Extra Questions for Class 10 कृतिका Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ? - अज्ञेय Hindi

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Extra Questions for Class 10 कृतिका Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ? - अज्ञेय Hindi

Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ? Kritika Extra Questions for Class 10 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'मैं क्यों लिखता हूँ?' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक को लिखने की प्रेरणा कहाँ से प्राप्त होती है

उत्तर

'मैं क्यों लिखता हूँ?' पाठ में अज्ञेय जी अपनी आंतरिक विवशता को प्रकट करने के लिए लिखते हैं। वे तटस्थ होकर यह देखना चाहते हैं कि उनका मन क्या सोचता है। वे लिखकर मन की बेचैनी और उसकी छटपटाहट से मुक्ति पाने के लिए लिखते हैं । वे स्वयं को जानने और समझने व पहचानने के लिए लिखते हैं। वे यह भी मानते हैं कि कई बार कुछ लेखक आर्थिक कारणों से भी लिखते हैं या कुछ संपादक के दबाव और प्रसिद्धि की कामना के लिए भी लिखते हैं।


प्रश्न 2. रचनाकार के लिए अनुभूति के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी लिखने के कारण बनते हैं। 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक पर कौन-कौन से दबाव थे?

उत्तर

रचनाकार के लिए अनुभूति के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी लिखने का कारण बनते हैं। 'मैं क्यों लिखता हूँ पाठ में लेखक के मन में भीतरी विवशता से प्रेरित होकर ऐसी अनुभूति जागृत होती हैं कि वह अभिव्यक्ति के लिए व्याकुल हो उठता है । इस आंतरिक विवशता या प्रेरणा के अतिरिक्त बाहरी दबाव भी लिखने का कारण बनता है । हिरोशिमा पर लिखी लेखक की कविता उसके आंतरिक एवं बाह्य दबाव का परिणाम है। लेखक ने हिरोशिमा में हुए भीषण नर-संहार की पीड़ा को वहाँ जाने से पहले अनुभव किया था। लेकिन जापान यात्रा के दौरान उन्होंने उस विनाशलीला के दुष्प्रभावों का साक्षात्कार भी किया, जिसके परिणामस्वरूप  उन्होंने हिरोशिमा पर कविता लिखी। यह अभिव्यक्ति उनकी यात्रा के बाद बाह्य दबावों एवं आंतरिक अनुभूति दोनों के कारण से हुई। अतः आंतरिक अनुभूति के साथ बाह्य दबावों ने भी लेखक को लिखने के लिए बाध्य किया।


प्रश्न 3. 'मैं क्यों लिखता हूँ' निबंध के आधार पर लिखिए कि वैचारिक मतभेदों को भुलाकर दो समुदायों में एक-दूसरे के प्रति आदर की भावना कैसे बढ़ाई जा सकती है।

उत्तर

वैचारिक मतभेदों को भुलाकर दो समुदायों में एक-दूसरे के प्रति आदर की भावना बढ़ाने के लिए हमें एक दूसरे के विचारों का, एक दूसरे की रीति-रिवाज़ों और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। एक दूसरे के तीज-त्योहार मनाने की स्वतंत्रता का अधिकार प्रत्येक समुदाय को होना चाहिए । जाति, धर्म और समुदाय के आधार पर किसी में कोई अंतर करना उचित नहीं है। सभी समुदाय के लोगों को समान अवसर प्रदान करना चाहिए। हर समुदाय के लोगों के विचार और सोच में अंतर हो सकता है, परंतु हमें यह भाव त्यागना होगा कि हमारी सोच उससे बड़ी है और उसकी सोच छोटी है । जब हम सभी समुदायों के प्रति मान-सम्मान का, बराबरी का और उनकी स्वतंत्रता का ध्यान रखेंगे, तो सभी मतभेदों को भुलाकर शांति से रह पाएँगे।


प्रश्न 4. कुछ रचनाकार बाहूय दबावों के कारण भी रचना करते हैं। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं? 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर

पाठ में ‘मैं क्यों लिखता हूँ' में लेखक सच्चिदानंद हीरानंद जी कहते हैं कि लिखने के लिए लेखक की अनुभूति की तीव्रता, आंतरिक विवशता या स्वयं को जानने की इच्छा प्रेरित करती है। लेकिन कभी-कभी रचनाकार बाह्य दवाबों के कारण भी रचना करते हैं । ये बाह्य दवाब अनेक प्रकार के हो सकते हैं- जैसे संपादक द्वारा विशेष रचना का आग्रह । प्रकाशक द्वारा विशेष लेखन कार्य अथवा कभी-कभी लेखक आर्थिक आवश्यकता के लिए समय की माँग के अनुसार भी रचना करता है । ये सभी बाहूय दवाब हो सकते हैं।


प्रश्न 5. हिरोशिमा की घटना को विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग क्यों कहा जाता है ?

उत्तर

हिरोशिमा की घटना को विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ विज्ञान ने विध्वसंक की भूमिका निभाई थी। विज्ञान को निर्माण करने वाले के रूप में जितना सशक्त माना जा सकता है उससे भी विकराल रूप उसका हिरोशिमा में दृष्टिगत हुआ जब वह विनाशकारी बना। यह मानव द्वारा उसका दुरुपयोग ही था।


प्रश्न 6. 'मैं क्यों लिखता हूँ?' पाठ के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता किस तरह महसूस किया?

उत्तर

पाठ 'मैं क्यों लिखता हूँ?' के लेखक अज्ञेय जी ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियोधर्मी किरणों का शिकार हुआ होगा। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया होगा। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 7. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने आप को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस प्रकार महसूस किया? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे । जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे। पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है। जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 8. लेखक की आभ्यंतर विवशता क्या होती है? 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के आलोक में उत्तर दीजिए।

उत्तर

लेखक की आभ्यंतर विवशता यह है कि वह स्वयं को पहचानने के लिए लिखता है । लेखक लिखकर अपने मन के अंदर की विवशता को जानना चाहता है । जो विचार उसके अंदर छटपटाहट पैदा कर रहे हैं, उन्हें जानने के लिए लिखता है। लेखक मानता है कि कई बार बाहरी तत्वों जैसे- आर्थिक विवशता, संपादक का आग्रह प्रसिद्धि पाने या बनाए रखने के लिए भी लिखा जाता है। परंतु लेखक तटस्थ रहकर, आंतरिक विचारों से मुक्ति पाने के लिए अपनी अनुभूति के आधार पर लिखता है।


प्रश्न 9. 'मैं क्यों लिखता हूँ?' प्रश्न के उत्तर में अज्ञेय ने क्या कहा है? संक्षेप में लिखिए ।

उत्तर

लेखक 'अज्ञेय' जी ने ‘मैं क्यों लिखता हूँ?' के उत्तर में कहा है कि वह अपने मन की विवशता को पहचानते हैं। अतः वह लिखकर उससे मुक्ति पाना चाहते हैं। वह इसलिए भी लिखना चाहते हैं, ताकि स्वयं को जान और पहचान सकें। उनके मन जो विचारों की छटपटाहट व बेचैनी होती है। उससे मुक्ति पाने के लिए वे लिखना चाहते हैं। वे यह भी जानते हैं कि कई बार व्यक्ति प्रसिद्धि पाने, धन अर्जन करने व संपादक की विवशता या दवाब के कारण भी लिखता है। पर वे स्वयं की पहचान करके व अपने विचारों को तटस्थ रखकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने व आत्मसंतुष्टि के लिए लिखते हैं।


प्रश्न 10. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ आपको विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में केसे प्रेरित करता है?

उत्तर

"मैं क्यों लिखता हूँ?' पाठ के द्वारा लेखक श्री अज्ञेय ने विज्ञान के वीभत्स रूप की अनुभूति पाठकों को इस स्तर तक करवाई है कि वे सोचने को विवश हो उठें कि एक समर्थ विद्धा का ऐसा दुरुपयोग क्यों । लेखक को पत्थर पर मानव की छाया देखकर जो थप्पड़-सा लगा अनुभव होता है वह समस्त मानव जाति के लिए ही एक चोट है। कोई भी प्रबुद्ध पाठक इस अनुभूति से निस्पृह नहीं रह सकता । हमारी संवेदनशीलता और विवेक ही हमें यह समझा सकते हैं कि हम विज्ञान के दुरुपयोग का ऐसा अन्य उदाहरण उपस्थित न होने दें।


प्रश्न 11. 'मैं क्यों लिखता हूँ' प्रश्न का लेखक ने क्या उत्तर दिया है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए ।

उत्तर

लेखक 'अज्ञेय' जी ने 'मैं क्यों लिखता हूँ?' पहचानते हैं। अतः वह लिखकर उससे मुक्ति पाना चाहते हैं । वह इसलिए भी लिखना चाहते हैं, ताकि स्वयं को जान और पहचान सकें। उनके मन में जो विचारों की छटपटाहट व बेचैनी होती है। उससे मुक्ति पाने के लिए वे लिखना चाहते हैं । वे यह भी जानते हैं कि कई बार व्यक्ति प्रसिद्धि पाने, धन अर्जन करने व संपादक की विवशता या दवाब के कारण भी लिखता है । पर वे स्वयं की पहचान करके व अपने विचारों को तटस्थ रखकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने व आत्मसंतुष्टि के लिए लिखते हैं।


