Extra Questions for Class 10 Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना - सीताराम सेकसरिया Hindi

You will find Important Questions for Class 10 Sparsh Chapter 11 Diary ek Panna by Sitaram Seksaria Hindi with answers on this page which will increase concentration among students and have edge over classmates. A student should revise on a regular basis so they can retain more information and recall during the precious time. These extra questions for Class 10 Hindi Sparsh play a very important role in a student's life and developing their performance.

Chapter 11 डायरी का एक पन्ना Extra Questions for Class 10 Sparsh Hindi will make the process interesting and help you cover the syllabus quickly. Every student needs to know how to write answers to score full marks which can be understood by the modal answers given.

Extra Questions for Class 10 Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना - सीताराम सेकसरिया Hindi

Chapter 11 डायरी का एक पन्ना Sparsh Extra Questions for Class 10 Hindi

1 अंक के प्रश्न


प्रश्न 1. पाठ और लेखक का नाम बताइए।

उत्तर

पाठ का नाम- डायरी का एक पन्ना, लेखक- सीताराम सेकसरिया।


प्रश्न 2. कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?

उत्तर

26 जनवरी 1931 को कलकत्तावासी महात्मा गाँधी द्वारा घोषित आजादी की सालगिरह मना रहे थे इसलिए वह दिन उनके लिए महत्वपूर्ण था।


प्रश्न 3. लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?

उत्तर

लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर बताना चाहते थे कि वे अपने को आज़ाद समझ कर आज़ादी मना रहे हैं। उनमें जोश और उत्साह है।


प्रश्न 4. सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था?

उत्तर

सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था।


प्रश्न 5. घायलों की देख-रेख कौन कर रहा था?

उत्तर

घायलों की देख-रेख डॉ. दासगुप्ता कर रहे थे|


प्रश्न 6. हरिश्चंद्र सिंह झंडा फहराने कहाँ गए?

उत्तर

हरिश्चंद्र सिंह तारा सुंदरी पार्क में झंडा फहराने गए थे।


प्रश्न 7. किस जुलूस मैं बहुत सी लड़कियों को गिरफ्तार किया गया?

उत्तर

गुजराती सेविका संघ ने जो जुलूस निकाला उस में बहुत-सी लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।


प्रश्न 8. कौंसिल की तरफ से क्या नोटिस निकाला गया था?

उत्तर

कौंसिल की तरफ से नोटिस निकाला गया की 26 जनवरी 1931 को शाम के ठीक 5 बजकर 25 मिनट पर झंडा फहराया जायेगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।


प्रश्न 9. मोन्यूमेंट को पुलिस ने भोर से ही क्यों घेर लिया था?

उत्तर

पुलिस ने सभास्थल को भर से ही घेर लिया था उद्देश्य यह था की किसी तरह शाम को होने वाली सभा को रोका जा सके।


प्रश्न 10. लड़कियों ने झंडोत्सव कहाँ मनाया इनमें कौन-कौन शामिल थीं?

उत्तर

लड़कियों ने मारवाड़ी बालिका विद्यालय में झंडोत्सव मनाया उसमें जानकी देवी मदालसा जैसी प्रसिद्ध समाज सेविका थीं।


प्रश्न 11. कानून भंग का काम से क्या आशय है यह काम क्यों शुरू किया गया?

उत्तर

1931 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया था इसमें बिना किसी तोड़ फोड़ संघर्ष या उत्तेजना के सरकारी कानूनों का उलंघन करना था।


2 अंक के प्रश्न

प्रश्न 1 . पुलिस जुलूस को क्यों नहीं रोक सकी?

उत्तर

लोगों में स्वतंत्रता प्राप्ति का जोश अत्यधिक था। वे आज़ादी के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार थे इसलिए पूरी सख्ती और क्रूरता दिखाने के बावजूद पुलिस जुलूस रोक न सकी।


प्रश्न 2. लेखक को खादी भंडार आकर क्या पता चला?

