Summary of The Lost Child Class 9 English Moments with Hindi Summary
The Lost Child is the story of a small child who gets lost in a fair or an exhibition. He had gone with his parents to the fair but loses them when he gets fascinated by looking at a roundabout swing. The story highlights the bond of love and affection that the child shares with his parents. Before losing them he had been demanding different things like sweets, balloons, flowers, swings, etc. Once he loses them, he is picked up by a stranger. The stranger tries to silence the child by offering him all these things that he had demanded from his parents but the child does not want them anymore. He wants his parents first.
The Story is written by Mulk Raj Anand.
The Lost Child Summary
It was spring time. A child was going with his parents to visit a spring fair. He was very happy and excited. He was attracted by the toys in the shops that lined the way. He pleaded with his parents to buy him a toy. His father gave him a stern look. His mother diverted his attention to a flowering mustard-field. The child ran into the field. Some dragon-flies were bustling about on their colourful wings. He tried to catch them. Then his mother called out to him. He ran towards his parents. He walked abreast of them for a while. However, he was soon left behind, attracted by the little insects along the footpath. His parents called out to him. They had seated themselves in the shade of a grove.
A shower of young flowers fell upon the child as he entered the grove. Forgetting his parents, he began to gather the petals in his hands. The parents called out to him. They gathered him up and took the narrow, winding footpath which led to the fair through the mustard-fields. At the corner of the entrance, a sweetmeat-seller was calling out to people. The child's mouth watered for a 'burfi'. He murmured softly that he wanted a 'burfi'. But he knew that his request would not be heeded. So he moved on. He also felt drawn towards the flower-seller but moved on.
A little further, a man was selling colourful balloons. The child wanted to have them all. But he knew that his parents would not buy him the balloons. So he walked on. A snake-charmer stood playing a flute to a snake. His parents had forbidden him to hear the coarse music of snake-charmers. So he again moved on. He saw a roundabout in full swing. People were going round and round in it. He requested his parents to let him go on the roundabout. But there was no reply.
He turned round and found that his parents were not there. He started crying and ran from one side to another. He did not know where to go. He ran to a temple crying for his parents. A man in the crowd heard his cry. He lifted him up in his arms. He took him to the roundabout but the child refused to go on it. The man then took him near the snake-charmer and then near the balloon-man but the child turned his eyes away. He only wept for his parents. The man next took him to the flower-seller and then to the sweet-shop also. But the child now wanted nothing except the company of his parents. He lost interest in all the things that he had wanted earlier. Thus the writer wants to tell us that a child cannot live without his parents.
The Lost Child Summary in Hindi
बसन्त का समय था। एक बच्चा अपने माता-पिता के साथ बसन्त मेला देखने जा रहा था। वह बहुत प्रसन्न था और उत्साह से भरा हुआ था। रास्ते में जो दुकानें कतार में लगी हुई थीं, वह उनमें रखे हुए खिलौनों को देख कर आकर्षित हो गया। उसने अपने माता-पिता सेठ की कि वे उसे एक खिलौना खरीद दें। उसके पिता ने उसे कड़ी नज़रों से देखा । उसकी माँ उसका ध्यान एक खिले हुए सरसों के खेत की तरफ ले गई। कुछ तितलियाँ अपने रंग-बिरंगे पंखों से भिन- भिन की आवाज़ करती हुई उड़ रही थीं । उसने उन्हें पकड़ने का यत्न किया। फिर उसकी माँ ने उसे पुकार लिया । वह अपने माता-पिता की ओर दौड़ा। वह थोड़ी देर उनके साथ-साथ चलता रहा। किन्तु फिर उसका ध्यान फुटपाथ पर रेंग रहे छोटे-छोटे कीड़ों की ओर चला गया और वह शीघ्र ही पीछे छूट गया। उसके माता-पिता ने उसे पुकारा । वे एक वाटिका में एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठ गए थे।
जैसे ही बच्चे ने वाटिका में प्रवेश किया, उस पर खिले हुए फूलों की वर्षा हुई। अपने माता-पिता को भूल कर वह अपने हाथों में पंखुड़ियों को इकट्ठा करने लगा। उसके माता-पिता ने उसे पुकारा। उन्होंने उसे गोद में लिया और संकरा घुमावदार फुटपाथ का रास्ता पकड़ा जो सरसों के खेतों से होता हुआ मेले की तरफ जाता था। प्रवेश द्वार के कोने पर एक मिठाई बेचने वाला लोगों को अपनी तरफ पुकार पुकार कर बुला रहा था। एक बर्फी पाने की लालसा में बच्चे के मुँह में पानी भर आया। वह धीरे से बुदबुदाया कि उसे एक बर्फी चाहिए थी। किन्तु वह जानता था कि उसकी याचना व्यर्थ जाएगी। वह आगे बढ़ गया। फूल बेचने वाले की तरफ भी वह आकर्षित हुआ लेकिन फिर आगे बढ़ गया। थोड़ी दूरी पर एक व्यक्ति रंग-बिरंगे गुब्बारे बेच रहा था । बच्चा वे सभी गुब्बारे पाना चाहता था। किन्तु वह जानता था कि उसके माता-पिता उसके लिए गुब्बारे नहीं खरीदेंगे। इसलिए वह आगे चल दिया। एक सँपेरा एक साँप के आगे खड़ा बीन बजा रहा था । उसके माता-पिता ने उसे सँपेरों का कर्कश संगीत सुनने को मना किया हुआ था । इसलिए वह फिर आगे बढ़ गया। उसने एक चक्कर वाले झूले को ज़ोर-ज़ोर से घूमते हुए देखा। लोग उसमें गोल-गोल हो कर जा रहे थे। उसने अपने माता-पिता से निवेदन किया कि वे उसे चक्कर वाले झूले पर जाने दें। किन्तु उसे कोई उत्तर नहीं मिला ।
उसने घूम कर देखा तो पाया कि उसके माता-पिता वहां नहीं थे। उसने रोना शुरू कर दिया और एक सिरे से दूसरे सिरे तक दौड़ने लगा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कहाँ जाए। वह अपने माता-पिता के लिए रोता हुआ एक मन्दिर की ओर दौड़ा। भीड़ में खड़े एक व्यक्ति ने उसके रोने की आवाज़ सुनी। उसने उसे अपनी गोद में उठा लिया। वह उसे चक्कर वाले झूले के पास ले गया लेकिन बच्चे ने उस पर जाने से इन्कार कर दिया।
वह व्यक्ति फिर उसे सँपेरे के पास ले गया और फिर गुब्बारे वाले के पास । किन्तु बच्चे ने अपनी नज़रें हटा लीं। वह केवल अपने माता-पिता के लिए रोता रहा । वह व्यक्ति फिर उसे फूल बेचने वाले के पास ले गया और फिर मिठाई की दुकान पर भी, किन्तु अब बच्चे को अपने माता-पिता का साथ के अतिरिक्त और कुछ नहीं चाहिए था । वह उन सभी चीजों में रुचि खो बैठा जिन्हें पाने की उसने पहले इच्छा की थी। इस प्रकार लेखक हमें बताना चाहता है कि एक बच्चा अपने माता-पिता के बिना नहीं रह सकता है।