NCERT Solutions for Class 10th:भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक अर्थशास्त्र
अभ्यास1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ..........। (हुई है/नहीं हुई है)
(ख) ..............क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
(ग) ..............क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में ..............संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
(ङ) कपास एक ............उत्पाद है और कपड़ा एक .............उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ .............हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर
(क) नहीं हुई है
(ख) तृतीयक
(ग) संगठित
(घ) बड़ी
(ङ) प्राकृतिक, विनिर्मित
(च) परस्पर निर्भर
2. सही उत्तर का चयन करें-
(अ) परस्पर निर्भरसार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
► उद्यमों के स्वामित्व
(ब) एक वस्तु का अधिकांशत: प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ...............क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना औद्योगिकी
► (क) प्राथमिक
(स) किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ...............के मूल्य के कुल योगफल को जीडीपी कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती ईवं वस्तुओं और सेवाओं
► (ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(द) जीडीपी के पदों में वर्ष 2003 में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी ...........है।
(क) 20% से 30% के बीच
(ख) 30% से 40% के बीच
(ग) 50% से 60% के बीच
(घ) 70%
► (ग) 50% से 60% के बीच
3. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ | कुछ संभावित उपाय |
असिंचित भूमि | कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
फसलों का कम मूल्य | सहकारी विपणन समिति |
कर्ज भार | सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
मंदी काल में रोजगार का अभाव | सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
उत्तर
कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ | कुछ संभावित उपाय |
असिंचित भूमि | सरकार द्वारा नहरों का निर्माण |
फसलों का कम मूल्य | सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
कर्ज भार | कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
मंदी काल में रोजगार का अभाव | कृषि आधारित मिलों की स्थापना |
कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता | सहकारी विपणन समिति |
4. विषम की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
► पर्यटन निर्देशक तृतीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य प्राथमिक सेक्टर में
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
► सब्जी विक्रेता प्राथमिक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
► मोची द्वितीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में
(घ) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइंस, ऑल इंडिया रेडियो
► सहारा एयरलाइंस प्राइवेट सेक्टर में है जबकि अन्य पब्लिक सेक्टर में
5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आँकड़े जुटाए-
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | 15 | |
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | 20 | |
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं |
तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर
कार्य स्थान | रोजगार की प्रकृति | श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में | संगठित | 15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक | संगठित | 15 |
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक | असंगठित | 20 |
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं | असंगठित | 50 |
असंगठित क्षेत्रक में 70% श्रमिक काम करते हैं।
6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर
हाँ, आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है क्योंकि विभिन्न लोग विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़े होते हैं:
• यह रोजगार की स्थिति को दर्शाता है: आर्थिक गतिविधियों का विभाजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति दिखाता है। उदाहरण के लिए, भारत जैसे विकासशील देश में, ज्यादातर लोग प्राथमिक क्षेत्र में लगे हुए हैं जिन्हें कृषि और संबंधित क्षेत्र भी कहा जाता है। दूसरी ओर, विकसित देशों में, जैसे अमरीका में अधिकांश लोग माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
• सरकारी योजनाओं में मददगार: आर्थिक गतिविधियों का विभाजन से सरकार को जरूरी कदम उठाने में मदद मिलती है क्योंकि इससे यह पता चलता है कि कितने प्रतिशत लोग किस क्षेत्र में काम कर रहे हैं जिसके आधार पर सरकार समाज कल्याण के कार्यक्रम बना सकती है और सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
• लोगों के योगदान को जानने के लिए: इसके द्वारा में हम घरेलू सकल उत्पाद में प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के योगदान को आसानी से समझ सकते हैं|
7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर
इस अध्याय में हमारे सामने आने वाले प्रत्येक क्षेत्रों को रोजगार और जीडीपी पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये देश की अर्थव्यवस्था के आकार को निर्धारित करते हैं। रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद पर ध्यान दो महत्वपूर्ण चीजों को निर्धारित करने में मदद करता है- प्रति व्यक्ति आय और उत्पादकता। इसलिए, प्रत्येक क्षेत्रों में रोजगार दर और स्थिति के साथ-साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसके योगदान से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि यह क्षेत्र किस तरह से कार्य कर रहा है और इसमें और वृद्धि लाने के लिए क्या किया जाना चाहिए।
हां, अन्य मुद्दों की जांच होनी चाहिए -
• देश में संतुलित क्षेत्रीय विकास
• देश के लोगों के बीच आय और धन की समानता
• गरीबी उन्मूलन
• प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण
• देश की आत्मनिर्भरता|
8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
• प्राथमिक क्षेत्रकः सब्जी उत्पादक, किसान।
• द्वितीयक क्षेत्रकः श्रमिक, फैक्टरी मालिक।
• तृतीयक क्षेत्रकः अध्यापक, डॉक्टर, अभियंता, इलेक्ट्रीशियन, दुकानदार, धोबी, दूध विक्रेता, बीमा प्रबंधक, सरकारी कर्मचारी, घरेलू नौकर।
• तृतीयक क्षेत्रकः अध्यापक, डॉक्टर, अभियंता, इलेक्ट्रीशियन, दुकानदार, धोबी, दूध विक्रेता, बीमा प्रबंधक, सरकारी कर्मचारी, घरेलू नौकर।
9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर
तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न है क्योंकि इसकी गतिविधियाँ अन्य क्षेत्रकों (प्राथमिक एवं द्वितीयक) के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वत: वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहते हैं।
तृतीयक सेक्टर | अन्य सेक्टर |
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है। | मशीन की जरूरत पड़ती है। |
