Extra Questions for Class 9 संचयन Chapter 6 दिये जल उठे - मधुकर उपाध्याय Hindi
Chapter 6 दिये जल उठे Sanchayan Extra Questions for Class 9 Hindi
प्रश्न 1. कलेक्टर कौन था?
उत्तर
कलेक्टर शिलिडी वह था जिसे पटेल ने पिछले आंदोलन के समय अहमदाबाद से भगा दिया था।
प्रश्न 2. पटेल को क्या सजा मिली? गाँधी जी की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर
पटेल को 500 रुपए जुरमाने के साथ तीन महीने की जेल हुई। इसके लिए उन्हें अहमदाबाद में साबरमती जेल ले जाया गया। साबरमती आश्रम में गाँधी को पटेल की गिरफ्तारी, उनकी सज़ा और उन्हें साबरमती जेल लाए जोन की सूचना दी गई। गाँधी इस गिरफ्तारी से बहुत क्षुब्ध थे। उन्होंने कहा कि अब दांडी कूच की तारीख बदल सकती है। वह अपने अभियान पर 12 मार्च से पहले ही रवाना हो सकते हैं।
प्रश्न 3. वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी पर देश में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर
पटेल की गिरफ्तारी पर देशभर में प्रतिक्रिया हुई। दिल्ली में मदन मोहन मालवीय ने केंद्रीय एसेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की भर्त्सना की गई थी। प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस प्रस्ताव पर कई नेताओं ने अपनी राय सदन में रखी। मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है। भारत सरकार एक ऐसी नजीर पेश कर रही है जिसके गंभीर परिणाम होंगे। "
प्रश्न 4. दांडी कूच से पहले गाँधी जी ने क्या निश्चय किया था? क्या वे उस निश्चय पर टिके रह सके ?
उत्तर
गाँधी ने दांडी कूच शुरू होने से पहले ही यह निश्चय कर लिया था कि वह अपनी यात्रा ब्रिटिश आधिपत्य वाले भूभाग से ही करेंगे। किसी राजघराने के इलाके में नहीं जाएंगे लेकिन इस यात्रा में उन्हें थोड़ी देर के लिए बड़ौदा रियासत से गुज़रना पड़ा। ऐसा न करने पर यात्रा करीब बीस किलोमीटर लंबी हो जाती और इसका असर यात्रा कार्यक्रम पर पड़ता।
प्रश्न 5. 'देशवासी देशहित में अपनी जान तब झोंकते हैं, जब उन्हें बलिदानी और सच्चे नेताओं का नेतृत्व मिल जाए।' - 'दीये जल उठे' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
‘दिये जल उठे' पाठ में जन-आंदोलन का जोश व उत्साह दिखाया गया है। यह जोश तभी उमड़ता है जब उनका नेतृत्व ईमानदार है, उस पर जनता का विश्वास हो । गाँधी जी के त्याग, बलिदान व संघर्ष को देखकर लोगों के लिए महिसागर को पार करना आसान हो गया। सरदार पटेल को दो वाक्य बोलने पर तीन माह की सजा मिली। अंग्रेज़ों की न्यायप्रणाली के प्रति यह घोर अविश्वास उदाहरण था। पटेल ने इस सजा को स्वीकार कर जनता को आंदोलन चलाने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसे नेताओं के लिए जनता अपना सब कुछ दाँव पर लगा देती है।
प्रश्न 6. इस पाठ के आधार पर सरदार पटेल के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर
लेखक ने इस पाठ में सरदार पटेल के व्यक्तित्व का सशक्त जुझारू नेता के रूप में चित्रण किया है। पटेल किसी का दबाव नहीं मानते थे। जब उन्होंने सत्याग्रह के लिए लोगों की राय जाननी चाही तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अदालत में सरदार पटेल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जज ने उन्हें 500 रुपए जुर्माना व तीन महीने की सजा सुनाई। उन्हें साबरमती जेल ले जाया गया। रास्ते भर लोग उनकी एक झलक पाना चाहते थे। पटेल ने कार में बैठते हुए आश्रमवासियों व गाँधी जी से कहा- "मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।" इस घटना से सरदार पटेल का निर्भीक, जुझारू व्यक्तित्व उभरता है।
प्रश्न 7. “दरबार सब कुछ छोड़कर यहाँ बस गए। " - कथन के परिप्रेक्ष्य में लेखक कौन-से जीवनमूल्य ग्रहण करने की बात कहता है?
उत्तर
ये पंक्तियाँ देश के लिए त्याग, निःस्वार्थ सेवा, हिम्मत जैसे जीवनमूल्य ग्रहण करने की प्रेरणा देता है। दरबार शासक वर्ग से थे। उन्हें सभी सुविधाएँ प्राप्त थीं। उनकी साहबी देखने लायक थी, परंतु वे अपना सब कुछ त्याग कर देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर गाँधी जी से मिल गए।
प्रश्न 8. जब पटेल को साबरमती जेल लाया जाना था तो आश्रम का वातावरण कैसा था ?
उत्तर
सरदार पटेल को बोरसद से साबरमती जेल लाया जाना था। साबरमती जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से ही होकर जाता था। आश्रम के लोग बड़ी बेसब्री से पटेल का इंतजार कर रहे थे। वे बार-बार हिसाब लगा रहे थे कि पटेल कितनी देर में उनके आश्रम के पास से गुजरेंगे। आश्रम के लोग पटेल की एक झलक पाने के लिए लालायित थे। समय का अनुमान लगाकर स्वयं महात्मा गांधी भी आश्रम से बाहर निकल आए। उनके पीछे-पीछे आश्रम के सभी लोग सड़क के किनारे खड़े हो गए थे। सबमें पटेल की एक झलक पाने की उत्सुकता थी।
प्रश्न 9. पटेल की गिरफ़्तारी पर देश के अन्य नेताओं की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर
पटेल की गिरफ़्तारी पर देश के आम लोगों के साथ-साथ सभी नेताओं में भी गहरा रोष था। दिल्ली में मदन मोहन मालवीय ने केंद्रीय असेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की कड़ी निंदा की गई थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि सरदार पटेल की गिरफ़्तारी आम व्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है। महात्मा गांधी भी पटेल की गिरफ़्तारी पर बहुत नाराज हुए थे।
प्रश्न 10. गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के विषय में जनसभा में क्या कहा ?
उत्तर
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को कुशासन बताया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश राज में तो निर्धन व्यक्ति से लेकर राजा तक सभी दुखी हैं। किसी को सुख प्राप्त नहीं हो रहा है। देश के सभी नवाब अंग्रेज़ी सरकार के हाथ की कठपुतली बनकर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ी राज तो राक्षसी राज है और इसका नाश कर देना चाहिए।
प्रश्न 11. ब्रिटिश शासकों में किस-किस वर्ग के लोग थे ?
उत्तर
ब्रिटिश शासकों में विभिन्न राय रखने वाले लोग थे। उन लोगों में गांधी जी को लेकर विभिन्न राय थी। एक वर्ग ऐसा था, जिन्हें लगता था कि गांधी जी और उनके सत्याग्रही महिसागर नदी के किनारे नमक बनाने के कानून का उल्लंघन करके नमक बनाएँगे। गांधी जी को अच्छा समझने वाले अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि गांधी जी कोई भी काम कानून तोड़कर नहीं करेंगे।
प्रश्न 12. उन दिनों नमक की रखवाली के लिए चौकीदार क्यों रखे जाते थे ?
उत्तर
उन दिनों नमक बनाना सरकारी काम था। महिसागर नदी के किनारे समुद्री पानी काफ़ी नमक छोड़ जाता था। इसलिए उसकी रखवाली के लिए सरकारी नमक- चौकीदार रखे जाते थे। यह सब इसलिए भी किया जाता था कि आम आदमी नमक की चोरी न कर ले।
प्रश्न 13. गांधी जी को नदी पार कराने की ज़िम्मेदारी किसे सौंपी गई ?
उत्तर
गांधी जी को नदी पार कराने की ज़िम्मेदारी रघुनाथ काका को सौंपी गई थी। उन्होंने इस काम के लिए एक नई नाव खरीदी। गांधी जी को नदी पार कराने के काम के कारण रघुनाथ काका को निषादराज कहा जाने लगा था।
प्रश्न 14. नदी के दोनों ओर दिये क्यों जल रहे थे ?
उत्तर
आधी रात के समय नदी के किनारे पर बहुत अँधेरा था। समुद्र का पानी भी बहुत चढ़ गया था। छोटे-मोटे दियों से अँधेरा दूर नहीं होने वाला था। थोड़ी देर में उस अँधेरी रात में गांधी जी को आगे का सफ़र तय कराने के लिए दोनों किनारों पर हजारों की संख्या में दिये जल उठे। एक किनारे पर वे लोग थे जो गांधी जी को विदा करने आए थे। दूसरे किनारे पर वे लोग थे जो गांधी जी का स्वागत करने आए थे।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘दिये जल उठे’-पाठ के आधार पर स्पष्ट करें कि गांधीजी प्रत्येक स्थिति का सामना करना जानते थे।
उत्तर
महिसागर नदी का क्षेत्र दलदली और कीचड़ से युक्त मिट्टी वाला था। इस में लगभग चार किलोमीटर पैदल चलना होता था। लोगों ने गांधी जी से कहा कि वे उन्हें कंधे पर उठा कर ले चलते हैं, परंतु गांधी जी ने इसे धर्मयात्रा कहा और कहा कि वे स्वयं चलकर इसे पूरा करेंगे। उनके इस कथन से उनके चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन को धर्म की लड़ाई मानते थे तथा अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करना चाहते थे। वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे।
वे अपने लक्ष्य की ओर स्वयं बढ़कर जाना चाहते थे। उन्हें रात के अंधेरे में महिसागर नदी पार करनी थी। उनके साथ कुछ सत्याग्रही भी थे। अँधेरा इतना घना था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था। थोड़ी देर में कई हज़ार लोग नदी के तट पर पहुँच गए। उन सबके हाथों में दिये थे। यही दृश्य नदी के दूसरे किनारे का भी था। इस प्रकार सारा वातावरण दीयों की रोशनी से जगमगा उठा और महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय, जवाहर लाल नेहरू की जय के नारों के बीच सबने पानी और कीचड़ में चलकर महिसागर नदी को पार कर लिया। इससे यही सिद्ध होता है कि कैसी भी कठिन स्थिति क्यों न हो, यदि उसका सामना सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जाए तो उस स्थिति का मुकाबला किया जा सकता है।
प्रश्न 2. “दिये जल उठे” शीर्षक पाठ प्रतीकात्मक है। मूल्य-बोध के आधार पर बताइए कि विश्वास और आपसी एकता कब और कैसे क्रांति अथवा बदलाव का रूप ले लेती है?
उत्तर
विश्वास मानव मन का आंतरिक भाव है। यह भाव सहसा किसी में नहीं जगता। इसके लिए परिश्रम करना पड़ता है। वर्णित पाठ में सरदार पटेल और महात्मा गांधी का आचरण ही उन्हें लोगों से जोड़ता है। उनका देश के प्रति त्याग तथा समर्पण भाव लोगों में विश्वास जगाता है कि वे उनके सहयोग से देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनके इसी भाव के कारण लोगों का विश्वास उन पर जम जाता है। उनके इसी विश्वास का प्रमाण उनका एकजुट होना है।
उनकी एकजुटता तब परिलक्षित होती है जब वे अपने विश्वास और सहयोग भाव से युक्त होकर नदी के दोनों किनारे हाथ में दीये लेकर खड़े हो जाते हैं। घोर अंधकार को अपने विश्वास की रोशनी से जगमगा देते हैं। उनका यही विश्वास आपसी सहयोग से युक्त होकर एक बदलाव का सूचक बनता है कि अब बहुत हुआ, हमें आजादी चाहिए। गुलामी के अंधकार को समाप्त कर आजादी की सुनहरी रोशनी चाहिए। यह बदलाव की स्थिति क्रांति का रूप बन जाती है तब ताकतवर से ताकतवर व्यक्ति भी विश्वास और एकता के समक्ष ढेर हो जाता है।
प्रश्न 3. गाँधी जी ने जवाहरलाल नेहरू को क्या संदेश भिजवाया ?
