MCQ Questions for Class 8 Hindi: Ch 4 दीवानों की हस्ती Vasant
1. ‘दीवानों की हस्ती’ पाठ की रचना निम्नलिखित में से किसके द्वारा की गई है?
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ख) भगवतीचरण वर्मा
(ग) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (ख) भगवतीचरण वर्मा
2. बलि-वीरों के मन में बलि होने की चाहत किसके लिए है?
(क) परिवार के लिए
(ख) राज्य के लिए
(ग) देश के लिए
(घ) अपने-आप के लिए
► (ग) देश के लिए
3. मस्ती-भरा जीवन जीनेवाले दीवाने, लोगों के बीच क्या बनकर आते हैं?
(क) आदर्श
(ख) शोक
(ग) मेहमान
(घ) उल्लास
► (घ) उल्लास
4. दीवानों के लिए निम्नलिखित कथनो में से सत्य क्या है?
(क) वे लोगों में खुशियाँ बाँटते हैं
(ख) वे लोगों में धन बाँटते हैं
(ग) वे लोगों में धर्म का प्रचार करते हैं
(घ) वे लोगों से धन माँगते हैं
► (क) वे लोगों में खुशियाँ बाँटते हैं
5. दीवाने अपनी असफलता की निशानी किस पर लेकर चले?
(क) सिर
(ख) उर
(ग) पीठ
(घ) हाथ
► (ख) उर
6. दीवाने जब एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो उनकेे साथ निम्नलिखित में से क्या होता है?
(क) उनको सुरक्षा देनेवाला दल
(ख) पुलिस का दल
(ग) मस्ती का आलम
(घ) चिंता के बादल
► (ग) मस्ती का आलम
7. दीवानों ने रुकनेवालों के लिए क्या कामना व्यक्त की है?
(क) फरियाद रहें
(ख) बर्बांद रहें
(ग) चालबाज रहें
(घ) आबाद रहें
► (घ) आबाद रहें
8. कवि ने ‘दीवानों की हस्ती’ पाठ में संसार को निम्नलिखित में से क्या कहा है?
(क) दुखों का सागर
(ख) सुखों का घर
(ग) भिखमंगों की दुनिया
(घ) स्वर्ग से भी सुंदर
► (ग) भिखमंगों की दुनिया
9. दीवानों को क्या पछतावा है?
(क) भिखमंगे बनने का
(ख) स्वच्छंद प्यार लुटाने का
(ग) लोगों को मस्त न बना पाने का
(घ) कोई नहीं
► (ग) लोगों को मस्त न बना पाने का
10. दीवानों ने अभावग्रस्त और खुशियों से वंचित लोगों में अपना प्यार किस तरह लुटाया?
(क) स्वच्छंद रूप में
(ख) सुगंध के रूप में
(ग) प्रतिबंध के रूप में
(घ) आनंद के रूप में
► (क) स्वच्छंद रूप में
11. बेफ़िक्री का जीवन जीनेवालों ने इस संसार से क्या लिया?
(क) दुख-दर्द
(ख) समय
(ग) धन
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (क) दुख-दर्द
12. ‘छककर सुख-दुख के घूँटों को / हम एक भाव से पिए चले’ का आशय निम्नलिखित में से क्या है?
(क) वे सुख-दुख को मिलाकर पी जाते हैं
(ख) वे सुख में बहुत खुश तथा दुख में बहुत दुखी होते हैं
(ग) वे सुख-दुख अपने पास आने ही नहीं देते
(घ) वे सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण करते हैं।
► (घ) वे सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण करते हैं।