा कर विद्युत उत्पादन किया जाता है, यही भूतापीय ऊर्जा कहलाती है।
उत्तर
भूपर्पटी में उपस्थित तप्त स्थलों से भूतापीय ऊर्जा प्राप्त होती है। तप्त स्थलों के सम्पर्क में आने वाला भूमिगत जल भाप में परिवर्तित हो जाता है। जब यह भाप चट्टानों में फंस जाती है, तो इसका दाब बढ़ जाता है, जिसे पाइपों द्वारा निकाल लिया जाता है। उच्च दाब पर निकली इस भाप की शक्ति से विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमा कर विद्युत उत्पादन किया जाता है, यही भूतापीय ऊर्जा कहलाती है।
प्रश्न 4. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर
नाभिकीय अभिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा बहुत अधिक होती है। उदाहरण यूरेनियम के एक परमाणु के विखण्डन में जो ऊर्जा मुक्त होती है वह कोयले के किसी एक कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में 1 करोड़ गुना अधिक होती है। इस प्रकार यदि नाभिकीय संयंत्रों को सुरक्षित विधि से चलाया जाए तो संसार की ऊर्जा आवश्यकताओं के एक बड़े भाग की आपूर्ति नाभिकीय ऊर्जा द्वारा की जा सकती है।
प्रश्न 5. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर
किसी ऊर्जा स्रोत को प्रदूषण मुक्त केवल तभी माना जा सकता है, जब न तो इसके लिए आवश्यक युक्तियों के संयोजन और न ही क्रियान्वयन के समय यह कोई प्रदूषण करता हो। परन्तु किसी भी ऊर्जा स्रोत का पूर्णतया ऐसा होना असम्भव है। उदाहरण सौर सेल में सौर ऊर्जा पूर्णतया प्रदूषण मुक्त है, परन्तु सौर सेल युक्ति के निर्माण में किसी न किसी स्तर का प्रदूषण अवश्य होता है।
प्रश्न 6. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर
हाँ, हाइड्रोजन को CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन माना जाना उचित है, क्योंकि हाइड्रोजन के दहन के पश्चात् केवल जल उत्पन्न होता है, जो प्रदूषणरहित है। जबकि CNG के दहन से कार्बन डाइऑक्साइड भी उत्पन्न होती है जो अधिक मात्रा में होने पर ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।
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प्रश्न 1. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए, जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर
(i) पवन ऊर्जा जब तक पृथ्वी को सूर्य के विकिरण से ऊष्मा प्राप्त होती रहेगी, तब तक पवनें चलती रहेंगी, इसलिए यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
(ii) सौर ऊर्जा जब तक सौर मंडल है, तब तक सौर ऊर्जा पृथ्वी पर निरंतर उपलब्ध होती रहेगी, अतः यह भी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
प्रश्न 2. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए, जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर
(i) जीवाश्मी ईंधन कोयला तथा पेट्रोलियम का अधिक उपयोग, इनके निर्माण में लगने वाला करोड़ों वर्षों का समय तथा इनकी उपलब्ध सीमित मात्रा के कारण ये ईंधन समाप्य तथा अनवीकरणीय कहे जा सकते हैं।
(ii) नाभिकीय ईंधन यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम आदि नाभिकीय ईंधन प्रकृति में सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं अतः अनवीकरणीय तथा समाप्य ऊर्जा स्रोत हैं।
अभ्यास
प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गर्म दिन
(c) गर्म दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन
उत्तर
(b) बादलों वाले दिन; क्योंकि बादलों वाले दिन सौर विकिरण की उपलब्धता सीमित (निम्नतम) होगी तथा सौर जल तापक कार्य नहीं करेगा।
उत्तर
(b) बादलों वाले दिन; क्योंकि बादलों वाले दिन सौर विकिरण की उपलब्धता सीमित (निम्नतम) होगी तथा सौर जल तापक कार्य नहीं करेगा।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला
उत्तर
(c) नाभिकीय ऊर्जा; इसके अतिरिक्त (a), (b) व (d) जैव मात्रा से प्राप्त ईंधन हैं।
उत्तर
(c) नाभिकीय ऊर्जा; इसके अतिरिक्त (a), (b) व (d) जैव मात्रा से प्राप्त ईंधन हैं।
प्रश्न 3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं, उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा
(a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैव मात्रा
उत्तर
