Extra Questions for Class 10 कृतिका Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि - मधु कांकरिया Hindi
Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि Kritika Extra Questions for Class 10 Hindi
प्रश्न 1. 'कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।' 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के इस कथन में निहित जीवनमूल्यों को स्पष्ट कीजिए और बताइए कि देश की प्रगति में नागरिक की क्या भूमिका है?
उत्तर
लेखिका मधु कांकरिया द्वारा रचित पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि' में लेखिका ने इस कथन “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” में गंतोक यात्रा के दौरान पहाड़ों में कुदाल और हथौड़ों से पत्थर तोड़ती महिलाओं के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया है। वे कहती हैं कि पहाड़ों पर संघर्षपूर्ण जीवन के बाद भी उनमें देशप्रेम, प्रकृति-प्रेम व सेवा-भाव भरा हुआ है। उन्हीं की भाँति किसी भी नागरिक की देश के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आम जनता अपने श्रम के माध्यम समाज व देश की सेवा करते हैं। देश के आर्थिक विकास में इनका अहम योगदान होता है। नागरिकों की सेवा और श्रम के बल पर ही देश सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। यदि नागरिक देश विकास में अपना योगदान न दें, तो देश की प्रगति संभव नहीं है? नागरिकों के विकास व श्रम से ही देश का विकास जुड़ा है।
प्रश्न 2. 'साना साना हाथ जोड़ि' में कहा गया है कि 'कटाओ' पर किसी दुकान का न होना वरदान है, ऐसा क्यों? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
'कटाओ' में किसी दुकान का न होना वरदान है क्योंकि जहाँ दुकानें खुल जाती हैं उस स्थान का व्यवसायीकरण होना शुरू हो जाता है। वहाँ अधिक-से-अधिक पर्यटक आने लगते हैं और प्रदूषण फैलाना शुरू कर देते हैं, जिससे उस स्थान का प्राकृतिक सौंदर्य ख़तरे में पड़ जाता है। 'कटाओं' अभी तक व्यवसायीकरण से अछूता है, यह स्विटज़रलैंड से भी ऊँचा व सुंदर स्थान है। अतः यहाँ दुकानों का न होना, इसके मूल सौंदर्य के लिए वरदान ही है। भारत के अन्य प्राकृतिक स्थलों का सौंदर्य बनाए रखने में भारत के नौजवान एक अहम भूमिका निभा सकते हैं । वे 'जागरूकता अभियान' चला सकते हैं। आजकल यह अभियान फेस बुक, टूट्विटर व इंटरनेट के ज़रिए भी चलाया जा सकता है। जिसमें इन प्राकृतिक स्थलों के सौंदर्य को बनाए रखने के लिए व इनके खूबसूरत अछूते सौंदर्य को प्रदूषण मुक्त रखने की मुहिम चलाई जा सकती है।
प्रश्न 3. सिक्किम यात्रा के दौरान फ़ौजी - छावनियाँ देखकर लेखिका के मन में उपजे विचारों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
सिक्किम यात्रा के दौरान फ़ौजी - छावनियों को देखकर लेखिका के मन में अनेक विचारों ने जन्म लिया कि ये जवान देश की रक्षा करने के लिए कितना कठिन जीवन यापन करते हैं। उन्हें भयंकर शीत का सामना करना पड़ता है। अनेक दैनिक आवश्यकताओं की कमी झेलनी पड़ती है । देशवासी चैन की नींद सो पाएँ इसके लिए वे दिन-रात जागकर पहरा देते हैं । सचमुच उनका जीवन अत्यंत दुष्कर व नमन करने योग्य है ।
प्रश्न 4. टिमटिमाते तारों की छाया में गंतोक को देखकर 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका की अनुभूति को अपनी भाषा प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर
टिमटिमाते तारों की छाया में गंतोक को देखकर लेखिका पर एक जादू सा छाने लगा । चमकते तारों की रोशनी में गंतोक रहस्यमयी और जादूभरा प्रतीत हो रहा था । ऐसा लग रहा था मानो आकाश में सितारों के गुच्छों ने रोशनी की अनेक झालरें बना रखी हों। यह वातावरण लेखिका को सम्मोहित कर रहा था । उसे आस-पास सिर्फ़ शून्य का अहसास हो रहा था।
प्रश्न 5. सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका को बौद्ध धर्म-संबंधी किन आस्थाओं और विश्वासों की जानकारी प्राप्त हुई तथा लेखिका ने उनके प्रति क्या प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की?
उत्तर
सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका ने देखा कि अनेक लोग यहाँ बौद्ध धर्म को मानते हैं। यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। किसी शुभ अवसर पर भी इन पताकाओं को फहराया जाता है । इन्हें उतारा नहीं जाता। ये अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं । लेखिका ने पहाड़ी रास्तों पर एक कतार में लगी सफ़ेद पताकाओं को भी देखा, जिन पर शांति और अहिंसा के मंत्र लिखे हुए थे। लेखिका उनसे अति प्रभावित हुई ।
प्रश्न 6. सिक्किम के यात्रा- वृत्तांत में लेखिका को सीमा पर तैनात सैनिकों को देखकर किस प्रकार की अनुभूति हुई ?
उत्तर
सीमा पर तैनात सैनिकों को देखकर लेखिका का मन फ़ौजियों के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हो गया। उसे लगा कि इनको कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भयंकर शीत में चुस्त रहकर सीमा की रखवाली करते हैं । वैशाख में हम लोग वहाँ ठिठुरने लगते हैं। पौष और माघ के महीनों में तो वहाँ पेट्रोल के अलावा सब कुछ जम जाता है। ऐसी विकट परिस्थितियों में खाने-पीने के अभाव को झेल हुए सीमा की रक्षा करते हैं। कई बार तो इन्हें अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ता है।
प्रश्न 7. सिक्किम यात्रा के दौरान आदिवासी युवतियों को देखकर लेखिका के मन में क्या विचार उत्पन्न हुए? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
सिक्किम यात्रा के दौरान लेखिका 'मधु कांकरिया ने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें कुदाल और हथौड़ों से पत्थर तोड़ रही हैं। उनका यह काम अत्यंत ख़तरनाक व कठिन था । गाइड ने बताया कि यह आम जनता है, जो इसी प्रकार का जोखिम भरा जीवन जीती है। लेखिका को लगा कि ये औरतें बहुत कम लेकर समाज बहुत अधिक लौटाती हैं। उसने यह भी देखा कि इनके बच्चे भी वहाँ पढ़ाई न करके मवेशी चराते हैं, पानी भरते हैं। वास्तव में, पहाड़ों पर रहने वालों का जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा होता है । जो पहाड़ हमें घूमने जाने पर अति सुंदर दिखाई पड़ते हैं और हमारा मन मोह लेते हैं । वे वहाँ पर रहने वालों के लिए सहायक नहीं होते। रास्तों को चौड़ा बनाने, पहाड़ों को सुंदर बनाने और चाय के बागानों के सौंदर्य के लिए ये औरतें ही दिन-रात काम करती हैं।
प्रश्न 8. सिक्किमी 'नवयुवक ने 'स्नोफ़ॉल' की कमी का क्या कारण बताया तथा 'कटाओं' के विषय में क्या जानकारी दी ?