प्रश्न 12. 'मैं क्यों लिखता हूँ?' प्रश्न के उत्तर में 'अज्ञेय' के किसी एक तर्क का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

'मैं क्यों लिखता हूँ?' के प्रश्न के उत्तर में 'अज्ञेय' ने अनेक तर्क दिए हैं। उनमें से प्रमुख हैं- वह इसलिए लिखते हैं क्योंकि वे स्वयं यह जानना चाहते हैं कि वे क्यों लिखते हैं? लिखकर ही वह अपने मन के अंदर की बेचैनी या भावों को प्रकट करते हैं । वे लिखकर अपने अंदर की छटपटाहट से आज़ादी पाना चाहते हैं। वे तटस्थ रहकर अपने अंदर के विचारों को जानने के लिए लिखते हैं ।


प्रश्न 13. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया ?

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे । जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे। पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है । जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 14. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे। जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे । पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है। जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 15. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे । जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे । पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है। जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 16. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने लिखने का क्या कारण बताया है?

उत्तर

लेखक 'अज्ञेय' जी ने 'मैं क्यों लिखता हूँ?' के उत्तर में कहा है कि वह अपने मन की विवशता को पहचानते हैं। अतः वह लिखकर उससे मुक्ति पाना चाहते हैं। वह इसलिए भी लिखना चाहते हैं, ताकि स्वयं को जान और पहचान सकें। उनके मन में जो विचारों की छटपटाहट व बेचैनी होती है। उससे मुक्ति पाने के लिए वे लिखना चाहते हैं। वे यह भी जानते हैं कि कई बार व्यक्ति प्रसिद्धि पाने, धन अर्जन करने व संपादक की विवशता या दवाब के कारण भी लिखता है । पर वे स्वयं की पहचान करके व अपने विचारों को तटस्थ रखकर सबके समक्ष प्रस्तुत करने व आत्मसंतुष्टि के लिए लिखते हैं। 


प्रश्न 17. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के आधार पर विस्तार से समझाइए कि लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।

उत्तर

लेखन का संबंध मन की स्थिति से होता है । जब अनुभूति और प्रत्यक्ष का अनुभव रचना करने के लिए उकसाते हैं तभी व्यक्ति लेखन करता है । परंतु प्रत्येक लेखक को कई अन्य कारणों से भी लेखन करना पड़ता है। संपादक़ यदि किसी विषय विशेष के लिए आग्रह करे अथवा प्रकाशक का दबाव हो, तो भी लेखक को लिखना पड़ता है। कई तरह के आर्थिक लाभ अथवा सामाजिक और राजनीतिक दायित्व को पूरा करने के लिए भी रचनाएँ करनी पड़ती हैं। किन्तु लेखन सर्वोत्कृष्ट तभी होता है जब लेखक का भीतरी दबाव उसे विवश कर दे और वह स्वयं ही इतना बेचैन हो उठे कि लिखना अनिवार्य हो जाए।


प्रश्न 18. ''मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता किस तरह महसूस किया ?

उत्तर

पाठ 'मैं क्यों लिखता हूँ?' के लेखक अज्ञेय जी ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियोधर्मी का शिकार हुआ होगा। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर किरणों ने उड़ा दिया होगा। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बना दिया।


प्रश्न 19. 'मैं क्यों लिखता हूँ' के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे । जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे । पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है। जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।


निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का ऐसा दुरुपयोग कहाँ-कहाँ हो रहा है और कैसे?

उत्तर

हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है । हिरोशिमा पर गिराए गए अणु बम से संपूर्ण मानवता हिल गई थी, परंतु आज भी विज्ञान का निकृष्टतम प्रयोग करने का प्रयास किया जा रहा जानलेवा कामों के लिए उसका दुरुपयोग किया जा रहा है । आज संपूर्ण विश्व में आतंकवाद का बोलबाला है । असमय आतंकी हमले और विस्फोट इसी का दुष्परिणाम है। कहीं अमेरिकी टावरों को गिराया जा रहा है। कहीं मुंबई जैसे महानगरों में बम विस्फोट किए जा रहे हैं। गाड़ियों में आग लगाई जा रही है । शक्तिशाली देश कमज़ोर देश को दबाने का प्रयास कर रहे। अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण इसका ज्वलंत उदाहरण है।

चिकित्सा के क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड का दुरुपयोग भ्रूण परीक्षण के लिए किया जा रहा है, जिससे जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है। कीटनाशक दवाइयों का एवं ज़हरीले रसायनों का फ़सलों पर छिड़काव न केवल फल, सब्ज़ियों या फ़सलों को दूषित कर रहा है, अपितु अनेक असाध्य रोगों को जन्म दे रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग विज्ञान के दुरुपयोग का दुष्कर परिणाम है। प्रदूषण का बढ़ना, धरती से खनिज लवण एवं गैसीय पदार्थों का निकाला जाना, अस्त्र-शस्त्र की होड़ विज्ञान के दुरुपयोग के भयंकर परिणाम हैं, जो मानव के भविष्य को ख़तरे में डाल रहे हैं।