उत्तर

करीब आठ बजे लेखक तथा अन्य लोग खादी भंडार आए, तो कांग्रेस ऑफिस से फ़ोन आया कि यहाँ बहुत से आदमी चोट खाकर आए हैं और कई की हालत गंभीर है, उनके लिये गाड़ी चाहिए|


प्रश्न 3. ऐसी कौन-सी बात थी, जिससे कलकत्ता के बारे में लग रहा था कि देश स्वतंत्र हो चुका है?

उत्तर

26 जनवरी, 1931 को कलकत्ता में स्त्री-पुरुष, विद्यार्थी सभी उत्साह से भरे हुए थे, उन्होंने अपने-अपने मकानों को राष्ट्रीय झंडे से सजा रखा था । उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो चुकी है।


प्रश्न 4. अस्पताल गए लोगों को देखने से क्या जानकारी मिली?

उत्तर

अस्पताल गए लोगों को देखने से यह जानकारी मिली कि 160 आदमी तो अस्पतालों में पहुँचे और जो लोग घरों में चले गए, वे अलग हैं | इस प्रकार दो सौ लोग घायल अवश्य हुए हैं।


प्रश्न 5. बृजलाल गोयनका का स्त्रियों के जुलूस में शामिल होने का क्या कारण था? वह कहाँ पर जाकर गिरफ्तार हुआ ?

उत्तर

बृजलाल गोयनका स्त्रियों के जुलूस में इसलिए शामिल हुआ ताकि वह आन्दोलन में शामिल हो सके| इसके बाद वह दो सौ आदमी का जुलूस बनाकर लालबाजार गया, लेकिन वहाँ पर गिरफ्तार हो गया|


प्रश्न 6. धर्मतल्ले के मोड़ पर क्या हुआ?

उत्तर

धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर स्त्रियों का जुलूस टूट गया और करीब 50-60 स्त्रियाँ वहीं बैठ गईं | पुलिस ने उनको पकड़कर लालबाजार भेज दिया|


प्रश्न 7. लेखक की डायरी का एक पन्ना कथा हमें किस प्रकार से प्रेरित करती है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर

डायरी का एक पन्ना में अँग्रेज़ों के शासन काल में हुए स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जानकारी है। इसे पढ़कर देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना जगती है तथा देश के लिए प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा मिलती है।


प्रश्न 8. अविनाश बाबू कौन थे और उनके झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई।

उत्तर

अविनाश बाबू बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री थे उनके झंडा गाड़ने पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया तथा अन्य लोगों को मार-पीट कर हटा दिया।


प्रश्न 9. सुभाष बाबू ने कब और कैसे जुलूस निकला? यह दिन किस दिन की याद में था?

उत्तर

सुभाष बाबू ने 26 जनवरी 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जुलूस निकला। उनके नेतृत्व में अनगिनत लोगों ने झंडा फहराया, उन पर लाठियों से हमला हुआ, जिससे अनेक लोग घायल हुए यह दिन स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए था।


3 अंक के प्रश्न

प्रश्न 1. डॉ दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देखभाल तो कर ही रहे थे, उनकी फोटो भी उतरवा रहे थे। फोटो उतरवाने की क्या वजह हो सकती है?

उत्तर

फोटो उतरवाने का एक ही मकसद हो सकता है। प्रेस में घायलों की फोटो जाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के स्वाधीनता संग्राम को प्रचार मिल सकता था। इसके साथ ही सरकार द्वारा अपनाई गई बर्बरता को भी दिखाया जा सकता था|


प्रश्न 2. जब लेखक ने मोटर में बैठकर सब तरफ़ घूमकर देखा, तो उस समय का दृश्य कैसा था?