उत्तर
सिक्किमी नवयुवक कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण है। प्रदूषण के अन्य बुरे प्रभाव भी यहाँ महसूस किए जा रहे हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण ने लेखिका को जानकारी दी कि धीरे-धीरे यहाँ 'स्नोफ़ॉल' कम होता जा रहा है, जिसका के कारण लोगों को श्वास लेने कठिनाई हो रही है । स्वच्छ वायु न मिलने से लोग बीमार पड़ रहे हैं । यहाँ पर वायु-प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। शीतल और पवित्र नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं। परिणामस्वरूप पेट की अनेक बीमारियों को सहना पड़ता है। गाइड ने साथ ही 'कटाओ' के विषय में बताया कि 'कटाओ' 'टूरिस्ट प्लेस' नहीं है । इस कारण वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अछूता है और 'कटाओ' का व्यवसायीकरण नहीं हो पाया है। यह स्विटज़रलैंड की तरह सुंदर है। यहाँ कोई दुकान भी नहीं खुली है । अतः यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को एक तरह से सौंदर्य का वरदान प्राप्त हुआ है ।
प्रश्न 9. 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका ने देश की सीमा पर तैनात सैनिकों की कठिनाइयों की ओर संकेत किया है । इन सैनिकों के परिवारों के प्रति आप अपने दायित्व का निर्वाह किन-किन रूपों में करेंगे? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
देश की सीमा पर तैनात फ़ौजी देश के प्रहरी होते हैं। देश की रक्षा वे तन-मन से अनेक कठिनाइयाँ उठाकर करते हैं। सीमाओं पर तापमान चाहे शून्य से नीचे हो या रेगिस्तान में आग बरसाता सूर्य हो, वे सहर्ष मौसम की मार सहते हुए देश की रक्षा में लगे रहते हैं। चौबीस घंटे सतर्क रहकर दुश्मन पर निगाहें व बंदूक ताने रहते हैं। अपने परिवार से दूर, उनके बिछुड़ने का दर्द लिए वे सदा दुश्मन को मारने व मरने को तैयार रहते हैं। अनेक बार खाने-पीने की चीज़ों का अभाव सहते हुए भी देश की रक्षा करते हैं। सैनिकों के प्रति अपना सम्मान प्रकट कर हम अपने दायित्त्वों का निर्वाह कर सकते हैं। उनके परिवार को सरकार द्वारा समस्त सुविधाएँ दिलवाकर भी हम उनका सहयोग कर सकते हैं। सैनिकों का जीवन एक आदर्श जीवन होता है जो हम सभी में देशप्रेम की भावना जाग्रत करता है। अतः उनके परिवार को, उनके बच्चों को हर सुविधा शुल्क रहित होनी चाहिए। उनके परिवारों को समय देकर उन्हें अपने त्योहारों व शुभ अवसरों पर शामिल कर उन्हें सुख प्रदान कर सकते हैं ।
प्रश्न 10. जितेन नार्गे एक कुशल एवं सफल गाइड है- 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ के आलोक में दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
जितेन नार्गे एक कुशल एवं सफल गाइड है, क्योंकि-
- वह सिक्किम के प्रत्येक क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह से जानता था । अतः वह लेखिका को प्रत्येक क्षेत्र के बारे में छोटी-से-छोटी बातों की जानकारी दे रहा था। वह उसी क्षेत्र का निवासी था इसलिए वहाँ की प्रकृति और संस्कृति दोनों से ही भली-भाँति परिचित था ।
- उसने लेखिका से एक आत्मीय संबंध बना लिया और उनकी रुचि बनाए रखते हुए अपनी प्रभावशाली वाणी से प्रत्येक क्षेत्र के बारे में सटीक और रुचिकर जानकारी देता रहा तथा लेखिका की सभी जिज्ञासाएँ शांत करता रहा ।
प्रश्न 11. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था ? ' साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए ।
उत्तर
पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि' की लेखिका 'मधु कांकरिया' को झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गतोक अपनी तरफ़ सम्मोहित कर रहा था क्योंकि सितारों से भरा गंतोक लेखिका को रहस्यमयी और जादूभरा लग रहा था। आकाश में सितारों के झुंड रोशनी की झालर समान प्रतीत हो रहे थे । साफ़-सुथरे, प्रदूषण रहित आकाश में एक-एक सितारा स्पष्ट होकर अपनी रोशनी बरसा रहा था, जिसका जादू लेखिका के मन-मस्तिष्क पर छा रहा था।
प्रश्न 12. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है ? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए ।
उत्तर
‘प्रकृति' हमारी जननी है। प्रत्येक जीव जीवनदायिनी सामग्री प्रकृति से ही ग्रहण करता है। 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ में गंतोक (पहाड़ों) के शिखर हिम से ढके रहते i ये हिम शिखर ही जल स्तंभ हैं। पहाड़ों के शिखरों पर सर्दियों में घनी बर्फ पड़ती है, जो ठोस रूप में जल को संचित रखती है और जब मौसम करवट लेता है अर्थात गर्मियाँ आती हैं तो यही बूँद-बूँद बर्फ पिघलकर जल धाराओं का रूप ले लेता है और नदियों के रूपों में यात्रा करता हुआ मैदानी क्षेत्रों तक रहने वाले प्राणियों की प्यास बुझाता है। कुदरत द्वारा जल संचित करने की यह अनोखी व्यवस्था है जो जीवों को जीवन देती है ।
प्रश्न 13. 'साना साना हाथ जोड़ि ' पाठ में प्रदूषण के कारण स्नो-फ़ॉल की कमी का जिक्र है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के किन्हीं दो उपायों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में प्रदूषण के कारण स्नो- फॉल में कमी होती जा रही है । अतः प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
- वनों की कटाई कम की जानी चाहिए और उनके स्थान पर अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। वृक्ष धरती के ताप को नियंत्रित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
- जल को दूषित करने से बचाना चाहिए। कल कारखानों का दूषित जल नदियों में नहीं प्रवाहित करना चाहिए। जानवरों को नदियों में नहीं नहलाना चाहिए। मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद राख को नदी में प्रवाहित नहीं करना चाहिए क्योंकि दूषित जल पेट की अनेक बीमारियों का कारण बनता है।
