Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं - राजेश जोशी Hindi
Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं Kshitij Extra Questions for Class 9 Hindi
उत्तर
कवि ने छोटे-छोटे बच्चों का पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद छोड़कर, परिवार की आर्थिक मजबूरी के कारण मेहनत-मज़दूरी के लिए जाना बहुत भयानक माना है। कवि बाल मज़दूरी की बात समाज के समक्ष एक विकराल प्रश्न के रूप में उपस्थित करना चाहता है। वह समाज से पूछना चाहता है कि छोटे बच्चों से इस प्रकार उनका बचपन क्यों छीन लिया गया है ?
प्रश्न 2. ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता का मूल भाव स्पष्ट करें।
उत्तर
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कवि राजेश जोशी की रचना है। इसमें कवि ने समाज की सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर संकेत किया है। आज के भौतिकवादी युग में मानव मानव से दूर तो हुआ ही है, पर साथ ही उसने बच्चों के बचपन को भी छीन लिया है। घर की आर्थिक स्थिति ने बच्चों को खेल-कूद और शिक्षा से दूर कर दिया है। सर्दियों के कोहरे में बच्चे स्कूल और खेलने का मैदान छोड़कर काम के लिए जा रहे हैं जो आज के समाज के लिए सबसे भयानक बात है।
बच्चों के खेल-खिलौने, पुस्तकें नष्ट हो गई हैं क्या ? तभी तो बच्चे काम के लिए जा रहे हैं। यदि वास्तव में ऐसा ही है तो दुनिया अधूरी हो जाएगी। दुनिया का अस्तित्व बच्चों के स्वाभाविक बचपन है। बच्चों का काम पर जाना बहुत भयानक बात है, इसे रोकना चाहिए। कवि कविता के माध्यम से दुनिया के सामने बाल मजदूरी के विकट विषय को रखना चाहता है तथा उनके लिए कुछ करने के लिए दूसरों को प्रेरित करना चाहता है।
प्रश्न 3. ‘हैं सभी चीजें हस्वमामूल’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर
‘हैं सभी चीजें हस्वमामूल’ से अभिप्राय यह है कि छोटे बच्चों के लिए खेलों और मनोरंजन के लिए आवश्यक सभी सामग्रियाँ अभी भी वैसी हैं जैसी पहले थीं। उनमें कोई कमी नहीं हुई है। अभी भी उनके लिए विद्यालय है; मैदान है; घरों के आँगन हैं पर उनमें विवशता के मारे बच्चे नहीं हैं अर्थात् बच्चे वहाँ जाने की अपेक्षा काम पर जाने के लिए विवश हैं।
प्रश्न 4. कवि ने कविता में किस सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर संकेत किया है ? कवि क्या चाहता है ?
उत्तर
हमारे समाज में व्याप्त निर्धनता ही बच्चों को स्कूल जाने से रोकने की प्रमुख अवरोधक है। आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग के लोग अपने साथ छोटे-छोटे बच्चों को भी सहायता के लिए लगा लेते हैं। उनके द्वारा कमाए गए थोड़े से पैसे भी उनके जीवन का आधार बनने लगते हैं। वे उन्हें इसी लालच में पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजते।
वे बच्चों को उचित दिशा नहीं दिलाते। जिन स्थानों पर छोटे-छोटे बच्चे काम करते हैं वहाँ के लोग भी कम पैसों से अधिक काम करवाने की स्वार्थ सिद्धि में आत्मिक प्रसन्नता प्राप्त कर बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित नहीं करते। कवि ने इसी सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर संकेत करते हुए इसे भयानक माना है और चाहा कि बच्चे शिक्षा प्राप्त करें; खेलें कूदें और अपने बचपन से दूर न हों।
प्रश्न 5. कवि समाज से क्या जानना चाहता है ?
उत्तर
कवि छोटे-छोटे बच्चों को काम पर जाते देखकर, समाज से यह जानना चाहता है कि इन बच्चों का बचपन कहाँ खो गया है। क्या इनकी गेंदें आकाश में खो गई हैं? क्या इनकी पुस्तकों को दीमकों ने खा लिया है? यदि नहीं, तो ये बच्चे अन्य बच्चों की तरह खेलते क्यों नहीं हैं, पढ़ते क्यों नहीं हैं? इन पर कैसी मजबूरी आ गई है जिसके कारण यह काम पर जाने लग गए हैं?
प्रश्न 6. यदि आपके घर में ऐसा कोई बच्चा कार्य कर रहा है तो आप उसके लिए क्या करना चाहेंगे ?
उत्तर
यदि हमारे घर ऐसा कोई बच्चा कार्य कर रहा है तो उसकी देखभाल भी अपने बच्चों के समान करेंगे। उसकी पढ़ाई के लिए प्रबंध करेंगे। उससे वही काम करवाए जाएँगे जो उसके उम्र के अनुसार सही होंगे। उसे खेलने-कूदने का उचित अवसर देंगे। उसके बचपन को पूरा ध्यान रखेंगे, जिससे वह अपना बचपन पूरी तरह जी सके और अपना व्यक्तित्व निखार सके।
प्रश्न 7. कवि के अनुसार दुनिया किसके बिना अधूरी है ? कैसे ?