प्रश्न 2. एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान के दुरुपयोग को रोकने में आपकी क्या भूमिका हो सकती है? ‘मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के आलोक में उत्तर दीजिए ।

उत्तर

विज्ञान के विषय में कहा गया है कि वह एक अच्छा सेवक पर बुरा स्वामी है । आज विज्ञान अपने बढ़ते प्रभाव के कारण मानव का स्वामी बन बैठा है। उसके द्वारा किए गए आणविक आविष्कारों के कारण दुनिया विनाश के कगार पर है। वैज्ञानिक उपकरणों के कारण प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बढ़ते कीटनाशी दवाइयों के प्रयोग से अन्न और जल दूषित हो गए हैं। विज्ञान के द्वारा उपलब्ध कराए गए सुख-सुविधा के साधनों से विषैली गैसें निकलकर हवा में ज़हर घोल रही हैं। विज्ञान के बढ़ते दुरुपयोग को कम करने में युवाओं को संवेदनशील भूमिका निभानी होगी। प्रदूषण की रोकथाम के लिए कदम उठाने होंगे। अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण अभियान चलाने होंगे । कृषि में प्राकृतिक खाद का प्रयोग करना होगा और खाद्य पदार्थों को रासायनिक तत्वों से बचाना होगा। वैज्ञानिक उपकरणों जैसे ए०सी०, रेफ्रीजिरेटर आदि का प्रयोग कम कर इनके प्राकृतिक विकल्प खोजने होंगे। सबसे महत्त्वपूर्ण लोगों को आपसी सद्भावना का ध्यान रखना होगा, ताकि हथियारों के ढेर पर खड़ी यह दुनिया शांति से जी सके।


प्रश्न 3. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ को दृष्टि में रखते हुए बताइए कि एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका हो सकती है।

उत्तर

विज्ञान के विषय में कहा गया है कि वह एक अच्छा सेवक पर बुरा स्वामी है। आज विज्ञान अपने बढ़ते प्रभाव के कारण मानव का स्वामी बन बैठा है। उसके द्वारा किए गए आणविक आविष्कारों के कारण दुनिया विनाश के कगार पर है। वैज्ञानिक उपकरणों के कारण प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बढ़ते कीटनाशी दवाइयों के प्रयोग से अन्न और जल दूषित हो गए हैं। विज्ञान के द्वारा उपलब्ध कराए गए सुख-सुविधा के साधनों से विषैली गैसें निकलकर हवा में ज़हर घोल रही हैं।

विज्ञान के बढ़ते दुरुपयोग को कम करने में युवाओं को संवेदनशील भूमिका निभानी होगी। प्रदूषण की रोकथाम के लिए कदम उठाने होंगे। अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण अभियान चलाने होंगे। कृषि में प्राकृतिक खाद का प्रयोग करना होगा और खाद्य पदार्थों को रासायनिक तत्वों से बचाना होगा। वैज्ञानिक उपकरणों जैसे ए०सी०, फ्रीजिरेटर आदि का प्रयोग कम कर इनके प्राकृतिक विकल्प खोजने होंगे। सबसे महत्त्वपूर्ण लोगों को आपसी सद्भावना का ध्यान रखना होगा, ताकि हथियारों के ढेर पर खड़ी यह दुनिया शांति से जी सके।


प्रश्न 4. 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया।

उत्तर

लेखक सच्चिदानंद जी जापान यात्रा के समय हिरोशिमा भी गए थे। जहाँ पर विश्वयुद्ध में अणु बम बरसाए गए थे। लेखक ने वहाँ के लोगों की त्रासदी को देखा। उसे अनुभव भी हुआ कि लोग रेडियम पदार्थ से किस प्रकार प्रभावित थे। पर अनुभव पर्याप्त नहीं होता, अनुभूति कहीं गहरी संवेदना होती है जो कल्पना के सहारे सत्य को भोग लेती है । जब लेखक ने एक दिन हिरोशिमा में एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया को देखा, तो लेखक को अनुभूति हुई कि मानो वहाँ कोई व्यक्ति खड़ा रहा होगा जो रेडियो धर्मी किरणों का शिकार हुआ। जिसने पत्थर तक को झुलसा दिया और उस व्यक्ति को भाप बनाकर उड़ा दिया। उसी समय उस कल्पना ने लेखक को हिरोशिमा के विस्फोटक का भोक्ता बना दिया।

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