Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Question Answer Class 10 Political Science Hindi Medium
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सत्ता की साझेदारी Important Questions
अत्ति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क क्या है?
उत्तर
सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है कि यह लोकतंत्र की आत्मा है।
प्रश्न 2. युक्तिपरक तर्क किस बात को महत्त्व देता है?
उत्तर
युक्तिपरक तर्क लाभकारी परिणामों पर जोर देता है।
प्रश्न 3. ‘माओवादी’ किसे कहते हैं?
उत्तर
चीनी नेता माओं के विचारधरा को मानने वाले को माओंवादी कहलाते है।
प्रश्न 4. सन् 2000 में बोलिविया में जन संघर्ष का प्रमुख आधर क्या था?
उत्तर
जल आपूर्ति का अधिकार बहुराष्ट्रीय कंपनी को सौंप दिए गए थे।
प्रश्न 5. श्रीलंका में कितने जातीय समूह के लोग रहते हैं?
उत्तर
श्रीलंका में सिंहली, श्रीलंकाई मूल के तमिल, भारतवंशी तमिल, ईसाई तथा मुसलमान जातीय समुदाय रहते हैं।
प्रश्न 6. श्रीलंका में किन दो समुदायों के मध्य संघर्ष जारी है?
उत्तर
सिंहली और तमिल समुदायों के मध्य।
प्रश्न 7. शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे को क्या कहते हैं?
उत्तर
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के वितरण को 'सत्ता का क्षैतिज वितरण' कहते हैं।
प्रश्न 8. ‘लामबंदी’ किसे कहते हैं?
उत्तर
जनहित के लिए लोगों का एकजुट होकर आंदोलन चलाना।
प्रश्न 9. बेल्जियम के सीमावर्ती राज्य कौन से हैं?
उत्तर
बेल्जियम के सीमावर्ती राज्य नीदरलैंड, फ्रांस और जर्मनी हैं।
प्रश्न 10. बेल्जियम में तुलनात्मक रूप से कौनसे लोग ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं?
उत्तर
बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं।
प्रश्न 11. बेल्जियम में कितने भाषा-भाषी लोग रहते हैं?
उत्तर
बेल्जियम में 59% डच, 40% फ्रेंच और 1% जर्मन भाषी लोग रहते हैं।
प्रश्न 12. बामसेफ (BAMCEF) का शब्द-विस्तार लिखिए?
उत्तर
बैकवर्ड एंड माइनॉरिजीट कम्युनिटी एम्पलॉइज फेडेरेशन।
प्रश्न 13. जातीय का क्या अर्थ है?
उत्तर
जातीय का अर्थ है साझा संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन।
प्रश्न 14. लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त क्या है?
उत्तर
लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि जनता ही सारी राजनैतिक शक्ति का स्रोत है।
प्रश्न 15. गृह-युद्ध से क्या आशय है?
उत्तर
किसी मुल्क में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध-सा लगे तो उसे गृह-युद्ध कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बेल्जियम को समाज की जातीय बुनावट की दृष्टि से कितने क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर
चार क्षेत्रों में-
- राजधानी क्षेत्र-ब्रूसेल्स
- फ्रेंच भाषी क्षेत्र-वेलोनिया,
- डच भाषी क्षेत्रफ्लेमिश तथा
- जर्मन भाषी क्षेत्र।
प्रश्न 2. सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर
- सत्ता का क्षैतिज वितरण: विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका।
- सत्ता का उर्ध्वाधर वितरण: केन्द्रीय सरकार, प्रांतीय सरकार और स्थानीय सरकार।
- सामुदायिक सरकार: विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी।
- दबाव समूह: दबाव समूहों के द्वारा भागदारी।
प्रश्न 3. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
श्रीलंका 1948 में एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपने प्रभुत्व के आधार पर सरकार पर प्रभुत्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया। इसे सुरक्षित करने के लिए श्रीलंका सरकार ने बहुसंख्यकवाद को अपनाया। 1956 में, सिंहली को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए एक अधिनियम पारित किया गया, इस प्रकार तमिल की उपेक्षा की गई। सरकार ने उन नीतियों का पालन किया जो विश्वविद्यालय पदों और अन्य सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों का पक्ष लेती थीं। साथ ही, एक नए संविधान ने यह भी स्थापित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।
प्रश्न 14. दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूहों का उदाहरण दीजिए |
उत्तर
ऐसा समुह जो अपनी उदेश्य या माँगों की पूर्ति के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर दबाव डालती है उन्हे दबाव समुह कहते है।
उदाहरण:
- किसान संघ
- मजदूर संघ
- छात्र संगठन
- अध्यापक संघ
- धार्मिक संगठन
- व्यापार संघ
प्रश्न 5. सन् 1990 से 2004 के बीच नेपाल में लोकतंत्रा की स्थापना के लिए कौन-कौन से प्रयास किये गए ?