प्रश्न 14. 'साना साना हाथ जोड़ि ' यात्रा वृत्तांत में वर्णित ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जिसने आपको बहुत प्रभावित किया हो ।
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में वर्णित निम्नलिखित घटना ने हमें बहुत प्रभावित किया । जब लेखिका पहाड़ी सौंदर्य का आनंद लेने में डूबी हुई थी, तभी उसने देखा कि पहाड़ों पर अपने कोमल हाथों में कुदाल उठाए और पीठ पर छोटे बच्चों को बाँधे हुए पहाड़ी औरतें पत्थरों की खुदाई में जी तोड़ मेहनत कर रही थीं। वे पहाड़ी रास्तों को चौड़ा करने का कार्य कर रही थीं । प्रकृति के इतने खूबसूरत नज़ारों के बीच जीवन की सच्चाई, पेट भरने के लिए उन औरतों द्वारा किया जा रहा कठिन परिश्रम दिल को झकझोर देने वाला था। इस वास्तविकता से मुख नहीं मोड़ा जा सकता कि पहाड़ पर जीवन जीना एक संघर्ष है।
प्रश्न 15. 'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ की लेखिका को कुटिया के भीतर घूमते चक्र को देखकर किस प्रकार की अनुभूति हुई ?
उत्तर
पाठ ‘साना-साना हाथ जोड़ि ...' की लेखिका 'मधु कांकरिया' जब 'गंतोक का भ्रमण कर रही थीं, तो उनका गाइड जितेन उन्हें एक-एक स्थान को ध्यान से दिखा और उनके बारे में बता रहा था। तभी वहाँ एक कुटिया में लेखिका ने एक चक्र को घूमते हुए देखा । गाइड ने उसे 'प्रेयर व्हील' बताया और कहा कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। तब लेखिका को यह अनुभूति हुई कि हम भारत में कहीं भी चले जाएँ पर लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुण्य के बारे में सोच एक समान ही है।
प्रश्न 16. 'कटाओ' कहाँ है? उसके प्राकृतिक सौंदर्य को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
'कटाओ' भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में 'लायुंग' से 500 फीट की ऊँचाई पर था । 'कटाओ' इतना सुंदर है कि यह भारत में स्विट्ज़रलैंड के नाम से जाना जाता है। यहाँ चारों तरफ़ बर्फ़ बिखरी रहती है । यहाँ के हिमशिखर एक प्रकार के जल स्तंभ हैं जो सर्दियों में बर्फ़ के रूप में जल का संग्रहण करते हैं और गर्मियों में ये शिलाएँ पिघलकर जलधाराओं में परिवर्तित हो जाती हैं । यहाँ पर कोई दुकान न होने से यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अछूता व अनूठा और नैसर्गिक है जिसे देखते ही मन मुग्ध हो जाता है।
प्रश्न 17. 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में श्वेत और रंगीन पताकाएँ किन अवसरों की ओर संकेत करती हैं?
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में श्वेत पताकाएँ किसी बुद्धिस्ट के निधन पर लगाई जाती हैं। ये पताकाएँ दिवंगत आत्मा की शांति के लिए लगाई जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता है। ये अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं। इसके विपरीत रंगीन पताकाएँ मंगलकारी मानी जाती हैं, जिन्हें किसी भी मंगलकार्य को आरंभ करने से पूर्व लगाया जाता है।
प्रश्न 18. 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका का मन फ़ौजी छावनी में लिखे 'वी गिव अवर टुडे फॉर योर टुमारो' वाक्य को पढ़कर उदास क्यों हो गया? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका जब गंतोक घूमने गईं तब वह वहाँ पहुँची जहाँ चीन की सीमा के पास फ़ौज छावनी थी । वहाँ लिखा था 'वी गिव अवर टुडे फ़ॉर योर टुमारो' पढ़कर लेखिका उदास हो गईं क्योंकि ये फ़ौजी माइनस 15 सेंटीग्रेट तापमान में देश की रक्षा पूरी मुस्तैदी से करते हैं। ऐसे तापमान में पेट्रोल के अलावा सब कुछ जम जाता है। ऐसे में अनेक कठिनाइयों को सहते हुए, अपने परिवार से अलग रहकर हम देशवासियों के लिए हमारे फ़ौजी दिन-रात अपनी जान जोखिम में डालते हैं इसलिए उनके कठिन जीवन और त्याग को देखकर लेखिका उदास हो जाती है।
प्रश्न 19. 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में सीमाओं पर बैठे सैनिकों के प्रति देश के नागरिकों के लिए क्या संदेश दिया हुआ है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में सीमाओं पर बैठे सैनिकों के प्रति देश के नागरिकों के लिए यह संदेश निहित है कि नागरिकों को सैनिकों का सदा सम्मान करना चाहिए और उनके परिवार का सदा सहयोग करना चाहिए। हमें उनके त्याग, सेवा, बलिदान और संघर्षपूर्ण जीवन को अवश्य समझना चाहिए। वे किस प्रकार इतनी कठिनाइयों में अपने परिवार से अलग सीमाओं की रक्षा करते हैं और हमें स्वतंत्र रूप से निडर होकर जीने का भाव प्रदान करते हैं।
प्रश्न 20. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ के आधार पर बताइए कि देश की सीमा पर फ़ौजियों को कैसी-कैसी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं।
उत्तर
'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर सीमा पर फ़ौजियों को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है-
- शून्य से कम तापमान में उन्हें ठिठुरती सरदी में दिन-रात सीमाओं की रक्षा में तैनात रहना पड़ता है। ऐसी ठंड में वहाँ सब कुछ जम जाता है, सिर्फ़ पेट्रोल को छोड़कर। तब भी वे मुस्तैदी से अपना कर्तव्य निभाते हैं ।
- कई बार खाने-पीने की चीज़ों की कमी भी हो जाती है, तब भी उन समस्याओं का सामना करते हुए अपने कर्तव्य पूरा करते हैं ।
- उन्हें अपने परिवार से दूरी सहनी पड़ती है। कई बार तो उन्हें छुट्टियाँ तक नहीं मिलतीं ।
- वे हर परिस्थिति में संकट का सामना करते हुए पहरा देते हैं, ताकि देशवासी चैन से रह सकें। इस कार्य में दुश्मनों का सामना करते हुए उन्हें अपने प्राण तक गँवाने पड़ते हैं ।
प्रश्न 21. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी ?
