BSEB Solutions for विष के दाँत (Vish ke Daant) Class 10 Hindi Godhuli Part 2 Bihar Board

विष के दाँत - नलिन विलोचन शर्मा प्रश्नोत्तर 

Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. सेन साहब को कितनी लड़कियाँ थीं ? उनके क्या नाम थे?
उत्तर
सेन साहब को सीमा, रजनी, आलो, शेफाली और आरती-ये पाँच लड़कियाँ थीं।


प्रश्न 2. सेन साहब की लड़कियाँ कठपुतलियाँ किस प्रकार थीं ?
अथवा, लेखक ने सेन साहब की लड़कियों को कठपुतलियाँ क्यों कहा है?
उत्तर

अपने माता-पिता (सेन-दम्पति) के आदेश का वे अक्षरशः पालन करती थीं तथा वही .. कार्य करती थीं जो उन्हें करने के लिए कहा जाता था।


प्रश्न 3. खोखा सेन दम्पति की नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा क्यों था?
उत्तर

खोखा सेन दम्पति के बुढ़ापे की संतान था। उसका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उसकी कोई उम्मीद उन दोनों को बाकी नहीं रह गई थी।


प्रश्न 4. सेन साहब अपने “खोखा” को क्या बनाना चाहते थे ?
उत्तर
सेन साहब अपने “खोखा” को इंजीनियर बनाना चाहते थे।


प्रश्न 5. गिरधर कौन था?
उत्तर

गिरधर सेन साहब की फैक्ट्री में किरानी था।


प्रश्न 6. मदन ड्राइवर के बीच विवाद क्यों हुआ?
उत्तर

ड्राइवर के मना करने पर भी मदन सेन साहब की कार को छू रहा था जो दोनों के बीच विवाद का कारण बना।


प्रश्न 7. सेन साहब ने मदन की माँ को क्या हिदायत दी ?
उत्तर

सेन साहब ने मदन की माँ को हिदायत दी कि मदन भविष्य में कार को छूना जैसी हरकत नहीं करे।


प्रश्न 8. काश और मदन की लड़ाई कैसी थी?
उत्तर
काशू और मदन की लड़ाई हड्डी और मांस की, बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी।


प्रश्न 9. झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर कौन जीतता है ?
उत्तर

झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं।


प्रश्न 10. आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का प्रारंभ किसकी कविताओं से हुआ था ?
उत्तर

आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का आरंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ।


Short Question Answers (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. खोखा किन मामलों में अपवाद था?
उत्तर
खोखा जीवन के नियम और घर के नियमों के मामले में अपवाद था।

प्रश्न 2. सेन दंपति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ?
उत्तर
सेन दंपति अपने खोखा के दुर्ललित व्यवहार से एवं उसके तोड़-फोड़ की हरकतों से इंजीनियर बनने की सम्भावनाएँ देखते थे। उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी शिक्षा के लिए बढ़ई मिस्त्री को बुलवाकर ठोक-ठाक सिखाने के लिए तय किया था।

प्रश्न 3. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और । पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया?
उत्तर
सेन साहब के ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ मित्रगण के साथ-साथ एक पत्रकार मित्र भी उपस्थित थे। सभी परस्पर बातचीत कर रहे थे कि-किसका बेटा क्या कर रहा है, आगे क्या पढ़ेगा। सेन साहब तो बिना पूछे ही अपने खोखा को इंजीनियर बनाने की बात कह डाली। जव पत्रकार मित्र से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया-"मैं चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका । काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।"

प्रश्न 4. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या । बताना चाहता है?
उत्तर
मदन और ड्राइवर के बीच का विवाद के माध्यम से कहानीकार यह बताना चाहता है कि जनसाधारण भी वैसा ही बन जाता जैसा कि उसकी संगति होती है। ड्राइवर सेन साहब का नमक खाता है इसलिए सेन साहब के बेटे की बदमाशी की ओर नजर-अंदाज कर देता है लेकिन एक दसरा बच्चा को यदि गाडी छूने की ललक हो तो उसको धकेल दिया जाता है, उलटे उस पर गलत आरोप लगा देता है|

