BSEB Solutions for दही वाली मंगम्मा (Dahi Wali Mangamma) Class 10 Hindi Varnika Part 2 Bihar Board

दही वाली मंगम्मा - श्रीनिवास प्रश्नोत्तर

Very Short Questions Answers (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. रंगप्पा कौन था और वह क्या चाहता था ?
उत्तर

रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का जुआड़ी था और मंगम्मा से रुपये चाहता था।


प्रश्न 2. सास-बहू की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने किसका साथ दिया ?
उत्तर

सास-बहु की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने अपनी पत्नी का साथ दिया।


प्रश्न 3. मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा में झगड़ा क्यों हुआ?
उत्तर

मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा में पोते की पिटाई को लेकर झगड़ा हुआ।


प्रश्न 4. मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से क्यों समझौता कर लिया ?
उत्तर
मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से इसलिए समझोता कर लिया कि कहीं सास दूसरे व्यक्ति को रुपये न दं ।


प्रश्न 5. मंगम्मा कौन थी?
उत्तर

मंगम्मा बारी में दही बेचने वाली थी।


प्रश्नोत्तर (Questions and Answers)

प्रश्न 1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था ?

उत्तर
मंगम्मा का अपनी बहू के साथ स्वतंत्रता को लेकर विवाद थी, यह सत्य है, कि संसार में सास और बहू में स्वतंत्रता की होड़ लगी रहती है, मां बेटे पर अपना अधिकार जमाना चाहती है, तो मंगम्मा की बहू अपने पति पर अपना अधिकार जमाना चाहती है, मंगम्मा की बहू ने किसी बात को लेकर वह अपने बेटे को खूब पीटी मंगम्मा अपने पोते की पिटाई से दुखी होकर वह अपनी बहू को भला बुरा कह दी, बेटे पर


प्रश्न 2.  रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था ?

उत्तर
रंगजा रंगप्पा के गाँव का आदमी था। बड़ी शौकीन तबीयत का। कभी-कभार जूआ भी खेलता था। जब उसे पता चला कि मंगम्मा बेटे से अलग रहने लगी है तो वह मंगम्मा के पीछे पड़ गया। एक दिन उससे हाल-चाल पूछा और बोला कि मुझे रुपयों की जरूरत है। दे दो लौटा दूँगा। मंगम्मा ने जब कहा कि पैसे कहाँ हैं तो बोला कि पैसे यहाँ-वहाँ गाड़कर रखने से क्या फायदा दूसरे दिन रंगप्पा ने अमराई के पीछे रोककर बाँह पकड़ ली और कहा- ‘जरा बैठो मंगम्मा, जल्दी क्या है ? दरअसल, रंगप्पा लालची और लम्पट दोनों ही था।


प्रश्न 3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया ?

उत्तर
बहू ने अपने सास को मनाने के लिए अपने बेटे को ढाल बनाकर पैसे लेने की तरकीब सोचने लगी, वह जानती थी, कि उसकी सास अपने पोते से बहुत प्यार करती है, उसने अपने बेटे को दादी के पास ही रहने के लिए भेज दिया, ताकि दादी पोते के प्यार में घुल मिलकर एक साथ हो जाए |


प्रश्न 4. इस कहानी का कथावाचक कौन है ? उसका परिचय दीजिए ?

उत्तर

इस कहानी का कथावाचक लेखक की माँ है। लेखक की माँ प्रस्तुत कहानी का द्वितीय केन्द्रीय चरित्र है। कहानी की कथावस्तु लेखक की माँ के द्वारा ताना-बाना बुना गया है। मंगम्मा जब दही बेचने के लिए आती है तो लेखक के घर आती है और बढ़िया दही कुछ-न-कुछ बेचकर जाती है। धीरे-धीरे मगम्मा और लेखक की माँ में घनिष्ठता बढ़ती चली गई।