उत्तर
कवि के अनुसार दुनिया स्वच्छंद और स्वाभाविक बचपन के बिना अधूरी है। बच्चों का बचपन तभी खिल सकता है जब बच्चे खेल के मैदान और स्कूलों में विद्या – प्राप्ति के लिए दिखाई दें। इस दुनिया का अस्तित्व बच्चों की खिलखिलाहट, भोलेपन तथा स्वाभाविक जीवन से है। यदि बच्चों का बचपन ही उनके पास नहीं है, तो दुनिया बेजान है, अधूरी है।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
1. कोहरे से ढकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह-सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?
प्रश्न :
(क) बच्चे किस समय कहाँ जा रहे हैं ?
(ख) कवि ने किसे भयानक माना है ?
(ग) कवि इस बात को किस रूप में प्रकट करना चाहता है ?
(घ) पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर
(क) बच्चे सर्दियों की सुबह-सवेरे धुंध में काम करने जा रहे हैं, ताकि वे अपना और अपनों का पेट भर सकें; घर का खर्च चला सकें।
(ख) कवि ने बच्चों के द्वारा विवशतावश पढ़ाई-लिखाई और खेल – कूद छोड़कर काम करने के लिए जाना बहुत भयानक माना है।
(ग) कवि इस बात को समाज के समक्ष प्रश्न के रूप में उपस्थित करना चाहता है और उससे पूछना चाहता है कि बच्चों से इस प्रकार उनका बचपन क्यों छीन लिया गया है ?
(घ) कवि को बच्चों के बचपन नष्ट होने और छोटी आयु में उन पर काम-काज का बोझ लादने से बहुत पीड़ा है। वह इसे भयानक मानता है। इससे बच्चे बचपन का अर्थ ही नहीं समझ पाएँगे। चित्रात्मकता के गुण से युक्त खड़ी बोली में रचित अवतरण में तत्सम और तद्भव शब्दावली का सहज प्रयोग किया गया है। अनुप्रास और प्रश्न अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग है। अभिधा शब्द – शक्ति और प्रसाद गुण विद्यमान है। अतुकांत छंद का प्रयोग है।
2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग-बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ?
प्रश्न :
(क) कवि की दृष्टि में बच्चों के लिए क्या करना आवश्यक है ?
(ख) बच्चों की प्रिय वस्तुओं के बारे में कवि क्या जानना चाहता है ?
(ग) एकाएक क्या नष्ट हो गया प्रतीत होता है ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर
(क) कवि की दृष्टि में बच्चों के लिए खेलना-कूदना और पढ़ना आवश्यक है।
(ख) कवि बच्चों की प्रिय वस्तुओं के बारे में जानना चाहता है कि वे सब कहाँ नष्ट हो गई हैं। बच्चों की गेंदें, रंग-बिरंगी पुस्तकें, खिलौने आदि कहाँ गए, जिनसे खेल – कूदकर बच्चे प्रसन्न होते थे, उनका बचपन उनके पास रहता था।
(ग) विद्यालयों की इमारतें, मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन एकाएक नष्ट हो गए प्रतीत होते हैं
(घ) कवि को बच्चों के बचपन नष्ट हो जाने पर गहरी पीड़ा है। वह जानना चाहता है कि उनके खेलने की सामग्री कहाँ गई। अतुकांत छंद का प्रयोग है। सामान्य बोल-चाल की शब्दावली का सहज प्रयोग किया गया है। उर्दू की शब्दावली का सहजता से प्रयोग सराहनीय है। प्रश्न अलंकार के प्रयोग ने कवि के विस्मय को जागृत किया है।
3. कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे-छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं।
प्रश्न :
(क) कवि की दृष्टि में अधिक भयानक क्या है ?
(ख) ‘हैं सभी चीजें हस्बमामूल’ का भावार्थ क्या है ?
(ग) छोटे-छोटे बच्चे कहाँ जा रहे हैं और क्यों ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर
(क) कवि की दृष्टि में भयानक यह है कि छोटे-छोटे बच्चों की गेंदें, खिलौने, रंग-बिरंगी पुस्तकें आदि सब पहले की तरह हैं, पर उन सबको छोड़कर उन्हें काम करने के लिए जाना पड़ रहा है। वे असमय ही अपना बचपन खो बैठे हैं।
(ख) ‘ हैं सभी चीज़ें हस्बमामूल’ का भावार्थ है कि छोटे बच्चों के लिए खेलों और मनोरंजन के लिए आवश्यक सारी सामग्रियाँ अभी भी वैसी हैं जैसे पहले थीं। उनमें कोई कमी नहीं हुई है। अभी उनके लिए विद्यालय हैं; मैदान हैं; घरों के आँगन हैं पर उनमें विवशता के मारे बच्चे नहीं हैं।
(ग) छोटे-छोटे बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं, ताकि वे अपनी भूख मिटाने के लिए खाना प्राप्त कर सकें; अपने माता-पिता की सहायता कर सकें।
(घ) कवि ने छोटे बच्चों के द्वारा काम पर जाने पर दुख प्रकट किया है और माना है कि उन्हें खेल-कूद और पढ़ने-लिखने के कार्य में समय लगाना चाहिए। तद्भव शब्दावली के साथ विदेशी शब्दावली का प्रयोग किया है। अतुकांत छंद का प्रयोग हुआ है। पुनरुक्ति – प्रकाश का प्रयोग स्वाभाविक है। प्रसाद गुण और अभिधा शब्द-शक्ति ने काव्य को सरलता – सरसता प्रदान की है।