प्रश्न 5. काश और पदन के बीच झगड़े का कारण क्या था? इसस के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर
काशू और मदन के बीच झगड़े के कारण मात्र बाल हट्ठ था। यदि मदन को काशू की गाड़ी को स्पर्श करने का भी अधिकार नहीं तो काशू को मदन का लट्टू भी नचाने का अधिकार नहीं। लेकिन काशू रौव दिखाकर लट्टू नचा चाहता है जो मदन के विचार से गलत था। फिर मदन की प्रतिशोध की भार ने झगड़े का रूप ले लिया। इस प्रसंग के द्वारा कहानीकार यह दर्शाना चाहत है कि-बच्चों में भी प्रतिशोध की भावना जगती है। बच्चा में यह ज्ञान नहीं होता कि कोई बच्चा बड़े बाप का बेटा है, मैं गरीब बाप का बेटा हूँ। जो बच्चों का स्वाभाविक ज्ञान है।

प्रश्न 6. 'महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं। लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर
पुष्ट कीजिए।
उत्तर
महल और झोपड़ी वालों में लड़ाई अर्थात् काशू और मदन की लडाई में मदन के अन्य मित्रों ने काशू की मदद नहीं की। परिणाम काशू (महल वाला) हारता है। यदि मदन के मित्र बालक काशू को मदद करता तो काशू ही जीतता। प्राय: यही देखा जाता है कि झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने ही खिलाफ आवाज लगाते हैं। परिणाम झोपड़ी वाला पराजित हो जाता है।

प्रश्न 7. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें।
उत्तर
आरंभ से कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण हैं। इसके प्रमाण में कहानीकार की उक्ति गाड़ी के पक्ष में "जैसे कोयल घोंसले से कब उड़ जाएँ।" सेन साहब की पुत्रियों के प्रति व्यंग्यपूर्ण उक्ति में कहानीकार ने कहा है-“वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें तो सीख लें।" कहानी में वहाँ भी कहानीकार ने व्यंग्य किया है जहाँ काशू मदन की जमात में लटू नचाने जा पहुँचता है उस समय कहानीकार की उक्ति-"हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।" इत्यादि।

Long Question Answer (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)


प्रश्न 1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कहानीकार नलिन जी रचित "विष के दाँत" शीर्षक कहानी का शीर्षक सार्थक है। साँप के दांतों में दो विष के दाँत होते हैं। यदि वह दाँत टूट जाता है तो वह साँप विषहीन हो जाता है। सेन साहब का खोखा साँप की तरह ही विषैला था। वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझता था। किसी पर भी रोब जमा देता। किसी की भी पिटाई कर देता था। साँप की भाँति फुफकारने वाला सेन साहब का वह पुत्र काशू मदन से मार ऐसा खाया कि पुनः वह गली में आकर किसी पर फफकार भी नहीं सकता। मानो उसके विप के दाँत ही मदन ने तोड डाले हो|

प्रश्न 2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में कि रहे लिंग आधारित भेद भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर
सेन साहब के परिवार में पाँच बेटी और एक बेटा है। सेन साहब पली सहित बेटा को अधिक प्यार करते हैं। अगर कोई गलती भी बेटा कर देता तो उनको आनन्द आता था। क्यों नहीं आनन्द आता बेटा को भविष्य में इंजीनियर बनाने का दिवास्वप्न जो देख रहे थे। परन्तु बेटी तो उनके हाथ की मानो कठपुतली हो। हरेक समय माता-पिता की आज्ञा के पालन में तत्पर रहा करती थी। सभ्य और सुशील बेटी के प्रति सेन दम्पति का उतना प्यार नहीं दिखता जैसा कि बेटा के प्रति। सय और सुशील की प्रतिमूर्ति वह बेटियाँ भी कुछ बन सकती हैं वह दिल में उम्मीद भी नहीं रखते थे। खान-पान में भी काशू जो चाहता तुरन्त हाजिर हो जाता। परन्तु बेटियों के लिए नहीं। इससे स्पष्ट है कि-सेन परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में लिंग के आधार पर भेदभाव किये जाते थे।