उत्तर
नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए निम्न प्रयास किये गए।
- संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक ‘सेवेन पार्टी अलायंस’ (सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए.) बनाया गया।
- नेपाल की राजधनी काठमांडू में चार दिन के ‘बंद’ का आह्वान किया। इस प्रतिरोध् ने जल्दी ही अनियतकालीन ‘बंद’ का रूप ले लिया।
- आंदोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम’ दे दिया लाखों के तादात में लोग सड़कों पर उतर आए ।
प्रश्न 6. अप्रैल 2006 में नेपाल में हुए जन-आन्दोलन का क्या कारण था? और इसके क्या परिणाम हुए।
उत्तर
नेपाल के राजा वीरेन्द्र की हत्या होने के बाद नेपाल में एक राजनितिक संकट पैदा हो गई । नया शासक राजा ज्ञानेन्द्र लोकतांत्रिक शासन को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। तब तत्कालीन प्रधनमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया गया । शीघ्र ही इस कार्यवाही के विरुद्ध नेपाल में जन आन्दोलन शुरू हो गया । वहॉ के लोग लोकतंत्र की बहाली चाहते थे और सता जनता के हाथ में सौपना चाहते थे। इसके विरुद्ध अनेक जन संघर्ष हुए और अंततः राजा को जनता की सारी मांगे माननी पडी ।
प्रश्न 6. श्रीलंका में गृहयुद्ध के क्या कारण थे ? Most Important
उत्तर
श्रीलंका में गृहयुद्ध के कारण इस प्रकार हैं:
- श्रीलंका में सिंहली द्वारा बहुसंख्यकवाद का अनुसरण किया गया।
- सिंहल को राष्ट्रीय भाषा बनाना, इस प्रकार तमिल की उपेक्षा करना।
- सरकारों ने उस नीति का पालन किया जो विश्वविद्यालय पदों और अन्य सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों का पक्ष लेती थी।
- एक नए संविधान ने यह भी स्थापित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।
इन सभी सरकारी उपायों ने धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों में अलगाव की भावना को बढ़ावा दिया जो गृह युद्ध का कारण बन गया।
प्रश्न 7. श्रीलंकाई तमिलों की मांगों का वर्णन करो?
