जंगल और जनकपुर बाल राम कथा (Summary of Jungle aur Janakpur Bal Ramkatha)
महर्षि विश्वामित्र दोनों राजकुमारों को लेकर सदूर तक सरयू के किनारे-किनारे चलते रहे। शाम होने पर सरयू नदी के तट पर ऋषि विश्वामित्र और दोनों राजकुमार विश्राम करने लगे। उन्होंने वहीं उन दोनों राजकुमारों को 'बलाअतिबला' नाम की विद्याएँ सिखाईं। सुबह उन्होंने यात्रा की शुरुआत की| विश्वामित्र ने दोनों राजकुमारों को रास्ते में पड़ने वाले आश्रमों और स्थानीय इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने संगम पर बने आश्रम में विश्राम किया।
अगले सुबह उन्होंने नाव से गंगा पार की और घने जंगल में प्रवेश किया। चलते-चलते महर्षि ने राक्षसी ताड़का के बारे में बताया जिसके डर से इस सुंदर वन का नाम 'ताड़का वन' पड़ गया था। राम ने महर्षि की आज्ञा पर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और छोड़ा। ताड़का क्रोध से भरी राम के पास दौड़ी-दौड़ी आई| राम ने उस पर बाण चलाया और ताड़का वहीं ढेर हो गयी।
अगले दिन महर्षि दोनों राजकुमारों के साथ 'सिद्धाश्रम' पहुँचे। पहुँचते ही महर्षि यज्ञ की तैयारी में लग गये। आश्रम की रक्षा की जिम्मेदारी उन्होंने राम और लक्ष्मण को सौंप दी| दोनों राजकुमारों ने यज्ञ पूरा होने तक न सोने का निर्णय लिया। अनुष्ठान के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच ने राक्षसों के दल-बल के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया। राम का वाण मारीच को लगा और वह मूच्छित हो गया और समुद्र किनारे जा गिरा। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और उसके प्राण निकल गये। राम ने धनुष उठाकर मारीच को निशाना बनाया। वह मूर्च्छित होकर समुद्र के किनारे जा गिरा। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और वह वहीं ढेर हो गया। बाकी सभी राक्षस भाग गये। महर्षि का अनुष्ठान सम्पन्न हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर राम को गले लगा लिया।
अनुष्ठान सम्पन्न होने पर महर्षि विश्वामित्र राजकुमारों को मिथिला के महाराज जनक के यहाँ स्वयम्वर में अद्भुत शिव-धनुष दिखाने ले गए। राजा जनक ने विश्वामित्र का स्वागत किया और राजा जनक ने दोनों राजकुमारों का परिचय पाया। राजा जनक ने विश्वामित्र को बताया कि मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसके साथ ही अपनी पुत्री का विवाह करूँगा। विश्वामित्र की आज्ञा से राम ने धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा खींची और धनुष बीच में से टूट गया। यह देखकर राजा जनक बहुत प्रसन्न हुए।
महर्षि विश्वामित्र की अनुमति पाकर राजा जनक ने राजा दशरथ को संदेश भेजा। राजा दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँच गये। विवाह से पूर्व जनक ने दशरथ से अनुरोध किया की वे अपनी छोटी बेटी उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से तथा अपने छोटे भाई कुशध्वज की दोनों पुत्रियाँ मांडवी और श्रुतकीर्ति का विवाह भरत और शत्रुघ्न के साथ करना चाहते हैं जिसे राजा दशरथ ने स्वीकार कर लिया| बराती बहुओं को लेकर अयोध्या लौटे तब तीनों रानियों ने अपने पुत्रों और वधुओं की आरती उतारी।
अगले दिन महर्षि दोनों राजकुमारों के साथ 'सिद्धाश्रम' पहुँचे। पहुँचते ही महर्षि यज्ञ की तैयारी में लग गये। आश्रम की रक्षा की जिम्मेदारी उन्होंने राम और लक्ष्मण को सौंप दी| दोनों राजकुमारों ने यज्ञ पूरा होने तक न सोने का निर्णय लिया। अनुष्ठान के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच ने राक्षसों के दल-बल के साथ आश्रम पर धावा बोल दिया। राम का वाण मारीच को लगा और वह मूच्छित हो गया और समुद्र किनारे जा गिरा। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और उसके प्राण निकल गये। राम ने धनुष उठाकर मारीच को निशाना बनाया। वह मूर्च्छित होकर समुद्र के किनारे जा गिरा। राम का दूसरा बाण सुबाहु को लगा और वह वहीं ढेर हो गया। बाकी सभी राक्षस भाग गये। महर्षि का अनुष्ठान सम्पन्न हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर राम को गले लगा लिया।
अनुष्ठान सम्पन्न होने पर महर्षि विश्वामित्र राजकुमारों को मिथिला के महाराज जनक के यहाँ स्वयम्वर में अद्भुत शिव-धनुष दिखाने ले गए। राजा जनक ने विश्वामित्र का स्वागत किया और राजा जनक ने दोनों राजकुमारों का परिचय पाया। राजा जनक ने विश्वामित्र को बताया कि मैंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसके साथ ही अपनी पुत्री का विवाह करूँगा। विश्वामित्र की आज्ञा से राम ने धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा खींची और धनुष बीच में से टूट गया। यह देखकर राजा जनक बहुत प्रसन्न हुए।
महर्षि विश्वामित्र की अनुमति पाकर राजा जनक ने राजा दशरथ को संदेश भेजा। राजा दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँच गये। विवाह से पूर्व जनक ने दशरथ से अनुरोध किया की वे अपनी छोटी बेटी उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से तथा अपने छोटे भाई कुशध्वज की दोनों पुत्रियाँ मांडवी और श्रुतकीर्ति का विवाह भरत और शत्रुघ्न के साथ करना चाहते हैं जिसे राजा दशरथ ने स्वीकार कर लिया| बराती बहुओं को लेकर अयोध्या लौटे तब तीनों रानियों ने अपने पुत्रों और वधुओं की आरती उतारी।
शब्दार्थ -
• वट - किनारा
• ओझल - गायब
• दुर्गम - कठिन
• आश्वस्त - विश्वास होना
• वेग - गति
• अनुमति - आज्ञा
• सुवासित - सुगन्धित
• अगवानी-स्वागत