Extra Questions for Class 10 संचयन Chapter 3 टोपी शुक्ला - राही मासूम रज़ा Hindi

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Extra Questions for Class 10 संचयन Chapter 3 टोपी शुक्ला - राही मासूम रज़ा Hindi

Chapter 3 टोपी शुक्ला Sanchayan Extra Questions for Class 10 Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए ।

उत्तर

कलेक्टर का बेटा होने के बावजूद इफ़्फ़न उससे समानता का व्यवहार करता था। उससे अपने मन की बात करता था । वास्तव में, उनकी मित्रता धर्म और जाति की दीवारों से परे थी। एक दूसरे के बिना वे न केवल अधूरे थे, बल्कि बेमानी थे । मित्रता का ऐसा भाव त्याग, समर्पण और भाईचारे की भावना से ही पैदा हो सकता है। इफ़्फ़न और टोपी का अटूट रिश्ता ऐसे ही मानवीय मूल्यों पर टिका है।


प्रश्न 2. 'टोपी शुक्ला ' पाठ में इफ़्फ़न की दादी के स्वभाव की उन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण टोपी ने दादी बदलने की बात कही ?

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी स्नेहिल स्वभाव की थी। वह बच्चों से अत्यधिक स्नेह करती थीं। वह इफ़्फ़न के साथ टोपी को भी अपने पास बैठाकर कहानियाँ सुनाती थीं । यहाँ तक कि इफ़्फ़न के परिवार का कोई सदस्य कभी टोपी को उसकी बोली पर छेड़ता जब भी वह टोपी का ही पक्ष लेती थीं। टोपी की भाँति वह भी पूरबी बोली बोलती थीं जिससे टोपी को उनसे अपनेपन का एहसास होता था। जबकि टोपी की दादी का स्वभाव अच्छा न था। वह हमेशा टोपी को डाँटती - फटकारती रहती थीं। वह परंपराओं में बँधे होने के कारण कट्टर हिंदू थीं। वह टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने से भी रोकती थीं। इन्हीं सब कारणों से टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।


प्रश्न 3. टोपी ने मुन्नी बाबू के बारे में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था और क्यों? विस्तार से समझाइए।

उत्तर

एक बार टोपी ने मुन्नी बाबू को रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देख लिया था, इस बात को छुपाने के लिए मुन्नी बाबू ने टोपी को इकन्नी की रिश्वत भी दी थी। इस रिश्वत का तो टोपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, किंतु टोपी चुगलखोर नहीं था इसीलिए उसने अपने घरवालों को इसकी जानकारी नहीं दी थी।


प्रश्न 4. किन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ्फ़न की दादी बहुत प्रिय थीं?

उत्तर

टोपी जब भी इफ्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के पास ही बैठता था। वह दादी की पूरबी को सुनकर खुश होता था। दादी उसके दुख और उसकी भावनाओं को समझती थीं। इफ़्फ़न की अम्मी और बाजी जब टोपी की हँसी उड़ाती तो दादी बीच-बचाव करके उसे अपने पास बुला लेती थी। वे टोपी को कहानियाँ सुनाते हुए खुश रखती थी। उनके मरने की खबर सुनकर टोपी उदास हो जाता है और रोता है। इन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ़्फ़न की दादी प्रिय थीं।


प्रश्न 5. टोपी ने मुन्नी बाबू के बारे में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था और क्यों? विस्तार से समझाइए।

उत्तर

एक बार टोपी ने मुन्नी बाबू को रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देख लिया था, इस बात को छुपाने के लिए मुन्नी बाबू ने टोपी को इकन्नी की रिश्वत भी दी थी। इस रिश्वत का तो टोपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, किंतु टोपी चुगलखोर नहीं था इसीलिए उसने अपने घरवालों को इसकी जानकारी नहीं दी थी।


प्रश्न 6. 'टोपी शुक्ला' पाठ के आधार पर बताइए कि इफ़्फ़न की दादी मिली-जुली संस्कृति में विश्वास क्यों रखती थीं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी नमाज़ व रोज़े की बड़ी पाबंद थीं, किंतु जब उनके बेटे यानी इफ़्फ़न के पिता के चेचक निकली तो वह उसके पलंग के पास एक पैर पर खड़ी हुई और उन्होंने माता का नाम लेकर कहा, “ माता, मोरे बच्चे को माफ़ करयो ।” उनकी ससुराल में उर्दू बोली जाती थी, किंतु वे पूरबी बोली ही बोलती थीं। कट्टर मौलवी परिवार में गाने-बजाने की रोक थी, किंतु इफ़्फ़न की छठी में उन्होंने खूब गाना बजाना किया था। इस सब बातों से सिद्ध होता है कि वे मिली-जुली संस्कृति पर विश्वास करती थीं ।


प्रश्न 7. इफ़्फ़न की दादी की मौत का समाचार सुनकर टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? टोपी ने इफ़्फ़न को क्या कहकर सांत्वना दी ?

