Summary of In the Kingdom of Fools Class 9 English Moments with Hindi Summary

“In the Kingdom of fools” is an interesting Kannada folktale taken from A K Ramanujan’s “Folk Tales from India”. Folktales are stories passed down from generation to generation that focus on the characteristics of the time and place they were recounted.
“Folktales from India” is an enchanting collection of one hundred and ten tales collected from all corners of the country. The folktales were translated from twenty-two different languages like English, Tamil, Kannada, Telugu, etc. It was published in the year 1991.
The lesson “In the Kingdom of Fools” narrates the events that occurred in the kingdom due to the foolishness of a king and his minister.

The Story is a Kannada Folk Tale.

Summary of In the Kingdom of Fools Class 9 English Moments with Hindi Summary

In the Kingdom of Fools Summary

There was once a Kingdom of Fools. In this kingdom, both the king and the minister were idiots. They wanted to rule in a way different from other kings. They ordered that everyone should be awake at night and do their work. And everyone had to go to bed with the rising of the sun. One day, a guru and his disciple arrived in the city. It was broad daylight and everyone was asleep. As soon as the sun set, the whole town woke up and started its business. The two men were hungry. They went to buy some groceries. They found that everything cost the same a single duddu. When they had cooked and eaten, the guru realised that it would not be wise to stay in a kingdom of fools. But the disciple didn't want to leave the place because everything was cheap there. So the guru left the place and the disciple stayed on. He ate his fill every day and grew fat.

One day, a thief broke into a rich merchant's house by making a hole in the wall. As he was carrying out his loot, the wall of the house collapsed on his head and he died instantly. The thief's brother went running to the king and complained that the merchant should be punished for not building a strong wall. The king sent for the merchant. But the merchant pleaded that it was really the fault of the man who built the wall. The bricklayer was brought in. He said that when he was building the wall, his eyes and mind were distracted towards a dancing girl. She was going up and down that street all day with her anklets jingling. The dancing girl was brought to the court. She gave the excuse that she had given some gold to the goldsmith to make some jewellery for her. The goldsmith was a lazy fellow. He delayed the work. He made her walk up and down his house a dozen times. When the goldsmith was brought before the king, he said that he had to attend to a rich merchant's orders first. There was a wedding at the merchant's house and he was not ready to wait. That was why he made the dancer come many times to his door. The king asked him the rich merchant's name. He was none other than the merchant whose wall had fallen. But the merchant cried that it was not he but his father who had given the job of making ornaments to the jeweller. The king said that it was justified to punish him in place of his father.

A new stake was ordered to be made ready for the execution. It occurred to the minister that the rich merchant was too thin to be properly executed on the stake. He discussed this with the king. It was decided that a fat man should be found to fit the stake. The eyes of the servants fell on the disciple who had fattened himself for months on bananas and rice and wheat and ghee. He was taken to the king. The disciple pleaded that he was innocent but it was all in vain. While he was waiting for death, he remembered his guru. The guru saw everything by his magical powers. He arrived there at once to save his disciple. He whispered something in his disciple's ear. Then he requested the king to put him to the stake first. When the disciple heard this, he said that he was brought there first and so he should be put to death first. The king was puzzled by their behaviour. He asked why each of them wanted to die first. The guru hesitatingly told him that whoever died on the stake first, would be reborn as the king of that country. The one who died next would be the future minister of that country.

The king did not want to lose the kingdom to someone else in the next round of life. He and his minister decided to go on the stake themselves and be reborn as king and minister. The king told the executioners to put to death the first man who came to them and then do the same to the second man. That night, the king and his minister went secretly to the prison and released the guru and the disciple. They then disguised themselves as the two and got themselves executed. The people now begged the guru and the disciple to be their king and minister. The two agreed and changed all the old laws. From then onwards, night was to be night and day was to be day. Also, nothing could be got for a duddu. The place became like any other place.


In the Kingdom of Fools Summary in Hindi

एक समय में मूर्खों का एक राज्य था। राज्य में राजा और मंत्री दोनों मूर्ख थे। वे दूसरे राजाओं से भिन्न तरीके से शासन करना चाहते थे । उन्होंने आदेश दिया कि रात को सभी लोगों को जागते रहना है और काम करना है; जैसे ही सूर्योदय होगा, सभी को सो जाना है । जिस किसी ने आज्ञा का उल्लंघन किया उसे मृत्युदंड मिलना था। एक दिन एक गुरु और उसका शिष्य शहर में पहुँचे । भरी दोपहरी थी और हर कोई सोया हुआ था। जैसे ही सूर्यास्त हुआ, पूरा नगर जाग उठा और अपने काम पर लग गया। दोनों व्यक्ति भूखे थे। वे कुछ किराने का सामान खरीदने गए। उन्होंने देखा कि हर चीज़ का एक ही दाम था - मात्र एक डड्डू। जब वे खाना पका कर खा चुके तो गुरु को एहसास हुआ कि मूर्खों के राज्य में ठहरना बुद्धिमानी नहीं होगी। किन्तु शिष्य वह स्थान छोड़ कर जाना नहीं चाहता था क्योंकि वहां हर चीज़ सस्ती थी । इसलिए गुरु वहाँ से चला गया और शिष्य वहीं ठहर गया। वह हर दिन भरपेट खाने लगा और मोटा हो गया।

