MCQ and Summary for दही वाली मंगम्मा (Dahi Wali Mangamma) Class 10 Hindi Varnika Part 2 Bihar Board

दही वाली मंगम्मा - श्रीनिवास MCQ and सारांश

Multiple Choice Question Solutions (बहुविकल्पी प्रश्न)

1. दही वाली मंगम्मा के रचयिता है
(A) सात कौड़ी होता
(B) ईश्वर पेटलीकर
(C) श्रीनिवास
(D) प्रेमचन्द
उत्तर
(C) श्रीनिवास

2. श्री निवास ____ साहित्यकार हैं |
(A) गुजराती
(B) कन्नड़
(C) राजस्थानी
(D) तमिल
उत्तर
(B) कन्नड़

3. मंगम्मा बरसों से बारी में ____ दिया करती थी।
(A) दूध
(B) चावल
(C) मछली
(D) दही
उत्तर
(D) दही

4. नंजम्मा मंगम्मा की कौन थी?
(A) बेटी
(B) माँ
(C) पुत्रवधू
(D) सास
उत्तर
(C) पुत्रवधू

5. श्रीनिवास का पूरा नाम ______ है।
(A) सावर दइया
(B) सुजाता
(C) आरती वेंकटेश अय्यंगर
(D) सात कोड़ी होता
उत्तर
(C) आरती वेंकटेश अय्यंगर

6. मंगम्मा कहाँ की रहने वाली थी ?
(A) रामपुर
(B) बैकटपुर
(C) बेंकटपुर (बेंगलूर)
(D) वर्द्धमान
उत्तर
(C) बेंकटपुर (बेंगलूर)

7. मंगम्मा और बहु के झगड़े का कारण क्या था ?
(A) पैसा रुपया
(B) दही बेचने का काम
(C) आलस
(D) पोते की पिटाई
उत्तर
(D) पोते की पिटाई

8. मंगम्मा किस प्रदेश के गाँव की भारतीय नारी है ?
(A) उत्तर प्रदेश के
(B) कर्नाटक के
(C) पश्चिम बंगाल के
(D) दिल्ली के
उत्तर
(C) पश्चिम बंगाल के

9. मंगम्मा की बहु का क्या नाम था ?
(A) नजम्मा
(B) नजमा
(C) जायरीन
(D) अम्म
उत्तर
(A) नजम्मा

10. दही कौन बेचा करती थी?
(A) मंगम्मा
(B) निवास
(C) रंगप्प
(D) पप्पाती
उत्तर
(A) मंगम्मा

11. गाँव में जुआरी कौन था?
(A) मंगम्मा
(B) रंगप्पा
(C) पप्पात
(D) जर्खा
उत्तर
(B) रंगप्पा

12. झगड़ा करने से क्या बढ़ती है ?
(A) उमर
(B) तेवर
(C) खून
(D) दौलत
उत्तर
(A) उमर

13. सासु बहू की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने किसका साथ दिया ?
(A) माँ का
(B) पुत्र का
(C) पत्नी का
(D) गाँव वालों का
उत्तर
(C) पत्नी का

14. बहु ने सास से समझौता क्यों कर लिया ?
(A) प्रेम से
(B) मजबूरी से
(C) शोक से
(D) रुपये-पैसो को कारण
उत्तर
(A) प्रेम से

15. कौ लालची और लम्पट किस्म का आदमी था ?
(A) मगम्मा
(B) पप्पाती
(C) रंगप्पा
(D) इनमें सभी
उत्तर
(C) रंगप्पा

16. इस कहानी की कथा वाचिका कहाँ रहती है ?
(A) पटना में
(D) मध्य प्रदेश में
(C) बंगाल में
(D) बैंगलूर में
उत्तर
(D) बैंगलूर में

17. 'बी आर नारायण' ने किसी कहानी का अनुवाद किया है ?
(A) ढहते विश्वास
(B) दही वाली मंगम्मा
(C) नगर
(D) माँ
उत्तर
(B) दही वाली मंगम्मा


