BSEB Solutions for आविन्यों (Aavinyo) Class 10 Hindi Godhuli Part 2 Bihar Board

आविन्यों - अशोक वाजपेयी प्रश्नोत्तर

Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. आविन्यों के दूसरे हिस्से का क्या नाम है ?
उत्तर

आविन्यों के दूसरे हिस्से का नाम वीलनव्य ‘ल’ आविन्यों अर्थात् आविन्यों का नया गाँव या नई बस्ती है।


प्रश्न 2. “वीलनव्य ल” में कौन-कौन सी सुविधाएँ हैं?
उत्तर
“वीलनव्य ल” में पत्र-पत्रिकाओं की एक दुकान, एक डिपार्टमेन्टल स्टोर और कई रेस्तराएँ आदि हैं।


प्रश्न 3. लेखक ‘आविन्यों” क्यों गए थे?
उत्तर
लेखक को फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रुज में रहकर कुछ काम करने का आमंत्रण प्राप्त हुआ था।


प्रश्न 4. लेखक “ला शत्रुज” में कितने दिनों तक रहे?
उत्तर

लेखक “ला शत्रुज” में 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक उन्नीस दिनों तक रहे।


प्रश्न 5. लेखक ने “ला शत्रुज” के अपने प्रवास काल में कौन से कार्य सम्पादित किए?
उत्तर
लेखक ने अपने प्रवास काल में ला शत्रुज में रहकर पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य की रचनाएँ की।


प्रश्न 6. पिकासो कौन थे और उनकी विख्यात कृति का नाम क्या है ?
उत्तर

पिकासो फ्रांस के महान चित्रकार थे तथा उनकी विख्यात अमर कृति “ल मादामोजेल द आविन्यों” है।


प्रश्न 7. “ला शत्रुज” का ऐतिहासिक महत्व क्या है ?
उत्तर

“ला शत्रुज” में फ्रेंच-शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक किला बनवाया था।


प्रश्न 8. लेखक आविन्यों जाकर क्यों अभिभूत था ?
उत्तर

लेखक आविन्यों जाकर वहाँ के प्राकृतिक दृश्य, ऐतिहासिक स्थल रोन नदी की अपूर्व छटा तथा सौंदर्य को देखकर अभिभूत था।


प्रश्न 9. कौन सी दो वस्तुएँ सदा से हमारे साथ रही हैं ?
उत्तर

नदी और कविता ऐसी दो वस्तुएं हैं जो सदा से हमारे साथ अथवा पास रही हैं।


प्रश्न 10. आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर
आविन्यों एक पुराना शहर है और वह दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा है।


प्रश्न 11. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?
उत्तर

हर बरस गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह आविन्यों में हुआ करता है।


Short Question Answers (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर
"आविन्यों" एक पुराना शहर है। वह दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के तट पर अवस्थित है |

प्रश्न 2. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?
उत्तर
हर बरस आविन्यों में गर्मी के मौसम में फ्रांस और यूरोप का अति प्रसिद्ध लोकप्रिय रंग-समारोह हुआ करता है जिसमें देश-विदेश के बड़े बड़े कवि, नाटक और लेखक आमंत्रित होते हैं।

प्रश्न 3. ला शत्रूजा क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ? आजकल क्या उपयोग होता है ?
उत्तर
"ला शत्रूजा" एक इमारत है जो आविन्यों में अवस्थित है जो कभी पोप की राजधानी थी। फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने एक किला बनवाया। उसी में काथूसियन सम्प्रदाय का एक मठ बना वही "ला श है। अभी इसका उपयोग कला केन्द्र के रूप में होता है।

प्रश्न 4. ला शत्रुज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करने यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को "मौन का स्थापत्य क्यों कहा है ?
उत्तर
"ला शत्रूजा" में दो-दो कमरे का चैम्बर्स बना है जिसमें चौदहवीं की जैसा फर्नीचर आधुनिक रसोईघर स्नान घर एवं आधुनिक संगीत व्यवस्था उपल है। लॉ शत्रुजा के प्रत्येक चेम्बर्स का मुख्य द्वार एक कब्रगाह के चारों ओर ही गलियारे में है। पीछे से भी एक दरवाजा है। पीछे में एक आँगन भी है। अतिथि। का भोजन सप्ताह में पाँच दिन सामूहिक रूप में व्यवस्था सायंकालीन होती है। अग दिन या जलपान आदि की व्यवस्था अतिथि के इच्छा अनुकूल होती है।

