Extra Questions for Class 10 क्षितिज Chapter 9 संगतकार - मंगलेश डबराल Hindi
Chapter 9 संगतकार Kshitij Extra Questions for Class 10 Hindi
प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढांढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर।
(क) 'राख जैसा' किसे कहा गया है और क्यों?
(ख) 'तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ' - का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'उसका गला' में 'उसका' किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?
उत्तर
(क) 'राख जैसा' मुख्य गायक के 'बुझते हुए स्वर' को कहा गया है क्योंकि तारसप्तक में ऊँचे स्वर में जब गायक गाता तब उसका सुर उखड़ने लगता है तथा वह राख की तरह बुझता हुआ प्रतीत होता है।
(ख) कवि 'मंगलेश डबराल' की कविता 'संगतकार' की इस पंक्ति का भाव है कि जब गायक तारसप्तक के ऊँचे सुर में गाता है जब सरगम गाते-गाते उसकी आवाज़ बैठने लगती है । स्वर का चढ़ाव अत्यधिक ऊपर पहुँच जाने से उसका स्वर बिखरता नज़र आता है।
(ग) ‘उसका गला' में उसका शब्द 'मुख्य' 'गायक' के लिए प्रयुक्त हुआ है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने की सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
(क) भटके स्वर को संगतकार कब सँभालता है और मुख्य गायक पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
(ख) यहाँ नौसिखिया किसे कहा गया है और किस संदर्भ में?
(ग) संगतकार की भूमिका का महत्त्व कब सामने आता है?
उत्तर
(क) जब गायक गीत गाते हुए सुरों की जटिल तानों और भाव-विभोर होकर सुरों की गहराइयों में खो जाता है तथा सरगम को लाँघता हुआ उसका ऊँचा स्वर दिव्य आनंद की अनुभूति करने लगता है तब संगतकार स्थायी को सँभालते हुए श्रोताओं को संगीत से जोड़ने का काम करता है और मुख्य गायक को तब यह याद आता है कि वह भी एक समय नौसिखिया था और इतना महान न था ।
(ख) यहाँ नौसिखिया मुख्य गायक को कहा गया है। जब वह सुरों की दुनिया में खो जाता है और संगीत के आनंद में लिप्त होकर स्वार्गिक आनंद की अनुभूति करने लगता है तब संगतकार ही उसके सुर में सुर मिलाकर उसे मूल स्वर से जोड़ता है और उसे याद दिलाता है कि वह भी कभी नया सीखने वाला था ।
(ग) संगतकार की भूमिका का महत्त्व तब सामने आता है, जब वह मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसके सुरों को सँभालता है। जब ऊँचा गाते समय मुख्य गायक का सुर भटकने लगता है, तब संगतकार अपना मद्धिम सुर मिलाकर मुख्य गायक को सहारा देता है। उसके ऊँचे सुर में खो जाने पर संगतकार ही स्थायी को सँभाले रखता हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है।
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से
(क) उपर्युक्त पंक्तियों में किस प्राचीन परंपरा की ओर संकेत किया गया है? वर्तमान में यह परंपरा किस रूप में मिलती है?
(ख) किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका कब सार्थक होती है और क्यों ?
(ग) मुख्य गायक का साथ देने वाला कौन हो सकता है?
उत्तर
(क) उपर्युक्त पंक्तियों में उस प्राचीन परंपरा की ओर संकेत किया गया है, जिसमें मुख्य गायक ऊँचे स्वर में गाता है तो उसका भाई, रिश्तेदार या शिष्य उसके सुर में सुर मिलाकर उसे सहारा देते हैं। साथ रहकर और साथ निभाकर वह भी उस कला को सीखना चाहता है। वह मुख्य गायक की गरजती हुई आवाज़ में अपनी गूँज मिलाकर उसे सहारा देता है।
(ख) किसी भी क्षेत्र में मुख्य व्यक्ति की भूमिका तब सार्थक होती है, जब उसकी प्रतिभा, लगन और महत्वाकांक्षा को समर्थन देने वाले लोग उसके साथ होते हैं क्योंकि हर सफल व्यक्ति की सफलता में अनेक लोगों का योगदान होता है, जैसे कि एक गायक बिना संगतकार के सुरों की ऊँचाइयों को छूने में असमर्थ रहता।
(ग) मुख्य गायक का साथ देने वाला संगतकार उसका भाई, शिष्य या दूर का रिश्तेदार कोई भी हो सकता है।
प्रश्न 14. निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है। गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए ।
(क) साथ कौन देता है और किसका ?