(c) नाभिकीय ऊर्जा; केवल यह ही सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं करती है, बल्कि नाभिकीय अभिक्रियाओं के फलस्वरूप नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन होता है।
उत्तर
(c) नाभिकीय ऊर्जा; केवल यह ही सौर ऊर्जा का उपयोग नहीं करती है, बल्कि नाभिकीय अभिक्रियाओं के फलस्वरूप नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन होता है।
प्रश्न 4. ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर
जीवाश्मी ईंधन
|
सूर्य
|
यह अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है तथा समाप्य भी। | यह नवीकरणीय तथा असमाप्य ऊर्जा स्रोत है। |
इनके दहन से पर्यावरण का प्रदूषण होता है। |
यह प्रदूषण रहित ऊर्जा स्रोत है। केवल युक्तियों के संयोजन में कम से कम प्रदूषण हो सकता है। |
यह मॅहगा परन्तु सामान्यतया उपयोग किया जाने वाला स्रोत। | यह निशुल्क उपलब्ध स्रोत है, मगर इसकी ऊर्जा को उपयोग कर सकने वाली युक्तियों का संयोजन काफी खर्चीला है। |
प्रश्न 5. जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और अंतर लिखिए।
उत्तर
उत्तर
जैव मात्रा
|
जल वैद्युत
|
यह नवीकरणीय स्रोत है। | यह भी नवीकरणीय स्रोत है। |
जैव मात्रा में बायो गैस संयंत्र में जैव गैस बनाई जाती है।l | जल वैद्युत का उत्पादन नदियों पर बने बाँधों में किया जाता है। |
इसके उत्पादन के समय बची हुई स्लरी कृषि के लिए एक उपयोगी खाद है। | बाँधों के निर्माण से विद्युत उत्पादन के साथ-साथ बाढ़ से भी सुरक्षा होती है। |
बायो गैस संयंत्र के निर्माण में आया खर्च भी कम है तथा अन्य खर्च भी कम है। | यह भी कम खर्चीला स्रोत है। खर्च का मुख्य भाग बाँध के निर्माण तथा सप्लाई की व्यवस्था में होता है। |
बायो गैस उत्पादन में जैव मात्रा के उपयोग हो जाने से प्रदूषण नियंत्रण में सहायता मिलती है। साथ ही इसके दहन से हानिकारक अवशेष (CO2के अतिरिक्त) उत्पन्न नहीं होते। | जल वैद्युत के उपयोग से कोई हानिकारक अवशेष उत्पन्न नहीं होता। |
प्रश्न 6. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए।
(a) पवनें
(a) पवनें
(b) तरंगे
(c) ज्वार-भाटा उत्तर
उत्तर
(a) पवन ऊर्जा की सीमाएँ
(c) ज्वार-भाटा उत्तर
उत्तर
(a) पवन ऊर्जा की सीमाएँ
(i) पवन की गति 15 किमी/घण्टा से भी अधिक होनी आवश्यक है।
(ii) एक विशाल भूखण्ड पर ही पवन फार्म स्थापित किए जा सकते हैं। जैसे 1 मेगावाट के जनित्र के लिए लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
(iii) उच्च स्तर के रख रखाव के लिए फार्म की स्थापना के आरम्भ में खर्च होने वाला लागत मूल्य बहुत अधिक है।
(b) तरंग ऊर्जा की सीमाएँ
(ii) एक विशाल भूखण्ड पर ही पवन फार्म स्थापित किए जा सकते हैं। जैसे 1 मेगावाट के जनित्र के लिए लगभग 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
(iii) उच्च स्तर के रख रखाव के लिए फार्म की स्थापना के आरम्भ में खर्च होने वाला लागत मूल्य बहुत अधिक है।
(b) तरंग ऊर्जा की सीमाएँ
तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग करने के लिए तरंगों का प्रबल होना अत्यन्त आवश्यक है।
(c) ज्वारीय ऊर्जा की सीमाएँ
ज्वारीय ऊर्जा का दहन करने के लिए सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध निर्माण करना आवश्यक है। मगर ऐसे उपयुक्त स्थान सीमित हैं, जहाँ बाँध का निर्माण किया जा सके।
प्रश्न 7. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय
(b) समाप्य तथा अक्षय
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर
(a) नवीकरणीय संसाधनों की पुनः पूर्ति कुछ ही समय पश्चात् पुनः चक्रण द्वारा हो जाती है, जबकि अनवीकरणीय संसाधनों का एक बार उपयोग होने के बाद उनका पुनः चक्रण नहीं होता। फिर से निर्माण में लगने वाला समय बहुत अधिक होने के कारण इनकी पुनः पूर्ति सम्भव नहीं है।
(b) वे ऊर्जा स्रोत, जिनकी उपलब्धता प्रकृति में सीमित है तथा एक दिन ये समाप्त हो जाएँगे, ऐसी सम्भावना है, समाप्य स्रोत कहलाते हैं, परन्तु जो स्रोत प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और वे कभी समाप्त नहीं होंगे, ऐसी सम्भावना है, अक्षय स्रोत कहलाते हैं।
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं, अर्थात् नवीकरणीय स्रोत ही अक्षय हैं। इसी प्रकार अनवीकरणीय स्रोत ही समाप्य हैं।