प्रश्न 5. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही ?
उत्तर
लेखक "आविन्यों" की यात्रा में अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर तीन । चार पुस्तकें और संगीत के कुछ टेप्स ले गये थे। वे वहाँ 19 दिनों तक रहे जिसमें । लेखक ने 35 कविताएँ और 27 गद्य रचनाएँ लिखीं।

प्रश्न 6. आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर
आविन्यों के प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित करते हुए कहा-हर जगह हम कुछ ला शत्रूजा में जो पाया उसके लिए गहरी कृतज्ञता मन में है और जो गँवाया । उसकी गहरी पीड़ा भी।

प्रश्न 7. इस कविता से आप क्या सीखते हैं ?
उत्तर
इस कविता से हमें सीख मिलती है कि मनुष्य को अपने जीवन में प्रतीक्षा का महत्व देना चाहिए। पत्थर की भाँति हरेक दु:खों को सहकर समय का | इन्तजार करना चाहिए। मनुष्य को अपने कर्म पथ से विचलित न होना चाहिए। जैसे । पत्थर अविचलित होकर न जाने किसका इन्तजार कर रहा है।

प्रश्न 8. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?
उत्तर
नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को अनुभव होता है कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है। नदी के पास होना लेखक को नदी हो जाना जैसा अनुभव हो रहा है।

प्रश्न 9. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?
उत्तर
नदी तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की लिखी एक कविता “नदी चेहरा लोगों" की याद आती है क्योंकि इस कविता में शुक्ल जी ने नदी को मानवीकरण करते हुए बताया है कि नदी के किनारे गया हुआ मनुष्य भी नदी के समान हो जाता है।

प्रश्न 10. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों ?
उत्तर
नदी और कविता के पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता। क्योंकि नदी के तट पर हमें नदी अपने जल से भिंगों देती है। उसी प्रकार कविता भी लोगा। को आनन्दित करती है। नदी यदि अपनी प्रवाह में हमें बहाती है तो कविता के प्रवाह में भी कवि का मन प्रवाहित हो जाता है।

Long Question Answer (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)


प्रश्न 1. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे ? वहाँ उन्होंने क्या देखा-सुना ?
उत्तर
“आविन्यों" में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला लोकप्रिय रंग-समारोह में भाग लेने के लिए लेखक गये थे। उन्होंने देखा सम्पूर्ण आविन्यों समारोह के आयोजन के समय रंग-स्थली के रूप में बदल जाता है। रोन नदी के किनारे अवस्थित यह पुराना शहर प्राकृति सौन्दर्य से सम्पन्न विशेष स्थापत्य कला से परिपुष्ट है। फ्रेंच क्रांति के बाद आविन्यों की किला साधारण लोगों के अधिकार में था। 20वीं सदी में फ्रांस सरकार ने उन लोगों से खरीदकर इस शहर का जीर्णोद्धार करवाया तथा यहाँ के भवनों का संरक्षित धरोहर की मान्यता दी।

प्रश्न 2. “प्रतीक्षा करते हैं पत्थर' शीर्षक कविता में कवि क्यों और कर पत्थर का मानवीकरण करता है ?
उत्तर
"प्रतीक्षा करते हैं पत्थर" शीर्षक कविता में पत्थर को मानवीकरण करके कवि कहता है- ये पत्थर धैर्यपूर्वक मनुष्य की तरह किसी की प्रतीक्षा में हो, ऐसा लग रहा है। प्रतीक्षा की घड़ी दु:खद होती है। धैर्यशील मानव की तरह ये पत्थर मेघ, धूप, पत्ते, अंधेरेपन नीरवता की बिना परवाह किये अविचल हो प्रतीक्षा में हैं। सुनहरे सपने लिए हुए, अनसुलझी पहेलियाँ से युक्त, समय चक्र से पीड़ित, लड़खड़ाती बोली और बुढ़ापा के लेकर जैसे कोई मनुष्य किसी की प्रतीक्षा में हो, ऐसा यह पत्थर लग रहा है।