प्रश्न 3. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर
रोज-रोज बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर दंडित नहीं किया बल्कि उसको अपने छाती से लगा लिया। क्योंकि सेन साहब ने गिरधर को बेवजह नौकरी से निकाला, घर खाली करने का आदेश दिया जो गिरधर के साथ अन्याय था। गलती काशू ने किया, दण्ड काशू को मिलना चाहिए। सेन साहब ने गिरधर के साथ जो अन्याय किया, उसका दंड सेन साहब को मिलना चाहिए था। गिरधर सेन साहब को दंडित कर सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। लेकिन उसका बेटा मदन काशू को दंडित कर उचित कार्य किया। इसलिए वह अपने बेटे मदन को छाती से लगाकर उचित कार्य के लिए सराहना करता है और खुशी जाहिर करता है।

प्रश्न 4. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर
सेन साहब का चरित्र-चित्रण
सेन साहब एक बिजनेसमैन हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से सम्पन्न हैं। महत्वाकांक्षी हैं। सम्भावना को संयोगने वाले हैं। इसलिए अपने दुर्दमनीय पुत्र में इंजीनियर होने की सम्भावना करते हैं। उनकी पुत्रियाँ सभ्य, सुशील और कायदे से काम करने वाली हैं परन्तु उसकी शिक्षा-दीक्षा की चर्चा कभी नहीं करते। इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहब पुत्र-पुत्री में भेद मानते हैं जो उचित नहीं है। सेन साहब को धन का अहंकार है इसीलिए तो निर्दोष गिरधर को नौकरी से निकाल देते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सेन साहब अहम् भाव के कारण अपनी सूझ-बूझ भी खा बैठते हैं।

मदन का चरित्र-चित्रण
मदन एक गरीब बाप का बेटा है लेकिन सामान्य बालक की भाँति उसमे भी मनस्विता है। इसीलिए तो वह सेन साहब के ड्राइवर की ओर बार-बार मारने के लिए झपटता है। सामान्य बालक की तरह ही उसमें भी ईर्ष्या, द्वेष और बदले की भावना जगती है। इसलिए तो उसने सेन साहब के खोखा को भी पीट देता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मदन स्वाभिमानी भी है।

काशू का चरित्र-चित्रण
काशू सेन साहब का एकलौता बेटा है। सेन साहब के दुलार में वह बिगड़ता जाता है। पिता की तरह ही उसमें भी अहम् का भाव पनप जाता है। इसलिए तो वह मदन से लटु नचाने के लिए रौव से माँगता है। वह नटखट भी है जिस कारण उसे तोड़-फोड़ में अधिक मन लगता है। उसमें स्वाभिमान भी है इसाला तो वह मदन के साथ लटु नहीं देने पर उलझ जाता है।

गिरधर का चरित्र-चित्रण
गिरधर एक मध्यवर्गीय आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति है। वह ईमानदार, वफादार कर्मचारी है। मालिक के गलत निर्णय को भी आसानी से स्वीकार लेता है कि गिरधर वर्तमान को भी आधार मानता है क्योंकि सामान्य पिता की तरह पत्र मदन को दण्ड भी देता है। लेकिन नौकरी छूटने के बाद उसी पुत्र को गले भी लगाता है। वह एक सफल गृहस्थ धर्म का पालन करता है क्योंकि विषम परिस्थिति में भी वह घबराता हुआ नहीं दिखता। दाम्पत्य जीवन में भी गिरधर समरसता ही कायम रखता है।

