Chapter 4 राजनीतिक दल Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium
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राजनीतिक दल Important Questions
अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. राजनीतिक दल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
ऐसा संगठन जो देश की सता पर कब्जा जमाना चाहता हैं। राजनीतिक दल कहलाता है।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय दल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
ऐसे राजनितिक दल जो पुरे देश में फैले होते है अथवा जो कम से कम 4 प्रदेशों में 6% से अधिक मत प्राप्त करते है राष्ट्रिय दल कहते हैं |
प्रश्न 3. भारत में राजनीतिक दल चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव कैसे करते हैं?
उत्तर
भारत में राजनीतिक दलों के नेता ही चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं।
प्रश्न 4. दल-बदल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
विधायिका के लिए किसी दल-विशेष से निर्वाचित होने वाले प्रतिनिधि का उस दल को छोड़कर किसी अन्य दल में चले जाना।
प्रश्न 5. क्षेत्रीय दल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
ऐसे राजनितिक दल जो एक विशेष क्षेत्र तक सीमित होते है।
प्रश्न 6. विपक्षी दल क्या करता है?
उत्तर
विपक्षी दल सरकार की गलत नीतियों और असफलताओं की आलोचना करते हुए अपनी राय को जनता के समक्ष रखता है।
प्रश्न 7. किसी दल की पहचान किससे तय होती है?
उत्तर
किसी दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार से तय होती है।
प्रश्न 8. राजनीतिक दल का प्रमुख गुण क्या है?
उत्तर
राजनीतिक दल एक संगठित समूह होता है।
प्रश्न 9. कम्युनिस्ट पार्टी किन सिद्धान्तों में आस्था रखती है?
उत्तर
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र के सिद्धान्तों में आस्था रखती है।
प्रश्न 10. संयुक्त राज्य अमेरिका में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है?
उत्तर
संयुक्त राज्य अमेरिका में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है।
प्रश्न 11. द्विदलीय व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर
जहाँ सिर्फ दो ही दल सरकार बनाने के प्रबल दावेदार होते हैं, उसे द्विदलीय व्यवस्था कहते हैं।
प्रश्न 12. शासक दल से क्या आशय है?
उत्तर
जिस दल का शासन हो या जिस दल की सरकार बनी हो, उसे शासक दल कहते हैं।
प्रश्न 13. भारत में बहुदलीय व्यवस्था क्यों है?
उत्तर
हर देश अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप दलीय व्यवस्था विकसित करता है। भारत की सामाजिक और भौगोलिक विविधताओं को समेट पाने में दो-तीन पार्टियाँ अक्षम हैं, इसलिए यहाँ बहुदलीय व्यवस्था विकसित हुई है।
प्रश्न 14. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और उसकी नीतियों एवं कार्य के बारे में बताइए।
उत्तर
भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुआ था। ए. ओ. ह्युम नामक एक अंग्रेज अधिकारी ने किया था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. राजनितिक दलों के कोई तीन गुण लिखिए।
उत्तर
- ये जनता से जुडी मुददों पर नीतियाँ बनाते हैं |
- ये समान राजनितिक विचारधारा के होते है।
- ये संगठित रूप से एक राजनितिक इकाई के रूप में कार्य करते है।
प्रश्न 2. राजनीतिक दल जनमत का निर्माण किस प्रकार करते हैं?