उत्तर

जब लेखक ने मोटर में बैठकर सब तरफ़ घूमकर देखा तो उस समय का दृश्य बहुत अच्छा मालूम हो रहा था| जगह-जगह फोटो उतर रहे थे| लेखक की ओर से भी फोटो आदि का प्रबंध किया गया था| दो-तीन बजे सबको पकड़ लिया गया|


प्रश्न 3. 'आज जो बात थी वह निराली थी' - किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

आज का दिन निराला इसलिए था क्योंकि स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथम पुनरावृत्ति थी। पुलिस ने सभा करने को गैरकानूनी कहा था किंतु सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली तैयारी थी। पूरा शहर झंडों से सजा था तथा कौंसिल ने मोनुमेंद के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार को चैलेंज दिया हुआ था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई।


प्रश्न 4. जुलूस और प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस का क्या प्रबंध था?

उत्तर

जुलूस और प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस का व्यापक प्रबंध था। उस दिन ट्रैफिक पुलिस को हटाकर जुलूस रोकने के लिए लगा दिया गया था। शहर के प्रत्येक मोड़ पर गोरखे तथा सार्जेंट तैनात थे। पुलिस की गाड़ियां दिन-रात घूम रहीं थीं। घुड़सवारों का भी प्रबंध था, सुबह से ही पार्कों और मैदानों को पुलिस ने घेर लिया था।


प्रश्न 5. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?

उत्तर

पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि कोई भी जनसभा करना या जुलूस निकालना कानून के खिलाफ़ होगा। सभाओं में भाग लेने वालों को दोषी माना जाएगा। कौंसिल ने नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इस प्रकार ये दोनों नोटिस एक दूसरे के खिलाफ़ थे।


प्रश्न 6. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?

उत्तर

सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। भारी पुलिस व्यवस्था के बाद भी जगह-जगह जुलूस के लिए स्त्रियों की टोलियाँ बन गई थीं। मोनुमेंट पर भी स्त्रियों ने निडर होकर झंडा फहराया, अपनी गिरफ्तारियाँ करवाईं तथा उनपर लाठियाँ बरसाई गईं। इसके बाद भी स्त्रियाँ लाल बाज़ार तक आगे बढ़ती गईं।


प्रश्न 7. पुलिस कमिश्नर ने क्या नोटिस निकला था?

उत्तर

पुलिस कमिश्नर ने कानून की कुछ धाराओं का हवाला देते हुए यह नोटिस निकला की 26 जनवरी 1931 को मोन्यूमेंट के नीचे की जाने वाली सभा गैरकानूनी है इसमें भाग लेने वालों को दोषी समझा जायेगा और उसके विरूद्ध सरकारी कार्रवाई की जाएगी।


प्रश्न 8. मैदान के मोड़ पर संघर्ष के स्वरूप में क्या अंतर आ गया था?

उत्तर

मैदान के मोड़ पर पुलिस का व्यापक प्रबंध था। पुलिस को लाठी चलाने का आदेश दे दिया गया था पुलिस ने ज़ोर शोर से लाठीचार्ज किया कितने ही लोग घायल हुए सुभाष बाबू पर भी लाठियां पड़ीं परन्तु आंदोलनकारी फिर भी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे वे “वन्देमातरम” बोलकर सभास्थल की और बढ़ रहे थे कितने ही लोगों के सर फट गए।


प्रश्न 9. झंडा दिवस पर सुभाष चंद्र बोस की भूमिका स्पष्ट कीजिये।

उत्तर

झंडा दिवस पर सुभाष चंद्र बोस अपने प्रसिद्ध क्रन्तिकारी स्वरूप में थे उनका अंग-अंग जोश से भरपूर था। वे हज़ारों आंदोलनकारियों के साथ सभास्थल की ओर बढ़ रहे थे जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की और लाठियां चलायी तो भी वे निडरता से आगे बढ़ते चले गए। वे पूरे जोश के साथ ऊंचे स्वरों में नारे लगा रहे थे उनके शरीर पर लाठियां पड़ीं तो भी उन्होंने आगे बढ़ना जारी रखा।