दही वाली मंगम्मा कवि परिचय

श्रीनिवास जी का पूरा नाम मास्ती वेंकटेश अय्यंगार है । उनका जन्म 6 जून 1891 ई० में कोलार, कर्नाटक में हुआ था । श्रीनिवास जी का देहावसान हो चुका है । वे कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाकारों में एक हैं। उन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवन-चरित्र आदि साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया। साहित्य अकादमी ने उनके कहानी संकलन ‘सण्णा कथेगुलु’ को सन् 1968 में पुरस्कृत किया । उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। यह कहानी ‘कन्नड़ कहानियाँ’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से साभार ली गयी है । इस कहानी का अनुवाद बी० आर० नारायण ने किया है।


दही वाली मंगम्मा का सारांश (Summary)

मंगम्मा अवलूर के समीप वेंकटपुर की रहनेवाली थी और रोज दही बेचने बंगलूर आती थी। वह आते-जाते मेरे पास बैठती और अपनी बातें करती थी।
एक दिन वह मेरे बच्चे को देखकर अपना पुत्र और पति की कहानी कहकर पति को अपनी ओर आकृष्ट करने की रहस्यमयी बातें कहने लगी। आदमी को अपने वश में रखने का तीन-चार अपना अनुभवपूर्ण गुर भी बताया।
पन्द्रह दिन बाद मंगम्मा आई और रोती हुई अपना गृह-कलह तथा बेटा-बहु से अलग होने की दुःखद कहानी सुनाई। इस प्रकार बेटे बहु से विरक्त होकर अपने जोड़े हुए पैसे को अपने साज श्रृंगार पर खर्च करने लगी। इस से वह कुछ लोगों के आलोचना के पात्र भी बन गई। बहु भी उसकी जैकेट पर ताना कसने लगी और बात बढ़ने पर दिए गये गहने भी लौटाने को तैयार हो गई।
झगड़े का कारण तो पोते की पीटाई थी लकिन मूल-रूप में सास-बहू की अधिकार सम्बन्धी ईर्ष्या थी । औरत को अकेली जानकर कुछ लोग उसके धन और प्रतिष्ठा पर भी आँखे उठाते थे। रंगप्पा भी ऐसा ही किया, जिसे बहू के पैनी निगाहों ने ताड़ लिया। उसने पोते को उसके पास भेजने का एक नाटक किया। अब मंगम्मा भी पोते के लिए बाजार से मिठाई खरिदकर ले जाने लगी। एक दिन कौवे ने उसके माथे से मिठाई की दाना ले उड़ा। अंधविश्वास के कारण मंगम्मा भयभीत हो उठी। जिसे माँ जी ने बड़े कुशलता से निवारण किया।
बहू के द्वारा नाटकीय ढ़ंग से पोते को दादी के पास भेजने का बहू का मंत्र बड़ा कारगर हुआ। दूरी बढ़ने से भी प्रेम बढ़ता है। मानसिक तनाव घटता है। हुआ भी ऐसा ही। मंगम्मा को भी बहू में सौहार्द, बेटे और पोते में स्नेह नजर आने लगी। बड़े-बूढ़ों ने भी समझाया।
बहू ने मंगम्मा का काम अपने जिम्मे ले लिया। एक दिन दही बेचने के क्रम में नंजम्मा (बहू) आई और मुझे सारी बातें बताई। उसने परिवार का जमा पैसा लुट जाने के भय के कारण बहू बड़ी कुशलता से पुनः परिवार में शांति स्थापित कर लिया। और फिर पहले की तरह रहने लगी।
अंत में लेखक इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि सास और बहू में स्वतंत्रता की होड़ लगी है। उसमें माँ बेटे और पति पत्नि है। माँ बेटे पर से अपना अधिकार नही छोड़ना चाहती है तो बहू पति पर अपना अधिकार जमाना चाहती है। यह सारे संसार का ही किस्सा है।

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