(ख) 'यों ही' में निहित अर्थ को स्पष्ट कीजिए ।
(ग) आवाज़ की हिचक को विफलता क्यों नहीं कहा जा सकता?
(घ) कविता में 'मनुष्यता' का अभिप्राय क्या है?
(ङ) संसार में इस प्रकार की 'मनुष्यता' की क्या उपयोगिता है?
उत्तर
(क) साथ संगतकार देता है और वह मुख्य गायक का साथ देता है ।
(ख) 'यों ही ' का अर्थ यहाँ संगतकार द्वारा मुख्य गायक का साथ देने से है । यह साथ वह केवल मुख्य गायक को मान-सम्मान देने व उसे अकेलेपन का अहसास से बचाने के लिए 'यों ही' दे देता है । इसमें उसका कोई स्वार्थ नहीं होता है ।
(ग) आवाज़ की हिचक को विफलता इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह सिर्फ इसलिए हिचकता है, ताकि मुख्य गायक का मान-सम्मान व पहचान बनी रहे । उसका उद्देश्य उसके सुर को सँभालना है न कि उससे आगे निकल जाना।
(घ) कविता में 'मनुष्यता' का अभिप्राय संगतकार द्वारा किया गया त्याग व निःस्वार्थ साथ देकर मुख्य गायक को सफल बनाने में योगदान देने से है ।
(ङ) इस प्रकार की निःस्वार्थ 'मनुष्यता' के माध्यम से ही अनेक लोग जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं। अनेक लोगों के निःस्वार्थ सहयोग, परोपकार के कारण ही कुछ लोग प्रसिद्धि व सफलता पाते हैं।
प्रश्न 25. निम्नलिखित काव्य पंक्तियाँ पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
कभी कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है।
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
(क) संगतकार क्या बताने के लिए मुख्य गायक का साथ देता है?
(ख) संगतकार अपने स्वर को ऊँचा क्यों नहीं उठाता ?
(ग) अपनी आवाज़ को ऊँचा न करना उसकी मनुष्यता कैसे है ?
उत्तर
(क) संगतकार यह एहसास दिलाने के लिए मुख्य गायक का साथ देता है, ताकि वह स्वयं को अकेला न समझे । वह मुख्य गायक के स्वर में स्वर मिलाकर उसके स्वर को गति प्रदान करता है। वह मुख्य गायक को उस समय सहारा देता है जब उसका स्वर भारी होने लगता है। वह अपने सुर के माध्यम से यह इंगित कर देता है कि जो राग बिगड़ चुका है उसे फिर से गाया जा सकता है। वह उसकी बैठ रही आवाज़ को उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है । वास्तव में, वह मुख्य गायक के गायन में आरंभ से अंत तक साथ देता है।
(ख) संगतकार अपना स्वर ऊँचा उठाकर मुख्य गायक का प्रभाव कम नहीं करना चाहता । वास्तव में, यह उसका मुख्य गायक के प्रति सम्मान है कि वह स्वयं पीछे रहकर गायक को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हैं। वह किसी भी स्थिति में मुख्य गायक के अस्तित्व को कम नहीं होने देना चाहता, इसलिए वह अपना स्तर नीचा रखता है।
(ग) संगतकार मुख्य गायक के साथ गाते हुए सदैव इस बात का ध्यान रखता है कि कहीं उसका स्वर तेज़ न हो जाए। आवाज़ को ऊँचा न करना उसकी विफलता नहीं, विनम्रता है । वह जानबूझ कर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से ऊपर उठने नहीं देता क्योंकि उसका मुख्य कर्तव्य, मुख्य कलाकार को सहारा प्रदान करना है, अपनी कला का प्रदर्शन करना नहीं है वह मुख्य गायक की प्रशंसा चाहता है और उसका हर क्षण साथ देकर वह अपनी मनुष्यता दर्शाता है। यही उसका त्याग है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. 'संगतकार' कविता में संगतकार की मनुष्यता को कवि ने कैसे स्पष्ट किया है?
