मैं सबसे छोटी होऊँ वसंत भाग - 1 (Summary of Main Sabse Choti Houn Vasant)
इस कविता में महादेवी वर्मा ने बचपन की प्रिय घटनाओं का वर्णन किया है| उन्होंने बच्चे के लिए माँ की उपियोगिता को दर्शाया है| किस तरह एक बच्ची अपनी माँ का साथ नहीं छोड़ना चाहती है और हमेशा छोटा ही बना रहना चाहती है|
एक बच्ची अपनी माँ को कहती है कि माँ! मैं सदा सबसे छोटी बनी रहना चाहती हूँ। चूँकि इसके कारण तुम मुझे खूब लाड़-प्यार दोगी। मैं तुम्हारी गोदी में सोऊँगीं। मैं सदा तुम्हारा आँचल पकड़कर तुम्हारे साथ-साथ घुमा करूँगीं और तुम्हारा हाथ कभी नहीं छोड़ूंगीं।
बच्ची अपनी माँ से शिकायत करती है कि पहले तो तुम हमको बड़ा बना देती हो और बड़े होने पर वह उसे पहले जैसा प्यार नहीं करती। तुम हाथ पकड़कर मेरे साथ नहीं घूम करती| जो माँ पहले अपने हाथों से खिलाती थी, मुँह धुलाती थी, अपने हाथों से धूल को पोंछकर सुंदर बनाती थी, खेलने के लिए खिलौने देती थी और परियों की सुख देने वाली कहानियाँ सुनाया करती थी अब बड़े होने पर यह सब नहीं करती|
बच्ची बोलती ऐसे बड़े होने का भी क्या लाभ कि जिसके कारण माँ का प्यार ही छूट जाए। मैं बड़ी होकर माँ के प्यार को को खोना नहीं चाहती हूँ। मैं तोतुम्हारी आँचल की छाया में छिपकर इच्छाओं से रहित तथा निडर होकर चाँद को निकलते देखना चाहती हूँ। मैं कभी भी तुमसे दूर नहीं होना चाहती हूँ।
कठिन शब्दों के अर्थ -
• अंचल - आँचल
• छलना - धोखा देना
• मात - माता, माँ
• कर - हाथ
• सज्जित - सजाना
• गात - शरीर
• सुखद - सुख प्रदान करने वाली
• निस्पृह - जिसे कोई इच्छा न हो
• निर्भय - जिसे कोई डर न हो
• चंद्रोदय - चाँद का निकलना
NCERT Solutions of मैं सबसे छोटी होऊँ
एक बच्ची अपनी माँ को कहती है कि माँ! मैं सदा सबसे छोटी बनी रहना चाहती हूँ। चूँकि इसके कारण तुम मुझे खूब लाड़-प्यार दोगी। मैं तुम्हारी गोदी में सोऊँगीं। मैं सदा तुम्हारा आँचल पकड़कर तुम्हारे साथ-साथ घुमा करूँगीं और तुम्हारा हाथ कभी नहीं छोड़ूंगीं।
बच्ची अपनी माँ से शिकायत करती है कि पहले तो तुम हमको बड़ा बना देती हो और बड़े होने पर वह उसे पहले जैसा प्यार नहीं करती। तुम हाथ पकड़कर मेरे साथ नहीं घूम करती| जो माँ पहले अपने हाथों से खिलाती थी, मुँह धुलाती थी, अपने हाथों से धूल को पोंछकर सुंदर बनाती थी, खेलने के लिए खिलौने देती थी और परियों की सुख देने वाली कहानियाँ सुनाया करती थी अब बड़े होने पर यह सब नहीं करती|
बच्ची बोलती ऐसे बड़े होने का भी क्या लाभ कि जिसके कारण माँ का प्यार ही छूट जाए। मैं बड़ी होकर माँ के प्यार को को खोना नहीं चाहती हूँ। मैं तोतुम्हारी आँचल की छाया में छिपकर इच्छाओं से रहित तथा निडर होकर चाँद को निकलते देखना चाहती हूँ। मैं कभी भी तुमसे दूर नहीं होना चाहती हूँ।
कठिन शब्दों के अर्थ -
• अंचल - आँचल
• छलना - धोखा देना
• मात - माता, माँ
• कर - हाथ
• सज्जित - सजाना
• गात - शरीर
• सुखद - सुख प्रदान करने वाली
• निस्पृह - जिसे कोई इच्छा न हो
• निर्भय - जिसे कोई डर न हो
• चंद्रोदय - चाँद का निकलना
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