MCQ and Summary for हमारी नींद (Hamari Neend) Class 10 Hindi Godhuli Part 2 Bihar Board
हमारी नींद - वीरेन डंगवाल MCQ and सारांश
Multiple Choice Question Solutions (बहुविकल्पी प्रश्न)
1. 'हमारी नींद' के रचयिता कौन हैं?
(A) सुमित्रानंदन पंत
(B) वीरेन डंगवाल
(C) रामधारी सिंह 'दिनकर'
(D) कुँवर नारायण
उत्तर
(B) वीरेन डंगवाल
2. वीरेन डंगवाल किस विचारधारा के कवि हैं ?
(A) जनवादी
(B) रहस्यवादी
(C) रीतिवादी
(D) सूफी
उत्तर
(A) जनवादी
3. 'हमारी नींद' में 'नींद' किसका प्रतीक है ?
(A) गफलत
(B) बेहोशी
(C) पागलपन
(D) मदहोशी
उत्तर
(A) गफलत
4. 'दुश्चक्र में सृष्टा' पुस्तक पर वीरेन डंगवाल को कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?
(A) ज्ञानपीठ
(B) सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
(C) साहित्य अकादमी
(D) नोबेल पुरस्कार
उत्तर
(C) साहित्य अकादमी
5. 'हमारी नींद' कैसी कविता है ?
(A) समकालीन
(B) नकेनवादी
(C) हालावादी
(D) छायावादी
उत्तर
(A) समकालीन
6. कवि वीरेन डंगवाल के अनुसार जीवन में महत्वपूर्ण क्या है ?
(A) सुख
(B) नींद
(C) भ्रमण
(D) संघर्ष
उत्तर
(D) संघर्ष
7. वीरेन डंगवाल की काव्य भाषा कैसी है ?
(A) आधुनिक
(B) खड़ी बोली
(C) देशी ठाटयुक्त
(D) सभी गलत है
उत्तर
(C) देशी ठाटयुक्त
8. मानव कब विकास करता है ?
(A) अनाचार के आगे अडिग रहकर
(B) अनाचारी बनकर
(C) आतातायी बनकर
(D) महात्मा बनकर
उत्तर
(A) अनाचार के आगे अडिग रहकर
9. समाज के दुश्मनों के बिछाए जाल निम्नलिखित में कौन है ?
(A) भाग्य
(B) पूजा
(C) पाठ
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर
(D) उपर्युक्त तीनों
10. आज लोग किस प्रकार का जीवन जी रहे हैं ?
(A) गदहे का
(B) मक्खियों की तरह
(C) मच्छर बनकर
(D) सभी जगह
उत्तर
(B) मक्खियों की तरह
11. जो लोग देवी जागरण करते हैं, उनका उद्देश्य क्या रहता है ?
(A) अमीरी से छुटकारा
(B) गरीबी से छुटकारा
(C) चोरों का भय
(D) रतजग्गा
उत्तर
(B) गरीबी से छुटकारा
12. बीज कहाँ अंकुरता है ?
(A) धरती में
(B) पानी में
(C) हवा में
(D) धूप में
उत्तर
(A) धरती में
13. दैनिक अमर उजाला के वीरेन डंगवाल क्या हैं ?
(A) संपादक
(B) प्रूफरीडर
(C) फोटो ग्राफर
(D) संपादकीय सलाहकार
उत्तर
(D) संपादकीय सलाहकार
14. यथार्थ पहचानने का विशेष ढंग किसमें है
(A) नींद में
(B) जागति में
(C) वीरेन डंगवाल में
(D) अंकर में
उत्तर
(C) वीरेन डंगवाल में
15. सृष्टि की स्वाभाविक प्रक्रिया है
(A) भूख
(B) नींद
(C) श्वास
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(D) उपर्युक्त सभी
16. 'हमारी नींद' कविता का संदेश क्या है?
(A) संघर्षहीन रहो
(B) संघर्षमुक्त जीवन
(C) संघर्ष ही जीवन है
(D) पलायनवादी सोच रखना
उत्तर
(C) संघर्ष ही जीवन है
17. डंगवाल किस प्रकार के परिवर्तन के कवि हैं ?
(A) मनुवादी
(B) जनवादी
(C) अत्याचारी
(D) निरीह प्राणी
उत्तर
(B) जनवादी
18. वीरेन डंगवाल को किस कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है?