उत्तर
सिक्किम में एक जगह है, जिसका नाम है- कवी - लोंग स्टॉक । यह वह जगह है, जहाँ सुप्रसिद्ध फ़िल्म 'गाइड' की शूटिंग हुई थी। वहीं एक कुटिया के भीतर घूमता चक्र दिखाई देता है, जिसे वहाँ के लोग धर्म-चक्र मानते हैं। वहाँ के लोगों की यह मान्यता है कि इस 'प्रेयर व्हील' यानी धर्म चक्र को घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जब लेखिका ने इस बात को जाना, तो उसे लगा मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद भी इस देश की आत्मा एक जैसी है। लोगों में बसी आस्था, विश्वास, अंधविश्वास एवं पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ संपूर्ण भारतीयों में एक जैसी हैं। उनकी मान्यताएँ एक जैसी हैं क्योंकि इन सबके मूल में भारत की आत्मा एक है।
प्रश्न 22. 'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर बताइए कि गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया है?
उत्तर
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में लेखक ने गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का शहर इसलिए कहा है क्योंकि यहाँ लोग न केवल कड़ी मेहनत करने वाले हैं, अपितु अपनी मर्ज़ी के मालिक भी हैं। गंतो क एक पर्वतीय स्थल है। इस नाते यहाँ की स्थितियाँ बड़ी कठिन हैं। अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए यहाँ के लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहाँ के लोग मेहनत से घबराते नहीं हैं और ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त रहते हैं । यहाँ की स्त्रियाँ भी कठोर मेहनत करती हैं। वे अपनी पीठ पर बँधी डोकों में कई बार अपने बच्चे को भी साथ रखती हैं। अपनी मेहनत से यहाँ के लोगों ने इस पर्वतीय स्थल को बहुत सुंदर बना दिया है।
प्रश्न 23. तोक कहाँ है? उसे 'मेहनतकश बादशाहों का शहर' क्यों कहा गया है ? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर
गंतोक सिक्किम की राजधानी है। यह प्राकृतिक दृष्टि से बहुत ही सुंदर शहर है और गंतोक से गुमथांग की 149 किलोमीटर की यात्रा में हिमालय की गहनतम घाटियाँ हैं । इन घाटियों में रंग-बिरंगे फूलों से लदी वादियाँ हैं। स्थान-स्थान पर खूबसूरत पाईन और धूपी के वृक्ष हैं, अनेक नदियाँ और झरने मनमोहक वातावरण की सृष्टि करते हैं । हिमालय का यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। सिक्किम प्रदेश चीन की सीमा से सटा हुआ है। पहले यहाँ राजशाही थी। अब यह भारत का एक अंग है। यहाँ के लोग बहुत ही परिश्रमी हैं । इसलिए गंतोक को 'मेहनतकश बादशाहों का नगर' कहा जाता है । यहाँ की स्त्रियाँ भी कठोर परिश्रम करती हैं । यहाँ की स्त्रियाँ चटक रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं और उनका परंपरागत परिधान 'बोकू' है। वे अपनी पीठ पर बाँधी डोकों में कई बार अपने बच्चे को भी साथ में रखती हैं। अपनी मेहनत से यहाँ के लोगों ने इस पर्वतीय स्थल को बहुत संदुर बना दिया है।
प्रश्न 24. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए ।
उत्तर
पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि' की लेखिका 'मधु कांकरिया' को झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गतोक अपनी तरफ़ सम्मोहित कर रहा था क्योंकि सितारों से भरा गंतोक लेखिका को रहस्यमयी और जादूभरा लग रहा था। आकाश में सितारों के झुंड रोशनी की झालर समान प्रतीत हो रहे थे। साफ़-सुथरे, प्रदूषण रहित आकाश में एक-एक सितारा स्पष्ट होकर अपनी रोशनी बरसा रहा था, जिसका जादू लेखिका के मन-मस्तिष्क पर छा रहा था।
प्रश्न 25. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है ? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर
‘प्रकृति' हमारी जननी है। प्रत्येक जीव जीवनदायिनी सामग्री प्रकृति से ही ग्रहण करता है । 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ में गंतोक ( पहाड़ों) के शिखर हिम से ढके रहते हैं । ये हिम शिखर ही जल स्तंभ हैं। पहाड़ों के शिखरों पर सर्दियों में घनी बर्फ पड़ती है, जो ठोस रूप में जल को संचित रखती है और जब मौसम करवट लेता है अर्थात गर्मियाँ आती हैं तो यही बूँद-बूँद बर्फ पिघलकर जल धाराओं का रूप ले लेता है और नदियों के रूपों में यात्रा करता हुआ मैदानी क्षेत्रों तक रहने वाले प्राणियों की प्यास बुझाता है। कुदरत द्वारा जल संचित करने की यह अनोखी व्यवस्था है जो जीवों जीवन देती है।
प्रश्न 26. 'साना-साना हाथ जोड़ि...' यात्रा - वृत्तांत की लेखिका को लोंग स्टॉक में घूमते चक्र को देखकर ऐसा आभास क्यों हुआ कि पूरे भारत की आत्मा एक-सी ही है ?