प्रश्न 5. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर
हमारी दृष्टि से कहानी का नायक काशू है। क्योंकि सेन दम्पत्ति काशू के प्रति सम्भावनाएँ को संयोजे हैं। काशू के दुर्लिलत भाव के कारण ही सेन साहब की गाड़ी की बत्ती टूटती है, सेन मित्रों के गाड़ी की हवा निकाली जाती है। काशू के कारण ही निर्दोष गिरधर की नौकरी समाप्त हुई। काशू के दुर्दमनीय स्वभाव के कारण ही सेन साहब को मित्रों के बीच मन मसोस कर रह जाता है तथा काशू के लाड़-प्यार के सामने सेन साहब की पुत्रियाँ कुछ नहीं हैं । काशू के ही दाँत भी टूटते हैं जिसे "विष के दाँत" की संज्ञा दी गई है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोत्तर

1. लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरी और सो भी लड़कियाँ, तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं। मिस्टर और मिसेज सेन ने उन्हें क्या करना चाहिए, यह सिखाया हो या नहीं, क्या-क्या नहीं करना चाहिए, इसकी उन्हें ऐसी तालीम दी है कि बस। लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है। वे कभी किसी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं। वे दौड़ती हैं, और खेलती भी हैं, लेकिन सिर्फ शाम के वक्त, और चूँकि उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं। वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें, तो सीख लें, पर उन्हें खिलखिलाकर किलकारी मारते हुए किसी ने सुना नहीं। सेन परिवार के मुलाकाती रश्क के साथ अपने शरारती बच्चों से. खीझकर कहते हैं “एक तुम लोग हो, और मिसेज सेन की लड़कियाँ हैं। अब, फूल का गमला तोड़ने के लिए बना है ? तुम लोगों के मारे घर में कुछ भी तो नहीं रह सकता।”

प्रश्न.
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ? और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) सेन साहब अपनी पुत्रियों को कैसा मानते थे?
(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए पुत्रियों को क्या सिखाया गया है ?
(घ) सेन साहब के मुलाकाती लोग अपने शरारती बच्चों से खीझकर क्या कहते थे?
(ङ) लेखक ने सेन साहब की पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से क्यों की है ?

उत्तर

(क) प्रस्तुत गद्यांश ‘विष के दाँत’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा हैं।

(ख) सेन साहब को अपनी पुत्रियों पर पूरा भरोसा था। उनकी सोच थी कि उनकी बेटियाँ तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत हैं। वे किसी भी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं हैं।

(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए खेलना जरूरी है। खेलने से शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है किन्तु खेल की भी समय-सीमा निर्धारित थी। खेलना-कूदना और दौड़ना शाम में ही ठीक होता है। अतः, समय पालन का पूरा-पूरा निर्देश दिया गया था।

(घ) सेन साहब से मिलने के लिए प्रायः लोग आया-जाया करते थे। वे सेन साहब की पुत्रियों के रहन-सहन से काफी प्रभावित हो जाते थे। मंद मुस्कान, बोली में मिठास आदि उन पुत्रियों के गुण थे। किन्तु मिलनेवालों के बच्चे इन चीजों के विपरीत थे। कभी गमला तोड़ देना, आपस में उलझ जाना उनकी ये आदत बन गयी थीं। अत: उनकी लड़कियों पर रीझकर, अपने बेटे-बेटियों से कहते, एक तुम लोग हो और एक सेन साहब की लड़कियाँ जिनकी चाल-ढाल प्रशंसनीय है।

(ङ) कठपुतलियाँ निर्देशन के आधार पर चलती हैं। उठना, बैठना, चलना आदि सभी क्रियाएँ निर्देश पर ही होती हैं। ठीक उसी प्रकार सेन साहब की बेटियाँ भी निर्देश पर ही काम करती थीं। जोर-से नहीं हँसना, चीजों को नहीं तोड़ना, शाम में खेलना-कूदना आदि सभी काम वे कहने पर ही करती थीं। इसी कारण लेखक ने उन पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से की है।


