नौकर वसंत भाग - 1 (Summary of Naukar Vasant)
यह पाठ अनु बंद्योपाध्याय द्वारा रचित निबंध है। गाँधीजी नौकर का काम खुद से करते थे| आश्रम में गांधी जी आटा चक्की पर स्वयं पीसते थे। उन्हें बाहरी लोगों के सामने भी शारीरिक मेहनत करने में शर्म अनुभव नहीं होती थी। एक बार कॉलेज के कुछ छात्र गांधी जी से मिलने आए और उनसे कुछ सेवा करने के लिए कहने लगे। गांधी जी ने उन छात्रों को भी गेहूँ साफ़ करने दिया। वे एक घंटे में ही इस कार्य को करने से थक गए और गांधी जी से विदा लेकर चले गए।
गांधी जी ने कुछ वर्षों तक आश्रम में भंडार का काम भी संभाला था। उन्हें सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। गांधी जी आश्रमवासियों को स्वयं भोजन परोसते थे, जिस कारण उन लोगों को बेस्वाद, उबली हुई सब्ज़ियाँ बिना शिकायत किए खानी पड़ती थीं। उन्हें चमकते हुए बरतन पसंद थे।
गांधी जी आश्रम में चक्की पीसने और कुएँ से पानी निकालने का काम रोज़ करते थे। उन्हें यह पसंद नहीं था कि जब तक शरीर में बिलकुल लाचारी न हो तब तक कोई उनका काम करे। उनमें हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता तथा शक्ति थी। दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लाद कर पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। एक बार किसी तालाब की भराई का काम चल रहा था। उनके साथी वहाँ पर काम कर रहे थे। उन्होंने लौटकर देखा कि गांधी जी ने उन लोगों के नाश्ते के लिए फल आदि तैयार करके रखे हुए थे।
एक बार दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों की माँगों को लेकर गांधी जी लंदन गए। वहाँ भारतीय छात्रों ने उन्हें शाकाहारी भोज के लिए आमंत्रित किया। वे लोग स्वयं गांधी जी के लिए भोजन बनाने लगे। तीसरे पहर एक दुबला-पतला व्यक्ति भी उनमें शामिल होकर काम करने लगा। बाद में छात्रों को पता चला कि वह दुबला-पतला व्यक्ति गांधी जी ही थे।
दूसरों से काम लेने में गांधीजी बहुत सख्त थे परन्तु दूसरों से अपना काम कराना उन्हें नापसंद था| एक बार गांधी जी राजनीतिक सम्मेलन से लौटकर रात के दस बजे अपना कमरा झाड़ लेकर साफ़ करने लगे। गांधी जी को बच्चों से बहुत प्यार था। उनका मानना था कि बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार और उनकी देखभाल अनिवार्य है।
दक्षिण अफ्रीका में जेल से छूटने पर उन्होंने देखा कि उनके मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक बहुत कमज़ोर और दुबली हो गई हैं, क्योंकि बच्चा बहुत प्रयत्न के बाद उनका दूध पीना नहीं छोड़ रहा था। गांधी जी ने एक महीने तक बच्चे को अपने पास सुलाया। रात के लिए वे अपनी चारपाई के पास पानी रख कर सोते थे। यदि बच्चे को प्यास लगती तो वे पानी पिला देते। आधे महीने तक माँ से अलग सोने पर बच्चे ने माँ का दूध पीना छोड़ दिया।
गांधी जी ने कुछ वर्षों तक आश्रम में भंडार का काम भी संभाला था। उन्हें सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। गांधी जी आश्रमवासियों को स्वयं भोजन परोसते थे, जिस कारण उन लोगों को बेस्वाद, उबली हुई सब्ज़ियाँ बिना शिकायत किए खानी पड़ती थीं। उन्हें चमकते हुए बरतन पसंद थे।
गांधी जी आश्रम में चक्की पीसने और कुएँ से पानी निकालने का काम रोज़ करते थे। उन्हें यह पसंद नहीं था कि जब तक शरीर में बिलकुल लाचारी न हो तब तक कोई उनका काम करे। उनमें हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता तथा शक्ति थी। दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लाद कर पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। एक बार किसी तालाब की भराई का काम चल रहा था। उनके साथी वहाँ पर काम कर रहे थे। उन्होंने लौटकर देखा कि गांधी जी ने उन लोगों के नाश्ते के लिए फल आदि तैयार करके रखे हुए थे।
एक बार दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों की माँगों को लेकर गांधी जी लंदन गए। वहाँ भारतीय छात्रों ने उन्हें शाकाहारी भोज के लिए आमंत्रित किया। वे लोग स्वयं गांधी जी के लिए भोजन बनाने लगे। तीसरे पहर एक दुबला-पतला व्यक्ति भी उनमें शामिल होकर काम करने लगा। बाद में छात्रों को पता चला कि वह दुबला-पतला व्यक्ति गांधी जी ही थे।
दूसरों से काम लेने में गांधीजी बहुत सख्त थे परन्तु दूसरों से अपना काम कराना उन्हें नापसंद था| एक बार गांधी जी राजनीतिक सम्मेलन से लौटकर रात के दस बजे अपना कमरा झाड़ लेकर साफ़ करने लगे। गांधी जी को बच्चों से बहुत प्यार था। उनका मानना था कि बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार और उनकी देखभाल अनिवार्य है।
दक्षिण अफ्रीका में जेल से छूटने पर उन्होंने देखा कि उनके मित्र की पत्नी श्रीमती पोलक बहुत कमज़ोर और दुबली हो गई हैं, क्योंकि बच्चा बहुत प्रयत्न के बाद उनका दूध पीना नहीं छोड़ रहा था। गांधी जी ने एक महीने तक बच्चे को अपने पास सुलाया। रात के लिए वे अपनी चारपाई के पास पानी रख कर सोते थे। यदि बच्चे को प्यास लगती तो वे पानी पिला देते। आधे महीने तक माँ से अलग सोने पर बच्चे ने माँ का दूध पीना छोड़ दिया।
गांधी जी अपने से बड़ों का आदर करते थे। दक्षिण अफ्रीका में गोखले जी गांधी जी के साथ ठहरे थे। गांधी जी उनके सभी काम स्वयं करते। जब कभी आश्रम में किसी सहायक को रखने की आवश्यकता होती तो वे किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे। उनके अनुसार नौकरों को हमें वेतनभोगी मज़दूर नहीं बल्कि अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, कुछ चोरियाँ हो सकती हैं, फिर भी हमारी कोशिश बेकार नहीं जाएगी| इंग्लैंड में गांधी जी ने देखा था कि ऊँचे घरानों में घरेलू नौकरों को परिवार के आदमी की तरह रखा जाता था।
कठिन शब्दों के अर्थ -
• बैरिस्टरी - वकालत
• आगंतुक - अतिथि
• कालिख - धुएँ आदि से काला होना
• नवागत - नया आया हुआ मेहमान
• प्रवासी - दूसरे देश में रहने वाले
• अनुकरण करना - नकल करना।
• फर्श बुहारना - फर्श पर झाडू लगाना
• पखवाड़ा - पन्द्रह दिन का समय
• अधिवेशन - मीटिंग
• कारकुन - कार्यकर्ता
• प्रतिदान - किसी ली हुई वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना