Extra Questions for Class 9 स्पर्श Chapter 14 अग्नि पथ - हरिवंशराय बच्चन Hindi
Chapter 14 अग्नि पथ Sparsh Extra Questions for Class 9 Hindi
प्रश्न 1. कवि मनुष्य से क्या अपेक्षा करता है? अग्नि पथ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर
कवि मनुष्य से यह अपेक्षा करता है कि वह अपना लक्ष्य पाने के लिए सतत प्रयास करे और लक्ष्य पाए बिना रुकने का नाम न ले।
प्रश्न 2. घने वृक्षों को खड़े देखकर भी मनुष्य के मन में किन भावों का उदय नहीं होना चाहिए।
उत्तर
घने वृक्षों को खड़े देखकर मनुष्य के मन में कुछ पल आराम करने की बात मन में आती है। कवि नहीं चाहता कि संघर्षशील मानव के मन में आराम की इच्छा जागृत हो ।
प्रश्न 3. अग्निपथ का महान दृश्य कैसा है ?
उत्तर
अग्निपथ का महान दृश्य है- संघर्षशील व्यक्ति का आँसू, खून पसीने से लथपथ होकर लक्ष्य मार्ग की ओर अग्रसर होना।
प्रश्न 4. घने वृक्ष और एक पत्र-छाँह का क्या अर्थ है? अग्निपथ कविता के अनुसार लिखिए।
उत्तर
‘घने वृक्ष’ मार्ग में मिलने वाली सुविधा के प्रतीक हैं। इनका आशय है-जीवन की सुख-सुविधाएँ। ‘एक पत्र-छाँह’ का प्रतीकार्थ है-थोड़ी-सी सुविधा।
प्रश्न 5. कवि संघर्षशील व्यक्ति को कौन-सी शपथ दिलाता है ?
उत्तर
कवि संघर्षशील व्यक्ति को शपथ दिलाता है कि वह संघर्ष के पथ पर चलते हुए न तो कभी थकेगा, न रुकेगा और न कभी मुड़कर पीछे देखेगा।
प्रश्न 6. अग्निपथ में क्या नहीं माँगना चाहिए?
उत्तर
‘अग्निपथ’ अर्थात् – संघर्षमयी जीवन में हमें चाहे अनेक घने वृक्ष मिलें, परंतु हमें एक पत्ते की छाया की भी इच्छा नहीं करनी चाहिए। किसी भी सहारे के सुख की कामना नहीं करनी चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. चल रहा मनुष्य है। अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, पथपथ। पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि देखता है कि जीवन पथ में बहुत-सी कठिनाइयाँ होने के बाद भी मनुष्य उनसे हार माने बिना आगे बढ़ता जा रहा है। कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए वह आँसू, पसीने और खून से लथपथ है। मनुष्य निराश हुए बिना बढ़ता जा रहा है।
प्रश्न 2. अग्निपथ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर
‘अग्निपथ' शीर्षक कविता में कवि ने संघर्षमय जीवन को अग्निपथ कहा है। ऐसा कहने के पीछे कवि का मत है कि जीवन का पथ अग्निपथ के समान है। इस पर चलना आसान नहीं है। यह संघर्ष का रास्ता है।
प्रश्न 3. कवि बार-बार शपथ लेने के लिए क्यों कहता है ?
उत्तर
कवि मानव को कर्मशील बनाना चाहता है। कर्मशील मानव का जीवन आग पर चलने के समान होता है। मार्ग की कठिनाइयों से घबराकर पथिक कहीं हार न मान ले, इसलिए कवि पथ पर बने रहने के लिए बार-बार शपथ लेने की बात कहता है।
प्रश्न 4. कवि यात्री को क्या माँगने को मना करता है तथा क्यों?