उत्तर
श्रीलंकाई तमिलों की मांगें इस प्रकार थीं:
- संविधान और सरकार की नीतियों को उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिए।
- नौकरी और अन्य अवसर पाने में तमिलों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और उनके हितों की अनदेखी की जानी चाहिए।
- तमिल भी एक आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।
- उन्हें शिक्षा और नौकरी हासिल करने में क्षेत्रीय स्वायत्तता और अवसर की समानता होनी चाहिए।
- दो समुदायों के बीच विश्वास बहाल किया जाना चाहिए।
प्रश्न 8. समाज में स्त्रियों की दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर
समाज में स्त्रियों की दयनीय स्थिति के चार कारण हैं:
- पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में शिक्षा का अभाव है।
- स्त्रियों के बीच पर्दा प्रथा कायम है।
- बालविवाह, विधवा विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियाँ इसके लिए अधिक जिम्मेवार हैं।
- दहेज प्रथा भी स्त्रियों की दशा खराब करने में मदद पहुँचा रही है।
प्रश्न 9. धर्म एवं राजनीति के संबंधों को स्पष्ट करें।
उत्तर
गाँधी जी का कहना था कि धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता है। गाँधी जी के अनुसार धर्म की आशय नैतिकता से था। निश्चित तौर पर राजनीति का नैतिक मूल्यों से निर्देशित होना चाहिए। नैतिकता विहीन राजनीति लोक विरोधी एवं निरंकश हो जाती है। देश के कल्याण के लिए यह आवश्यक है कि धर्मों के अच्छे विचारों, आदर्शों एवं मूल्यों को राजनीति में स्थान दिया जाए। राजनीति में यह भी देखा जाना चाहिए कि किसी धर्म विशेष के साथ भेदभाव या तुष्टीकरण तो नहीं किया जा रहा है।
प्रश्न 10. लोकतंत्र में ‘नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
लोकतंत्र में सरकार के विभिन्न अंगों जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता की साझेदारी होती है
- सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।
- कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है उदाहरण के लिए मंत्री विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है परंतु न्यायपालिका ही कार्यपालिका तथा विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को ‘नियंत्रण और संतुलन’ की व्यवस्था कहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति विभाजन (सत्ता की साझेदारी) पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर
प्रत्येक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के तीन अंग होते हैं:
- विधायिका,
- कार्यपालिका और,
- न्यायपालिका।
विधायिका का कार्य कानूनों का निर्माण करना है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है तथा उन व्यक्तियों को दण्ड देती है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।
सरकार के तीनों अंगों के कार्यों का इस प्रकार विभाजन इस बात को निश्चित करता है कि किसी एक अंग के पास असीमित शक्तियाँ एकत्रित नहीं होंगी तथा प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण रखता है। इससे शक्ति सन्तुलन बना रहता है तथा शासन सुचारु रूप से चलता रहता है।
प्रश्न 2. बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में परस्पर संघर्ष के क्या कारण थे? इस समस्या का समाधान किस प्रकार किया गया?
उत्तर
बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में संघर्ष के कारण-बेल्जियम में 59% डच भाषा-भाषी, 40% फ्रेंच भाषा-भाषी लोग रहते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स में 80% फ्रेंच भाषा-भाषी तथा 20% डच भाषा-भाषी लोग रहते बेल्जियम में फ्रेंच भाषी समूह अधिक धनी व शक्तिशाली है। आर्थिक एवं शिक्षा के विकास के प्रश्न को लेकर डच भाषी समूह ने फ्रेंच भाषी समूह का विरोध किया। इस कारण 1950 से 1960 के दशक में परस्पर संघर्ष तथा तनाव बढ़ता चला गया।
समस्या का समाधान- इस संघर्ष के समाधान हेतु दोनों ने 1970 से 1993 के मध्य संविधान में निम्न चार संशोधन कर सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था को लागू किया है-
- केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर होगी। विशेष कानून हेतु दोनों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी।
- केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ राज्य सरकारों को प्रदान कर दी गई हैं।
- राजधानी ब्रूसेल्स की सरकार में दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व दिया गया है।
- स्थानीय सरकारों को डचों, फ्रांसीसियों तथा जर्मन भाषा-भाषियों द्वारा मिलकर चुना जायेगा।
प्रश्न 3. आप बेल्जियम और श्रीलंका में अपनाए गए सिद्धांतों यानी श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद और बेल्जियम में आवास से क्या सीखते हैं?