उत्तर
राजनीतिक दल मुद्दों को उठाते हैं और उन पर बहस करते हैं। विभिन्न दलों द्वारा विभिन्न समस्याओं के बारे में जनता के समक्ष जो अलग-अलग राय रखी जाती है, उन्हीं के इर्द-गिर्द ही समाज या जनता अपना जनमत बनाती है।
प्रश्न 2. भारत में राजनीतिक दलों में जन-भागीदारी के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। उदाहरण के लिए 1967 में यह अनुपात जहाँ 5% के आस-पास था, वह 2004 में बढ़कर 15 प्रतिशत के आस-पास हो गया है। यह अनुपात कनाडा, जापान, स्पेन और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों से भी ज्यादा है।
प्रश्न 3. लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों होती है? तीन कारण दीजिए।
उत्तर
राजनीतिक दलों के बीना लोकतंत्र में शासन व्यवस्था नहीं चल सकती क्योंकि ये निम्न भुमिका अदा करते है।
- देश के लिए कानून बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करते है।
- वे जनता का प्रतिनिधित्व करते है और मतदाता के सामने विभिन्न नीतियों को रखते है जिनमें से जनता अपनी पसंद का चुनाव करती है।
- ये सरकार बनाते है और चलाते है और विपक्ष की भुमिका निभाते है।
- विभिन्न मुददों पर जनता की राय लेते है |
प्रश्न 4. राजनीतिक दलों की उन चार प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए, जिनका सामना राजनीतिक दल कर रहे हैं।
उत्तर
- लोकतंत्र में कामकाज की गडबडियों के लिए राजनितिक दलों को जिम्मेवार ठहराया जाता है।
- आम जनता की नाराजगी भी राजनितिक दलों को झेलनी पडती है।
- वंशवादी उतराधिकार की चुनौती जिससे योग्य लोगों को सेवा का मौका नहीं मिलता ।
- राजनितिक दलों में अपराधी तत्वों की बढती हुई घूसपैठ ।
प्रश्न 5. राजनीतिक दल की वंशवाद की चुनौती से क्या आशय है?
उत्तर
वंशवाद की चुनौती से यह आशय है कि अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं । यह दल के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय है। इससे अनुभवहीन और बिना जनाधार वाले लोग ताकत वाले पदों पर पहुँच जाते हैं। यह प्रवृत्ति लगभग पूरे विश्व के राजनीतिक दलों में विद्यमान है।
प्रश्न 6. तब क्या होगा जब राजनीतिक दल नहीं होंगे?
उत्तर
अगर राजनीतिक दल नहीं होंगे तो चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार स्वतन्त्र रूप से खड़ा हो जायेगा। कोई उम्मीदवार सरकार की नीति सम्बन्धी कोई वायदा जनता के सम्मुख नहीं कर पायेगा। वह केवल अपने क्षेत्र के कार्यों के प्रति ही जिम्मेदारी लेगा। कोई भी देश के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा।
प्रश्न 7. भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के स्तर में लगातार गिरावट हो रही है, इस संदर्भ में चार बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए जो राजनीतिक दलों में सुधार लाने के लिए प्रारम्भ किए गए हैं।
उत्तर
- दल बदल निरोधक कानून |
- राजनितिक दलों में अपराधी प्रवृति के लोगों के प्रवेश को रोकना या उन्हें टिकट नहीं देना |
- चुनाव पूर्व संपति की घोषणा करना |
- भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को राजनीति से अलग करना |
प्रश्न 8. राजनीतिक दल की विपक्ष की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
विधायिका में बहुमत हासिल न कर पाने वाले राजनीतिक दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं। वे विधायिका में सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछकर उन्हें कटघरे में खड़ा करते हैं तथा जनता के समक्ष जनसभाओं द्वारा जन-जागरूकता को बढ़ाते हैं तथा सरकार को नियन्त्रण में रखते हैं।
प्रश्न 9. राजनीतिक दलों में सुधार लाने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए |
उत्तर
- राजनीतिक दलों पर लोगों द्वारा दबाव बनाया जाय ।
- सुधार की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं राजनितिक दलों में शामिल हो।
- स्वच्छ छवि के व्यक्ति को ही राजनिति में लिया जाय।
- आन्दोलन और मिडिया के माध्यम से उन पर दबाव बनाया जाय।