उत्तर
संगतकार कविता में संगतकार की मनुष्यता को इस प्रकार प्रकट किया गया है कि वह सदा मुख्य गायक की हर संभव सहायता करता है। वह यह भी ध्यान रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक से अधिक ऊँचा और महत्त्वपूर्ण न हो जाए। वह दर्शकों और श्रोताओं में मुख्य गायक का सिक्का जमाए रखना चाहता है। कभी-कभी वह गाते-गाते झिझक जाता है। यह उसकी मनुष्यता का परिचायक है न कि उसकी विफलता का क्योंकि वह स्वयं को पीछे रखकर मुख्य गायक को आगे बढ़ाता है, उसका महत्त्व बरकरार रखना चाहता है।
प्रश्न 2. 'संगतकार' कविता में चित्रित संगतकार को क्या एक आदर्श मित्र का समानार्थी कहा जा सकता है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
संगतकार को एक आदर्श मित्र का समानार्थी कहा जा सकता है क्योंकि वह उसी की भाँति सदैव साथ देता है। जब कभी मुख्य गायक का स्वर ऊँचे सुर लगाते हुए बिखरने लगता है, तो संगतकार उसका साथ देकर उसके बिखराव को सँभालता है। आदर्श मित्र का भी यह एक गुण है कि वह अपने मित्र को भटकने से बचाता है। संगतकार मुख्य गायक का आत्मविश्वास भी ठीक एक आदर्श मित्र की भाँति जगाता है। कभी-कभी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है, तो उसका मित्र ही उसकी प्रेरणा बनता है। अतः सहयोग, निश्छलता, मानवता एवं प्रेरणा जैसी विशेषताएँ समान होन के कारण संगतकार एक आदर्श मित्र का समानार्थी सिद्ध होता है।
प्रश्न 3. संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है- पुष्टि कीजिए ।
उत्तर
‘संगतकार' में त्याग की भावना कूट-कूट कर भरी होती है । वह मुख्य गायक के स्वर को सँभाल कर उसका साथ निभाता है और इस बात का ध्यान भी रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक से अधिक ऊँचा या उत्कृष्ट न हो जाए। वह मुख्य गायक के दबदबे को बनाए रखना चाहता है। उसका स्वर थोड़ा क्षीण भी इसलिए ही होता है। यह उसकी असफलता न होकर उसकी मनुष्यता है और मुख्य गायक को आगे बढ़ाने में उसकी अपनी प्रतिभा का बलिदान करना 'त्याग' को दर्शाता है। वह उसे आगे बढ़ाकर स्वयं को पीछे रखने का साहस और आत्मश्रद्धा दिखाता है।
प्रश्न 4. संगतकार जैसे व्यक्ति की जीवन में क्या उपयोगिता होती है? स्पष्ट रूप में समझाइए ।
उत्तर
संगतकार जैसे व्यक्ति जीवन में किसी भी सफल व्यक्ति की नींव की तरह होते हैं। ये लोग सामान्य लोगों की नज़रों में आए बिना मुख्य व्यक्ति को सहारा देकर सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाते हैं। जिस प्रकार संगतकार मुख्य गायक के स्वर को सँभालकर, साथ देकर उसे सफल और प्रसिद्ध बनाते हैं । स्वयं को पीछे रखकर वे मनुष्यता का परिचय देते हुए त्याग करके मुख्य व्यक्ति को यश का भागीदार बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में अनेक क्षेत्रों जैसे- संगीत, सिनेमा, राजनीति, खेल व मीडिया आदि में भी दिखाई देते हैं। ये पीछे रहकर ही मुख्य व्यक्ति को हर संभव सहायता देते हैं। उनकी सफलता व प्रसिद्धि में ही इनका सुख छिपा होता है।
प्रश्न 5. संगतकार द्वारा अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश को कवि ने मनुष्यता क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