प्रश्न 3. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?
उत्तर
लेखक के अनुकूल मानव जीवन और पत्थर में समानता है और कुछ विषमता भी।
  • समानता - मानव धैर्यवान होता है तो पत्थर भी धर्म से प्राकृतिक आपदा को महकर धैर्यवान होने का प्रमाण देता है।
  • मनुष्य अपनी कामना के लिए प्रतीक्षा करता है। पत्थर भी युगों से प्रतीक्षारता प्रतीत होते हैं।
  • विषमता - मनुष्य प्रार्थना में सिर झुकाता है। लेकिन पत्थर नहीं। मनुष्य प्रार्थना में ईश्वर से कुछ कहता है लेकिन पत्थर नहीं।
मनुष्य का दिल पसीजता है पत्थर का नहीं इत्यादि।

प्रश्न 4. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ?
उत्तर
नदी और कविता में लेखक ने समानता बताते हुए कहा है कि नदी प्रवाहमयी होती है तो कविता भी कवि के हृदय की प्रवाहमयी धारा है। नदियों में जल की कमी नहीं, अन्य जल संसाधन भी नदी के जल में पूर्णता लाती है। उसी प्रकार कवित्व भाव से कविता अपने-आप में परिपूर्ण होती है। अन्य संसाधन - जैसे नीरव क्षेत्र, नदी के तट, वन प्रदेश के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के शब्द कविता में पूर्णता लाने का काम करता है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. लगभग दस-बरस पहले पहली बार आविन्यों गया था। दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है जहाँ कभी कुछ समय के लिए पोप की राजधानी थी और अब गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग-समारोह हर बरस होता है। उस बरस वहाँ भारत केन्द्र में था। पीटर ब्रुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले पहल प्रस्तुत किया जानेवाला था और उन्होंने मुझे निमंत्रण भेजा था। पत्थरों की एक खदान में, आविन्यों से कुछ मिलीमीटर दूर, वह भव्य प्रस्तुति हुई थी; सच्चे अर्थों में महाकाव्यात्मक। कुछ दिनों और ठहरा रहा था-कुमार गन्धर्व आए थे और उन्होंने एक आर्कबिशप के पुराने आवास के बड़े से आँगन में गया था। एक बन्दिश भी याद है : द्रुमद्रुम लता-लता। इस समारोह के दौरान वहाँ के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंगस्थलियों में बदल जाते हैं।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) लेखक पहली बार आविन्यों कब गया था?
(ग) आविन्यों क्या है और यह किस देश में है ?
(घ) आविन्यों आने का निमन्त्रण लेखक को किसने भेजा था और वहाँ पहले-पहल किसकी प्रस्तुति थी?
(ङ) लेखक ने किनके आने की बात कही है और वह कहाँ गया था?
(च) लेखक को कौन-सा बन्दिश याद है तथा उनके अनुसार समारोह की क्या विशेषता होती है?

उत्तर

(क) पाठ का नाम – आविन्यों।
लेखक का नाम – अशोक वाजपेयी।

(ख) लेखक लगभग दस बरस पहले पहली बार आविन्यों गया था।

(ग) आविन्यों रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है। यह दक्षिण फ्रांस में है। ।

(घ) लेखक को आविन्यों आने का निमन्त्रण पीटर ब्रुक ने भेजा था। वहाँ पीटर बुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ पहले-पहल प्रस्तुत किया जाने वाला था।

(ङ) लेखक ने, कुमार गंधर्व को आने की बात कही है और उन्होंने एक आर्कबिशप के पुराने आवास के बड़े से आँगन में गया था।

(च) लेखक को एक बन्दिश याद है-“द्रुम द्रुम लता-लता”। इस समारोह के दौरान वहाँ । के अनेक चर्च और पुराने स्थान रंग-स्थलियों में बदल जाते हैं।


2. फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रूज में रहकर अपना कुछ काम करने का एक न्यौता मुझे पिछली गर्मियों में मिला था। तब नहीं जा पाया था। यों अवधि तो एक महीने की थी पर इतना समय निकालना कठिन था। सो कुछ उन्नीस दिन वहाँ रहा, 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर 1994 की दोपहर तक। अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स भर ले गया था। सिर्फ अपने में रहने और लिखने के अलावा प्रायः कुछ और करने की कोई विवशता न होने का जीवन में यह पहला ही अवसर था। इतने निपट एकान्त में रहने का भी कोई अनुभव नहीं था। कुलं उन्नीस दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताईस गद्य रचनाएँ लिखी गई।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) लेखक को किसके द्वारा और किसलिए पिछली गर्मियों में निमन्त्रण मिला था।
(ग) लेखक ला शत्रूज में कब से कब तक रहे ?
(घ) लेखक अपने साथ मुख्यतः क्या ले गए थे?
(ङ) लेखक के जीवन में कैसा अवसर पहले-पहल मिला था ?
(च) किस तरह का अनुभव लेखक को नहीं था और उन्होंने उन्नीस दिनों में कितने कविताएँ और गद्य की रचना की।

