Important Questions for Class 10 Hindi Chapter 5 उत्साह अट नहीं रही...
उत्साह
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) बादल, गरजो!
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले धुंघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो
बादल, गरजो!
1. कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कह रहा है?
2. 'धाराधर ओ!' का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताएँ कि यह शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
3. प्रस्तुत गीत में बादलों की तुलना बाल कल्पना से क्यों की गई है?
उत्तर
1. कवि समाज में क्रांति एवं उत्साह की भावना का संचार कर, नवजीवन व परिवर्तन लाना चाहता है। इसीलिए वह बादल को गरजने के लिए कह रहा है।
2. धाराधर ओ!' का अर्थ है धारा अर्थात् जल को धारण करने वाला। यहाँ यह शब्द बादल के लिए ही प्रयुक्त हुआ है।
3. बादलों की तुलना बाल कल्पना से इसलिए की गई है क्योंकि बच्चों की कल्पनाएँ मधुर होती हैं तथा बदलती रहती हैं। बादल भी बार-बार अपना रूप बदलते रहते हैं।
(ख) विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो
बादल, गरजो!
1. कौन विकल और उन्मन थे और क्यों?
2. कवि ने बादलों का आह्नान किसलिए किया है ?
3. बादलों को अज्ञात दिशा से आने वाला क्यों कहा गया है ?
उत्तर
1. उन्मन और विकल बादल हैं क्योंकि सारा जगत भयंकर गर्मी से परेशान है। पेड़ पौधे सूख रहे हैं तथा जीव-जन्तु पानी के अन्दर के जीव त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। प्राणि जगत की यह दयनीय दशा उनसे देखी नहीं जा रही है।
2. कवि ने बादलों का आह्नान मानवता को और धरती को गर्मी के प्रभाव से बचाने के लिए किया है।
3. बादलों को अज्ञात दिशा से आने वाला इसलिए कहा गया है, क्योंकि उनके आने की कोई दिशा ज्ञात नहीं है अर्थात बादलों की उत्पत्ति कहाँ से होती है, वह ज्ञात नहीं है।
लघुत्तरात्मक प्रश्नोत्तर-
1. कवि बादलों को क्या घेरने को कह रहे हैं?
उत्तर
कवि को लगता है कि आकाश धरती का संरक्षक है। इसी कारण बादलों को पूरा आकाश घेरने को वे कह रहे हैं।
2. बादल कवि के किस भाव का प्रतीक है?
उत्तर
बादल कवि के लोक-कल्याण के भाव का प्रतीक है। वह बादलों के माध्यम से जनक्रांति लाना चाहते हैं।
3. कवि ने बादल को किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर
कवि ने बादल को बच्चों के काले घंघराले बालों के रूप में चित्रित किया है। उनके अनुसार, ये काले-काले बादल
धुंघराले बालों के समान सुंदर प्रतीत हो रहे हैं।
4. कवि ने 'बादल के उर में विद्युत छवि को किन संदर्भो में जोड़ा है?
उत्तर
घने काले बादलों के बीच में चमकती बिजली की रेखा नया जीवन देने वाली है। प्रचंड गर्मी से जब समस्त प्राणी जगत त्राहि-त्राहि करने लगता है तब बादल बरस कर उनमें नई स्फूर्ति और नया जीवन डालते हैं।
5. 'उत्साह' कविता का संदेश क्या है?
उत्तर
बादल का गर्जन लोगों में क्रांति की चेतना जगाए। बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक है। मनुष्य में उत्साह होना ही उसकी उन्नति का कारण है, जिसमें उत्साह है, उसी में जीवन है|
6. कवि बादल से बार-बार गरजने का आग्रह क्यों करते हैं?