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है। | इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है। |
किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है। | भौतिक वस्तु का निर्माण होता है। |
उदाहरण: डॉक्टर, अभियंता, इलेक्ट्रीशियन, दुकानदार आदि। | उदाहरण: किसान, श्रमिक आदि। |
10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर
प्रच्छन्न बेरोजगारी अर्थात छुपी हुई बेरोजगारी, यह वह स्थिति है, जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता। इस स्थिति में श्रमिक के पास कोई विकल्प नहीं होता बल्कि किसी खास काम को करने की मजबूरी होती है।
उदाहरण: ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। इसलिए, अगर हम कुछ लोगों को दूसरे कामों में भी लगा दें, तो उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर
• खुली बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति वर्तमान मज़दूरी पर काम तो करना चाहता है परंतु उसे काम नहीं मिलता लेकिन प्रच्छन्न बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति थी जिसमें जितने व्यक्ति चाहिए उसके अधिक व्यक्ति ही काम पर लगे हुए हैं।
• खुली बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में पायी जाती है जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में पायी जाती है।
12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।“ क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर
मैं इस कथन से पूर्णता सहमत नहीं हूँ कि तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है:
• भारत में तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र कई अलग-अलग प्रकार के लोगों को रोजगार देता है।
• प्राथमिक क्षेत्र को पीछे छोड़ते हुए यह क्षेत्र अब भारत का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र बन गया है। जी.डी.पी में तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा अब 50% से अधिक है।
13. “भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करते हैं।“ ये लोग कौन हैं?
उत्तर
सेवा क्षेत्रक में नियमित और अनियमित श्रमिक काम करते हैं।
• जो श्रमिक अपने हुनर और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग करता है और सामान्यत: सीधे रूप से नियोजित होता है उसे नियमित श्रमिक कहते हैं।
• जो श्रमिक ऐसी सेवा प्रदान करता है जिसमें मानसिक क्षमताओं की खास भूमिका न हो उसे अनियमित या अनौपचारिक श्रमिक कहते हैं।
• अंशकालीन रूप से नियोजित श्रमिकों को भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरण: एक ठेले का मालिक जो किसी प्रकाशक के यहाँ कागज पहुँचाता है एक अनियमित श्रमिक होता है।
14. “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।“ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर
• असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की नौकरी सुरक्षित नहीं होती। उन्हें किसी भी समय बिना कारण बताए नौकरी से निकाला जा सकता है।
• उन्हें कम वेतन देकर अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
• सरकारी नियम जो श्रमिकों सहायता के लिए बनाए गए है उनका इसमें कोई अनुसरण नहीं होता।
15. आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर
आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर अनेक मानदंडों के आधार पर वर्गीकृत की जा सकती हैं। मुख्यतः आर्थिक गतिविधियों को तीन प्रकार के क्षेत्रक वर्गीकरण में रखा जाता है।
• प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक
• संगठित-असंगठित
• सार्वजनिक/निजी।
इन क्षेत्रकों में हम आर्थिक गतिविधियों को रोज़गार की परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं। क्योंकि कुछ गतिविधियाँ वस्तुओं का उत्पादन करती हैं और कुछ सेवाओं का सृजन करती हैं।
16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर
संगठित क्षेत्रक | असंगठित क्षेत्रक |
इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है। | इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है। |
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है। | इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है। |
श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है। | सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। |
नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है। | नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है। |
17. नरेगा 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
केंद्र सरकार ने 2005 में भारत के 200 जिलों में 'काम का अधिकार' लागू करने के लिए एक अधिनियम बनाया था। इस अधिनियम को महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के अतंर्गत अब 600 सौ जिले आते हैं। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
• ग्रामीण भारत में प्रत्येक परिवार को अपने कम-से-कम एक सदस्य के लिये 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्राप्त कराना।
• रोज़गार न्यूनतम मजदूरी पर प्राप्त होगा।
• रोजगार न मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा।
• उन कार्यों को वरीयता दी जाएगी, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
• ग्रामीण भारत में प्रत्येक परिवार को अपने कम-से-कम एक सदस्य के लिये 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्राप्त कराना।
• रोज़गार न्यूनतम मजदूरी पर प्राप्त होगा।
• रोजगार न मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा।
• उन कार्यों को वरीयता दी जाएगी, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।
उत्तर
निजी क्षेत्रक
निजी क्षेत्रक ऐसा क्षेत्रक है जो निजी व्यक्तियों द्वारा चलाया जाता है जिसका उद्देश्य लाभ कमाना होता है। इस सेक्टर की सेवाएं केवल भुगतान पर ही प्राप्त की जा सकती हैं इसलिए गरीब लोग इस सेक्टर की सेवाएं नहीं ले सकते हैं। यह क्षेत्र सार्वजनिक उपयोगिता की सेवाएं प्रदान नहीं करता है। उदाहरण: टिस्को, रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स, मोदी टायर्स, बजाज स्कूटर, बर्गर पेंट्स|
सार्वजनिक क्षेत्रक
सार्वजनिक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसम्पत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। सार्वजनिक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसम्पत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। उदहारण: सड़कों, पुलों, रेलवे, बंदरगाहों, बिजली उत्पादन, बांधों का निर्माण, विद्यालय और कॉलेज भवन आदि का निर्माण।
19. अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
सार्वजनिक क्षेत्रक | ||
निजी क्षेत्रक |
उत्तर
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | अव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन | |
सार्वजनिक क्षेत्रक | एन.टी.पी.सी. | बी.एस.एन.एल. |
निजी क्षेत्रक | टाटा पावर | स्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी |
20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहारण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यांवयन क्यों किया जाता है?