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी की मौत का समाचार सुनकर टोपी का बालमन शोक से भर उठा। इफ़्फ़न तो उसी समय घर चला गया और टोपी जिमनेज़ियम में जाकर एक कोने में बैठकर रोने लगा। शाम को वह इफ़्फ़न के घर गया, तो एक दादी के न रहने से उसे सारा घर खाली - खाली सा लगा। इफ़्फ़न की दादी के प्रति उसके मन में बहुत प्रेम था, बदले में ऐसा ही प्रेम उसे उनसे भी प्राप्त हुआ था, किंतु कभी ऐसी ममता उसे अपनी दादी से नहीं मिली थी। इसी कारण उसने इफ़्फ़न को यह कहकर सांत्वना दी कि 'तोरी दादी की जगह अगर हमरी दादी मर गई होती, त ठीक भया होता' अर्थात उसकी यानी इफ़्फ़न की दादी की जगह उसकी दादी मर गई होतीं, तो ठीक होता ।


प्रश्न 8. टोपी और बूढ़ी नौकरानी दोनों में एक-दूसरे के प्रति सद्भाव होने का क्या कारण था ? इनके व्यवहार से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर

घर में टोपी और बूढ़ी नौकरानी दोनों की ही दशा एक जैसी थी। दोनों को ही घर के छोटे-बड़े सब डाँट-फटकार लेते थे। बूढ़ी नौकरानी सीता को तो यह सब चुपचाप सह लेने का अनुभव था। इसी कारण जब भी टोपी किसी बात पर दादी या घर के अन्य सदस्य का विरोध करता और उसे माँ रामदुलारी से पिटाई खानी पड़ती, तब सीता उसे अपनी कोठरी में ले जाकर समझाया करती थी। सीता के आँचल में जाकर टोपी को भी सुकून मिलता था। इनके व्यवहार से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पीड़ा या कष्ट की स्थिति में एक-दूसरे का सहारा बनने से एक संबल मिलता है। इस प्रकार व्यक्ति को लगता है कि कोई तो है जो हमारे साथ है और जिससे वह अपना दुख-दर्द बाँट सकता है।


प्रश्न 9. ठाकुर हरिनाम सिंह कौन था? उसके लड़कों ने टोपी शुक्ला से दोस्ती क्यों नहीं की? यह उनकी किस भावना का व्यंजक है?

उत्तर

ठाकुर हरिनाम सिंह को इफ़्फ़न के पिता के तबादले के बाद बनारस का नया कलेक्टर बनाया गया था। ठाकुर हरिनाम सिंह के लड़के इफ़्फ़न के समान सभ्य नहीं थे, उन्हें अपने पिता के कलेक्टर होने का घमंड था। इसी घमंडी मानसिकता के चलते उन्हें टोपी अपने किसी चपरासी के बेटे के समान लगा, उन्होंने दोस्ती करने आए टोपी के साथ बहुत दुर्व्यवहार किया और बाद में अपने अलसेशियन कुत्ते से कटवा दिया। यह उनकी अपने आप को ऊँचा तथा दूसरों को तुच्छ समझने की दूषित भावना का व्यंजक है।


प्रश्न 10. टोपी के पिता को भी यह पसंद नहीं था कि टोपी इफ़्फ़न से दोस्ती रखे, पर उन्होंने इसका फ़ायदा कैसे उठाया?