उत्तर

(क) पाठ का नाम-आविन्यों।
लेखक का नाम- अशोक वाजपेयी।

(ख) लेखक को फ्रेंच सरकार के सौजन्य से ला शत्रूज़ में रहकर अपना कुछ काम करने का निमन्त्रण पिछली गर्मियों में मिला था।

(ग) लेखक ला शत्रूज में 24 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 1994 की दोपहर तक रहे।

(घ) लेखक अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें और कुछ संगीत के टेप्स ले गये थे।

(ङ) सिर्फ अपने में रहने और लिखने के अलावा प्रायः कुछ और करने की कोई विवशता न होने का जीवन में यह लेखक के लिए पहला अवसर था।

(च) लेखक को सुनसान एकान्त स्थान में रहने का कोई पूर्व अनुभव नहीं था। उन्होंने कुल उन्नीस दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य की रचना की।


3. आविन्यों फ्रांस का एक प्रमुख कलाकेन्द्र रहा है। पिकासो क्री विख्यात कृति का शीर्षक है ‘ल मादामोजेल द आविन्यों’। कभी अति यथार्थवादी कवित्रयी आन्द्रे ब्रेताँ, रेने शॉ और पाल ‘एलुआर ने मिलकर लगभग तीस संयुक्त कविताएँ आविन्यों में साथ रहकर लिखी थीं। ला शत्रूज के निदेशक ने जब इस पुस्तक की सामग्री देखी थी तो उन्हें इतनी अल्पावधि में इतने काम पर अचरज हुआ था। अचरज मुझे भी कम नहीं है। वे सुन्दर, निविड़, सघन, सुनसान दिन और रातें थी: भय, पवित्रता और आसक्ति से भरी हुई। यह पुस्तक उन सबकी स्मृति का दस्तावेज है। आविन्यों को, उसी के एक मठ में रहकर लिखी गई, कविप्रणति भी। हर जगह हम कुछ पाते, बहुत सा गंवाते हैं। ला शत्रूज में जो पाया उसके लिए गहरी कृतज्ञता मन में है और जो गवाया उसकी गहरी पीड़ा भी।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) लेखक ने कवियत्री की संज्ञा किन्हें दिया है?
(ग) कवित्रयी द्वारा लगभग कितनी कविताओं की रचना आविन्यों में की गई ?
(घ) ला शत्रूज के निदेशक को अचरज क्यों हुआ?
(ङ) लेखक ने आविन्यों में रचित पुस्तक को कैसी स्मृति का दस्तावेज माना है ?
(च) लेखक के द्वारा किसके लिए मन में गहरी कृतज्ञता एवं गहरी पीड़ा होने की बात कही गई है।

उत्तर

(क) पाठ का नाम-आविन्यों।
लेखक का नाम अशोक वाजपेयी।

(ख) लेखक ने आर्दै ब्रेता, रेने शॉ और पाल एलुआर को कवित्रयी की संज्ञा दी है।

(ग) कवित्रयी के द्वारा लगभग तीस संयुक्त कविताएँ आविन्यों में रहकर लिखी गई थीं।

(घ) बहुत कम समय में पुस्तक हेतु अत्यधिक तैयार सामग्री को देखकर ला शत्रूज के निदेशक को अचरज हुआ।

(ङ) लेखक ने कहा है कि सुन्दर, निविड़; सुनसान और भय, पवित्रता, आसक्ति से भरी हुई दिन एवं रातें थीं। पुस्तक को उन सबकी स्मृति का दस्तावेज माना है।

(च) लेखक ने कहा है कि ला शत्रूज में जो पाया उसके लिए मन में गहरी कृतज्ञता है और जो गवाया उसकी गहरी पीड़ा है।

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