मगम्मा अपने घर-गृहस्थी का सारा हाल सुनाती है और लेखक की माँ उसे कुछ-न-कुछ सुझाव देती है। सास और बहू के अन्तर्कलह से परिवार बिखर जाता है। बेटे को समस्त सुख अर्पित करनेवाला माँ बहू के आते ही बेटे से अलग हो जाती है। मगम्मा के अन्तर्व्यथा को सुनकर लेखक की माँ का मन भी बोझिल हो जाता है। ममता की मूर्तिमान रहनेवाली नारी दुर्गा क्यों बन जाती है। इसका ज्वलंत उदाहरण लेखक की माँ को देखना-सुनना पड़ता है। जब कोई एक दूसरे को पसंद नहीं करता तब छोटी बातें भी बड़ी हो जाती है। मंगम्मा की बातें सुनते-सुनते लेखक की माँ का हृदय द्रवित हो जाता है।


प्रश्न 5. मंगामा का चरित्र चित्रण कीजिए ?

उत्तर
मंगम्मा इस कहानी के प्रमुख पात्र है, कहानी की कथावस्तु इसके इर्घ गिर्घ घूमती रहती है, पति के मरने के बाद मंगम्मा कभी या नहीं सोचती थी, कि उसका बेटा पत्नी के कहने पर उसको छोड़ देगा, मंगम्मा दही बेचकर अपनी जीवन यापन करती थी, वह एक भोली भाली भारतीय नारी थी, उसको अपने पोते से बहुत प्रेम था, वह एक दिन के लिए भी अपने पोते से अलग नहीं रहना चाहती है, जिससे स्पष्ट होता है, कि उसके अंदर मातृत्व और प्रेम की भावना थी, मंगम्मा संपूर्ण भारतीय नारी की नेतृत्व करती दिखाई पड़ती है, उसके अंदर प्रेम स्वभाव तथा ममता भरा पड़ा हुआ है |

प्रश्न 6. मंगामा कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

प्रस्तुत कहानी कन्नड़ कहानियाँ (नेशल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से सभार ली गयी है। इस कहानी का अनुवाद बी आर नारायण ने किया है। इस कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र मंगम्मा और द्वितीय चरित्र लेखक की माँ है। मंगम्मा पति विरक्ता हो घर के अन्तर्कलह से दुःखी होकर वह जीवन-यापन करने के लिए दही बेचती है। वह गांव से शहर जाती है और दही बेचकर कुछ पैसे संचय करती है। संचय का सत्य है कि सास और बहू में स्वतंत्रता की होड़ लगी रहती है। माँ बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ती और बहू पति पर अधिकार जमाना चाहती है। पोते की पिटाई से क्षुब्ध मंगम्मा अपनी बहू को भला-बुरा कह देती है।

सास और बहू का विवाद घर में अन्तर्कलह को जन्म दे देता है। बहू-और-बेटे मंगम्मा को अलग रहने के लिए विवश कर देते हैं। दही बेचकर किसी तरह जीवन मापन करने वाली मंगम्मा कुछ पैसे इकट्ठा कर लेती है। जब बहू को यह ज्ञात हो जाता है कि उसकी सास रंगप्पा को कर्ज देनेवाली ही तो वह अपने को बेटे को ढाल बनाती है। वह बेटे को दादी के पास ही रहने के लिए उसकाती है। धीरे-धीरे सास और बहू में संबंध सुधरता जाता है। एक दिन मंगम्मा स्वयं बहू को लेकर दही बेचने के लिए जाती है।

लोगों से अपनी बहू का परिचय देती है और कहती है कि अब दही उसकी बहू ही बेचने के लिए आयेगी। वस्तुतः इस कहानी के द्वारा यह सीख दी गई है कि पानी में खड़े बच्चे का पाव खींचनेवाले मगरमच्छ जैसी दशा बहू की है और ऊपर से बाँह पकड़कर बचाने जैसी दशा माँ की होती है।

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