प्रश्न 10. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में कलकत्ता वासियों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी ज़ोर-शोर से की थी। पुलिस की सख्ती, लाठी चार्ज, गिरफ़तारियाँ, इन सब के बाद भी लोगों में जोश बना रहा। लोग झंडे फहराते, वंदे मातरम बोलते हुए, खून बहाते हुए जुलूस निकालने को तत्पर थे। जुलूस टूटता फिर बन जाता। कलकत्ता के इतिहास में इतने प्रचंड रूप में लोगों को पहले कभी नहीं देखा गया था।


5 अंक के प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -

आज जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।

उत्तर

हजारों स्त्री पुरूषों ने जुलूस में भाग लिया, आज़ादी की सालगिरह मनाने के लिए बिना किसी डर के प्रदर्शन किया। पुलिस के बनाए कानून कि, जुलूस आदि गैर कानूनी कार्य, आदि की भी परवाह नहीं की। पुलिस की लाठी चार्ज होने पर लोग घायल हो गए। खून बहने लगे परन्तु लोगों में जोश की कोई कमी नहीं थी । बंगाल के लिए कहा जाता था कि स्वतंत्रता के लिए बहुत ज़्यादा योगदान नहीं दिया जा रहा है। आज की स्थिति को देखकर उन पर से यह कलंक मिट गया ।



प्रश्न 2. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉक-अप में रखा गया, बहुत सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपाके विचार में ये सब अपूर्व क्यों है?

उत्तर

इसके पहले कलकत्ता में इतने बड़े पैमाने पर आजादी की लड़ाई में लोगों ने शिरकत नहीं की थी। उस दिन जनसमूह का बड़ा सैलाब कलकत्ता की बुरी छवि को कुछ हद तक धोने में कामयाब होता दिख रहा था। इसलिए लेखक को वह दिन पूर्व रहा था। सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में कलकत्ता वासियों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी ज़ोर-शोर से की थी। पुलिस की सख्ती, लाठी चार्ज, गिरफ़तारियाँ, इन सब के बाद भी लोगों में जोश बना रहा। लोग झंडे फहराते, वंदे मातरम बोलते हुए, खून बहते हुए भी जुलूस निकालने को तत्पर थे। जुलूस टूटता, फिर बन जाता। कलकत्ता के इतिहास में इतने प्रचंड रूप में लोगों को पहले कभी नहीं देखा गया था।


प्रश्न 3. स्वाधीनता आन्दोलन में विद्यार्थियों की भूमिका स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

स्वाधीनता आन्दोलन में विद्यार्थियों ने भी योगदान दिया था | लाखों विद्यार्थी अपनी पढाई अधूरी छोड़कर स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे | कलकत्ता में भी मारवाड़ी बालिका विद्यालय तथा अन्य कई विद्यालयों में राष्ट्रीय झंडा फहराया गया था तथा बालिकाओं को जानकीदेवी, मदालसा आदि आन्दोलनकारियों ने संबोधित करते हुए आन्दोलन के साथ जुड़ने का आह्वान किया |


प्रश्न 4. रास्तों पर उत्साह और नवीनता के कारणों को समझाएं?

उत्तर

आज का दिन अर्थात 26 जनवरी 1931 पिछले वर्ष की तुलना में बहुत महत्वपूर्ण था। पिछले वर्ष झंडा फहराया तो गया था लेकिन अधिक उत्साह नहीं था। इस बार उत्साह अभूतपूर्व था। महज प्रचार के लिए दो हज़ार रुपये खर्च किये गए थे। एक-एक कार्यकर्ता को झंडा फहराने के लिए तैयार किया गया था उन्हें घर-घर जा कर समझाया गया था की आंदोलन का सारा ज़िम्मा उन्हीं के कन्धों पर है। उन्हीं को सारा प्रबंध भी करना है इसलिए सारे बाजारों घरों को सजाया गया था तथा निषेधाज्ञा के बावजूद सभास्थल पर हज़ारों की भीड़ इकट्ठी हुई थी।


प्रश्न 5. इस घटना की पृष्ठभूमि का संक्षेप में वर्णन कीजिये तथा भारत ने किस प्रकार आज़ादी की जंग लड़ी?

