MCQ and Summary for ढहते विश्वास (Dhahate Viswas) Class 10 Hindi Varnika Part 2 Bihar Board
ढहते विश्वास - सातकोड़ी होता MCQ and सारांश
Multiple Choice Question Solutions (बहुविकल्पी प्रश्न)
(C) सातकोड़ी होता
(D) उड़िया
(D) पत्नी
(D) कोलकाता
(C) टीले की ओर
(C) (A) एवं (B) दोनों
(B) उड़िया
(C) लक्ष्मी
(A) ढहते विश्वास
(A) महानदी
(C) जब बार-बार विश्वास करता है
(A) एरसमा
(C) अच्युत
(B) गुणनिधि
(C) दलेइ
(C) उडिया
ढहते विश्वास लेखक परिचय
सातकोड़ी होता उड़िया के एक प्रमुख कथाकार हैं । इनका जन्म 29 अक्टूबर 1929 ई० में मयूरभंज, उड़ीसा में हुआ था । अबतक इनकी एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। होता जी भुवनेश्वर में भारतीय रेल यातायात सेवा के अंतर्गत रेल समन्वय आयुक्त व उड़ीसा सरकार के वाणिज्य एवं यातायात विभाग में विशेष सचिव तथा उड़ीसा राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं । इनके कथा साहित्य में उड़ीसा का जीवन गहरी आंतरिकता के साथ प्रकट हुआ है । यह कहानी राजेन्द्र प्रसाद मिश्र द्वारा संपादित एवं अनूदित ‘उड़िया की चर्चित कहानियाँ’ (विभूति प्रकाशन, दिल्ली) से यहाँ साभार संकलित है।
ढहते विश्वास का सारांश (Summary)
प्रस्तुत कहानी ‘ढहते विश्वास‘ चिंतन प्रधान कहानी है। इसमें कहानीकार सातकोड़ी होता ने उड़ीसा के जन-जीवन का चित्र प्रस्तुत किया है। कहानी एक ऐसे परिवार की आर्थिक दुर्दशा से शुरू होती है, जिसका मुखिया लक्ष्मण कलकŸा में नौकरी करता है, किन्तु उसकी कमाई से परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पाता। इसलिए उसकी पत्नि तहसीलदार साहब के घर छिटपुट काम करके उस कमी को पूरा करती है। उसके पास एक बिघा खेत भी है, लकिन बाढ़, सूखा तथा तुफान के कारण वह खेत दुख का कारण बन जाता है।
कई दिनों से लगातार वर्षा होते देखकर लक्ष्मी इस आशंका भयाक्रांत हो गई कि इस बार भी बाढ़ आएगी। तूफान से घर टूट गया था। कर्ज लेकर किसी प्रकार घर की मरम्मत कराती है। तूफान और सूखा से त्रस्त होते हुए भी हल किराए पर लेकर खेती करवाती है। सूखा होने के कारण धान के अंकुर जल गये, फिर भी हार न मानकर बारिश होने पर रोपनी करने का इंतजार किसान कर रहे थे। लकिन लगातार वर्षा होने के कारण बाढ़ आने की चिंता ने लोगों की निन्द हराम कर दी थी। लक्ष्मी का घर देवी नदी के बाँध के निचे था। लक्ष्मी उसी समय ससुराल आई थी, जब दलेई बाँध टुटा था। बाढ़ की भयंकरता के कारण लोगों की खुशी तुराई के फूल की तरह मुरझा गई। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। उस दर्दनाक स्थिति की अनुभूति लक्ष्मी को हो चुकी थी।
इसलिए वह यह सोचकर सिहर उठती है कि यदि पुनः दलेई बाँध टूट जाए तो इस विपिŸा का सामना वह कैसे कर पाएगी, क्योंकि तूफान और सूखा ने कमर तोड़ दी है। पति परदेश में है। तीन बच्चे हैं।
लक्ष्मी वर्षा की निरंतरता से भीषण बाढ़ आने की बात सोचकर दुखी हो रही थी। उसके पति लक्ष्मण कलकŸा की नौकरी से कुछ पैसे भेज देता था और वह स्वयं तहसीलदार का छिटपुट काम करके बच्चों के साथ अपना भरण-पोषण कर रही थी। भूमि की छोटा टुकड़ा तो प्रकृति-प्रकोप से ही तबाह रहता है।
दलेई बाँध टूटने की विभीषिका तो वह पहले ही देख चुकी थी। वह भयानक अनुभूति रह-रहकर जाग उठती थी। तूफान, सूखा और बाढ़ इन तीन-तीन प्राकृतिक विपदाओं से कौन रक्षा करें ? बाँध की सुरक्षा के लिए ग्रामीण युवक स्वयंसेवी दल बनाकर बाँध की सुरक्षा में संलग्न थे। लक्ष्मी भी बड़े लड़के को बाँध पर भेजकर दो लड़कीयों और एक साल के लड़का के साथ घर पर है।
पूर्व में ऐसी भयानक स्थिति को देखकर भी लोग यहाँ खिसके नहीं। सायद इसी प्रकार नदियों के किनारे नगर और जनपद बनते गये। लक्ष्मी भी पूर्व के आधार पर कुछ चिउड़ा बर्तन-कपड़ा संग्रह कर लिया। गाय, बकरीयों के पगहा खोल दिया।
पानी ताड़ की ओर बढ़ा और शोर मच गया। ग्रामीण युवक काम में जुटे थे और लोगों में जोश भर रहे थे तथा लोगों को ऊँचे पर जाने का निर्देश भी दे रहे थे। सब लोगों का विश्वास आशंका में बदल गया। लोग काँपते पैरों से टीले की ओर भागे। स्कूल में भर गये। देवी स्थान भी भर गया। लोग हतास थे अब तो केवल माँ चंडेश्वरी का ही भरोसा है।
लक्ष्मी भी आशा छोड़कर जैसे-तैसे बच्चों को लेकर भाग रही थी क्योंकि बाँध टूट गया था और बाढ़ वृक्ष घर सबों को जल्दी-जल्दी लील रही थी। शिव मंदिर के समीप पानी का बहाव इतना बढ़ गया कि लक्ष्मी बरगद की जटा में लटककर पेड़ पर चढ़ गयी। वह कब बेहोश हो गई। कोई किसी की पुकार सुननेवाला नहीं। टीले पर लोग अपने को खोज रहे थे। स्कुल भी डुब चुका था। अतः लोग कमर भर पानी में किसी तरह खड़े थे।
लक्ष्मी को होश आने पर उसका छोटा लड़का लापता था। वह रो-चिल्ला रही थी, पर सुननेवाला कौन था ? लोगों का विश्वास देवी-देवताओं पर से भी उठ गया क्योंकि इन पर बार-बार विश्वास करके लोग ठगे जा रहे हैं। लक्ष्मी ने पुनः पिछे देखा पर उसकी दृष्टि शून्य थी। फिर भी एक शिशु शव को उसने पेड़ की तने पर से उठा लिया और सीने से लगा लिया, जबकि वह उसके पुत्र का शव नहीं था।