उत्तर
गतिविधियाँ | सरकारी नियंत्रण के कारण |
जल आपूर्ति | जल एक मूलभूत आवश्यकता है और जल की आपूर्ति के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। लेकिन लोगों को पीने का पानी कम से कम दाम में मुहैया कराना होता है। |
रेल परिचालन | रेल लाइन बिछाने और रेलगाड़ी खरीदने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। |
रेल परिचालन | ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनाने में प्राइवेट कम्पनियों की कोई रुचि नहीं होती है। |
21. व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर
किसी भी देश के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान होता है। जब भारत एक गरीब देश हुआ करता था तो यहाँ की अर्थव्यवस्था को शुरुआती गति प्रदान करने में पब्लिक सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। पब्लिक सेक्टर ने आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना तैयार की जिसके कारण प्राइवेट सेक्ट आगे बढ़ सका। इस तरह से भारत के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर ने एक उत्प्रेरक का काम किया।
22. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है – मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
• मज़दूरी: असंगठित क्षेत्र में मजदूरी न्यायसंगत नहीं है। इसमें श्रमिकों को दैनिक भत्तों का भुगतान नहीं होता है। उन्हें अतिरिक्त कार्य के लिए कुछ भी पैसे नहीं दिए जाते हैं तथा सवेतन छुट्टी आदि का कोई प्रावधान नहीं है।
• सुरक्षाः वे आमतौर पर कई खतरनाक उद्योगों में लगे हैं जैसे कांच, सीमेंट, ईंट, खनन और पटाखे उद्योग जहां जोखिम अधिकतम होता है।
• सुरक्षाः वे आमतौर पर कई खतरनाक उद्योगों में लगे हैं जैसे कांच, सीमेंट, ईंट, खनन और पटाखे उद्योग जहां जोखिम अधिकतम होता है।
• स्वास्थ्यः कम वेतन के कारण, वे पौष्टिक भोजन नहीं कर पा रहे हैं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बहुत खराब है। उनके अमानवीय काम और रहने की स्थिति के कारण, वे अस्वास्थ्यकर रहते हैं।
23. अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन पत्र में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997 – 98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपये थी इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होते थे। इस आँकड़े को सारणी में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।
उत्तर
- | संगठित क्षेत्र | असंगठित क्षेत्र | कुल |
श्रमिकों की संख्या | 4,00,000 | 11,00,000 | 15,00,000 |
आय ( करोड़ रु) | 320 | 280 | 600 |
यह स्पष्ट है कि श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम कर रहा है, लेकिन संगठित क्षेत्र के लोगों की प्रति व्यक्ति आय अधिक है। सरकार को असंगठित क्षेत्र के उद्यमियों को संगठित क्षेत्र में लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को कुछ प्रोत्साहन देने चाहिए ताकि संगठित क्षेत्र में और अधिक उद्योग खुल सकें।
24. निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद रुपये (करोड़) में दिया गया है:
वर्ष | प्राथमिक | द्वितीयक | तृतीयक |
2000 | 52,000 | 48,500 | 1,33,500 |
2013 | 8,00,500 | 10,74,000 | 38,68,000 |
(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.म.उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
(ख) इन आंकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते है?
(ख) इन आंकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते है?
उत्तर
(क) 2000 में,
प्राथमिक क्षेत्र = 22.22%, द्वितीयक क्षेत्र = 20.73%, तृतीयक क्षेत्र = 57.04%
2013 में,
प्राथमिक क्षेत्र = 13.94%, द्वितीयक क्षेत्र = 18.70%, तृतीयक क्षेत्र = 67.36%
प्राथमिक क्षेत्र = 22.22%, द्वितीयक क्षेत्र = 20.73%, तृतीयक क्षेत्र = 57.04%
2013 में,
प्राथमिक क्षेत्र = 13.94%, द्वितीयक क्षेत्र = 18.70%, तृतीयक क्षेत्र = 67.36%
(ख)
(ग) हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जीडीपी में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी 10% बढ़ी है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र की संख्या लगभग आधी हो गई है। पिछले 13 वर्षों में द्वितीयक क्षेत्र में लगभग 2% की वृद्धि हुई है।