Extra Questions for Class 9 क्षितिज Chapter 15 मेघ आए - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना Hindi
Chapter 15 मेघ आए Kshitij Extra Questions for Class 9 Hindi
प्रश्न 1.
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रस्तुत अवतरण का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मेघों के आने से प्राकृतिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का कवि ने बड़ा सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार से प्राकृतिक उपादानों को नया रूप प्रदान किया है। कवि ने मेघों को पाहुन का रूप देकर तथा प्राकृतिक उपादानों से मानवीय क्रियाएँ आरोपित कर चित्रात्मकता की सृष्टि की है। शब्द – योजना बड़ी सजीव तथा मनमोहक है। भाषा सरलता और सरसता से परिपूर्ण है।
प्रश्न 2. ‘मिलन के अश्रु ढलके’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर
मिलन के अश्रु ढलके से कवि का अभिप्राय है कि धरती रूपी नायिका को यह भ्रम था कि बादल नहीं आएँगे। परंतु जब बादल रूपी मेहमान बन-सँवर कर आता है तब धरती रूपी नायिका का भ्रम दूर हो जाता है। धरती और मेघ का मिलन देखकर बादल ज़ोर-ज़ोर से बरसने लगते हैं अर्थात् नायिका और नायक के मिलन पर आँखों से खुशी के आँसू बहने लगते हैं।
प्रश्न 3. बादल कहाँ तक फैल गए हैं उनके सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर
बादल आकर क्षितिज तक फैल गए हैं। उनमें से बिजली चमक रही है। बिजली की चमक देखकर ऐसा लगता है, मानो बादल रूपी मेहमान क्षितिज रूपी अटारी पर आने से नायिका रूपी बिजली का तन-मन आभा से युक्त हो गया है।
प्रश्न 4. शहरी पाहुन के आगमन पर गाँव में उमंग-उल्लास के रूप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
जब शहरी पाहुन सज-संवर कर गाँव में आता है तो चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है। उसके आगमन की खबर तेजी से फैल जाती है। गली-गली में दरवाज़े और खिड़कियाँ उसे उत्सुकतावश देखने के लिए खुल जाते हैं। लोग गरदन उचकाकर उसे देखने लगते हैं और गाँव की नारियाँ शरमाकर घूँघट सरकाकर तिरछी दृष्टि से उसे देखती हैं। प्रिया भी अपने पाहुन को घर आया देख प्रसन्न हो जाती है, परंतु दरवाज़े की ओट में छिपकर वह पाहुन को उपालंभ भी देती है। किंतु उसके हृदय के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं। अतिथि और प्रियतमा का मिलन हो जाता है और उनके नेत्रों से प्रसन्नता के आँसू छलक पड़ते हैं।
प्रश्न 5. बादलों के मेहमान बनकर आने पर उनका स्वागत किस प्रकार होता है ?
उत्तर
गाँव में बादल एक साल बाद मेहमान की भाँति बन-सँवर कर आए हैं। उन्हें देखकर सारा गाँव खुशी से नाच उठता है। सभी अपने- अपने ढंग से बादल रूपी मेहमान के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। गाँव के सबसे बूढ़े पेड़ पीपल ने बादलों का स्वागत झुककर वंदना करते हुए किया।जब घर में मेहमान आते हैं उनका स्वागत घर के बड़े लोग करते हैं। तालाब में लहरें उठने लगती हैं और वह भी अपने जल से मेहमान के चरण धोने के लिए तत्पर है। मेहमान की नायिका उसे यह ताना देती है कि वह एक साल बाद आया है। उसने तो उसके आने की उम्मीद छोड़ दी थी, अर्थात् धरती भी मेघों से मिलने को बेचैन थी और वह अपनी बेचैनी किसी को दिखाती नहीं है। इसलिए, वह आड़ में छिपकर अपने मेहमान का स्वागत करती है।
प्रश्न 6. बादलों की तुलना किसके साथ की गई है और कैसे ?
उत्तर
कवि ने बादलों की तुलना शहरी मेहमान के साथ की गई है। जिस प्रकार शहरी मेहमान बन-सँवर कर आते हैं उसी प्रकार बादल भी बन-सँवर आए हैं और सारे आकाश में फैल गए हैं। गाँव के लोग बादलों को देखने के लिए अपने खिड़की-दरवाज़े उसी प्रकार खोल रहे हैं, जिस प्रकार शहरी मेहमान को देखने की उत्सुकता में लोग अपने घरों के खिड़की-दरवाज़े खोलते हैं।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रश्न :
(क) गाँव में कौन आया है ?
(ख) मेघ किस प्रकार से आते हैं ?
(ग) गाँव में बादलों का कैसा स्वागत होता है ?
(घ) हवा बादलों का स्वागत कैसे करती है ?
