Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Revision Notes Class 9 राजनीति विज्ञान
Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Notes for Class 9 Rajniti Vigyan is prepared by our experts. We have included all the important topics of chapter in this revision notes. By studying the revision notes of Working of Institution in Hindi, students will be able to understand the concepts of the chapter and well as answer the questions easily.
Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Notes Class 9 Loktantrik Rajniti
Topics in the Chapter
- प्रमुख नीतिगत निर्णय कैसे लिए जाते हैं ?
- संसद
- राजनीतिक कार्यकारी
- न्यायपालिका
प्रमुख नीतिगत निर्णय कैसे लिए जाते हैं ?
लोकतांत्रिक सरकार में, निर्णय करने की शक्ति तीन अलग-अलग शाखाओं में विभाजित है:
- विधायिका,
- कार्यपालिका
- न्यायपालिका
विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उनका पालन कराती हैं और न्यायपालिका नागरिकों और सरकार के बीच उपजे विवाद को सुलझाती है।
विधायिका द्वारा पारित किये गये नियम-कानूनों का पालन कराने वाले लोगों के समूह को कार्यपालिका कहा जाता है। न्यायपालिका न्यायाधीशों की प्रशासनिक और कानूनी विवादों को सुलझाने वाली संस्था है।
देश के सभी न्यायालयों को सामूहिक रूप से न्यायपालिका कहते है। कोई भी मुख्य नीति निर्णय सरकारी आदेश के रूप में हस्तान्तरित होता है । सरकारी आदेश को सदैव कार्यालय ज्ञापन कहा जाता है।
- देश में 1979 में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग जनता पार्टी की सरकार के समय, जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे, गठित किया गया।
- इसकी अध्यक्षता बी. पी. मंडल ने की थी और इसी कारण इसे आम तौर पर मण्डल आयोग कहते है।
- मण्डल आयोग के अनुसार भारत सरकार के सरकारी पदों और सेवाओं में 25 फीसदी रिक्तियाँ सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के लिए आरक्षित होंगी। इस आरक्षण मुद्दे का उन लोगों ने सख्त विरोध किया, जिनके नौकरियों के अवसर प्रभावित होने वाले थे ।
कुछ लोगों का मानना था कि भारत में विभिन्न जातियों के बीच असमानता के कारण ही नौकरियों में आरक्षण जरूरी है। दूसरे पक्ष का मानना था कि इस निर्णय से, जो पिछड़े वर्ग के नहीं है उनके अवसर छिनेंगे। अधिक योग्यता होने पर भी उन्हें नौकरियाँ नहीं मिलेंगी। सरकारी निर्णय से उठने वाले विवाद का उच्च न्यायालय ने 'इंदिरा साहनी' एवं अन्य बनाम भारत सरकार मामला के माध्यम से सुलझाया। उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछड़े वर्ग के अच्छी स्थिति वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।
कोई भी लोकतंत्र तभी ठीक काम करता है जब ये संस्थाएँ अपने काम को अच्छी तरह करती है । किसी भी देश के संविधान में प्रत्येक संस्था के अधिकारों और कार्यों के बारे में बुनियादी नियमों का वर्णन होता है
प्रधानमंत्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएँ हैं जो सभी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले करती है | मंत्रियों द्वारा किये गये फैसले को करने के उपायों के लिए एक निकाय के रूप में नौकरशाह जिम्मेदार होते है । सर्वोच्च न्यायालय वह संस्था है जहाँ नागरिक और सरकार के बीच विवाद अन्तत: सुलझाए जाते है।
संसद
निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को संसद कहते है । राज्य स्तर पर इसे विधानसभा कहा जाता है । किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है ।
- संसद नये कानून बना सकती है, मौजूदा कानूनों में संशोधन कर सकती है या मौजूदा कानून को खत्म कर सकती है। संसद में राष्ट्रीय नीति और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा औ र वाद-विवाद होता है।
- संसद राष्ट्रपति और दो सदनों से बनती है। भारत में संसद के दो सदन हैं:
(i) राज्यसभा और,
(ii) लोकसभा - राज्यसभा को कभी-कभी 'अपर हाउस' और लोकसभा को 'लोअर हाउस' कहा जाता है । हमारे संविधान में राज्यसभा को राज्यों के सम्बन्ध कुछ विशेष अधिकार दिये गये है ।
- देश में अधिकतर मसलों पर सर्वोच्च अधिकार लोकसभा के ही पास है । लोकसभा राष्ट्रपति द्वारा भंग की जा सकती है। बजट और कानून पारित करती है जिसे राज्यसभा को रद्द करने का अधिकार नहीं है
राजनीतिक कार्यकारी
अधिकारियों के समूह को सामूहिक रूप से कार्यपालिका के रूप में जाना जाता है। कार्यपालिका के दो हिस्से होते हैं:
- राजनैतिक और,
- स्थायी
जनता द्वारा खास अवधि तक के लिए निर्वाचित लोगों को राजनैतिक कार्यपालिका कहते हैं। दूसरी ओर जिन्हें लम्बे समय के लिए नियुक्त किया जाता है उन्हें स्थायी कार्यपालिका या प्रशासनिक सेवक कहते हैं।
राजनैतिक कार्यपालिका को स्थायी कार्यपालिका से ज्यादा अधिकार प्राप्त होते है यानि कि राजनैतिक कार्यपालिका शक्तिशाली होती है । क्योंकि वे नागरिकों के प्रतिनिधि होते हैं।