(A) इसी दुनिया में
(B) दुष्चक्र में सृष्टा
(C) पहल पुस्तिका
(D) कवि ने कहा
उत्तर
(B) दुष्चक्र में सृष्टा
19. परदेश की विद्या पढ़ने का क्या परिणाम हुआ ?
(A) सबकी बुद्धि भारतीय हो गई
(B) सबकी बुद्धि विदेशी हो गई
(C) सबकी बुद्धि आध्यात्मिक हो गई
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(B) सबकी बुद्धि विदेशी हो गई
20. गरीब बस्तियों में क्या हुआ ? :
(A) कई शिशु पैदा हुए
(B) दंगे, आगजनी और बमबारी
(C) धमाके से देवी जागरण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(C) धमाके से देवी जागरण
हमारी नींद कवि परिचय
प्रमुख समकालीन कवि वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त 1947, ई० में कीर्तिनगर, टिहरी-गढ़वाल, उत्तरांचल में हुआ । मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद डंगवाल जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० किया और यहीं से आधुनिक हिंदी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी० लिट् की उपाधि पायी । वे 1971 ई० से बरेली कॉलेज में अध्यापन करते रहे । डंगवाल जी हिंदी और अंग्रेजी में पत्रकारिता भी करते हैं। उन्होंने इलाहाबाद से प्रकाशित अमृत प्रभात’ में कुछ वर्षों तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक . से स्तंभ लेखन भी किया । वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी हैं। ]
कविता में यथार्थ को देखने और पहचानने का वीरेन डंगवाल का तरीका बहुत अलग, अनूठा और बुनियादी किस्म का है । सन् 1991 में प्रकाशित उनका पहला कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में आज भी उतना ही प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण लगता है । उन्होंने कविता में समाज के साध परण जनों और हाशिये पर स्थित जीवन के जो विलक्षण ब्यौरे और दृश्य रचे हैं, वे कविता में और कविता से बाहर भी बेचैन करने वाले हैं । उन्होंने कविता के मार्फत ऐसी बहुत-सी वस्तुओं और उपस्थितियों के विमर्श का संसार निर्मित किया है जो प्रायः ओझल और अनदेखी थीं। उनकी कविता में जनवादी परिवर्तन की मूल प्रतिज्ञा है और उसकी बुनावट में ठेठ देसी किस्म के, खास और आम, तत्सम और तद्भव, क्लासिक और देशज अनुभवों की संश्लिष्टता है।
वीरेन डंगवाल को ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। उन्हें ‘इसी दुनिया में’ पर रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार मिला । उन्हें श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार और कविता के लिए शमशेर सम्मान भी प्राप्त हो चुका है । डंगवाल जी ने विपुल परिमाण में अनुवाद कार्य भी किए हैं। तुर्की के महाकवि नाजिम हिकमत की कविताओं के अनुवाद उन्होंने ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में किया । उन्होंने विश्वकविता से पाब्लो नेरुदा, वर्ताल्त ब्रेख्त, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊष रूजेविच आदि की कविताओं के अलावा कुछ आदिवासी लोक कविताओं के भी अनुवाद किए ।
समसामयिक कवि वीरेन डंगवाल की कविताओं के संकलन ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ से उनकी कविता ‘हमारी नींद’ यहाँ प्रस्तुत है । सुविधाभोगी आराम पसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जानेवाले जीवन का चित्रण करती है यह कविता।
हमारी नींद का सारांश (Summary)
प्रस्तुत कविता ‘हमारी नींद‘ को वीरेन डंगवाल की काव्य संकलन ‘दुष्चक्र में स्रष्टा‘ से लिया गया है। इसमें सुविधा भोगी आराम पसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहीयां के बाहर विपरित परिस्थितियों से लगातार लड़ते-बढ़ते जानेवाले जीवन का चित्रण करती है।
मेरी निंद के दौरान
कुछ इंच बढ़ गये पेड़
कुछ सुत पौधे
अंकुर ने अपने नाम मात्र
कोमल सिंगो सें
धकेलना शुरू की
बीज की फुली हुई
छत, भीतर से।