उत्तर
लेखिका को लोंग स्टॉक में घूमते चक्र को देखकर ऐसा लगा कि पूरे भारत की आत्मा एक सी है क्योंकि उसे बताया गया था कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। ठीक ऐसी ही धारणा गंगा नदी को लेकर भी है। भारत की समस्त आस्थाएँ, विश्वास, पाप-पुण्य आदि धारणाएँ समस्त भारत के मैदानी इलाकों एक जैसी ही हैं।
प्रश्न 27. 'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ के आधार पर बताइए कि प्रकृति के अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति हुई ।
उत्तर
प्रकृति के अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका अवाक थी। उसे अपना अस्तित्व ही अर्थहीन और बौना लग रहा था। उसे लगता है कि प्रतिपल रूप बदलती प्रकृति उसे कोई नवीन संदेश दे रही है। विराट हिमालय भी दिन के प्रत्येक क्षण के साथ अपना अलग सौंदर्य बिखेरता है। लेखिका को विभिन्न अनुभूतियाँ होती हैं, कभी उसे गति का संदेश मिलता है, कभी परोपकार का संदेश मिलता है।
प्रश्न 28. 'साना साना हाथ जोड़ि ...' पाठ की लेखिका को प्रकृति के दृश्य किस तरह आनंद-विभोर कर देते हैं?
उत्तर
लेखिका सिक्किम की राजधानी तोक की यात्रा पर आगे हिमालय तक गई थीं। लेखिका प्रकृति की अभूतपूर्व सुंदरता, विराटता तथा महिमा से सम्मोहित हो उठीं। फूलों की घाटियाँ, झर-झर गिरते जल प्रपात तथा गहनतम खाइयों ने तो उसका मन मोहा लिया था। हिमालय पर्वत जैसे नगपति के आगे तो लेखिका स्वयं को बहुत ही बना पाया। लेखिका द्वारा समस्त सुंदरता अपनी आँखों में भरना भी कठिन प्रतीत हो रहा था। प्रकृति को लेखिका ने अखंड और अलौकिक पाया, जिसके आगे वह नतमस्तक थी और जिसे देखकर आनंद-विभोर थी।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जितेन नार्गे ने 'साना साना हाथ जोड़ि' की लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में जो जानकारियाँ दीं, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
जितेन नार्गे लेखिका की जीप का ड्राइवर (चालक) था। जिसके द्वारा वह यात्रा कर रही थीं। ड्राइवर (चालक) होने के साथ- साथ वह गाइड भी था । नार्गे का ज्ञान कमाल का था। उसने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं । जितेन ने लेखिका को यूमथांग ले जाते हुए बताया कि रास्ते में अत्यधिक गहरी घाटियाँ और फूलों से भरी हुई वादियाँ देखने को मिलेंगी। मार्ग में मंत्र लिखी हुई श्वेत पताकाओं के विषय में उसने बताया कि जब किसी बुद्धि कास्ट की मृत्यु होती है, तो 108 ऐसी श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। नार्गे ने उन्हें धर्म चक्र के विषय में बताते हुए कहा कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। बच्चों ने जब उनसे जीप में लिफ्ट माँगी, तो जितेन ने बताया कि यहाँ स्कूल बसों की कोई व्यवस्था नहीं है और बच्चे बहुत दूर-दूर से पढ़ने आते हैं। वहाँ की स्त्रियाँ किस तरह जीविका के लिए कठिनतम कार्य दुरूह मार्गों पर बैठकर या चलते हुए करती हैं। जितेन सचमुच का जानकार गाइड सिद्ध हुआ जो कहीं भी घूमने को जाते हुए अनिवार्य होता है।
प्रश्न 2. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' - पाठ की लेखिका को प्राकृतिक सौंदर्य के कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर
लेखिका की सिक्किम की यात्रा बहुत ही मोहक, आकर्षक एवं आनंदपूर्ण थी। वह प्राकृतिक सौंदर्य को देखने में पूर्णतया लिप्त हो गई थीं। वहाँ का अनुपम सौंदर्य उनकी आत्मा को छू रहा था कि अचानक उनकी निंद्रा भंग हो गई। उन्होंने देखा इस अद्वितीय सौंदर्य से निरपेक्ष कुछ पहाड़ी स्त्रियाँ पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही थीं । कोमल शरीर वाली इन स्त्रियों के हाथों में कुदाल एवं हथौड़े थे। कई स्त्रियों की पीठ पर तो उनके बच्चे भी बँधे हुए थे । उनका यह कार्य बहुत ही कठिन श्रम वाला था । अनुपम सौंदर्य से परिपूर्ण फूलों की वादियों के बीच में भूख, मौत, दीनता और जिंदा रहने की जंग चल रही थी । लेखिका मातृत्व और श्रम साधना को साथ- साथ देखकर हैरान रह गईं। पूछने पर उन्हें ज्ञात हुआ कि ये स्त्रियाँ इस कठोर श्रम से रास्ता चौड़ा कर रही हैं। वास्तव में, यह बहुत ही ख़तरनाक कार्य था क्योंकि इस कार्य में ज़रा-सी भी असावधानी मौत का कारण बन सकती थी। इसी तरह फ़ौजी छावनियों के दृश्य को देखकर भी लेखिका अंतर्मन से हिल गई थीं । ठिठुरती ठंड में फ़ौजी को तैनात देखकर उनका भावुक मन दुःखी हो उठा था। इस प्रकार प्राकृतिक सौंदर्य के बीच वहाँ के यथार्थ जन-जीवन से साक्षात्कार कर उनका मन कुछ क्षणों के लिए गमगीन हो उठा था ।
प्रश्न 3. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ के आधार पर सीमा पर तैनात सैनिकों की दशा का वर्णन करते हुए बताइए कि उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए ।
उत्तर
'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ में लेखिका ने अपनी यात्रा के दौरान उन वीर सैनिकों को देखा जो कि देश की सीमा पर तैनात देश की रक्षा कर रहे थे। उस समय की कड़कड़ाती सर्दी, जिसका तापमान माइनस 15 डिग्री सेल्सियस था, उसमें वे सीमा की रक्षा में तल्लीन थे, ताकि देश के बाकि लोग सुख और चैन की नींद सो सकें। पौष और माघ जैसे महीने में जब पेट्रोल के अलावा सब जम जाता है, तब ऐसी स्थिति में भी ये सैनिक देश की सुरक्षा हेतु तैनात रहते हैं। देश के इन महान सैनिकों को तपस्या करते देख हमारा यह कर्तव्य बनता है कि उनके प्रति हम उचित सम्मान रखें व उनके कारण स्वयं को गौरवान्वित महसूस करें। उनकी हर स्थिति में मदद करें। ऐसे स्थानों पर जहाँ दैनिक जीवन की वस्तुओं का अभाव है, उन वस्तुओं को उन तक पहुँचाने का हर संभव प्रयास करें। दवाइयाँ, खाना, गरम कपड़े इत्यादि, इन आवश्यक वस्तुओं को उन तक पहुँचाकर अपना सहयोग दें । हमारा यह उत्तरदायित्व बनता है कि देश के इन रक्षकों के परिवारों के प्रति अपनत्व एवं सहयोग की भावना रखें, ताकि वे कभी भी अपने आपको अकेला या असहाय महसूस न करें। वास्तव में, देश के गौरव एवं सम्मान के प्रतीक इन सैनिकों के कारण ही हमारा जीवन सुरक्षित है।
प्रश्न 4. देश के प्राकृतिक स्थानों के सौंदर्य का आनंद लेते समय अधिकांश सैलानी वहाँ के पर्यावरण को दूषित कर देते हैं। इस नैसर्गिक सौंदर्य की सुरक्षा में आप अपने दायित्व का निर्वाह कैसे करेंगे? 'साना साना हाथ जोड़, पाठ के आलोक में उत्तर दीजिए ।
उत्तर
देश के प्राकृतिक स्थानों के सौंदर्य का आनंद लेते समय अधिकांश सैलानी वहाँ के पर्यावरण को दूषित कर देते हैं। वे प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं। अपने साथ लाए हुए कृत्रिम व अप्राकृतिक सामान जैसे- प्लास्टिक थैलियाँ व बोतलें यहाँ-वहाँ छोड़ देते हैं। पेड़ों व पहाड़ों पर गोद-गोद कर अपने नाम व तिथियाँ लिख देते हैं । प्राकृतिक स्थान का व्यवसायीकरण करने के लिए अधिक मात्रा में वनों को काट कर टूरिस्ट स्थान व होटल आदि बना दिए जाते हैं, जिससे प्राकृतिक सौंदर्य मिटने लगता है। इस नैसर्गिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए हमें प्राकृतिक स्थलों से अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए। वृक्षों को काटने के खिलाफ़ चिपको आंदोलन जैसे आंदोलनों को बढ़ावा देना चाहिए। नदियों की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। उनमें कल-कारखानों का दूषित जल नहीं मिलाना चाहिए। नदियों में जानवरों को नहीं नहलाना चाहिए। मुर्दों को जलाकर उनकी राख को पानी में बहाकर नदियों को दूषित नहीं करना चाहिए। नवयुवकों को प्रकृति और पर्यावरण को साफ़ व स्वच्छ रखने के लिए 'जागरूकता अभियान' चलाने चाहिए।
प्रश्न 5. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ में प्रदूषण के कारण हिमपात में कमी पर चिंता व्यक्त की गई है। प्रदूषण और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं? हमें इसकी रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर
जब लेखिका मधु कांकरिया घूमने के लिए सिक्किम जाती हैं, तब एक व्यक्ति उन्हें यह बताता है कि प्रदूषण के कारण यहाँ पर लगातार हिमपात में कमी हो रही है। अब यहाँ उतनी बर्फ नहीं पड़ती, जितनी पहले पड़ती थी । यह सब प्रदूषण का ही प्रभाव प्रदूषण के कारण अन्य दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ रहे हैं-
- वातावरण में दूषित गैसें बढ़ती जा रही हैं, जिसके कारण साँस लेना तक दूभर हो गया है। शुद्ध वायु की कमी से साँस व दिल की बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं।
- प्रदूषण के कारण ही नदियों का पवित्र जल दूषित हो गया है, जिससे हमें अस्वच्छ जल पीना पड़ता है और पेट की अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
- प्रदूषण के कारण हमारी भूमि की उपजाऊ मिट्टी भी दूषित हो गई है, जिसके कारण खाने-पीने की वस्तुएँ भी दूषित हो गई हैं और अनेक बीमारियाँ जन्म लेने लगी हैं।
- यह प्रदूषण बढ़ते-बढ़ते समस्त वातावरण पर छा रहा है। ध्वनि प्रदूषण के कारण भी अनेक रोग जैसे तनाव व बहरापन का मानव शिकार हो रहा है। इसकी रोकथाम करने के लिए सरकार व नागरिक सभी को साँझा प्रयास करना पड़ेगा ।
- जागरूकता फैलाकर लोगों को प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत कराना चाहिए ।
- अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। पेड़ों की अनावश्यक कटाई पर रोक लगानी चाहिए । नदियों व पेय योग्य पानी में कोई गंदगी नहीं डालनी चाहिए
- यहाँ-वहाँ कूड़ा-करकट नहीं डालना चाहिए।
- ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए।
- प्राकृतिक रूप से जीवन जीना चाहिए। जितनी सुरक्षित व संतुलित प्रकृति रहेगी, उतना ही मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा।
प्रश्न 6. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' यात्रा- वृत्तांत के 'जितेन नार्गे' की चारित्रिक विशेषताओं के आधार पर लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या-क्या गुण होने चाहिए।
उत्तर