2. खोखा नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है यह नहीं कि मिसेज सेन अपना और बुढ़ाये का ताल्लुक किसी हालत में मानने को तैयार हों और सेन साहब तो सचमुच बूढ़े नहीं लगते, लेकिन मानने लगते कि बात छोड़िये। हकीकत तो यह है कि खोखा का आविर्भाव तब जाकर हुआ था, जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गयी थी। खोखा जीवन के नियम का अपवाद
था, और यह अस्वाभाविक नहीं था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद हो।

प्रश्न.
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) लेखक ने नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा किसे कहा है और क्यों ?
(ग) खोखा घर के नियमों का अपवाद क्यों था?

उत्तर

(क) पाठ-“विष के दाँत”, लेखक–नलिन विलोचन शर्मा।

(ख) लेखक ने सेन दम्पत्ति के एक मात्र पुत्र खोखा को नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा कहा है। वस्तुतः सेन दम्पत्ति इस ढलती उम्र में, जब संतानोत्पत्ति की कोई आशा नहीं थी, खोखा. का जन्म हुआ था। इसलिये उसे आँखों का तारा अर्थात् अत्यन्त प्यारा कहा है।

(ग) खोखा ढलती उम्र में सेन दम्पत्ति का एक मात्र पुत्र था। अत: बहुत दुलारा था। घर का अनुशासन लड़कियों पर तो लागू था किन्तु खोखा पर किसी प्रकार की शक्ति नहीं थी। उसपर … कोई पाबंदी न थी। इसलिये बहुत छूट थी।


3. एक दिन का वाकया है कि ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर . रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और सेनों के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया-मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ, और वे ही बातें दुहराकर वे थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐंठकर रह गए।

प्रश्न.
(क) पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखें।
(ख) ड्राइंग रूम में कौन बैठे थे ?
(ग) समझदार लड़का कौन था ?
(घ) सेन साहब खोखा को क्या बनाना चाहते थे ?
(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर को सुनने के पश्चात् सेन साहब पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर

(क) पाठ का नाम-विष के दाँत
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।

(ख) ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे थे।

(ग) समझदार लड़का सेन साहब के रिश्तेदार पत्रकार महोदय का पुत्र था।

(घ) सेन साहब खोखा को इंजीनियर बनाना चाहते थे।

(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर पर सेन साहब ऐंठकर रह गए।


4. शाम के वक्त खेलता-कूदता खोखा बँगले के अहाते के बगल वाली गली में जा निकला। वहाँ धूल में मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था। खोखा ने देखा तो उसकी तबीयत मचल गई। हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया, लेकिन आदत से लाचार उसने बड़े रोब के साथ मदन से कहा- ‘हमको लट्टू दो, हम भी खेलेगा’ दूसरे लड़कों की कोई खास उम्र नहीं थी, वे खोखा को अपनी जमात में ले लेने के फायदों को नजर अंदाज नहीं कर सकते थे। पर उनके अपमानित प्रताड़ित, लीडर मन को यह बात कब मंजूर हो सकती थी। उसने छूटते ही जवाब दिया-“अबे भाग जा यहाँ से ! बड़ा आया है लटू खेलने वाला। है भी लटू तेरे ! जा, अपने बाबा की मोटर पर बैठ।”

प्रश्न.
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) खोखा शाम के खेलते हुए कहाँ चला गया ?
(ग) मदन क्या कर रहा था ?
(घ) लटू का खेल देखकर खोखा पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ङ) मदन खोखा को खेल में भाग लेने क्यों नहीं दिया ?