कवि कहते हैं कि मनुष्य सुविधा भोगी बनकर आराम की नींद सोता है लेकिन प्रकृति विकास क्रम को अनवरत जारी रखती है। हमारे नींद के दौरान कुछ इंच पेड़ तथा कुछ सुत पौधे बढ़ जाते हैं। बीज अंकुरित होकर अपनी कोपलों को धकेलना शुरू कर देता है।
एक मक्खी का जीवन-क्रम पुरा हुआ
कई शिशु पैदा हुए, और उनमें से
कई तो मारे गए
दंगे, आगजनी और बमबारी में ।
कवि एक मक्खी के माध्यम से दीन-हीन लोगों के जीवन के दशा के विषय में कहता है कि उसके बच्चे दीनता के कारण या तो मर गये अथवा अत्याचारियों के कोप के शिकार हो गये, जो दंगे आगजनी और बमबारी में मारे गये।
गरीब बस्तीयों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउडस्पीकर पर।
पुनः कवि कहते हैं कि जहाँ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग हैं जो केवल किसी तरह से अपने पेट की आग शांत करने के अपेक्षा कुछ नहीं जानते हैं वहाँ भी विलासी लोग देवी जागरण तथा अन्य ढ़ोंगी कार्यक्रम की आड़ में लाउडस्पीकर बजवाकर ठगने का कार्य करते हैं।
याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने
मगर जीवन हठिला फिर भी
बढ़ता ही जाता आगे
हमारी निंद के बावजूद
कवि कहते हैं कि अत्याचारी सूख-भोग के सारे साधन जमा करने के बावजूद अपने हठी स्वभाव के कारण अन्याय बंद करना नहीं चाहते। उनका जुल्म बढ़ता ही जा रहा है।
और लोग भी है, कई लोग हैं
अभी भी
जो भूले नहीं करना
साफ और मजबुत
इनकार।
कवि कहते हैं कि आज भी वैसे अनेक लोग हैं जो अपनी सुविधा का त्याग करना नहीं चाहते तो जनता अत्याचारियों के जुल्म का विरोध करने से इनकार करना नहीं भूलती।
हमारी नींद - व्याख्या
मेरी नींद के दौरान
कुछ इंच बढ़ गए पेड़
कुछ सूत पौधे
अंकुर ने अपने नाममात्र कोमल सींगों से
धकेलना शुरू की
बीज की फूली हुई
छत, भीतर से।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी प नुस्तक के ‘हमारी नींद’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग कवि की नींद से जुड़ा हुआ है जिसमें नींद के माध्यम से एक पेड़ के सृजन एवं विकास-क्रम की चर्चा है। कवि सपने देखता है। सपने में पेड़ कुछ इंच बढ़ गए हैं—कुछ छोटे-छोटे पौधे पेड़ पुत्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। अंकुर अपने स्वरूप में कैसे बदलाव क्रमानुसार लाता है, उसकी व्याख्या कवि ने अपनी कविता में किया है। बीज जब अंकुरित होते हैं, धीरे-धीरे फूल के रूप में छतनुमा आकार ग्रहण करते हैं। भीतर से बीज का अंकुरित रूप विकसित होकर पौधे-पेड़ के रूप में अपने विराट अस्तित्व को प्राप्त कर लेता है।
कवि की नींद कितनी सुखद है इसकी व्याख्या स्वयं कवि ने किया है। जैसे मनुष्य का जीवन-क्रम है—ठीक वैसा ही बीज-पौधे-पेड़ का है। कवि ने नींद में देखे गए सपने के माध्यम से पेड़ के जन्म से लेकर विकसित रूप तक का सूक्ष्म चित्रण करते हुए मानवीय जीवन से उसके संबंधों को व्याख्यायित किया है। जैसे मानव के भीतर कई विचार मंथन के द्वारा एक आकार रूप ग्रहण करता है। ठीक उसी प्रकार बीजरूप भी अंकुरण के द्वारा विराटता को प्राप्त करता है। इस कविता में प्रकृति की सृजन-प्रक्रिया का चित्रण हुआ है।
एक मक्खी का जीवन-क्रम पूरा हुआ
कई शिशु पैदा हुए और उनमें से
कई तो मारे भी गए
दंगे, आगजनी और बमबारी में।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘हमारी नींद’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पक्तियों का संबंध मक्खी के जीवन-क्रम, शिशु-प्रजनन, आगजनी, बमबारी से जुड़ा हुआ है।