जितेन नार्गे उस जीप का ड्राइवर-कम-गाइड था, जिसके द्वारा लेखिका सिक्किम की यात्रा कर रही थीं। जितेन एक समझदार और मानवीय संवेदना से युक्त व्यक्ति था । उसके भीतर एक कुशल गाइड के सभी गुण विद्यमान थे । लेखिका की इस यात्रा वह एक अच्छे गाइड की तरह सिक्किम के प्राकृतिक सौंदर्य, भौगोलिक स्थिति व वहाँ के जनजीवन की जानकारी देता रहा। यूमथांग गैंगटॉक से 149 किलोमीटर दूर था। जिसके बारे में नार्गे ने लेखिका को पहले ही यह बता दिया कि सारे रास्ते में हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों की वादियाँ मिलेंगी। यूमथांग के रास्ते में सफ़ेद रंग की पताकाओं के पीछे छिपी बुद्धिस्ट लोगों की मान्यता की जानकारी दी । वह इससे जुड़ी अन्य मान्यता की भी पुष्टि करता जा रहा था। उसने लेखिका को प्रेअर व्हील के बारे में भी जानकारी दी जिसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। वहाँ के जनजीवन की जानकारी देते हुए स्त्रियों की मेहनतकश प्रवृत्ति के बारे में भी बताया। वह सारे रास्ते लेखिका की जिज्ञासा को भी शंत करता रहा। वह एक कुशल, योग्य ड्राइवर-कम-गाइड था, जिसने लेखिका को यह जानकारी दी कि 'कयओ हिन्दुस्तान का स्विटज़रलैंड है। वह पर्यटकों के साथ घुल-मिलकर गाने भी गुनगुना रहा था। वास्तव में वह एक कुशल गाइड था । वाक्पटु होने के साथ उसे अपने क्षेत्र की पूर्ण जानकारी थी। वह कर्तव्यनिष्ठ, व्यापक दृष्टिकोण रखने वाला, मातृभूमि के प्रति प्रेम रखने वाला एक योग्य गाइड था।
प्रश्न 7. एक संवेदनशील युवा नागरिक के रूप में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में आपकी क्या भूमिका हो सकती है ? ' साना साना हाथ जोड़ि' पाठ को दृष्टि में रखते हुए उत्तर दीजिए ।
उत्तर
प्रदूषण आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है जिसने प्रकृति और मानव को अपने जाल में बाँध लिया है। प्रदूषण का श्राप वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण के रूप में मानव जाति को कष्ट पहुँचा रहा है। पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। जिसके कारण भयावह परिणाम जैसे बढ़ता तापमान, बेमौसम बरसात या कहीं सूखा आदि प्राकृतिक प्रकोप मानव को डँस रहे हैं। आज के युवा नागरिकों को पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए कमर कसनी होगी। वनों को संरक्षित करने का अभियान छेड़ना होगा । नदियों को दूषित होने से बचाना होगा । भूमि को प्रदूषण से बचा स्वच्छता व प्राकृतिक जीवन जीने के लिए अभियान चलाने होंगे। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फेसबुक, टूट्विटर व इंटरनेट के जरिए भी फैलाई जा सकती है। तभी इस धरती को बचाया जा सकता है अन्यथा प्रदूषण के परिणाम दुखद होंगे।
प्रश्न 8. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं? जीवन मूल्यों की दृष्टि से लिखिए ।
उत्तर
आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ निरंतर छेड़छाड़ कर रही है। वह अपने हस्तक्षेप के द्वारा प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ रही है। प्रकृति माँ के समान हमारा पालन-पोषण करती है। उसी प्रकृति से हम अधिक-से-अधिक पाना चाहते हैं। ठीक उसी लालची व्यक्ति की तरह, जो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को मारकर सभी अंडे एक साथ पाना चाहता है। आज की पीढ़ी भी ऐसा ही कर रही है। वह अधिक-से-अधिक पेड़ों को काटकर वनों का सफाया कर रही है, जिसके कारण जंगली जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है। शहर कंक्रीट के जंगल में तबदील होते जा रहे हैं। सभी स्वार्थी बन धरती का एक-एक कोना छीनने में लगे हैं। मानवता व परोपकार जैसी भावनाएँ लुप्त होती जा रही हैं। विज्ञान सेवक न बनकर दानव का रूप ग्रहण करता जा रहा है। वैज्ञानिक उपकरणों से अनेक दूषित हवाएँ वायु को प्रदूषित कर धरती का तापमान बढ़ा रही हैं। इसे शीघ्र ही रोकना होगा, अन्यथा धीरे-धीरे मानव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। नई पीढ़ी को प्रकृति की तरफ मुड़ना होगा, वनों व जंगली जीवों को संरक्षण प्रदान करना होगा। पूर्ण रूप से प्राकृतिक जीवन जीना होगा। विज्ञान का उचित और विवेकपूर्ण प्रयोग करना होगा। प्रकृति से अधिक पाने की लालसा छोड़नी होगी। तभी वह प्रकृति माँ बनकर हमारा पालन-पोषण करेगी, अन्यथा मानव ही नहीं, समस्त प्राणियों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।
प्रश्न 9. 'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ के आधार पर बताइए कि जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दी ।
उत्तर
जितेन नार्गे लेखिका की जीप का ड्राइवर (चालक) था जिसके द्वारा वह यात्रा कर रही थीं। जितेन ड्राइवर (चालक) होने के साथ-साथ वह गाइड भी था । नार्गे का ज्ञान कमाल का था। उसने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। जितेन ने लेखिका को यूमथांग ले जाते हुए बताया कि रास्ते में अत्यधिक गहरी घाटियाँ और फूलों से भरी हुई वादियाँ देखने को मिलेंगी। मार्ग में मंत्र लिखी हुई श्वेत पताकाओं के विषय में उसने बताया कि जब किसी बुद्धि स्ट की मृत्यु होती है, तो 108 ऐसी श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं । नार्गे ने उन्हें धर्म चक्र के विषय में बताते हुए कहा कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। बच्चों ने जब उनसे जीप में लिफ्ट माँगी, तो जितेन ने बताया कि यहाँ स्कूल बसों की कोई व्यवस्था नहीं है और बच्चे बहुत दूर-दूर से पढ़ने आते हैं । वहाँ की स्त्रियाँ किस तरह जीविका के लिए कठिनतम कार्य दुरूह मार्गों पर बैठकर या चलते हुए करती सचमुच का जानकार गाइड सिद्ध हुआ जो कहीं भी घूमने को जाते हुए अनिवार्य होता है।
प्रश्न 10. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी कई तरह से कठिनाइयों का मुकाबला करते हैं। सैनिकों के जीवन से किन-किन जीवन-मूल्यों को अपनाया जा सकता है? चर्चा कीजिए ।