उत्तर

(क) पाठ का नाम- विष के दाँत
लेखक का नाम नलिन विलोचन शर्मा।

(ख) खोखा शाम के वक्त खेलता-कूदता बँगले के अहाते की बगल वाली गली में चला गया।

(ग) मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था।

(घ) लटू का खेल देखकर खोखा की तबीयत मचल गई। उसे खेलने की प्रबल इच्छा हुई।

(ङ) खोखा के व्यवहार ने मदन को आहत कर दिया था। उसके द्वारा प्रताड़ित होने के चलते वह खोखा को खेल में भाग लेने नहीं दिया।


5. मदन घर नहीं लौटा, लेकिन जाता ही कहाँ ? आठ-नौ बजे तक इधर-उधर मारा-मारा फिरता रहा। फिर भूख लगी, तो गली के दरवाजे से आहिस्ता-आहिस्ता घर में घुसा। उसके लिए मार खाना मामूली बात थी। डर था तो यही कि आज मार और दिनों से भी बुरी होगी, लेकिन उपाय ही क्या था! वह पहले रसोईघर में घुसा। माँ नहीं थी। बगल के सोनेवाले कमरे से बातचीत की आवाज आ रही थी। उसने इत्मीनान के साथ भर पेट खाना खाया, फिर दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बातचीत सुनने की कोशिश करने लगा।

प्रश्न.
(क) पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
(ख) मदन देर रात तक घर क्यों लौट गया ?
(ग) मदन किस बात के लिए डरा हुआ था ?
(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम क्या किया ?
(ङ) खाना खाने के बाद मदन ने क्या किया ?

उत्तर

(क) पाठ का नाम-विष के दाँत।
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।

(ख) मदन देर रात तक घर लौट गया, क्योंकि इधर-उधर घूमते रहने के कारण उसे भूख लग चुकी थी।

(ग) मदन को डर था कि अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक मार खानी पड़ेगी।

(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम रसोईघर में घुसकर भर पेट खाना खाया।

(ङ) खाना खाने के उपरान्त मदन ने दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बात सुनने की कोशिश करने लगा।


6. चोर-गुंडा-डाकू होनेवाला. मदन भी कब माननेवाला था। वह झट काशू पर टूट पड़ा। दूसरे लड़के जरा हटकर इस द्वन्द्व युद्ध का मजा लेने लगे। लेकिन यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। अहाते में यही लड़ाई हुई रहती, तो काशू शेर हो जाता। वहाँ से तो एक मिनट बाद ही वह रोता हुआ जान लेकर भाग निकला। महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में अक्सर महलवाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में, जब दूसरे झोपड़ीवाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं। लेकिन बच्चों को इतनी अक्ल कहाँ ? उन्होंने न तो अपने दुर्दमनीय लीडर की मदद की, न अपने माता-पिता के मालिक के लाडले की ही। हाँ, लड़ाई खत्म हो जाने पर तुरन्त ही सहमते हुए तितर-बितर हो गए।

प्रश्न.
(क) मदन काशू को मारने के लिए क्यों टूट पड़ा?
(ख) यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। इसका आशय स्पष्ट करें।
(ग) महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में महलवाले ही क्यों जीतते हैं ?
(घ) लड़ाई समाप्त होने पर क्या हुआ?
(ङ) मदन और काशू की लड़ाई में अन्य लड़के तमाशबीन क्यों बने रहे?

उत्तर

(क) लट्टू खेलने के नाम पर मदन और काशू में आपसी विवाद उत्पन्न हो गया। काशू को अपने पिता और उनकी सम्पत्ति पर गर्व रहता था। इस कारण वह मदन को मार बैठा। मदन भी अल्हड़ और स्वाभिमानी प्रवृत्ति का था। अपनी पिटाई उसे नागवार लगी और वह काशू को मारने के लिए टूट पड़ा।

(ख) दो परस्पर असामान्य हैसियतों के बीच की लड़ाई अजीबोगरीब होती है। काशू अमीर बाप का बेटा था और मदन का बाप काशू के पिताजी का ही एक निम्न कोटि का कर्मचारी था। मदन और काशू में कभी भी प्रेम नहीं रहता था। दोनों में सर्प और नेवले की तरह संबंध था। गली का कुत्ता किसी तरह अपना पेट भरता है जबकि महल का कुत्ता स्वामी का स्नेही होता है उसे खाने के लिए विविध प्रकार की व्यवस्था रहती है।