उत्तर

26 जनवरी, 1931 को पूरे भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए आंदोलन किया गया उदेशय था। भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना इसके लिए तय हुआ की कोलकाता के देशभक्त नागरिक मोन्यूमेंट के नीचे सभा करेंगे झंडा फहराएंगे तथा स्वतंत्रता की शपथ लेंगे। भारत को संघर्ष और बलिदान से स्वतंत्रता प्राप्त हुई है यह पाठ इसके लिए प्रमाण है। यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की घोषणा कर दी थी। किन्तु अँग्रेज़ शासक आसानी से मानने वाले नहीं थे, उन्होंने भारतीय आंदोलन को दबाने की भरसक कोशिश की जहाँ सरकार का वश चला उसने आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाईं उन्हें पकड़ा और जेलों में बंद कर दिया परन्तु जब भारतीय लोगों पर स्वतंत्रता का नशा पूरी तरह सवार हो गया तो आज़ादी प्राप्त हो गयी।


प्रश्न 6. ओपन चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गयी थी? यह अपूर्व क्यों थी?

उत्तर

पहले स्वतंत्रता आंदोलन में जो काम हुए थे वे लुकें- छिपे होते थे। परन्तु इस बार तो सीधे सरकार को चुनौती दी गयी थी की सरे भारतवासी उनके कानूनों को नहीं मानेंगे न ही सरकार को कर देंगे। 26 जनवरी को यह चुनौती सीढ़ी टक्कर में बदल गयी। काउंसिल ने तय किया की वे 26 जनवरी को मोन्यूमेंट के नीचे सार्वजनिक सभा करेंगे वहां राष्ट्रीय झंडा फहराएंगे तथा भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने की प्रतिज्ञा लेंगे। उधर सरकार ने इस कार्यवाही को पूरी तरह गैरकानूनी मानते हुए सब को आदेश किया की वे सभा में न जाये इस दिन सभा करना कानून के विरुद था।


प्रश्न 7. कोलकाता में चल रही तैयारियों का वर्णन कीजिये?

उत्तर

आज का दिन अर्थात 26 जनवरी 931 पिछले वर्ष की तुलना में बहुत महत्वपूर्ण था पिछले वर्ष झंडा फहराया तो गया था लेकिन अधिक उत्साह नहीं था। इस बार उत्साह अभूतपूर्व था महज प्रचार के लिए दो हज़ार रुपये खर्च किये गए थे। एक-एक कार्यकर्ता को झंडा फहराने के लिए तैयार किया गया था उन्हें घर-घर जा कर समझाया गया था की आंदोलन का सारा ज़िम्मा उन्हीं के कन्धों पर है। उन्हीं को सारा प्रबंध भी करना है इसलिए सारे बाजारों घरों को सजाया गया था तथा निषेधाज्ञा के बावजूद सभास्थल पर हज़ारों की भीड़ इकट्ठी हुई थी।


प्रश्न 8. कलकत्ता वासियों के माथे पर क्या कलंक था और उन्होंने उसे किस प्रकार मिटाया?

उत्तर

26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में राष्ट्रीय झंडा फहराने तथा पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने के लिए जो संघर्ष हुआ वह बहुत बड़ा काम था। हज़ारों-हज़ारों नर-नारी जान-माल की परवाह न करते हुए जुलूस में साथ चले। उन्होंने पुलिस की लाठियां खाई, अत्याचार सहे, गिरफ्तारी दी। इससे बंगाल और कोलकाता का नाम स्वतंत्रता संग्राम में ऊपर आ गया। पहले कलकत्ता के बारे में यह धारणा थी की यहाँ आज़ादी का आंदोलन गति नहीं पकड़ रहा है, इस संघर्ष ने कलकत्ता के नाम पर लगे इस कलंक को धो डाला|

Previous Post Next Post