उत्तर
कवि बादल से बार-बार गरजने का आग्रह करते हैं क्योंकि बादल का गरजना क्रांति का सूचक है। कवि समाज में परिवर्तन लाना चाहते हैं, इसके लिए क्रांति की आवश्यकता है। बादल के गरजने के बाद वर्षा होती है अर्थात क्रांति का सुखद परिणाम होगा। सभी इस सुख से लाभान्वित होंगे।
7. 'उत्साह' कविता में कवि ने कविता करने वाले कवियों के लिए किस संबोधन का प्रयोग किया है?
उत्तर
उत्साह कविता में कवि ने कवियों के लिए 'नव जीवन वाले' संबोधन का प्रयोग किया है।
8. कवि बादल को सम्पूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए क्यों कहता है?
उत्तर
कवि बादल को संपूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए इसलिए कहता है ताकि वे मृतप्राय पड़ी संपूर्ण सृष्टि में एक साथ जीवन का संचार कर सकें।
9. “विद्युत-छवि उर में' पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि कहना चाहते हैं कि बादलों के हृदय में बिजली की जो रेखा है, वह मानव समुदाय को नया जीवन देने वाली अद्भुत शक्ति है।
10. 'उत्साह' कविता में कवि किसका आह्वान कर रहा है और क्यों?
उत्तर
'उत्साह' कविता में कवि उत्साही तथा युवा कवियों का आह्वान कर रहे हैं ताकि वे अपनी ओजस्वी कविता द्वारा
जन सामान्य में नई चेतना और साहस का संचार कर सकें।
11. कवि बादल से क्या करने के लिए कह रहा है और क्यों?
उत्तर
कवि बादल से गरजने के लिए कह रहे हैं क्योंकि 'गरजना' शब्द क्रान्ति विप्लव और विरोध का सूचक है। परिवर्तन के लिए आह्वान है। कवि को विश्वास है कि बादलों के गरजने से प्राणि जगत में नई स्फूर्ति और चेतना का संचार होगा। वे उत्साहित होकर नव निर्माण करेंगे।
10. 'उत्साह' कविता में कवि किसका आह्वान कर रहा है और क्यों?
उत्तर
'उत्साह' कविता में कवि उत्साही तथा युवा कवियों का आह्वान कर रहे हैं ताकि वे अपनी ओजस्वी कविता द्वारा
जन सामान्य में नई चेतना और साहस का संचार कर सकें।
11. कवि बादल से क्या करने के लिए कह रहा है और क्यों?
उत्तर
कवि बादल से गरजने के लिए कह रहे हैं क्योंकि 'गरजना' शब्द क्रान्ति विप्लव और विरोध का सूचक है। परिवर्तन के लिए आह्वान है। कवि को विश्वास है कि बादलों के गरजने से प्राणि जगत में नई स्फूर्ति और चेतना का संचार होगा। वे उत्साहित होकर नव निर्माण करेंगे।
अट नहीं रही...
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) अट नहीं रही है आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है। कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो, आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है। पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल, कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल, पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
1. इस कविता में किसका चित्रण किया गया है?
2. ‘फागुन की आभा का प्रभाव कहाँ-कहाँ दिखाई देता है? और कैसे?
3. 'अट नहीं रही है' का क्या भावार्थ है?
उत्तर
1. इस कविता में वसंत ऋतु का वर्णन किया गया है।
2. फागुन की आभा का प्रभाव संपूर्ण प्रकृति में दिखाई देता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए निकल आते हैं। पेड़ पौधों में फूल आ जाते हैं। फूलों की खुशबू से सारा वातावरण सुगंधित और मनमोहक लगता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति ने अपने गले में रंग-बिरंगे एवं सुगंधित फूलों की माला पहन रखी है।
3. अट नहीं रही है' का अर्थ है - समा नहीं रही है। कवि बताना चाहता है कि फागुन में वसंत की सुंदरता चारों ओर फैली है जहाँ देखो वहाँ सौंदर्य ही सौंदर्य है। ऐसा लगता है कि फागुन में 'वसंत की सुंदरता धरती पर समा नहीं रही है।
(ख) कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
1. कवि के अनुसार कौन साँस ले रहा है और उसके
2. कवि की आँख हटाने पर भी क्यों नहीं हट रही है? उन्हें कौन-कौन-सी चीजें आकर्षित कर रही हैं?