कवि कहता है कि एक मक्खी का जीवन-क्रम धीरे-धीरे पूर्णता को प्राप्त करता है। कई शिशु पैदा होते हैं और उनमें से कई मार दिये भी जाते हैं-दंगों द्वारा, आगजनी द्वारा और बमबारी द्वारा। यहाँ मक्खी के जीवन क्रम को मानव के जीवन क्रम को तुलनात्मक रूप में दिखाया गया है। मनुष्य आज अपने जीवन-क्रम ने विकास की सीढ़ियों पर दूर-दूर तक पहुँचाया है। हमारे बच्चे भी सृजन-प्रक्रिया से गुजरते हुए विकास की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं। आज चारों तरफ कितनी भयावह स्थिति है। कहीं दंगे हो रहे हैं, कहीं आगजनी हो रही है, कहीं बमबारी हो रही है। पूरी मानवता आज कराह रही है। आज चारों तरफ अराजक स्थिति है। सभी असुरक्षित हैं। जीवन को खतरे से बचाकर विकास-पथ की ओर ले चलने में आज काफी कठिनाइयाँ हो रही हैं।
गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउा पीकर पर।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “हमारी नींद” नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग दीन-हीन जन के अंध-विश्वासों, देवी-जागरण और धूम-धमाका से है। कवि कहता है कि गरीब बस्तियों में भी देवी-जागरण के बहाने धूम-धमाका, लाउडस्पीकर को बजाना आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। ये दीन-जन अपनी यथार्थ स्थिति से रू-ब-रू न होकर भटके हुए हैं। भावुकता एवं अंधविश्वास में समय और शक्ति का अपव्यय करते हैं। इनमें अपनी गरीबी, बेबसी-लाचारी के प्रति चेतना नहीं जगी है। ये कोरे अंधविश्वास और नकलची जीव ! अभी भी जी रहे हैं। इनमें सारी शक्तियाँ तो हैं किन्तु चेतना के अभाव में अपने लक्ष्य से भटके हुए हैं। कवि गरीबों, उनकी बस्तियों, उनके कार्यक्रमों के प्रति ध्यान आकृष्ट करता है। उनके जीवन की विसंगतियों का सही चित्रण प्रस्तुत कर कवि ने सच्चाई से हमें अवगत कराया है।
याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने
मगर जीवन हठीला फिर भी
बढ़ता ही जाता आगे
हमारी नींद के बावजूद।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “हमारी नींद” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन कविताओं का प्रसंग हमारे मानवीय जीवन के अनेक पक्षों से जुड़ा है। समाज में रह रहे अनेक किस्म के लोगों, उनके रहन-सहन और क्रियाकलापों से संबंधित है। कवि कहता है कि अनेक तरह के साधन-संसाधन को लोगों ने जुटा लिया है। अत्याचारियों ने अपने अत्याचार से, ‘ शोषण दमन से सबको त्रस्त कर रखा है। किन्तु जीवन की गति भी कहाँ अवरुद्ध हो रही है। वह तो अपनी गति में अग्रसर है। जीवन तो संघर्ष का ही नाम है। उसे जीवटता के साथ जीने में ही मजा है। जीवन सदैव प्रगति-पथ पर आगे की ओर ही बढ़ता गया है, भले ही उसके मार्ग में क्यों न अनेक बाधाएँ खड़ी हों। जीवन हठधर्मी होता है। उसमें दृढ़-संकल्प शक्ति निहित होती है। लाख नींद बाधा बनकर खड़ी हो किन्तु यात्रा-क्रम कभी रुका है क्या ? सीमित लोगों के पास संसाधन सिमटे हुए हैं। विषमता के बीच जीवन को जीते हुए लक्ष्य के शिखर तक पहुँचाना है। कवि सामाजिक विसंगतियों के बीच जीते हुए लड़ते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है।
और लोग भी हैं, कई लोग हैं
अभी भी
जो भूलें नहीं करता
साफ और मजबूत
इनकार।
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “हमारी नींद” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग समाज के आमलोगों से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी को सृजन कर्म में लगाया है।
इस धरा पर उन अत्याचारियों के अलावा दूसरे लोग भी हैं जो अभी भी अपने साफ और मजबूत इरादों के साथ भूलों को स्वीकार करते हैं इनकार नहीं करते हैं। उनके भीतर नैतिकता, ईमानदारी, कर्मठता और साहस विद्यमान है। समाज के ये तपे-तपाये लोग हैं जिन्होंने समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, लोकहित के लिए मजबूत इरादों के साथ संघर्ष किया है, संघर्ष कर रहे हैं। समाज के ये अगली पंक्ति के लोग हैं जिनमें त्याग, करुणा, दया और सहनशक्ति भरी हुई है। इस प्रकार समाज के शोषक वर्ग के अलावा एक सृजन वर्ग भी है जो अपनी कर्तव्यनिष्ठता के साथ, संकल्पशक्ति के साथ समाज-निर्माण, राष्ट्र निर्माण में लगा हुआ है।