संगतकार द्वारा अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश को कवि ने मनुष्यता इसलिए कहा है, क्योंकि जब ऊँचाई पर जाकर मुख्य गायक की आवाज़ काँपने लगती है, उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है और ऐसे स्थल पर उसे आराम की ज़रूरत महसूस होती है, तब संगतकार उसी लय में अपना स्वर साधकर उसे सहारा व प्रोत्साहन देता है, किंतु साथ ही यह भी ध्यान रखता कि कहीं उसकी आवाज़ मुख्य गायक की आवाज़ से तेज़ न हो जाए। इस प्रकार वह अपनी विशिष्टता दिखाने के स्थान पर केवल मुख्य गायक के गायन की प्रस्तुति को निखारकर उसे प्रसिद्धि दिलाता है । ऐसा निःस्वार्थ भाव व मानवता से ओतप्रोत व्यक्ति ही कर सकता है।
प्रश्न 6. संगतकार जैसा व्यक्ति संगीत के अलावा सांसारिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक निष्ठावान मित्र की भूमिका निभाता है- 'संगतकार' कविता के आधार पर उत्तर दीजिए ।
उत्तर
संगतकार जैसा व्यक्ति संगीत के अलावा सांसारिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक निष्ठावान मित्र की भूमिका निभाता है । वह लोगों को अपनी अन्यतम ऊँचाइयों को पा लेने में सहायक बनता है। सांसारिक जीवन में अनेक सुख-दुख और उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। जिनके कारण कभी-कभी व्यक्ति स्वयं को बिखरा हुआ अनुभव करता है उस समय निष्ठावान मित्र संगतकार की तरह उसे सँभालने का काम करता है। ऐसा व्यक्ति (संगतकार जैसा) पृष्ठभूमि में रहकर दूसरों को उन्नत होने का सुअवसर देता है। ऐसे ही निष्ठावान व्यक्ति एक कुशल संगतकार का काम करता है।
प्रश्न 7. संगतकार जैसे व्यक्ति की संसार में क्या उपयोगिता है ? 'संगतकार' कविता के आधार पर समझाएँ ।
उत्तर
संगतकार जैसे व्यक्ति सफल और शीर्षस्थ गायक के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं। वे सदैव मुख्य कलाकार की पृष्ठभूमि को अपनी मद्धिम परंतु सुदृढ़ आवाज़ के माध्यम से दृढ़ता देते हैं। जब मुख्य गायक अपने सुरों के सम्मोहन में खो सा जाता है तब वे पीछे से समाँ बाँधते हैं और सुरों को भी सँभाले रखते हैं। तब भी उनमें इतनी विनम्रता शेष रहती है कि वह अपनी आवाज़ को मुख्य कलाकार से ऊपर न जाने दें। अतः संगतकार प्रतीक हैं- मानवीयता, विनम्रता, संवेदनशीलता तथा व्यावहारिक सूझ-बूझ के, जिनके कारण समाज में लोग शीर्षस्थ स्थानों तक पहुँच पाते हैं। ऐसे लोगों की उपयोगिता सुदृढ़ नींव जैसी होती है।
प्रश्न 8. संगतकार की आवाज़ में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर
कवि मंगलेश डबराल द्वारा रचित कविता “संगतकार" में उसकी आवाज़ में एक हिचक-सी इसीलिए प्रतीत होती है क्योंकि संगतकार यह चाहता है कि मुख्य गायक का ही प्रभाव जमा रहे। वह यही सोचकर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक के स्वर से नीचे रखने की कोशिश करता है। यह उसकी मनुष्यता ही है कि वह मुख्य गायक के सुर को आगे बढ़ाता है और उसकी प्रसिद्धि, प्रतिभा और सफलता तथा स्वयं को पीछे रखकर मुख्य गायक का सिक्का जमाने का प्रयास करता है।
प्रश्न 9. मुख्य गायक और संगतकार की आवाज़ में क्या अंतर दिखाई पड़ता है?