- देश में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक संस्था है। फिर भी प्रधानमंत्री के लिए कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता । राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करते हैं। लेकिन राष्ट्रपति अपनी मर्जी से किसी को प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकते।
- राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है ।
- प्रधानमंत्री का कार्यकाल तय नहीं होता। वह तब तक अपने पद पर रह सकता है जब तक वह पार्टी या गठबंधन का नेता है।प्रधानमंत्री की नियुक्ति के बाद राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर दूसरे मंत्रियों को नियुक्त करते हैं।
- प्रधानमंत्री मंत्रियों के चयन के लिए स्वतन्त्र होता है, बशर्ते वे संसद सदस्य हों ।
मंत्रिपरिषद उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री होते है । इसमें अमूमन विभिन्न स्तरों के 80 मंत्री होते हैं। मंत्री तीन स्तर में बंटे होते हैं:
- कैबिनेट मंत्री
- स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री,
- राज्यमंत्री
सरकार का प्रमुख होने के नाते प्रधानमंत्री के व्यापक अधिकार होते हैं। वह कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करता है । वह विभिन्न विभागों के कार्य का समन्वय करता है । सारे मंत्री उसी के नेतृत्व में काम करते है ।
एक ओर जहाँ प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है वहीं राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है । राष्ट्रपति देश की सभी राजनैतिक संस्थाओं के काम की निगरानी करता है ताकि वे राज्य के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मिल-जुलकर काम करें।
न्यायपालिका
भारतीय न्यायपालिका में पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय और स्थानीय स्तर के न्यायालय होते हैं।
भारत में न्यायपालिका एकीकृत है। इसका मतलब यह है कि सर्वोच्च न्यायालय देश में न्यायिक प्रशासन को नियंत्रित करता है। देश की सभी अदालतों को उसका फैसला मानना होता है।
सर्वोच्च न्यायालय देश के नागरिकों के बीच, नागरिकों और सरकार के बीच, दो या उससे अधिक राज्य सरकारों के बीच और केन्द्र और राज्य के बीच विवादों की सुनवाई करता है।
भारतीय कानून दो भागों में बँटे हैं:
- दीवानी मामले और,
- फौजदारी मामले
सिविल न्यायालय भूमि, सम्पत्ति और अधिकारों से सम्बद्ध मामले सुनते हैं वहीं फौजदारी न्यायालय लूट, चोरी और अन्य अपराधों से सम्बद्ध मामले सुनते हैं।
- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है। न्यायाधिकारी सत्ताधारी पार्टी या सरकार के निर्देश पर कोई कार्य नहीं करते।
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है। न्यायाधीशों की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह ली जाती है।
- न्यायाधीशों को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से हटाया जा सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करने की शक्ति रखते है । यदि न्यायालय यह महसूस करता है कि सरकार का कोई कानून या कार्य संविधान की भावना के खिलाफ है तो उसे अवैधानिक घोषित कर सकता है। ।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फैसला दिया है कि संसद, संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों को बदल नहीं सकती। भारतीय न्यायपालिका के अधिकार और स्वतंत्रता उसे मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में काम करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
- न्यायपालिका सरकार के कार्य और कानून पर पुनर्विचार कर सकती है। भारतीय न्यायपालिका जजों को हटाने और नियुक्त करने में स्वतंत्र है।
- सरकार के किसी कार्यकलाप से मानव अधिकार और लोगों की रुचि (हित) प्रभावित होती है, तो कोई भी न्यायालय की शरण में जनहित याचिका दायर करने जा सकता है। न्यायालय सरकार और सक्षम अधिकारी को निर्देश दे सकता है कि अपने अधिकारों का दुरुपयोग न करे।
महत्वपूर्ण शब्द:
- संसद: निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा ।
राज्यसभा: भारत की संसद की 'ऊपरी सदन' ।
- विधानमण्डल: लोकतंत्रीय शासन में जनता के प्रतिनिधियों की वह सभा जो देश के लिए कायदे-कानून बनाती है।
- कार्यकारी: विशेष रूप से कोई कार्य करने वाला व्यक्ति।
- न्यायपालिका: न्यायपालिका एक संस्था है, जो सरकार - सरकार, सरकार औ र नागरिकों के मध्य उपजे विवादों का निपटारा करती है।
- सर्वोच्च न्यायालय: देश का सबसे उच्च श्रेणी का न्यायालय, जो सरकार औ र नागरिकों के मध्य उठे विवादों का निपटारा करता है।
- राजनैतिक कार्यकारी: राजनेता राजनै तिक कार्यकारी होते है जो नागरिकों द्वारा एक विशेष समय के लिए चुने जाते है ।
- स्थायी कार्यकारी: जो स्थायी नियुक्ति वाले कार्यपालिका के लोगों होते हैं, उन्हें स्थायी कार्यकारी कहते हैं।
- कैबिनेट: कैबिनेट मंत्रिपरिषद का शीर्ष समूह होता है । इसमें करीब 20 मंत्री होते है |
- मंत्रिपरिषद: मंत्रियों की एक संस्था, जो सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है।
- न्यायपालिका: न्यायपालिका एक संस्था है जो न्यायाधिकारियों पर शासन और विवादों का निपटारा करती है।
- जनहित याचिका: जनहित को ठेस पहुँचाने की स्थिति में, न्यायालय में, दायर मुकदमा 'जनहित याचिका' कहलाता है।