उत्तर
कवि यात्री को एक पत्ते जितनी छाया भी माँगने से मना करता है, क्योंकि कवि मानव को तुच्छ सुविधाओं को त्यागकर बड़ी चुनौतियों का मार्ग दिखाना चाहता है । कवि संघर्ष से ही अपनी मंजिल पाने की बात करता है।
प्रश्न 5. अग्निपथ कविता के आधार पर लिखिए कि क्या घने वृक्ष भी हमारे मार्ग की बाधा बन सकते हैं?
उत्तर
अग्निपथ कविता में संघर्षमय जीवन को अग्निपथ कहा गया है और सुख-सुविधाओं को घने वृक्षों की छाया। कभी-कभी जीवन में मिलने वाली सुख-सुविधाएँ (घने वृक्षों की छाया) व्यक्ति को अकर्मण्य बना देती है और वे सफलता के मार्ग में बाधा बन जाते हैं इसीलिए कवि जीवन को अग्नि पथ कहता है। घने वृक्षों की छाया की आदत हमें आलसी बनाकर सफलता से दूर कर देती है।
प्रश्न 6. कवि हरिवंश राय बच्चन ने मनुष्य से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?
उत्तर
कवि ने मनुष्य से आग्रह किया है कि यह जीवन-मार्ग कठिनाइयों और समस्याओं से घिरा हुआ है। जीवन की राह पर आगे बढ़ते हुए वह कभी निरुत्साहित नहीं होगा। जीवन की राह सरल नहीं है। यह बहुत कठिन है। वह कभी थकान महसूस नहीं करेगा। न शारीरिक न मानसिक। रास्ते में कभी नहीं रुकेगा। रुकना ही मौत है, जीवन की समाप्ति है। इसलिए कवि मनुष्य से इस बात की शपथ दिलाता है कि वह संघर्ष भरे मार्ग पर निरंतर आगे ही बढ़ता रहेगा। वह न तो कभी रुकेगा, न थकेगा और न ही कभी संघर्ष से मुँह मोड़ेगा।
प्रश्न 7. 'अग्निपथ' कविता की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर
'अग्निपथ' कविता में कवि ने शब्दों का कम-से-कम इस्तेमाल किया है। दूसरे, उन्होंने कुछ शब्दों जैसे 'अग्नि पथ', 'कर शपथ', 'लथपथ' आदि की पुनरावृत्ति की है। इससे एक प्रभाव उत्पन्न होता है। यही इस कविता की मुख्य विशेषता है।
प्रश्न 8. अग्निपथ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर
इस कविता का मूल भाव है निरन्तर संघर्ष करते हुए जियो। कवि जीवन को अग्निपथ अर्थात् आग से भरा पथ मानता है। इसमें पग-पग पर चुनौतियाँ और कष्ट हैं। मनुष्य को इन चुनौतियों से नहीं घबराना चाहिए और इनसे मुँह भी नहीं मोड़ना चाहिए बल्कि आँसू पीकर, पसीना बहाकर तथा खून से लथपथ होकर भी निरन्तर संघर्ष पथ पर अग्रसर रहना चाहिए।
प्रश्न 9. अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ से क्या आशय है? अग्निपथ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ का आशय है-संकटों से पूरी तरह ग्रस्त मनुष्य। मार्ग में आने वाले कष्टों को झेलता हुआ तथा परिश्रम की थकान को दूर करता हुआ मनुष्य अपने-आप में सुन्दर होता जाता है।
प्रश्न 10. 'अग्निपथ' कविता में कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर
इस कविता में कवि ने संघर्षमय जीवन को 'अग्निपथ' बताया है। मनुष्य को जीवन में किसी सुखरूपी छाँह की इच्छा नहीं करनी चाहिए। उसे थकान न महसूस करके सदैव अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते चले जाना चाहिए । जीवनपथ पर उसे किसी की मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। रास्ते के कष्टों से न घबराकर आँसू, पसीने तथा रक्त से लथपथ होकर सदैव आगे बढ़ना चाहिए। संघर्ष का दूसरा नाम जीवन है।