प्रश्न 10. ‘राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।’ कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा]में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धान्त या लक्ष्य (विज़न) प्राय: लिखित दस्तावेज़ के रूप में होता है।
प्रश्न 11. भारतीय जनता पार्टी का गठन कब हुआ? इसके दो प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर
भारतीय जनता पार्टी का गठन 1980 में किया गया।
- राज्यों को केन्द्रीय आय तथा वितीय शक्तियों में बराबर की साझेदारी मिलें।
- यह छोटे:छोटे राज्यों का समर्थन करता है।
प्रश्न 12. साम्यवादी चीन में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है? समझाइये।
उत्तर
साम्यवादी चीन में एकदलीय राजनैतिक व्यवस्था है। वहाँ केवल साम्यवादी दल को ही शासन करने की अनुमति है। वहाँ चुनाव प्रणाली सत्ता के लिए स्वतन्त्र प्रतियोगिता की अनुमति नहीं देती। इसलिए कोई नया दल नहीं बन पाता है।
प्रश्न 13. राजनीतिक दलों के चार प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
- चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना |
- विभिन्न नीतियों
- कानून बनाने और संविधान संशोधन में निर्णायक भूमिका अदा करती हैं |
- दल सरकार बनाते है और विपक्ष की भी भूमिका निभाते है |
- ये जनता के सामने अपने:अपने एजेंडे को रखते है |
प्रश्न 14. चुनाव आयोग के तीन प्रमुख कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- देश में निष्पक्ष चुनाव करवाना ।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना।
- राजनितिक दलों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना।
- चुनाव के समय चुनाव आचार संहिता लागु करना।
- विजयी उम्मीदवारों की नामों की घोषणा करना।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना और उसकी नीतियों एवं कार्य के बारे में बताइए।
उत्तर
भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुआ था | ए. ओ. ह्युम नामक एक अंग्रेज अधिकारी ने किया था |
इसकी नीतियाँ और कार्य :
- यह लोकतंत्र, पंथनिरपेक्ष और समाजवाद हिमायती है |
- यह अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को अपना मुख्य एजेंडा मानती है |
- बाद में यह नयी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है |
प्रश्न 2. बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख विचाराधारात्मक तत्त्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर
राजनीतिक लोगों का एक ऐसा संगठित गुट होता है जिसके सदस्य किसी साँझी विचारधारा में विश्वास रखते हैं या समान राजनैतिक दृष्टिकोण रखते हैं। यह दल चुनावों में उम्मीदवार उतारते हैं और उन्हें निर्वाचित करवा कर दल के कार्यक्रम लागू करवाने क प्रयास करते हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धान्त या लक्ष्य (विज़न) प्राय: लिखित दस्तावेज़ के रूप में होता है।
ब्रिटेन में 1918 का लेबर पार्टी नामक राजनीतिक दल का एक पोस्टर, जिसमें दल ने प्रथम विश्व युद्घ में विजय समीप लाने का श्रय लेते हुए वोट मांगे।
प्रश्न 3. भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख विचाराधात्मक तत्त्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर
सामाजिक नीतियाँ एवं हिन्दुत्व भाजपा की आधिकारिक विचारधारा “एकात्म मानववाद” है।
आर्थिक नीतियाँ
- स्थापना के बाद से भाजपा की आर्थिक नीतियाँ बहुत सीमा तक बदलती रहीं है। इस दल के अन्दर विभिन्न प्रकार की आर्थिक विचार देखने को मिलते हैं।
- 1980 के दशक में, अपने पितृ दल (भारतीय जनसंघ) की तरह इस दल के आर्थिक सोच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों की आर्थिक सोच का प्रभाव था।
- भाजपा स्वदेशी तथा देशी उद्योगों को बचाने वाली व्यापार नीति की समर्थक थी। किन्तु भाजपा ने आन्तरिक उदारीकरण का समर्थन किया और राज्य द्वारा समर्थिक औद्योगीकरण का विरोध किया, जिसका कांग्रेस समर्थन करती थी।
सुरक्षा एवं आतंकवाद-विरोधी नीतियाँ
- सुरक्षा एवं आतंकवाद के विरोध से सम्बन्धित भाजपा की नीतियाँ कांग्रेस की नीतियों से अधिक आक्रामक और राष्ट्रवादी हैं.
