NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aaroh Chapter 7 बादल राग
Chapter 7 बादल राग NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aaroh which are helpful in completing homework on time and guide student in a better way. These NCERT Solutions are helpful resources that can help you not only cover the entire syllabus but also provide in depth analysis of the topics. बादल राग is written by सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' that will improve the learning behaviour of the students.
Chapter 7 बादल राग Class 12 Hindi Aaroh NCERT Solutions
कविता के साथ
1. अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर
'दुख की छाया' मानव जीवन में आने वाले दुखों, कष्टों और प्रतिकूल परिस्थितियों को कहा गया है। मनुष्य के जीवन 'सुख और दुःख' धूप-छाँव की तरह में आते-जाते रहते हैं और दोनों ही अस्थिर हैं।
2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?
उत्तर
इस पंक्ति में शोषक और धनी वर्ग के लोगों की ओर संकेत किया गया है। जिस प्रकार क्रांतिकारी बादल अपने वज्रपात से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ की चोटियों को घायल कर देते हैं, उसी प्रकार समाज के शोषित वर्ग की चेतना पूंजीवादी और प्रभुसत्ता से संपन्न लोगों को अपने प्रहार से ध्वस्त कर सकती है।
3. विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर
‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति के स्वर से है। समाज में क्रांति आने से पूंजीपतियों का शासन ध्वस्त हो जाता है। उनकी प्रभुसत्ता समाप्त हो जाती है। 'छोटे ही हैं शोभा पाते' इसलिए कहा गया है क्योंकि क्रांति से आम आदमी ही शोभा पाते हैं। समाज का निम्न वर्ग किसी भी क्रांति से प्रभावित नहीं होता, बल्कि उनको इन परिस्थितियों से आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है।
4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
उत्तर
बादलों के आगमन से प्रकृति में कई परिवर्तन होते हैं| इनके आगमन से अकाल की चिंता से व्याकुल किसान के मन में नया जोश और उल्लास उत्पन्न हो जाता है। पृथ्वी से पौधों का अंकुरण होने लगता है। बिजली चमकती है तथा उसके गिरने से पर्वत-शिखर टूटते हैं। सर्वत्र हरियाली होने का आभास होने लग जाता है।
व्याख्या कीजिए -
1. तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया।
उत्तर
कवि बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांतिदूत रूपी बादल! तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर कोई नाव तैर रही हो| यह उसी तरह है जैसे क्षणिक सुख पर दुःख की छाया मंडरा रहे हैं। सुख हवा के समान चंचल है तथा अस्थायी है। बादल संसार के व्यथित यानी जले हुए हृदय पर निर्दयी प्रलयरूपी माया के रूप में हमेशा स्थित रहते हैं। बादलों की युद्धरूपी नौका में आम आदमी की इच्छाएँ भरी हुई रहती हैं।
2. अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
उत्तर
कवि इन पंक्तियों में पूंजीपतियों के बड़े-बड़े घर अर्थात् अट्टालिकाओं के विषय में कहता है कि वास्वत में ये तो आतंक भवन हैं। गरीबों का शोषण करके खड़े किए गए इन घरों में रहने वाले लोग संवेदनहीन होते हैं। वर्षा से जो बाढ़ आती है, वह सदा कीचड़ से भरी धरती को ही डुबोती है। भयंकर जल-प्लावन सदैव कीचड़ पर ही होता है। यही जल जब कमल की पंखुड़ियों पर पड़ता है तो वह अधिक प्रसन्न हो उठता है। यानि क्रांति का जन्म तो समाज के निम्न वर्ग से ही होता है और वही परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
कला की बात
1. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?
उत्तर
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
इन पंक्तियों ने कवि ने हर मनुष्य को दुःख में मुस्कराते रहने को कहा है और विपत्ति में भी धैर्यवान रहने को कहा है|
2. कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है ? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।
उत्तर
• अस्थिर सुख पर दुख की छाया
• यह तेरी रण-तरी
• भेरी–गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
• ऐ विप्लव के बादल
• ऐ जीवन के पारावार
3. इस कविता में बादल के लिए ‘ ऐ विप्लव के वीर! ‘ तथा ‘ के ‘ ऐ जीवन के पारावार!’ जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। ‘ बादल राग ‘कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधानें का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- ‘अरे वर्ष के हर्ष !’ मेरे पागल बादल !, ऐ निर्बंध !, ऐ स्वच्छंद! , ऐ उद्दाम! , ऐ सम्राट! ,ऐ विप्लव के प्लावन! , ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य हैं?
उत्तर
इन संबोधनों का प्रयोग करके कवि ने कविता की सार्थकता को तो बढ़ाया ही है साथ ही प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपादान का सुंदर चित्रण भी किया है।
अरे वर्ष के हर्ष! | खुशी का प्रतीक |
मेरे पागल बादल ! | मदमस्ती का प्रतीक |
ऐ निर्बंध! | बंधनहीन |
ऐ स्वच्छंद! | स्वतंत्रता से घूमने वाले |
ऐ उद्दाम! | भयहीन |
ऐ सम्राट! | सर्वशक्तिशाली |
ऐ विप्लव के प्लावन! | प्रलय या क्रांति |
ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! | बच्चों के समान चंचल |
4. कवि बादलों को किस रूप में देखता हैं? कालिदास ने ‘मेघदूत’ काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा/अप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।
उत्तर
कवि बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में देखता है जिसके द्वारा वह समाज में व्याप्त शोषण को खत्म करना चाहता है ताकि शोषित वर्ग को अपने अधिकार मिल सकें।
देखो काले बादल आये ।
धरती की गर्मी को ये दूर भगाए ।।
सारे मौसम को भी खुशहाल ।
खेतों में हरियाली फैलायें ।।
5. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता हैं जैसे-अस्थिर सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया हैं। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ हैं?
उत्तर
कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है जो निम्नलिखित हैं:
(i) निर्दय विप्लव- विनाश की क्रूरता को और अधिक बताने के लिए 'निर्दय' विशेषण का प्रयोग।
(ii) दग्ध हृदय- हृदय की पीड़ा को और अधिक संतप्त दिखाने के लिए दग्ध विशेषण।
(iii) सजग- सुप्त अंकुर- बीजों का मिट्टी में दबे होने के लिए सुप्त विशेषण ।
(iv) वज्रहुंकार- हुंकार की भीषणता हेतु ‘वज्र’ विशेषण।
(v) गगन-स्पर्शी- बादलों की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ‘गगन’।
(vi) आतंक-भवन- भयावह महल के समान आतंकित कर देने हेतु।
(vii) त्रस्त नयन- आँखों की व्याकुलता।
(viii) जीर्ण बाहु- भुजाओं की दुर्बलता।
(ix) प्रफुल्ल जलज- कमल की खिलावट।
(x) रुदध कोष- भरे हुए खजानों हेतु।
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