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) गाँव में मेघ रूपी मेहमान आया है।
(ख) बादल बहुत बन-सँवर कर आते हैं। वे आकाश में चारों ओर छा गए हैं। आकाश पूरी तरह से बादलों से ढक गया है।
(ग) गाँव में बादलों का स्वागत एक मेहमान की तरह होता है। उनके आने की खबर सारे गाँव में फैल जाती है। लोग बादलों को मेहमान की तरह अपने खिड़की-दरवाजे खोलकर देखने लग जाते हैं।
(घ) हवा बादलों को उड़ाकर आगे-आगे ले जाती है। यह ऐसा लगता है, जैसे हवा बादलों के आगे-आगे खुशी से नाचती हुई चल रही है।
(ङ) कवि ने मेघों के आने का सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश व उपमा अलंकार की सुंदर घटा बिखरी है। मेघों का पाहुन की भाँति बन-सँवर कर आना मानवीकरण अलंकार की सृष्टि करता है। चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। प्रकृति के आलंबन और मानवीकरण रूप का वर्णन है। भाषा सरल, सरस तथा प्रवाहमयी है।
2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रश्न :
(क) पेड़ों में क्या परिवर्तन हुआ है ?
(ख) पेड़ झुककर क्या देखने लगे ?
(ग) नदी को कवि ने कैसे चित्रित किया है ?
(घ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) पेड़ गरदन उचकाए अर्थात् शाखाएँ दाएँ-बाएँ हिलाकर मेघों को देखने लगे हैं।
(ख) तो हवा के चलने से पेड़ झुक रहे हैं जो कवि को ऐसा लगता है मानो पेड़ बादलों का रूप-सौंदर्य देखने के लिए झुक रहे हैं। वे बादलों का स्वागत और अभिनंदन कर रहे हैं।
(ग) नदी को कवि ने एक ऐसी नायिका के रूप में चित्रित किया है जो मेहमान को देखने आई है और घूँघट खिसकाकर, नारी सुलभ लज्जा तथा जिज्ञासा के कारण तिरछी दृष्टि से बादल रूपी मेहमान को देख रही है।
(घ) मेघों के आने पर प्राकृतिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का कवि ने बड़ा सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार की अनुपम छटा बिखेरी है। कवि ने मेघों को पाहुन का रूप देकर तथा प्राकृतिक उपादानों से मानवीय क्रियाएँ करवाकर चित्रात्मकता की सृष्टि की है। शब्द योजना बड़ी सजीव तथा मनमोहक है। भाषा सरलता तथा सरसता से परिपूर्ण है।
3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
“बरस बाद सुधि लीन्हीं’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रश्न :
(क) बूढ़े पीपल ने ही सबसे पहले जुहार क्यों की ?
(ख) बूढ़े पीपल ने बादलों का स्वागत कैसे किया ?
(ग) लता ने बादलों को क्या कहा ?
(घ) बादलों के आने पर ताल की क्या स्थिति है ?
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) गाँव में प्रवेश करने से पहले मेघों को सबसे पहले पीपल का पेड़ ही मिला था। युगों से गाँव में सबसे पहले बुजुर्गों द्वारा पाहुन के स्वागत की परंपरा रही है।
(ख) बूढ़ा पीपल बादलों को झुककर नमस्कार करता है।
(ग) बादलों के विरह में व्याकुल लता के किवाड़ की आड़ में छिपकर उन्हें उलाहना देते हुए कहा कि एक वर्ष के बाद तुम्हें हमारी याद आई है।
(घ) बादलों के आने की प्रसन्नता में तालाब उनका स्वागत करते हुए पानी से परात को भरकर ले आता है।
(ङ) कवि ने मेघों के आने पर प्राकृतिक वातावरण में उत्पन्न परिवर्तनों का बड़ा सजीव अंकन किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार का सुंदर वर्णन है। चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। लता द्वारा किवाड़ की आड़ से मेघ से बात करने में उपालंभ का भाव प्रकट हुआ है। शब्द-योजना सटीक एवं सजीव है। भाषा सरल, सरस तथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है। प्रतीकात्मकता का सुंदर प्रयोग है।
4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रश्न :
(क) बादल कहाँ तक फैल गए हैं ?
(ख) बादलों के आने पर क्षितिज के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
(ग) क्या भ्रम था जो अब दूर हो गया है ?
(घ) ‘मिलन के अश्रु ढलके’ से क्या तात्पर्य है ?
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) बादल क्षितिज रूपी अटारी तक फैल गए थे।
(ख) बादल क्षितिज तक फैल गए हैं और बिजली चमक रही है जो ऐसा लगता है मानो बादल रूपी मेहमान के क्षितिज रूपी अटारी पर आने से नायिका रूपी बिजली का तन-मन आभा से युक्त हो गया है।
(ग) धरती को यह भ्रम था कि बादल नहीं बरसेंगे, किंतु अब उनके बरसने से धरती का यह भ्रम दूर हो गया है।
(घ) मेघों और धरती के बीच की बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं तो मेघ झर-झर कर बरसने लग जाते हैं। धरती और मेघों के मिलन के यह प्रेमाश्रु हैं।
(ङ) कवि ने मेघों और धरती के मिलन का बड़ा सुंदर वर्णन किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक तथा मानवीकरण का सहज और सुंदर प्रयोग सराहनीय है। लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है। तद्भव शब्दावली की अधिकता है। चित्रात्मकता ने सुंदर अभिव्यक्ति में सहायता दी है।