उत्तर
मुख्य गायक और संगतकार की आवाज़ में यह अंतर दिखाई पड़ता है कि जब तार सप्तक में जाकर मुख्य गायक की आवाज़ काँपने लगती है, उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है और ऐसे स्थल पर उसे आराम की ज़रूरत महसूस होती है, तब संगतकार उसकी मदद करने के लिए उसी लय में अपना स्वर साधता है, किंतु साथ ही यह भी ध्यान रखता है कि कहीं उसकी आवाज़ मुख्य गायक की आवाज़ से तेज़ न हो जाए। इस प्रकार वह स्थायी को सँभालते हुए मुख्य गायक की आवाज़ को बिखरने से बचाकर ऊँचाई और ताकत तो देता है, किंतु अपनी विशिष्टता दिखाने का प्रयास नहीं करता और केवल गायन में सहायता को ही अपना धर्म मानता है ।
प्रश्न 10. सांसारिक जीवन में संगतकार जैसे व्यक्ति की सार्थकता पर विचार कीजिए ।
उत्तर
सांसारिक जीवन में संगतकार जैसे व्यक्तियों की बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक भूमिका होती है। ऐसे व्यक्ति समाज के हर छोटे-बड़े कार्य में सहायक की भूमिका का निर्वाह करते हैं और ऐसा करके वे दूसरों को ऊँचाइयों तक पहुँचा देते हैं। उनके मन में मानवता की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। वे कभी किसी को पीछे धकेलकर आगे बढ़ना पसंद नहीं करते, बल्कि सदैव अपने त्याग से दूसरों को आगे बढ़ाने में सहायक बनते हैं। खेल जगत, सिनेमा, राजनीति आदि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में मानवता के उत्थान के लिए समर्पित ऐसे लोग देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 11. ‘संगतकार' के ऊँचा सुर न करने में मानवता कैसे दिखाई देती है ?
उत्तर
‘संगतकार' के ऊँचा सुर न करने में उसकी मानवता छिपी हुई होती है क्योंकि कई बार उसका ऊँचा सुर मुख्य गायक से अधिक प्रभावी होकर दर्शकों को प्रभावित कर सकता है पर वह लोगों पर मुख्य गायक का ही प्रभाव बने रहने देना चाहता है इसलिए वह अपने सुर को मुख्य गायक से नीचा ही रखता है। मुख्य गायक के सुर को सहारा देकर, स्थायी को सँभालकर मुख्य गायक की प्रभुता व सफलता में योगदान देता है। उसकी प्रसिद्धि के लिए वह स्वयं को पीछे रखता है यही उसकी मानवता है।
प्रश्न 12. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
संगतकार के माध्यम से कवि ऐसे व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जिनकी सामाजिक तौर पर कोई विशिष्ट पहचान नहीं होती फिर भी वे अपने कार्यक्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका रखते हैं । दूसरे के अस्तित्व एवं व्यक्तित्व के निर्माण 'अपना पूर्ण सहयोग देते हैं, परंतु उसकी कभी चर्चा नहीं करते। दूसरों की सफलता में ही वे अपनी सफलता समझते हैं । ये सहायक कलाकर खुद पीछे रहकर मुख्य कलाकार को आगे बढ़ने में योगदान देते हैं। वास्तव में, यह उनके व्यक्तित्व की कमज़ोरी नहीं उनकी मानवीयता है।
प्रश्न 13. 'संगतकार ' किस प्रकार के व्यक्ति का प्रतीक है? 'संगतकार' कविता के आधार पर समझाइए ।
उत्तर
‘संगतकार' उस सहायक कलाकार का प्रतीक है जो स्वयं को पीछे रखकर मुख्य कलाकार को आगे बढ़ने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे सर्वगुण संपन्न व्यक्ति समाज के किसी भी क्षेत्र में देखे जाते हैं। व्यक्ति समाज में अग्रिम न रहकर पीछे रहते हैं और अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। यश, ख्याति, प्रशंसा, इनाम पाने की आकांक्षा इनके भीतर नहीं होती। ये लोग छल-प्रपंच से दूर श्रद्धा के धनी होते हैं। दूसरों की विशेषताओं को तराशने और सुधारने में लगे रहते हैं और इसे वह अपना कर्तव्य समझते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में ये अलग-अलग ढंग से अपनी भूमिका अदा करते हैं । कर्तव्यनिष्ठा, निःस्वार्थ भावना, विनम्रता, सहयोग और मानवीयता इनके विशिष्ट गुण होते हैं।
प्रश्न 14. 'संगतकार ' संसार के कैसे व्यक्ति का प्रतीक है- स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
'संगतकार ' संसार के ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है- जो पीछे रहकर किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति की सफलता में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है । ऐसे व्यक्ति सामान्यतः लोगों की नज़रों में नहीं आते, परंतु मुख्य व्यक्ति को अवश्य ही प्रसिद्धि व सफलता दिलाने में सहायक होते हैं। जैसे कि संगतकार किसी गायक का साथ देकर, उसका सुर सँभाल कर उसे एक सफल गायक बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे व्यक्ति समाज में अनेक क्षेत्रों में हमें दिखाई देते हैं। जैसे- राजनीति, सिनेमा, खेल, मीडिया, संगीत, नृत्य आदि । ऐसे व्यक्ति स्वयं अंधकार में रहकर मुख्य व्यक्ति को चमकता सूर्य बनाने में भरपूर प्रकाश प्रदान करते हैं।
प्रश्न 15. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक की मदद करता है?
उत्तर
संगतकार अनेक रूपों में मुख्य गायक की मदद करता है-
- जब गायक सुर से भटकने लगता है, तब वह अपना सुर उसके साथ मिलाकर वापस सुर साधने में मुख्य गायक की मदद करता है ।
- जब मुख्य गायक जटिल तानों में खो जाता है, तब वह स्थायी को सँभालकर उसकी मदद करता है ।
- तार सप्तक में गाते समय गायक की बुझती आवाज़ को संगतकार ढाँढस देता है और अपना स्वर मिलाकर सुर सँभालता है ।
- संगतकार ही स्थायी या टेक को बार-बार गाकर समाँ बाँधे रहता है।
प्रश्न 16. संसार में संगतकार जैसे व्यक्ति को क्या मुख्य संगीतकार के सौभाग्य का चिह्न माना जा सकता है?
उत्तर
संसार में संगतकार जैसे व्यक्ति को मुख्य संगीतकार के सौभाग्य का चिह्न माना जा सकता है क्योंकि वह मुख्य गायक की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वयं को पीछे रखकर उसे आगे बढ़ाता है । कई बार वह मुख्य गायक से ऊँचा और अच्छा भी गा सकता है पर वह अपनी आवाज़ को उससे नीचा रखकर मनुष्यता का परिचय देता है । वह मुख्य गायक के ऊँचे स्वर में अपना स्वर मिलाता है और जब मुख्य गायक सुर से भटक जाता है, तो उसे सुर में वापस लाता है। वह अपने सहयोग से मुख्य गायक का सौभाग्य बन, उसे सफलता के शिखर पर बैठाने में निःस्वार्थ योगदान देता है।
प्रश्न 17. मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर
संगतकार की मुख्य गायक के साथ एक अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वह हर संभव मुख्य गायक का साथ निभाता है। स्थायी को सँभाले रखता है। जब तार सप्तक में मुख्य गायक का स्वर भटकने लगता है, तो संगतकार साथ में सुर मिलाकर उसे सहारा देता है। जब मुख्य गायक का सुर बुझने लगता है, तब उसे सँभालकर आगे बढ़ाता है। सबसे अधिक तो उसकी मनुष्यता दिल जीत लेती है क्योंकि वह मुख्य गायक से कई बार अधिक ऊँचा और अच्छा स्वर लगा सकने के बाद भी सुर को नीचा रखता है, ताकि मुख्य गायक का प्रभाव व यश बना रहे। वह हर संभव मुख्य गायक की सफलता में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।