3. फागुन मास का पेड़-पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
1. परिणामस्वरूप क्या हो रहा है? उत्तर : कवि को ऐसा लगता है मानो फागुन साँस ले रहा है, जिससे सब जगह सुगंध फैल रही है।
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) अट नहीं रही है आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है। कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो, आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है। पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल, कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल, पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
1. इस कविता में किसका चित्रण किया गया है?
2. ‘फागुन की आभा का प्रभाव कहाँ-कहाँ दिखाई देता है? और कैसे?
3. 'अट नहीं रही है' का क्या भावार्थ है?
उत्तर
1. इस कविता में वसंत ऋतु का वर्णन किया गया है।
2. फागुन की आभा का प्रभाव संपूर्ण प्रकृति में दिखाई देता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए निकल आते हैं। पेड़ पौधों में फूल आ जाते हैं। फूलों की खुशबू से सारा वातावरण सुगंधित और मनमोहक लगता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति ने अपने गले में रंग-बिरंगे एवं सुगंधित फूलों की माला पहन रखी है।
3. अट नहीं रही है' का अर्थ है - समा नहीं रही है। कवि बताना चाहता है कि फागुन में वसंत की सुंदरता चारों ओर फैली है जहाँ देखो वहाँ सौंदर्य ही सौंदर्य है। ऐसा लगता है कि फागुन में 'वसंत की सुंदरता धरती पर समा नहीं रही है।
(ख) कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
1. कवि के अनुसार कौन साँस ले रहा है और उसके
2. कवि की आँख हटाने पर भी क्यों नहीं हट रही है? उन्हें कौन-कौन-सी चीजें आकर्षित कर रही हैं?
3. फागुन मास का पेड़-पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
1. परिणामस्वरूप क्या हो रहा है? उत्तर : कवि को ऐसा लगता है मानो फागुन साँस ले रहा है, जिससे सब जगह सुगंध फैल रही है।
2. प्रकृति की शोभा को देखकर कवि को अत्यधिक आनंद की अनुभूति हो रही है, जिसके कारण कवि की आँख उस प्राकृतिक शोभा से हटाने से भी नहीं हट रही है। उन्हें हरे व लाल पत्तों से लदी डालें, फूलों से लदी डालियाँ, सुगंधित वातावरण आकर्षित कर रहा है।
3. चारों ओर प्रकृति का सौन्दर्य चरम पर होता है। वृक्ष हरे-भरे पत्तों से युक्त रंग-बिरंगे फूलों की सुगंध से ऐसा लगता है मानो स्वयं वृक्षों ने मंद-सुगंध वाले फूलों की माला गले में धारण की हो।
लघुत्तरात्मक प्रश्नोत्तर-
1. ‘पट नहीं रही’-पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? ‘अट नहीं रही’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर
फागुन में प्रकृति सौन्दर्यशालिनी नजर आती है, कण-कण में सौन्दर्य बिखरा नजर आता है, यह सुन्दरता इतनी अधिक है कि भीतर समा नहीं पा रही है। प्रकृति के माध्यम से प्रकट हो रही है।
2. 'अट नहीं रही' के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
कवि ने वसंत में प्रकृति की शोभा का सुंदर उल्लेख किया है। ऐसा लगता है, जैसे इस ऋतु में प्रकृति के कण-कण में सुंदरता समा-सी जाती है। प्रकृति के कोने-कोने में अनूठी-सी सुगंध भर जाती है, जिससे कवियों की कल्पना ऊँची उड़ान लेने लगती है। चाहकर भी प्रकृति की सुंदरता से आँखें हटाने की इच्छा नहीं होती। स्वाभाविक सुंदरता के प्रति मन बँधकर रह जाता है। जगह-जगह रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों की शोभा दिखाई देने लगती है।