विदेश नीति
- ऐतिहासिक रूप से भाजपा की विदेश नीति, जनसंघ की ही भांति, प्रचण्ड हिन्दू राष्ट्रवाद पर आधारित रही है जिसमें आर्थिक संरक्षणवाद का भी मिश्रण है।
प्रश्न 4. विभिन्न प्रकार की दलीय व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर
दल बनाना तथा दल-परिवर्तन- भारत में दल बनाना, दल परिर्वतन, टूट, विलय, विखराव, ध्रवीकरण आदि राजनैतिक दलों की कार्यशैली का महत्वपूर्ण रूप है ।
- क्षेत्रीय दलों का उद्भव
- भारत की दलीय व्यवस्था का एक दूसरा प्रमुख लक्षण राज्य स्तरीय दलों का उदय और उनकी बढ़ती भूमिका है
- पारंपरिक कारकों पर आधारित
- पश्चिमी देशों में राजनैतिक दल सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक कार्यक्रमों के आधार पर बनते हैं।
- व्यक्तित्व का महिमामंडन
- बहुधा दलों का संगठन एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
दलों का संगठन
- एक श्रेष्ठ व्यक्ति के चारो ओर होता है जो दल तथा उनकी विचारधारा से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
- एकदलीय व्यवस्था
- अनेक दल व्यवस्था के बावजूद भारत में एक लंबे समय तक कांग्रेस का शासन रहा । अतः श्रेष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रजनी कोठारी ने भारत में एक दलीय व्यवस्था को एक दलीय शासन व्यवस्था अथवा कांग्रेस व्यवस्था कहा।
- बहुदलीय व्यवस्था
- देश का विशाल आकार, भारतीय समाज की विभिन्नता, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की ग्राह्यता, विलक्षण राजनैतिक प्रक्रियाओं तथा कई अन्य कारणों से कई प्रकार के राजनीतिक दलों का उदय हुआ है।
प्रश्न 5. बहुदलीय व्यवस्था और गठबंधन सरकार प्रत्येक के तीन प्रमुख दोष बताइयें।
उत्तर
बहुदलीय व्यवस्था के दोष
- बहुदलीय व्यवस्था में मतदाता भ्रमित हो जाता है |
- इसमें बहुत कम मत प्रतिशत वाला भी विजयी हो जाता है |
- कई बार किसी भी राजनितिक दल को बहुमत नहीं मिलता है |
गठबंधन सरकार के दोष
- ऐसी सरकारों में राजनैतिक अस्थिरता बनी रहती है अर्थात सरकार कब गिर जाएगी इसका पता नहीं होता है|
- इसमें गठबंधन के सभी दलों का राय लेकर ही निर्णय करना पड़ता है |
- बहुत सारे दल होने की वजह से निर्णय लेने में काफी समय लगता है |
प्रश्न 6. बहुदलीय राजनैतिक प्रणाली लोकतंत्र के सफल संचालन में सहायक है अथवा बाधक। अपने उत्तर की पुष्टि में तीन तर्क दीजिए।
उत्तर
इस प्रश्न का कोइ अच्छा उतर नही है। यधपि कई मायनों में यह सहायक सावित हुआ है तो कई मायनों में यह बाधक भी है।
निम्न मायनों में यह सहायक है:
- इस प्रणाली में विभिन्न हितों और विचारों को राजनीतिक प्रतिनिध्त्वि मिल जाता है।
- यह प्रणाली विशाल और विभिन्नता वाले देशों में सहायक है।
- देश को राजनीतिक अस्थिरता से बचाती है।
बाधक:
- देश को राजनीतिक अस्थिरता की तरफ ले जाती है।
- राजनितिक तथा समाजिक विभाजन का खतरा रहता है।
- यह व्यवस्था बहुत घालमेल वाली हेाती है जो मतदाताओं को भ्रमित कर देता है।