उत्तर

टोपी के पिता और घर के अन्य सदस्यों को बिलकुल भी यह पसंद नहीं था कि टोपी किसी मुसलमान के लड़के से दोस्ती करे या उसके घर आए-जाए पर टोपी को जाति-धर्म से क्या लेना-देना था। टोपी के पिता ने जैसे ही जाना कि इफ्फ़न के पिता कलेक्टर हैं तो उन्होंने अपने क्रोध को दबाया और तीसरे दिन ही दुकान के लिए कपड़े और चीनी का परमिट ले आए।


प्रश्न 11. इफ़्फ़न की दादी को मरने से पहले कौन-सी वस्तुएँ याद आईं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी पूरा जीवन अपने मायके से जुड़ी यादों को दिल में सहेजे रही थीं। इसलिए मरने से पहले उन्हें अपने मायके की कच्ची हवेली, अपने द्वारा लगाया गया आम का बीजू पेड़ आदि याद आए । वे अपने मायके की मिट्टी से भावात्मक रूप से जुड़ी थीं। इसी समय जब उनके बेटे यानी इफ़्फ़न के पिता सय्यद मुरतुज़ा हुसैन ने उनसे यह पूछा कि मरने के बाद लाश करबला जाएगी या नज़फ़, तो इस बात पर वे भड़ककर कहने लगीं कि यदि उससे उनकी लाश न सँभाली जाए, तो उनके मायके भेज दे।


प्रश्न 12. टोपी ने मुन्नी बाबू की किस असलियत से घर वालों से छिपाकर रखा था, और क्यों?

उत्तर

एक बार टोपी ने मुन्नी बाबू को रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देख लिया था, इस बात को छुपाने के लिए मुन्नी बाबू ने टोपी को इकन्नी की रिश्वत भी दी थी। इस रिश्वत का तो टोपी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, किंतु टोपी चुगलखोर नहीं था इसीलिए उसने अपने घरवालों को इसकी जानकारी नहीं दी थी।


प्रश्न 13. कैसे कहा जा सकता है कि इफ़्फ़न की दादी मिली-जुली संस्कृति में विश्वास रखने वाली महिला थीं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी नमाज़ व रोज़े की बड़ी पाबंद थीं, किंतु जब उनके बेटे यानी इफ़्फ़न के पिता के चेचक निकली तो वह उसके पलंग के पास एक पैर पर खड़ी हुई और उन्होंने माता का नाम लेकर कहा, “ माता, मोरे बच्चे को माफ़ करयो ।” उनकी ससुराल में उर्दू बोली जाती थी, किंतु वे पूरबी बोली ही बोलती थीं। कट्टर मौलवी परिवार में गाने-बजाने की रोक थी, किंतु इफ़्फ़न की छठी में उन्होंने खूब गाना बजाना किया था। इस सब बातों से सिद्ध होता है कि वे मिली-जुली संस्कृति पर विश्वास करती थीं ।


प्रश्न 14. इफ़्फ़न की दादी एक ज़मींदार की बेटी थीं। अपने ससुराल के वातावरण में अपने को ढालने में उन्हें किन असुविधाओं का सामना करना पड़ा? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी एक ज़मींदार की बेटी थीं। उनके मायके में सभी बहुत उदार थे। धार्मिक कट्टरता कहीं दूर-दूर तक नहीं थी, जबकि उनकी ससुराल का वातावरण धार्मिक कट्टरता से भरा था । यहाँ खाने-पीने से लेकर रीति-रिवाजों की पाबंदी थी। वे अपने मायके में खूब घी पिलाई काली हाँडी में जमाई गई दही जी भरकर खा लेती थीं, किंतु मौलवी परिवार में वे ऐसा नहीं कर पाती थीं। वे पूरबी बोलती थीं, जबकि मौलवी परिवार में उर्दू बोली जाती थी तथा पूरबी बोली को अनपढ़ व गँवारों की भाषा माना जाता था । इसी कारण ससुराल में उनकी आत्मा सदा बेचैन रही तथा वहाँ के वातावरण में वे कभी पूरी तरह नहीं ढल सकीं।


प्रश्न 15. इफ़्फ़न की दादी की मौत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा? कारण सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर

टोपी को अपनी दादी से कभी अपनापन नहीं मिला था, वे उसे बात-बात पर अपमानित करती रहती थीं, जबकि इफ़्फ़न की दादी से उसे भरपूर दुलार मिलता था और उनका एक-एक शब्द उसे शक्कर का खिलौना प्रतीत होता था । वह इफ़्फ़न के घर जाकर उन्हीं के पास बैठता था तथा अपनत्व व ममता का असीम सुख प्राप्त किया करता था। इसी आत्मिक लगाव के कारण इफ़्फ़न की दादी की मौत के बाद टोपी को उसका घर खाली खाली - सा लगा।


प्रश्न 16. इफ़्फ़न की दादी टोपी को अपने ही परिवार के सदस्यों के उपहास से किस तरह बचाती?