उत्तर
(a) नवीकरणीय संसाधनों की पुनः पूर्ति कुछ ही समय पश्चात् पुनः चक्रण द्वारा हो जाती है, जबकि अनवीकरणीय संसाधनों का एक बार उपयोग होने के बाद उनका पुनः चक्रण नहीं होता। फिर से निर्माण में लगने वाला समय बहुत अधिक होने के कारण इनकी पुनः पूर्ति सम्भव नहीं है।
(b) वे ऊर्जा स्रोत, जिनकी उपलब्धता प्रकृति में सीमित है तथा एक दिन ये समाप्त हो जाएँगे, ऐसी सम्भावना है, समाप्य स्रोत कहलाते हैं, परन्तु जो स्रोत प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और वे कभी समाप्त नहीं होंगे, ऐसी सम्भावना है, अक्षय स्रोत कहलाते हैं।
(a) तथा (b) के विकल्प समान हैं, अर्थात् नवीकरणीय स्रोत ही अक्षय हैं। इसी प्रकार अनवीकरणीय स्रोत ही समाप्य हैं।
प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर
ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण:
(i) उच्च कैलोरी मान।
उत्तर
ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण:
(i) उच्च कैलोरी मान।
(ii) सरलता से उपलब्धता।
(iii) सरल परिवहन तथा भंडारण।
(iv) कम मूल्य।
(v) पर्यावरण के प्रति सुरक्षित।
(vi) नवीकरणीय।
(vii) हानिकारक अवशेषों की अनुपस्थिति।
(vii) सरल व सुरक्षित उपयोग।
(iii) सरल परिवहन तथा भंडारण।
(iv) कम मूल्य।
(v) पर्यावरण के प्रति सुरक्षित।
(vi) नवीकरणीय।
(vii) हानिकारक अवशेषों की अनुपस्थिति।
(vii) सरल व सुरक्षित उपयोग।
प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ । सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर
सौर कुकर के उपयोग के लाभ:
(i) ईंधन की लागत मूल्य कोई नहीं है।
(ii) यह पाक कला की प्रदूषण रहित विधि हैं।
(iii) यह विधि भोजन के पोषक तत्वों को सुरक्षित रखती है।
(iv) एक समय पर कई खाद्य पदार्थों को पकाना सम्भव है।
(ii) यह पाक कला की प्रदूषण रहित विधि हैं।
(iii) यह विधि भोजन के पोषक तत्वों को सुरक्षित रखती है।
(iv) एक समय पर कई खाद्य पदार्थों को पकाना सम्भव है।
सौर कुकर के उपयोग की हानियाँ:
(i) भोजन को पकाने में अधिक समय लगता है।
(ii) बादलों वाले दिन यह कुकर कार्य नहीं करता है। इसके लिए तेज धूप का होना आवश्यक है।
(iii) कुछ खाद्य पदार्थ; जैसे रोटी आदि को इसके द्वारा पकाना असम्भव है।
(iv) सौर कुकर का उपयोग केवल उन स्थानों पर ही सम्भव है, जहाँ तेज धूप की उपलब्धता हो।
(i) भोजन को पकाने में अधिक समय लगता है।
(ii) बादलों वाले दिन यह कुकर कार्य नहीं करता है। इसके लिए तेज धूप का होना आवश्यक है।
(iii) कुछ खाद्य पदार्थ; जैसे रोटी आदि को इसके द्वारा पकाना असम्भव है।
(iv) सौर कुकर का उपयोग केवल उन स्थानों पर ही सम्भव है, जहाँ तेज धूप की उपलब्धता हो।
प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर
ऊर्जा की बढ़ती माँग का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव हो रहा है, जो इस प्रकार है।
(i) प्रकृति से संसाधनों के अधिक मात्रा में दोहन से कईं प्राकृतिक चक्रों में व्यवधान आ जाता है।
(ii) अधिक मात्रा में ऊर्जा स्रोतों के उपयोग तथा अवशेषों के द्वारा प्राकृतिक संसाधन; जैसे-वायु, जल, मृदा आदि प्रदूषित होते हैं।
(iii) ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती मात्रा ग्लोबल वार्मिंग उत्पन्न करती है।
(iv) पवन फार्म, बाँध, नाभिकीय संयंत्र आदि के लिए भूमि तैयार करने के लिए वनों व खेतों को नष्ट करना पड़ता है, जिससे प्रदूषण नियन्त्रण में भी कठिनाई होती। है। साथ ही लोगों के रोजगार तथा वन्य जीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं, अतः प्रकृति संतुलन बिगड़ता है।
ऊर्जा की खपत कम करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए:
(i) व्यक्तिगत वाहनों का कम उपयोग तथा जन वाहनों (बस आदि) का अधिक उपयोग।।
(ii) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों (जैसे सौर ऊर्जा) का उपयोग।
(iii) भोजन पकाने के लिए प्रेशर कुकर आदि जैसी युक्तियों का उपयोग।
(iv) घरों में सभी व्यक्ति निश्चित समय पर साथ बैठ कर भोजन करें।
(v) कम दूरी पर जाने के लिए पैदल जाना या साइकिल आदि का उपयोग करें। ईंधन उपयोग करने वाले वाहनों का उपयोग कम करें।
(vi) अच्छी दक्षता वाली युक्तियाँ (स्टोव आदि) व अच्छी क्वालिटी का ईंधन उपयोग
करें।