उत्तर
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी देश के प्रहरी होते हैं । वे देश की रक्षा तन-मन से अनेक कठिनाइयाँ उठाकर करते हैं। सीमाओं पर चाहे तापमान शून्य से नीचे हो या रेगिस्तान में आग बरसाता सूर्य । वे सहर्ष मौसम की मार सहते हुए देश की रक्षा में लगे रहते हैं। चौबीस घंटे सतर्क रहते हुए दुश्मन पर निगाहें व बंदूकें ताने रहते हैं। अपने परिवार से दूर, उनके बिछुड़ने का दर्द लिए वे सदा दुश्मन को मारने व मरने के लिए तैयार रहते हैं । सैनिकों का जीवन सभी के लिए एक आदर्श और देश-प्रेम की भावना को जगाता है। हम उनसे सीख ले सकते हैं कि देश से बड़ा कोई नहीं है। देश है, हम हैं। जिस देश की माटी (माँ) ने जन्म दिया, हमें सदा उसके लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। परिवार, समाज, मित्र व शारीरिक सुख सभी देश के बाद हैं। हम उनसे हर परिस्थिति में खुश रहने व जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के जीवनमूल्य सीख सकते हैं। सैनिकों का समस्त जीवन एक संघर्ष है, जिसे हम सभी अपनाकर जीवन को कुंदन बना सकते हैं।
प्रश्न 11. आप किसी पर्वतीय स्थल पर घूमने गए थे। व्यावसायिक गतिविधियों से प्रभावित जीवन मूल्यों वाले उस क्षेत्र के दर्द को एक लेख के रूप में लिखिए।
उत्तर
पिछली गर्मियों की छुट्टियों में मुझे मनाली जाने का अवसर मिला। मेरे माता-पिता ने बताया कि यह बहुत ही खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। जब हम वहाँ पहुँचे तो मेरी आशाओं पर पानी फिर गया। मैंने सोचा था कि वहाँ चारों तरफ हरियाली और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के दर्शन होंगे पर वहाँ जाकर मुझे दिल्ली जैसे नगर की भीड़-भाड़ का दर्शन हुआ। सड़कों के दोनों ओर खाने-पीने से लेकर स्थानीय सामानों की दुकानें लगी पड़ी थीं। लोग खा-पीकर पानी की खाली बोतलें आदि सड़कों के किनारे ही फेंक रहे थे । पूरा पर्वतीय स्थल छोटे-बड़े होटलों से भरा पड़ा था। पर्वतों पर पेड़ों के स्थान पर होटल ही होटल दिखाई पड़ रहे थे। कहीं खाने के ढाबे खुले थे, तो कहीं लोगों को आकर्षित करने के लिए फेरी वाले स्थानीय लोग सामान लिए पीछे-पीछे घूम रहे थे। पूरा नगर मानो लोगों के बोझ तले दब गया था। नगर में बहती नदी मानो रोती हुई प्रतीत हो रही थी । लोगों के अतिरिक्त बोझ से पर्वतीय स्थल की खूबसूरती पोलीथीन व कूड़े-कचरे के ढेर में परिवर्तित हो गई थी। मुझे लगा कि हमें प्रकृति में अधिक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। व्यावसायिक लाभ कमाने के उद्देश्य से प्राकृतिक सौंदर्य को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए।
प्रश्न 12. आज की पीढ़ी कुदरत की ख़ूबसूरती को बिगाड़ रही है, उसे रोकने/समझाने के लिए आप क्या करेंगे? 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
आज की पीढ़ी कुदरत की ख़ूबसूरती को बिगाड़ रही है, पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि' के संदर्भ में लेखिका के निम्न विचार हैं, उनके अनुसार पर्वतों पर कम होती बर्फ़ व प्राकृतिक असंतुलन के लिए प्रदूषण ज़िम्मेदार है। प्रकृति को ख़ूबसूरत बनाए रखने के लिए उसे प्रदूषण से मुक्त करना होगा । युवा पीढ़ी को इसमें अपना योगदान देना होगा ।
- आज की पीढ़ी को समझाना होगा कि वनों की कटाई के स्थान पर वृक्षारोपण को महत्त्व दिया जाए ।
- नदियों को प्रदूषित करने के स्थान पर उसे संरक्षण प्रदान किया जाए। उनकी पवित्रता को बनाए रखा जाए।
- वृक्षारोपण के साथ-साथ उनकी देखभाल पर भी जोर देना होगा ।
- ध्वनि प्रदूषण व भूमि प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के साथ-साथ जागरूकता भी फैलानी होगी।
- युवाओं को प्रेरित करना होगा कि विज्ञान का उचित प्रयोग करें। ऐसे वैज्ञानिक उपकरण जो वायु व वातावरण प्रदूषित करते हैं, उनके प्राकृतिक विकल्प खोजें ।
प्रश्न 13. ‘साना साना हाथ जोड़ि’' पाठ में देश की सीमा पर तैनात फ़ौजियों की चर्चा की गई है। लिखिए कि अपने उत्तरदायित्व के निर्वाह में सैनिक ईमानदारी, समर्पण, अनुशासन आदि जीवन-मूल्यों का निर्वाह किस प्रकार करते हैं?
उत्तर
पाठ 'साना साना हाथ जोड़ि' में सीमा पर तैनात फ़ौजियों की चर्चा की गई है। अपने उत्तरदायित्व को निभाने के लिए ये सैनिक ईमानदारी, समर्पण और अनुशासन से कार्य करते हैं। देश की रक्षा करने के लिए ये पूरी तरह समर्पित रहते हैं। अपने परिवार और सुखों को त्याग कर दिन-रात पूरी ईमानदारी से मौसम की मार सहते हुए सीमाओं की रक्षा करते रहते हैं । अनेक बार भयंकर शीत या ताप इन्हें सहना पड़ता है। खाने-पीने की तंगी भी उठानी पड़ती है । पर ये अपने कर्तव्य पर खरे उतरते हैं । कोई लालच, कोई गोली इन्हें अपने कर्तव्य मार्ग से डिगा नहीं पाती है। देश की रक्षा करने के लिए ये अनुशासन भरा जीवन जीते हैं। सुबह समय से उठना, व्यायाम करना, दिन-रात सीमाओं पर मुस्तैदी से ड्यूटी करना, कठिन मार्गों को पार करना जैसे सभी कार्य नियम और समय के अनुसार करते हैं। इनका मन देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होता है। इसी जीवन मूल्य का निर्वाह करने के लिए ये अपने प्राण गँवा बैठते हैं और देश पर बलिदान होकर फक्र महसूस करते हैं।