एक दिन एक चोर दीवार में सेंध लगाकर एक धनी व्यापारी के घर के अन्दर घुस गया । जैसे ही वह अपनी लूट का सामान लेकर बाहर जा रहा था, मकान की दीवार उसके सिर पर गिर गई और वह उसी समय मर गया। चोर का भाई दौड़ता हुआ राजा के पास गया और उसने शिकायत की कि एक मज़बूत दीवार नहीं बनाने के अपराध में व्यापारी को दंड मिलना चाहिए। राजा ने व्यापारी को बुला भेजा । किन्तु व्यापारी ने विनती की कि वास्तव में यह उस व्यक्ति का दोष था जिसने दीवार बनाई थी। राजमिस्त्री को लाया गया। उसने कहा कि जब वह दीवार बना रहा था तो उसका ध्यान एक नर्तकी पर चला गया था । वह पूरा दिन अपनी पायल बजाती हुई उस सड़क पर आती-जाती रही थी। उस नर्तकी को दरबार में लाया गया। उसने अपनी तरफ से सफाई पेश की कि उसने सोनार को अपने लिए कुछ आभूषण बनाने के लिए कुछ सोना दिया हुआ था। सोनार एक आलसी व्यक्ति था । उसने काम को करने में देर लगाई। उसने दर्जनों बार उससे अपने घर के चक्कर लगवाए। जब सोनार को राजा के सामने लाया गया तो उसने कहा कि उसे पहले एक धनी व्यापारी का काम करना था । उस व्यापारी के घर में विवाह था और वह प्रतीक्षा करने को तैयार नहीं था । उसी कारण से उसने नर्तकी से इतनी बार अपने घर के चक्कर लगवाए। राजा ने उससे उस धनी व्यापारी का नाम पूछा। वह धनी व्यापारी और कोई नहीं, वही था जिसकी दीवार गिर गई थी । किन्तु व्यापारी चिल्लाया कि उसने नहीं बल्कि उसके मृत पिता ने आभूषण बनाने का काम सोनार को दिया था। राजा ने कहा कि अपने पिता की जगह पर उसे दंड मिलना वाजिब था । प्राणदंड के लिए एक नई सूली बना कर तैयार रखने का आदेश दिया गया। मंत्री को यह विचार आया कि सूली पर सही तरीके से भार डालने के लिए वह धनी व्यापारी बहुत पतला था । उसने इस बारे में राजा से बातचीत की। यह निर्णय लिया गया कि सूली पर चढ़ाने के लिए किसी उपयुक्त मोटे व्यक्ति को ढूंढा जाए। नौकरों की नज़र उस शिष्य पर पड़ गई जो महीनों से केले, चावल, गेहूँ और घी खा-खा कर मोटा हो गया था । उसे राजा के पास ले जाया गया। शिष्य ने विनती की कि वह निर्दोष था किन्तु सब व्यर्थ गया।

जिस दौरान वह अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था, उसने अपने गुरु को याद किया। गुरु ने अपनी जादुई शक्ति से सब कुछ देख लिया। वह अपने शिष्य को बचाने के लिए तुरन्त वहाँ पहुँच गया। उसने अपने शिष्य के कान में कुछ कहा । फिर उसने राजा से निवेदन किया कि पहले उसे सूली पर चढ़ाया जाए। जब शिष्य ने यह सुना तो उसने कहा कि उसे वहाँ पहले लाया गया था और इसलिए पहले उसे मृत्युदंड मिलना चाहिए। राजा उनके व्यवहार से चक्कर में पड़ गया। उसने पूछा कि उनमें से प्रत्येक पहले क्यों मरना चाहता था । गुरु ने हिचकिचाते हुए उत्तर दिया कि जो पहले सूली पर चढ़ेगा, वह अगले जन्म में पैदा होकर उस देश का राजा बनेगा। जो उसके बाद मरेगा वह उस देश का भावी मंत्री बनेगा। राजा दूसरे जन्म में अपना राज्य किसी दूसरे के हाथ में नहीं खोना चाहता था । उसने और उसके मंत्री ने निर्णय लिया कि वे स्वयं सूली पर चढ़ जाएँगे और राजा और मंत्री के रूप में फिर से जन्म लेंगे। राजा ने जल्लादों से कहा कि उनके पास जो पहला व्यक्ति आएगा उसे पहले मार डालना है और फिर वैसा ही दूसरे आने वाले व्यक्ति के साथ करना है। उस रात राजा और उसका मंत्री चुपके से कैदखाने में गए और उन्होंने गुरु और उसके शिष्य को आज़ाद कर दिया। फिर उन्होंने उन दोनों का वेश धारण किया और स्वयं को मौत की घाट उतरवा लिया। लोगों ने अब गुरु और शिष्य को उनका राजा और मन्त्री बनने में के लिए याचना की। दोनों मान गए और उन्होंने सभी पुराने कानूनों को बदल दिया । उस दिन के बाद से रात को रात रहना था और दिन को दिन । इसके अतिरिक्त एक डड्डू : कुछ भी नहीं मिलना था । वह जगह किसी भी अन्य जगह की तरह बन गई।

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