बारहवाँ दिन Class 7 Hindi Summary Bal Mahabharat
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बारहवाँ दिन Class 7 Hindi Summary Bal Mahabharat
जब युधिष्ठिर को जीवित बंदी नहीं बनाया जा सका तो कौरवों ने निश्चय किया कि अर्जुन को युद्ध के लिए ललकार कर युधिष्ठिर से कहीं दूर ले जाया जाए। इसलिए अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा गया और लड़ते-लड़ते युधिष्ठिर से दूर ले जाया गया। आचार्य द्रोण ने युधिष्ठिर को जीवित पकड़ने की कई बार कोशिश की परन्तु वे असफल रहे। भगदत्त के हाथी ने भीम को मार दिया - युद्ध-क्षेत्र में यह शोर सुनकर युधिष्ठिर को लगा कि भीम मारा गया है इसलिए उसने अपने वीरों को भगदत्त पर आक्रमण करने का आदेश दिया।
उसी समय शकुनि के भाई वृषक और अचक ने अर्जुन पर बाणों की बौछार कर दी। अर्जुन ने उन दोनों के रथों के पहिए तहस-नहस कर दिए और दोनों को मार गिराया| तब शकुनि ने अर्जुन पर प्रहार करने शुरू कर दिए और अर्जुन के बाण से घायल होकर उसे युद्ध-क्षेत्र से हटना पड़ा। इसके बाद पांडवों की सेना द्रोणाचार्य की सेना पर टूट पड़ी जिसमें असंख्य वीर मारे गए। थोड़ी देर बाद सूर्यास्त हुआ और युद्ध समाप्त कर दोनों पक्षों की सेनाएँ अपने-अपने शिविर में लौट आईं। इस प्रकार बारहवें दिन का युद्ध समाप्त हुआ।
शब्दार्थ -
• चेष्टा - प्रयत्न, कोशिश
• कुमुक - सेना
• मर्म - नाजुक
• विलीन होना - खो जाना
• पैने - नुकीले
• विचलति होना - घबराना
• अनुपम - अनूठा
• आहत - घायल
• खेत रहना - मारा जाना