(ग) झोपड़ीवाले महल के अत्याचार से भयभीत रहते हैं। उन्हें भय बना रहता है कि महल का विरोध करना अपने आपको मृत्यु के मुँह में झोकना है। महलों के दया-करम पर ही उनका जीवन निर्भर है। झोपड़ीवाले अपने साथी को मदद करने में हिचकते हैं। यही कारण है कि महलवाले हमेशा झोपड़ीवालों से जीत जाते हैं।

(घ) लड़ाई में जब काशू हार गया और रोता-बिलखता अपने घर में भाग गया तो अन्य लड़के भी वहाँ से तितर-बितर हो गये। उन्हें भय हो गया कि कहीं काशू के पिताजी आकर हमलोगों को मार बैठे।

(ङ) मदन और काशू की लड़ाई को देखनेवाले लड़कों के बाप काशू के पिताजी के यहाँ ही नौकरी करते थे। उन्हें लगा कि यहाँ मौन रह जाना ही समझदारी है। किसी को मदद करने का मतलब अपने ऊपर होनेवाले जुर्म को न्योता देना है। इसी कारण वे तमाशबीन बने रहे।


7. गिरधर निस्सहाय निष्ठुरता के साथ मदन की ओर बढ़ा। मदन ने अपने दाँत भींच लिए। गिरधर मदन के बिल्कुल पास आ गया कि अचानक ठिठक गया। उसके चेहरे से नाराजगी का बादल हट गया। उसने लपककर मंदन को हाथों से उठा लिया। मदन. हक्का-बक्का अपने पिता को देख रहा था। उसे याद नहीं, उसके पिता ने कब उसे इस तरह प्यार किया था, अगर कभी किया था, तो गिरधर उसी बेपरवाही, उल्लास और गर्व के साथ बोल उठा; जो किसी के लिए भी नौकरी से निकाले जाने पर ही मुमकिन हो सकता है, ‘शाबाश बेटे’। एक तेरा बाप है, और तूने तो, खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले। हा हा हा हा !

प्रश्न.

(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) गिरधर निष्ठुरता के साथ आगे बढ़कर क्यों ठिठक गया?
(ग) मदन हक्का-बक्का क्यों हो गया ?
(घ) गिरधर ने बेटे मदन को शाबासी क्यों दी? मदन एकाएक गिरधर के लिए प्यारा क्यों बन गया ?

उत्तर

(क) पाठ-विष के दाँत। लेखक-नलिन विलोचन शर्मा।

(ख) गिरधर पहले तो गुस्से में मदन को मारने के लिए तत्पर हो गया किन्तु तत्काल ही उसे ख्याल आया कि अब तो वह सेन साहब का कर्मचारी है ही नहीं। फिर उनके लड़के के लिए अपने को क्यों मारे? यह सोचकर वह ठिठक गया।

(ग) मदन अक्सर अपने पिता से पिटता था। किन्तु जब पिता ने उसे अपने हाथों में प्यार से उठा लिया तो पिता के इस स्वभाव परिवर्तन पर वह हक्का-बक्का हो गया।

(घ) गिरधर सेन साहब का कर्मचारी था और अक्सर डाँट-फटकार सुनता था। इससे उसमें हीन-भावना घर कर गई थी। जब बेटे के कारण नौकरी से हटाया गया तो सेन साहब का भय समाप्त हो गया और उनके प्रति आक्रोश उभर आया। चूंकि उसके दमित आक्रोश को, उसके बेटे मदन ने सेन साहब के बेटे खोखा के दाँत को तोड़कर, व्यक्त कर दिया था, इसलिए मदन उसका प्यारा बन गया। जो काम गिरधर न कर सका था, उसके बेटे ने कर दिखाया।

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