MCQ Questions for Class 10 Hindi: Ch 8 कर चले हम फ़िदा स्पर्श
1. फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया- 'बढ़ते कदम' का क्या अर्थ है?
(क) जान बचाने के लिए उठते कदम
(ख) शत्रु को खेदेड़ने के लिए उठते कदम
(ग) सीमा पार करने के लिए उठते कदम
(घ) चलने की कोशिश करते कदम
► (ख) शत्रु को खेदेड़ने के लिए उठते कदम
2. 'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया' का अर्थ है
(क) हिमालय पर कब्जा नहीं होने दिया
(ख) मनुष्यता
(ग) शत्रु देश पर आक्रमण न कर सके
(घ) प्राणों की कुर्बानी देकर देश की रक्षा की
► (घ) प्राणों की कुर्बानी देकर देश की रक्षा की
3. इस कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
(क) भारत-पाक युद्ध
(ख) भारत-चीन युद्ध
(ग) स्वतंत्रता संग्राम
(घ) आतंकवाद से संघर्ष
► (ख) भारत-चीन युद्ध
4. 'अब तुम्हारे हवाले' में 'तुम्हारे' किसके लिए आया है?
(क) कवि के लिए
(ख) नेताओं के लिए
(ग) अन्य सैनिकों के लिए
(घ) देशवासियों के लिए
► (घ) देशवासियों के लिए
5. 'मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो' का अर्थ है
(क) वे शत्रु के लिए टेढ़े अर्थात बाँके हैं
(ख) बर्फीले पहाड़ों पर उनके शरीर अकड़ गए
(ग) जवानों में साहस और वीरता की कमी नहीं थी
(घ) उनके साथियों का स्वभाव टेढ़ा था
► (ग) जवानों में साहस और वीरता की कमी नहीं थी
6. धरती की तुलना दुल्हन से क्यों की गई है?
(क) क्योंकि उसे मातृभूमि अत्यधिक प्रिय है
(ख) क्योंकि वह धरती को अपनी माता मानता है
(ग) क्योंकि वह मातृभूमि से प्यार नहीं करता
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (क) क्योंकि उसे मातृभूमि अत्यधिक प्रिय है
7. हुस्न और इश्क दोनों को कौन रुस्वा करता है?
(क) जो अपने प्रियतम की बात नहीं मानता
(ख) जो सैनिक अवसर आने पर बलिदान नहीं देता
(ग) जो सैनिक मातृभूमि के लिए अपना बलिदान देते हैं
(घ) उपर्युक्त सभी
► (ख) जो सैनिक अवसर आने पर बलिदान नहीं देता
8. 'साथियो' संबोधन किसके लिए किया गया है?
(क) शत्रुओं के लिए
(ख) देशवासियों के लिए
(ग) नेताओं के लिए
(घ) बच्चों के लिए
► (ख) देशवासियों के लिए
9. 'राह कुर्बानियों की न वीरान हो' का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) देश के लिए मरने वाले वीरों की कमी नहीं होनी चाहिए
(ख) कुर्बानियों के रास्ते वीरान हों
(ग) बलिदानियों के रास्ते सूने पड़े रहें
(घ) कुर्बानी देने वाले वीरों की कमी होनी चाहिए
► (क) देश के लिए मरने वाले वीरों की कमी नहीं होनी चाहिए
10. कवि अपने साथियों को क्या सलाह देता है?
(क) शत्रु से डर कर भाग जाने की
(ख) शत्रु का मुकाबला न करने की
(ग) शत्रु से हार मान लेने की
(घ) सिर पर कफ़न बाँधने की
► (घ) सिर पर कफ़न बाँधने की