उत्तर
हम श्रीलंका और बेल्जियम में बहुसंख्यकवाद और समायोजन के सिद्धांतों से निम्नलिखित सबक सीखते हैं:
- बेल्जियम में, नेताओं ने सभी समुदायों की भावनाओं और हितों का सम्मान किया और देश की एकता को बनाए रखने में सफल रहे।
- उन्होंने क्षेत्रीय मतभेदों और सांस्कृतिक विविधताओं के अस्तित्व को मान्यता दी।
- उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था तैयार करने के लिए संविधान में संशोधन जैसे विभिन्न कदम उठाए जो सभी को एक ही देश में एक साथ रहने में सक्षम बनाए।
- ब्रुसेल्स और केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी लोगों के समान संख्या में मंत्री जैसी व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक काम किया है।
दूसरी ओर श्रीलंका में, सिंहली समुदाय ने सरकार पर प्रभुत्व हासिल करने की कोशिश की और बहुसंख्यकवादी उपायों की एक श्रृंखला को अपनाया। इसका परिणाम श्रीलंकाई तमिलों का अलगाव और गृहयुद्ध था।
इस प्रकार यह सिद्ध करता है कि नीति और समायोजन का मार्ग प्रमुख अधिनायकवाद के मार्ग से बेहतर है।
प्रश्न 4. बहुसंख्यकवाद क्या है? श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद किस प्रकार फैला? इससे क्या समस्याएँ उत्पन्न हुईं? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का उद्भव-सन् 1948 में श्रीलंका के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के साथ ही वहाँ बहुसंख्यकवाद का उद्भव होना शुरू हो गया। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना, चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत निम्न प्रमुख कदम उठाए-
- 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल भाषा की उपेक्षा करते हुए सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
- विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति चलाई गई।
- नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
प्रश्न 5. श्रीलंकाई तमिलों के अलगाव के क्या कारण थे? इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
श्रीलंकाई तमिलों को अलग-थलग महसूस करने के निम्नलिखित कारण थे:
- अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद श्रीलंकाई सरकार ने बहुसंख्यकवादी नीतियों को अपनाया जिसने देश के अन्य सभी जातीय समूहों पर सिंहल के प्रभुत्व को स्थापित किया।
- 1956 के अधिनियम द्वारा, तमिल की अवहेलना करते हुए सिंहल को एकमात्र आधिकारिक भाषा बना दिया गया था।
- विश्वविद्यालय के पदों और सरकारी नौकरियों के लिए सिंहली आवेदकों को प्राथमिकता दी गई।
- संविधान ने निर्धारित किया कि राज्य बौद्ध धर्म की रक्षा करेगा और उसे बढ़ावा देगा।
- इन उपायों ने धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों में अलगाव की भावना को बढ़ाया।
इस भावना ने सिंहल और तमिल के बीच तनावपूर्ण संबंधों को जन्म दिया जिससे बाद में देश में लंबे समय तक गृहयुद्ध हुआ।
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से उत्पन्न समस्याएँ:
- श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के चलते इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया।
- उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।
- उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
- नौकरियों और फायदे के अन्य कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है।
परिणाम:
- श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के कारण तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
- श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया।
- 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
- श्रीलंका में दो समुदायों के बीच का यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत हुआ। परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हजारों लोग मारे गये।
- अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणार्थी बन गए।
- लाखों लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई।
- गृहयुद्ध से श्रीलंका के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा हुई हैं। 2009 में इस गृहयुद्ध का अंत हुआ।
प्रश्न 6. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आधुनिक लोकतंत्रों में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न रूप इस प्रकार हैं:
- सत्ता सरकार के विभिन्न समूहों, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच विभाजित है। इस तरह की शक्ति साझेदारी एक अलगाव सुनिश्चित करती है जिससे कोई भी अंग असीमित शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता है।
- सत्ता को विभिन्न स्तरों पर सरकारों के बीच भी साझा किया जा सकता है – पूरे देश के लिए एक आम सरकार और प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर पर सरकारें।
- सत्ता को विभिन्न सामाजिक समूहों, जैसे धार्मिक और भाषाई समूहों के बीच भी साझा किया जा सकता है।
- सत्ता साझेदारी व्यवस्था को राजनीतिक दलों, दबाव समूहों और आंदोलनों के रूप में भी देखा जा सकता है।