Extra Questions for Class 9 स्पर्श Chapter 9 पद - रैदास Hindi

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Extra Questions for Class 9 स्पर्श Chapter 9 पद - रैदास Hindi

Chapter 9 पद रैदास Sparsh Extra Questions for Class 9 Hindi

 अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ईश्वर ने किन-किन का उद्धार किया है?

उत्तर

ईश्वर ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि का उद्धार किया है।


प्रश्न 2. कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को क्या माना है? ‘रैदास के पद’ के आधार पर लिखिए।

उत्तर

कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है।


प्रश्न 3. रैदास का ईश्वर क्या करता है?

उत्तर

रैदास का ईश्वर गरीबों का पालक है। वह उनकी रक्षा करता है तथा कृपा बनाए रखता है। प्रभु उनके सिर पर छत रखकर उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाते हैं।


प्रश्न 4. कवि स्वयं को क्या-क्या बताता है?

उत्तर

कवि स्वयं को पानी, मोर, चकोर, बाती, धागा, सुहागा तथा दास बताता है।

 

प्रश्न 5. कवि रैदास के स्वामी कौन हैं? वे क्या-क्या कार्य करते हैं?

उत्तर

रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। वे अपनी असीम कृपा से नीच को भी ऊँच और अछूत को महान बना देते हैं।


प्रश्न 6. कवि रैदास कैसी भक्ति करना चाहता है?

उत्तर

कवि रैदास ऐसी भक्ति करना चाहता है कि वह सदा अपने स्वामी का दास बना रहे। वे प्रभु का एक अंश बनकर रहना चाहते हैं। वे सोने में सुहागे की तरह मिलना चाहते हैं।


प्रश्न 7. रैदास ने चकोर पक्षी का उदाहरण किस संदर्भ में दिया है?

उत्तर

चकोर पक्षी की चाँद के प्रति अनन्य प्रेम के कारण रैदास ईश्वर के प्रति ऐसी ही भावना रखता है। वह भी अपने प्रियतम प्रभु को एकटक निहारना चाहता है।


लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. रैदास से राम नाम की रट क्यों नहीं छूटती ?

उत्तर

रैदास पूरी तरह प्रभु के ध्यान में लीन हो चुके हैं। वे पानी में चंदन की सुगंध की तरह घुल चुके हैं। वे चकोर पक्षी की तरह उन्हें निहारते हैं। इस अभिन्न संबंध के कारण उनके मुख से राम का नाम हटता नहीं है।


प्रश्न 2. रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ को प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर

रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।


प्रश्न 3. कवि ईश्वर की कौन-कौन-सी विशेषता बताता है?

उत्तर

कवि ईश्वर की निम्नलिखित विशेषताएँ बताता है-

  • वह गरीबों को समाज में सम्मान दिलवाता है।
  • वह अछूतों से प्रेम करता है।
  • वह नीच को भी ऊँचा बना देता है।
  • वह किसी से भयभीत नहीं होता।


प्रश्न 4. रैदास के प्रभु में वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती हैं?

उत्तर

रैदास के प्रभु में विशेषताएँ जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती हैं:

  • वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।
  • वे जाति प्रथा या छुआछुत को महत्व नहीं देते। वे समदर्शी हैं।
  • उनके लिए भावना प्रधान है। वे भक्त वत्सल हैं।
  • दीन दुखियों व शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं।
  • वे गरीब नवाज हैं।
  • वे किसी से डरते नहीं हैं, निडर हैं।


प्रश्न 5. कवि रैदास ने गरीब निवाजु किसे कहा है और क्यों?

उत्तर

कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।


प्रश्न 6. तुम घन बन हम मोरा-ऐसी कवि रैदास ने क्यों कहा है?

उत्तर

रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।


प्रश्न 7. कवि रैदास ने सोने व सुहागे की बात किस संबंध में कही है व क्यों?

उत्तर

सोने व सुहागे का आपस में घनिष्ठ संबंध है। सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है। किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें चमक उत्पन्न कर देता है।


निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 'ऐसी भक्ति करै रैदास।' पंक्ति में कवि किस तरह की भक्ति को बखान कर रहे हैं?

उत्तर

संत रैदास कहते हैं कि अब उन्हें प्रभु के नाम की लगन लग गई है। यह धुन अब किसी भी प्रकार नहीं छूट सकती। कवि ईश्वर को चंदन तथा स्वयं को पानी बताता है। जिस प्रकार पानी में घिसकर चंदन का रंग निखरता है, उसी प्रकार भक्तों की भक्ति से प्रभु का महत्त्व बढ़ता है। प्रभु नाम की सुगंध भक्त के अंग-अंग में समा गई है। भक्त ईश्वर को गहरे वन तथा स्वयं को मोर के समान बताता है। वह चकोर की तरह प्रभुरूपी चंद्रमा को टकटकी लगाए देखता रहता है। ईश्वर दीपक के समान है तथा भक्त उसमें जलकर रोशनी देने वाली बत्ती के समान है। वह प्रभु के प्रेम में जलता रहता है। यह ज्योति दिन-रात जलकर प्रकाश देती रहती है। ईश्वर मोती है तो भक्त उसे पिरोकर माला बनाने वाला धागा है। जिस प्रकार सोने में सुहागा मिलने से वह और भी चमक उठता है और दोनों मिलकर एक हो जाते हैं; उसी प्रकार भगवान को पाकर भक्त का जीवन सफल हो जाता है।


प्रश्न 2. कवि रैदास ने अपने पद के माध्यम से तत्कालीन समाज का चित्रण किस प्रकार किया है?

उत्तर

कवि रैदास ने अपने पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में सामाजिक छुआछूत एवं भेदभाव की तत्कालीन स्थिति का अत्यंत मार्मिक एवं यथार्य चित्र खींचा है। उन्होंने अपने पद में कहा है कि गरीब एवं दीन-दुखियों पर कृपा बरसाने वाला एकमात्र प्रभु है। उन्होंने ही एक ऐसे व्यक्ति के माथे पर छत्र रख दिया है, राजा जैसा सम्मान दिया है, जिसे जगत के लोग छूना भी पसंद नहीं करते । समाज में निम्न जाति एवं निम्न वर्ग के लोगों को तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखा जाता था, ऐसे समाज में प्रभु ही उस पर द्रवित हुए।
कवि द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि संत कवियों का दिया गया उदाहरण दर्शाता है कि लोग निम्न जाति के लोगों के उच्च कर्म पर विश्वास भी मुश्किल से करते थे। इसलिए कवि को उदाहरण देने की आवश्यकता पड़ी। इन कथनों से तत्कालीन समाज की सामाजिक विषमता की स्पष्ट झलक मिलती है।

प्रश्न 3. 'कहि रविदास सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सधै सरै' पंक्ति का भाव स्पष्ट करें। 

उत्तर

कवि रैदास कहते हैं कि हरि का नाम याद करने से जीव संसाररूपी सागर को पार कर जाते हैं। इनके जैसा स्वामी नहीं है। ये गरीबों के सिर पर छत्र धरने वाले हैं। यह ईश्वर छुआछूत में विश्वास नहीं करते तथा सब पर कृपा करते हैं। ये नीच को ऊँचा उठाते हैं तथा किसी का दबाव नहीं मानते। इनकी कृपा से कबीर, नामदेव, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि विभिन्न जातियों के संतों का उद्धार हुआ है।

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