उत्तर

टोपी जबे इफ्फ़न के घर जाता तो वह इफ्फ़न की दादी के पास ही बैठने की कोशिश करता। वह इफ्फ़न की अम्मी और उसकी बाजी के पास न जाता न बैठता। वे दोनों प्रायः टोपी को उसकी बोली के लिए छेड़ती और हँसती। जब बात बढ़ने लगती तो दादी ही बीच-बचाव करती और कहती कि तू उधर जाता ही क्यों है। इस तरह वे टोपी को अपने परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए उपहास से टोपी को बचाती थी।


प्रश्न 17. टोपी पढ़ने में बहुत तेज़ था, फिर भी वह दो बार फ़ेल हो गया। उसकी पढ़ाई में क्या बाधाएँ आ जाती थीं?

उत्तर

टोपी पढ़ने में बहुत तेज़ था, फिर भी वह दो बार फेल हो गया क्योंकि पहले साल उसे पढ़ने ही नहीं दिया गया। वह जब भी पढ़ने बैठता, उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू को कोई काम निकल आता था या उसकी माँ को कोई ऐसी चीज़ मँगवानी पड़ जाती थी, जो घर के नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी और रामदुलारी रही सही कसर उसका छोटा भाई भैरव उसकी कॉपियों के पन्नों से हवाई जहाज़ बनाकर पूरा कर डालता था तथा दूसरे वर्ष परीक्षा के दिनों में उसे टाइफाइड हो गया था।


प्रश्न 18. टोपी को अध्यापक घृणा की दृष्टि से क्यों देखते थे? अंग्रेज़ी के अध्यापक ने उसे एक दिन क्या कहकर अनुत्साहित किया और क्यों?

उत्तर

टोपी के अध्यापक उसके नवीं कक्षा में फेल हो जाने के कारण उसे बुद्ध समझने लगे थे। उन्होंने एक सच्चे अध्यापक का कर्तव्य निभाते हुए उसकी परेशानियों को समझकर उन्हें दूर करने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उससे चिढ़कर घृणा करने लगे। उनके मन में टोपी के प्रति ज़रा सी भी सहानुभूति नहीं थी । अंग्रेज़ी के अध्यापक ने एक बार उसे यह कहकर अनुत्साहित किया कि वह जवाब देने के लिए हाथ न उठाए, वह दो साल से यही पुस्तक पढ़ रहा है, तो उसे तो सारे जवाब ज़बानी याद हो गए होंगे, उसके सहपाठियों को अगले वर्ष हाईस्कूल का इम्तिहान देना है, उससे तो वे अगले साल भी पूछ लेंगे। ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वे एक अच्छे अध्यापक नहीं थे, वे टोपी से घृणा करते थे और टोपी के द्वारा बार-बार उत्तर देने के लिए हाथ उठाने से वे झल्लाहट से भर उठे थे।


प्रश्न 19. इफ़्फ़न के पूर्वजों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर

इफ़्फ़न के दादा परदादा बहुत प्रसिद्ध मौलवी थे। वे काफ़िरों के देश में पैदा हुए और काफ़िरों के देश में मरे। वे यह वसीयत करके मरे कि लाश करबला ले जाई जाए। उनकी आत्मा ने इस देश में एक साँस तक न ली। उस खानदान में जो पहला हिंदुस्तानी बच्चा पैदा हुआ वह बढ़कर इफ़्फ़न का बाप हुआ। इसके बाद इफ़्फ़न और अन्य सदस्यों के रूप में यह परिवार भारत को होकर रह गया।


प्रश्न 20. टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही ? 'टोपी शुक्ला' के आधार पर लिखिए ।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी स्नेहिल स्वभाव की थी। वह बच्चों से अत्यधिक स्नेह करती थीं। वह इफ़्फ़न के साथ टोपी को भी अपने पास बैठाकर कहानियाँ सुनाती थीं । यहाँ तक कि इफ़्फ़न के परिवार का कोई सदस्य कभी टोपी को उसकी बोली पर छेड़ता जब भी वह टोपी का ही पक्ष लेती थीं। टोपी की भाँति वह भी पूरबी बोली बोलती थीं जिससे टोपी को उनसे अपनेपन का एहसास होता था। जबकि टोपी की दादी का स्वभाव अच्छा न था । वह हमेशा टोपी को डाँटती - फटकारती रहती थीं। वह परंपराओं में बँधे होने के कारण कट्टर हिंदू थीं। वह टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने से भी रोकती थीं। इन्हीं सब कारणों से टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही ।


प्रश्न 21. टोपी एक दिन के लिए ही सही अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू से क्यों बड़ा होना चाहता था?

उत्तर

इफ़्फ़न से दोस्ती करने के कारण जब टोपी की पिटाई हो रही थी तभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू ने दादी से शिकायत करते हुए कहा था कि यह (टोपी) एक दिन रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खा रहा था तो टोपी को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि वह कबाब को हाथ तक नहीं लगाता है। कबाब तो स्वयं मुन्नी बाबू ने खाया था। यह बात घर न बताने के लिए उसने इकन्नी रिश्वत दी थी। इसका मजा चखाने के लिए टोपी मुन्नी बाबू से बड़ा होना चाहता था।


प्रश्न 22. कलेक्टर साहब के लड़के टोपी के दोस्त क्यों नहीं बन सके ?

उत्तर

कलेक्टर साहब के लड़के टोपी के दोस्त इसलिए नहीं बन सके क्योंकि वे तीनों बहुत घमंडी थे। उन्हें अपने पिता के पद तथा आर्थिक स्थिति पर गुमान था । वे बार-बार जानबूझकर टोपी से उसके पिता के पद के विषय में पूछते थे और वह भी अपमानजनक भाषा में। एक बार तो उन्होंने टोपी पर अपना कुत्ता छोड़ दिया था। उन्हें मानवीय संबंधों और दोस्ती की गरिमा का बिलकुल ज्ञान नहीं था ।


प्रश्न 23. टोपी ने दुबारा कलेक्टर साहब के बँगले की ओर रुख क्यों नहीं किया? 'टोपी शुक्ला' पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर

दुबारा टोपी कलेक्टर साहब के बँगले की ओर नहीं गया क्योंकि नए कलेक्टर साहब के बेटों ने टोपी को अपने कुत्ते से कटवा दिया था और टोपी को पेट में चौदह इंजेक्शन लगवाने पड़े थे तथा कलेक्टर के बेटों ने टोपी को मारा भी था ।


प्रश्न 24. अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की दादी की इच्छा पूरी क्यों नहीं हो पाई ? 'टोपी शुक्ला' पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी के पति एक मौलवी थे और मौलवी के घर गाना-बजाना नहीं हो सकता था। दादी के अनुसार उनके पति हर अवसर पर बस मौलवी ही बने रहते थे । यही कारण था कि वे अपने बेटे की शादी में गाना-बजाना नहीं कर पाईं।


प्रश्न 25. टोपी मुन्नी बाबू की किस असलियत से परिचित था? उसने इसके बारे में घरवालों को जानकारी क्यों नहीं दी ? यह भी बताइए कि मुन्नी बाबू से टोपी की अनबन होने का क्या कारण था?

उत्तर

टोपी मुन्नी बाबू की इस असलियत से परिचित था कि वे कबाब खाते हैं क्योंकि उसने एक बार मुन्नी बाबू को रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते हुए देख लिया था । इसके लिए मुन्नी बाबू ने उसे इकन्नी दी थी कि वह यह बात घर जाकर न कहे। ऐसा नहीं है कि टोपी ने इकन्नी को रिश्वत के रूप में स्वीकार करके मुन्नी बाबू की असलियत को घरवालों से छिपाकर रखा था, बल्कि बात यह थी कि वह भ्रातृभाव व भोलेपन के कारण मुन्नी बाबू की चुगली नहीं कर सका था । मुन्नी बहुत चतुर था। इस कारण जब 'अम्मी' संबोधन पर दादी ने टोपी को डाँटना शुरू किया, तो उसको लगा कि कहीं टोपी कबाब वाली बात दादी को न बता दे। इसी कारण उसने पहले ही झूठा आरोप टोपी पर लगा दिया कि उसने टोपी को एक दिन कबाब खाते हुए देखा है। यह आरोप सरासर झूठ था, जिसका टोपी विरोध कर रहा था। इसी कारण मुन्नी बाबू और टोपी में अनबन हुई थी।


प्रश्न 26. लखनऊ आकर भी इफ्फ़न की दादी की एक विशिष्ट पहचान बनी हुई थी। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इफ़्फ़न की दादी लखनऊ के पूरब की रहने वाली थी। वे जमींदार की बेटी थी जो विवाह के बाद अपनी ससुराल लखनऊ आ गईं। वे यहाँ भी पूरबी बोलती थी। वे हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के मेल-जोल का जीता-जागता नमूना थी। वे रोजा-नमाज़ की पाबंद थी, परंतु इकलौते बेटे को जब चेचक निकली तो उन्होंने प्रार्थना की, “माता मोरे बच्चे को माफ़ कर द्यो।’ वे सदा मायके की ही भाषा बोलती रही।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा? मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।

उत्तर

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को अनेक भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह अकेला पड़ गया था क्योंकि उसके दोस्त दसवीं कक्षा में थे और नई कक्षा में से कोई उसका दोस्त न बन सका था। वह अध्यापकों की हँसी का पात्र बनता चला गया। अध्यापक जब भी किसी न पढ़ने वाले बच्चे को टोकते तो हमेशा उसी का उदाहरण देते, 'क्यों क्या बात है? राम अवतार (या कोई भी बच्चा ) बलभद्र की तरह इसी दर्जे में टिके रहना चाहते हो। इस पर वह शर्म से बिल्कुल पानी-पानी हो जाता और बाकी बच्चे ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगते। अपनी कक्षा में वह अच्छा खासा बूढ़ा नज़र आता था। अपने भरे-पूरे घर की तरह अब वह स्कूल में भी बिल्कुल अकेला हो गया था। मानवीय मूल्यों की दृष्टि से देखा जाए, तो किसी की भावनाओं को इस प्रकार से ठेस पहुँचाना, उसे प्रताड़ित करना सर्वथा अनुचित है। ऐसे समय में माता-पिता ही नहीं समाज और शिक्षकवर्ग सभी को एक सकारात्मक भूमिका निभानी पड़ेगी। सफलता या असफलता जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। किसी एक परीक्षा में असफल होने से हमारा जीवन रुकता नहीं, वहाँ से तो जीवन को एक नई दिशा और अधिक सुदृढ़ता के साथ देने की आवश्यकता है । आज विद्यार्थियों के दिलों-दिमाग़ में यह बात और अधिक सुदृढ़ता से स्थापित करने की आवश्यकता है। तभी परीक्षा परिणामों के बाद होने वाली आत्महत्याओं को रोकने में समाज एक सकारात्मक पहल कर सकेगा।


प्रश्न 2. 'अलग-अलग धर्म और जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होते।' 'टोपी शुक्ला' पाठ के आलोक में प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर

‘अलग-अलग धर्म और जाति मानवीय रिश्तों में बाधक नहीं होते।' लेखक डॉ० राही मासूम रज़ा ने अपने उपन्यास 'टोपी शुक्ला' में इसी विचारधारा को प्रतिपादित किया है । लेखक ने बताया है कि टोपी कट्टर हिंदू परिवार से तथा इफ़्फ़न कट्टर मौलवी परिवार से संबंध रखता था, किंतु फिर भी टोपी और इफ़्फ़न की दादी में एक अटूट मानवीय रिश्ता था । दोनों आपस में स्नेह के बंधन में बँधे थे। टोपी अपने घर में उपेक्षित था उसे इफ़्फ़न के घर में अपनापन मिलता था। दादी के आँचल की छाँव में बैठकर वह स्नेह का अपार भंडार पाता था। उसके लिए रीति-रिवाज, सामाजिक हैसियत, खान-पान आदि कोई महत्त्व नहीं रखता था। इफ़्फ़न की दादी भी भरे घर में अकेली थी, उनकी भावनाओं को समझने वाला भी घर में कोई नहीं था । अतः दोनों का रिश्ता धर्म और जाति की सीमाएँ पार कर प्रेम के बंधन में बँध गया। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। लेखक ने हमें समझाया है कि जब मन की भावनाएँ मेल खा जाती हैं तो मज़हब और जाति के बंधन बेमानी हो जाते हैं। अतः स्पष्ट हो जाता है कि टोपी व इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के होने पर भी परस्पर प्रेम व स्नेह की अदृश्य डोर में बँधे हुए थे।


प्रश्न 3. टोपी एक सुविधा - संपन्न परिवार से था, फिर भी इफ़्फ़न की हवेली की तरफ उसके खिंचे चले जाने के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

टोपी एक सुविधा संपन्न परिवार से था, फिर भी इफ़्फ़न की हवेली की तरफ़ वह बरबस खिंचा चला जाता था क्योंकि अपने भरे-पूरे घर में वह बिल्कुल अकेला था। उसकी भावनाओं को घर में कोई नहीं समझता था। दादी तो उसकी हर बात में कमी निकालती थीं। दादी उसकी भाषा पर भी उसे डाँटती थीं। माँ को उसकी इफ़्फ़न से दोस्ती पर नाराज़गी थी। बड़े भाई मुन्नी बाबू ने भी स्वयं कबाब खाकर उसका इल्ज़ाम टोपी पर लगाकर उसकी पिटाई करवा दी थी । छोटा भाई भैरव भी अक्सर उसे तंग करता रहता था । इन सबके विपरीत इफ़्फ़न और उसकी दादी से उसे अपनेपन का एहसास मिलता था। दादी तो उसे बहुत प्यार करती थी। वह जब भी इफ़्फ़न के घर जाता, दादी के पास ही बैठता था । टोपी की पूरबी बोली पर यदि इफ़्फ़न के परिवार का कोई सदस्य उसे छेड़ता, तो भी दादी टोपी का ही पक्ष लेती थीं। वे स्वयं भी पूरबी बोली बोलती थीं और इफ़्फ़न के साथ टोपी को भी कहानियाँ सुनाया करती थीं। इसी कारण टोपी ने बार-बार मना करने पर भी इफ़्फ़न की हवेली में जाना नहीं छोड़ा।

 

प्रश्न 4. इफ़्फ़न के घर जाने के लिए मना करने पर भी टोपी नहीं माना और पिटता रहा। क्यों? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

टोपी एक सुविधा-संपन्न परिवार से था, फिर भी इफ़्फ़न की हवेली की तरफ़ वह बरबस खिंचा चला जाता था क्योंकि अपने भरे-पूरे घर में वह बिल्कुल अकेला था। उसकी भावनाओं को घर में कोई नहीं समझता था। दादी तो उसकी हर बात में कमी निकालती थीं। दादी उसकी भाषा पर भी उसे डाँटती थीं। माँ को उसकी इफ़्फ़न से दोस्ती पर नाराज़गी थी। बड़े भाई मुन्नी बाबू ने भी स्वयं कबाब खाकर उसका इल्ज़ाम टोपी पर लगाकर उसकी पिटाई करवा दी थी । छोटा भाई भैरव भी अक्सर उसे तंग करता रहता था । इन सबके विपरीत इफ़्फ़न और उसकी दादी से उसे अपनेपन का एहसास मिलता था। दादी तो उसे बहुत प्यार करती थी। वह जब भी इफ़्फ़न के घर जाता, दादी के पास ही बैठता था । टोपी की पूरबी बोली पर यदि इफ़्फ़न के परिवार का कोई सदस्य उसे छेड़ता, तो भी दादी टोपी का ही पक्ष लेती थीं। वे स्वयं भी पूरबी बोली बोलती थीं और इफ़्फ़न के साथ टोपी को भी कहानियाँ सुनाया करती थीं। इसी कारण टोपी ने बार-बार मना करने पर भी इफ़्फ़न की हवेली में जाना नहीं छोड़ा।


प्रश्न 5. प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है।’ इसमें उभरने वाले जीवन मूल्यों को टोपी शुक्ला पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

टोपी शुक्ला नामक पाठ से ज्ञात होता है कि टोपी के घर में उसकी दादी उसके माता-पिता के अलावा एक बड़ा और एक छोटा भाई भी है। उसके घर में काम करने वाली सीता और केतकी नामक दो नौकरानियाँ हैं पर टोपी के लिए इस घर में कोई प्रेम नहीं है। टोपी को यह प्रेम अपने मित्र इफ़्फ़न उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी सीता से मिलता है।

इस प्रेम के कारण जाति, धर्म, उम्र, पद, मालिक-नौकरानी का भेद नहीं आने पाता है। प्रेम के अभाव में वह अपने घरवालों से रिश्ता नहीं बना पाता है जबकि जहाँ उसे प्रेम मिलता है वहाँ नए रिश्ते बन जाते हैं। टोपी का अपने परिवार के सदस्यों से खून का रिश्ता है पर वहाँ प्रेम नहीं है और जहाँ रिश्ता नहीं है वहाँ प्रेम के कारण नए रिश्ते का अंकुरण हो जाता है। इस प्रकार नि:संदेह कहा जा सकता है कि प्रेम मानवीय रिश्तों की बुनियाद है।


प्रश्न 6. टोपी और इफ्फ़न की दादी के उस प्रेममयी आत्मीय संबंध का वर्णन कीजिए, जिसके कारण टोपी ने इफ्फ़न से कहा कि तुम्हारी दादी की जगह मेरी दादी मर गई होती तो अच्छा होता।

उत्तर

टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग जाति-धर्म से संबंध रखती थी, पर उनमें इतना गहरा प्रेम और आत्मीय भाव था कि जाति-धर्म का बंधन इसके आगे कहीं ठहर न सका। दोनों ही एक-दूसरे का दुख-दर्द समझते थे। टोपी और दादी के संबंध को इफ्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी इस संबंध को बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे।

दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों प्यासे थे। एक ने दूसरे की प्यास बुझा दी थी। दोनों अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे। दोनों ने एक-दूसरे का अकेलापन मिटा दिया था। इसी प्रेममयी आत्मीय संबंध के कारण टोपी ने कहा कि तुम्हारी दादी की जगह मेरी दादी मर गई होती तो अच्छा रहता।


प्रश्न 7. बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। वे उसी के बनकर रह जाते हैं जिनसे उन्हें प्यार मिलता है। इससे आप कितना सहमत हैं? इफ्फ़न और उसकी दादी के संबंधों के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

इफ्फ़न के परिवार में उसकी दादी, उसके अब्बू-अम्मी और दो बहनें थीं। इफ़्फ़न को अपने अब्बू, अपनी अम्मी, अपनी बाजी और छोटी बहन नुजहत से भी प्यार था ही परंतु दादी से वह जरा ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभीकभार डाँट मार लिया करती थीं। बाजी का भी यही हाल था। अब्बू भी कभी-कभार घर को कचहरी समझकर फैसला सुनाने लगते थे।

नुजहत को जब मौका मिलता उसकी कापियों पर तसवीरें बनाने लगती थीं। बस एक दादी थी जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया। वह रात को भी उसे बहराम डाकू, अनार परी, बारह बुर्ज, अमीर हमजा, गुलबकावली, हातिमताई, पंच फुल्ला रानी की कहानियाँ सुनाया करती थीं। मैं इससे पूर्णतया सहमत हूँ कि बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। और वे उसी के होकर रह जाते हैं, जिनसे उन्हें प्यार मिलता है।


प्रश्न 8. कुछ बच्चों को अपने माता-पिता के पद और हैसियत का कुछ ज्यादा ही घमंड हो जाता है। इसका मानवीय संबंधों पर क्या असर पड़ता है? इसे रोकने के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आलोक में लिखिए।

उत्तर

इफ्फ़न के पिता कलेक्टर थे। उनका तबादला हो जाने के कारण उनके स्थान पर नए कलेक्टर हरनाम सिंह आए। वे उसी बँगले में रहने लगे जिसमें इफ़्फ़न का परिवार रहता था। जब इफ़्फ़न को याद करके टोपी उस बँगले में पहुँचा तो चौकीदार ने उसे अंदर जाने दिया। वहाँ नए कलेक्टर के तीनों बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने टोपी से अभद्रता से बातचीत ही नहीं की बल्कि मारपीट भी की।

इतना ही नहीं, उन्होंने टोपी पर अपना अलसेशियन कुत्ता भी छोड़ दिया जिसके कारण टोपी को सात सुइयाँ लगवानी पड़ीं। ऐसा उन्होंने अपने कलेक्टर पिता के पद और हैसियत के घमंड में किया। मानवीय संबंधों पर इसका यह असर होता है कि वे चूर-चूर हो जाते हैं।

ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति और बढ़ते घमंड को रोकने के लिए बच्चों को प्रेम, सद्भाव, भाई-चारा, पारस्परिक सद्भाव, सभी को समान समझने की भावना, त्याग जैसे मानवीय मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए तथा इन मूल्यों को बनाए रखते हुए उनके सामने अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करना चाहिए।

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