उत्तर
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक 21 मार्च को साबरमती के तट पर होने वाली थी। जवाहरलाल नेहरू इस बैठक से पहले गाँधी से मिलना चाहते थे। उन्होंने संदेश भिजवाया जिसके जवाब में गाँधी ने रास में अपनी जनसभा से पहले एक पत्र लिखा और कहा कि उन तक पहुँचना कठिन है।
तुमको पूरी एक रात का जागरण करना पड़ेगा। अगर कल रात से पहले वापस लौटना चाहते हो तो इससे बचा भी नहीं जा सकता। मैं उस समय जहाँ भी रहूँगा, संदेशवाहक तुमको वहाँ तक ले आएगा। इस प्रयाण की कठिनतम घड़ी में तुम मुझसे मिल रहे हो। तुमको रात के लगभग दो बजे जाने परखे मछुआरों के कंधों पर बैठकर एक धारा पार करनी पड़ेगी। मैं राष्ट्र के प्रमुख सेवक के लिए भी प्रयाण में जरा भी विराम नहीं दे सकता।
प्रश्न 4. ‘दिये जल उठे’ – पाठ के आधार पर महिसागर नदी के किनारे के दृश्यों का वर्णन करें।
उत्तर
महिसागर नदी के तट पर घनी अंधेरी रात में भी मेला-सा लगा हुआ था। नदी के दोनों किनारों पर लोगों के हाथों में टिमटिमाते दिये थे। वे लोग गांधी जी और अन्य सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। जब गांधी जी नाव पर चढ़ने के लिए नाव तक पहुँचे तो महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल की जय-जयकार के नारे लगने लगे। थोड़ी ही देर में नारों की आवाज़ दूसरे तट से भी आने लगी। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह नदी का तट न होकर पहाड़ों की घाटी हो, जहाँ से टकराकर आवाज़ वापस लौट आया करती है। आधी रात के समय नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिये लेकर खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके मन में अपने देश को आज़ाद कराने की कितनी ललक थी। नदी के दोनों किनारों पर खड़े लोगों के हाथों में टिमटिमाते दिये बहुत आकर्षक लग रहे थे।
प्रश्न 5. त्याग और हिम्मत का मानव जीवन में क्या स्थान है? जीवन मूल्यों के आधार पर बताइए कि मानव के सर्वांगीण विकास में त्याग और हिम्मत का क्या स्थान है?
उत्तर
मनुष्य त्यांग एक प्रकार का समर्पण भाव है। यह भाव मानव में तब आता है जब वह पूर्णतः स्वार्थ रहित हो जाता है। उसके मन में किसी प्रकार का कोई छल-कपट नहीं होता। तब वह समाज तथा सामाजिक कल्याण के कार्यों से जुड़ जाता है। के सर्वांगीण विकास में त्याग का अपना अहम स्थान है। त्याग मानव को अन्य मनुष्यों से श्रेष्ठ बनाता है। उसे सामाजिक कल्याण की भावना से जोड़ता है। त्याग व्यक्ति के अंदर हिम्मत तथा साहस का संचार करता है। उसे बल प्रदान करता है। समाज में सम्मान तथा सत्कार दिलाता है। त्याग की भावना से ओत-प्रोत होकर व्यक्ति स्वयं के लिए न जीकर देश तथा उसके हितों के लिए जीता है।
उसका जीवन अन्य लोगों के लिए मार्ग-दर्शन का काम करता है। वह उन्हें नई शक्ति तथा प्रेरणा देने का काम करता है। अतः स्पष्ट है कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब उसमें त्याग की भावना का समावेश हो। यही त्याग की भावना स्वतः उसमें हिम्मत का संचार करके उसे सेवा के पथ पर अग्रसर करती है। उसके मनोबल को ऊँचा करते हुए उसे कर्तव्यपरायण बनाती है। स्वयं के हित उसके लिए निरर्थक हो जाते हैं। राष्ट्रहित, समाज कल्याण तथा सामाजिक उन्नति ही उसका ध्येय बनकर रह जाता है।
प्रश्न 6. रास में गांधी जी ने लोगों को क्या संदेश दिया?
उत्तर
रास की आबादी करीब तीन हज़ार थी लेकिन उनकी जनसभा में बीस हज़ार से ज्यादा लोग थे। अपने भाषण में गाँधी ने पटेल की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा, "सरदार को यह सजा आपकी सेवा के पुरस्कार के रूप में मिली है। उन्होंने सरकारी नौकरियों से इस्तीफे का उल्लेख किया और कहा कि कुछ मुखी और तलाटी " गंदगी पर मक्खी की तरह " चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी तुच्छ स्वार्थ भूलकर इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा, “आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे। सरकार ने जो लूट मचा रखी है उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?"
गाँधी ने रास में भी राजद्रोह की बात पर जोर दिया और कहा कि उनकी गिरफ्तारी " अच्छी बात" होगी। सरकार को खुली चुनौती देते हुए उन्होंने कहा:
अब फिर बादल घिर आए हैं। या कहो सही मौका सामने है। अगर सरकार मुझे गिरफ्तार करती है तो यह एक अच्छी बात है। मुझे तीन माह की सजा होगी तो सरकार को लज्जा आएगी। राजद्रोही को तो कालापानी, देश निकाला या फांसी की सजा हो सकती है। मुझ जैसे लोग अगर राजद्रोही होना अपना धर्म मानें तो उन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए?